23वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन | 06 Dec 2025
प्रीलिम्स के लिये: मुक्त व्यापार समझौता, यूरेशियन आर्थिक संघ, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग, उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR)
मेन्स के लिये: भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी, सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारत की भागीदारी,
चर्चा में क्यों?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये भारत आए, जिसके दौरान दोनों देशों ने रक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिससे उनकी दीर्घकालिक भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि हुई।
23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम क्या हैं ?
- सामरिक साझेदारी को मज़बूत करना: भारत और रूस ने भारत-रूस सामरिक साझेदारी घोषणा (2000) की 25वीं वर्षगाँठ पर अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी की पुष्टि की तथा रक्षा, स्वास्थ्य सेवा, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्र में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
- भारत और रूस ने यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को तेजी से आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, रणनीतिक आर्थिक सहयोग का विस्तार करने के लिये कार्यक्रम 2030 को अपनाया और वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य निर्धारित किया।
- दोनों पक्षों ने भुगतान प्रणालियों पर सहयोग को मज़बूत करने, लंबित निवेश मुद्दों को सुलझाने पर सहमति व्यक्त की तथा ऊर्जा को अपनी साझेदारी के प्रमुख स्तंभ के रूप में पुनः स्थापित किया।
- कनेक्टिविटी और परिवहन पहल: भारत और रूस ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग और उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) सहित प्रमुख कनेक्टिविटी गलियारों पर सहयोग को गहरा करने के साथ-साथ ध्रुवीय-जल नेविगेशन के लिये विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने पर सहमति व्यक्त की।
- दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने तथा परिवहन संपर्कों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अपने रेलवे के बीच जारी सहयोग पर भी विशेष ज़ोर दिया।
- रूसी सुदूर पूर्व और आर्कटिक में सहयोग: भारत और रूस ने 2024–2029 सहयोग ढाँचे के तहत ऊर्जा, खनन, कृषि और समुद्री परिवहन जैसे क्षेत्रों में सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र में व्यापार तथा निवेश सहयोग को और मज़बूत करने पर सहमति जताई।
- दोनों पक्षों ने उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) पर बढ़ते सहयोग को रेखांकित किया और नियमित आर्कटिक परामर्श जारी रखने की पुष्टि की, जिसमें भारत आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक के रूप में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिये तत्पर है।
- असैन्य परमाणु एवं अंतरिक्ष सहयोग: भारत और रूस ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें पूर्ण ईंधन चक्र, कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिये समर्थन तथा भविष्य में उच्च प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों को शामिल किया जाएगा, जो वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता तक पहुँचने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
- दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण अंतरिक्ष सहयोग के अंतर्गत सुदृढ़ हुई इसरो–रोस्कोस्मोस साझेदारी का स्वागत किया, जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान, उपग्रह नेविगेशन और ग्रह अन्वेषण जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- सैन्य सहयोग: रक्षा संबंधों की पुष्टि की गई तथा साझेदारी अब उन्नत सैन्य प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, सह-विकास और सह-उत्पादन की ओर बढ़ रही है।
- दोनों पक्षों ने सैन्य एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत–रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-M&MTC) के परिणामों का स्वागत किया और मित्र देशों को निर्यात सहित रूसी मूल के प्लेटफॉर्मों के लिये स्पेयर पार्ट्स तथा उपकरणों के ‘मेक इन इंडिया’ अधीन विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई।
- बहुपक्षीय सहयोग: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिये भारत की मांग का समर्थन किया तथा वर्ष 2026 में भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिये पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।
- रूस ने अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल होने के लिये रूपरेखा समझौते को अपनाया। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में शामिल होने में रूस की रुचि का स्वागत किया।
- निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों, जलवायु वित्त और पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के कार्यान्वयन पर सहयोग को गहरा करने पर सहमति हुई।
- आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताएँ: दोनों पक्षों ने पहलगाम (2025) और क्रोकस सिटी हॉल (2024) में हाल के हमलों की निंदा की, सभी संयुक्त राष्ट्र-सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून में निहित शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय को अंतिम रूप देने का समर्थन किया तथा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के सख्त और प्रभावी कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया।
भारत और रूस के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
- आर्थिक सहयोग: वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो मुख्य रूप से भारत द्वारा ऊर्जा आयात द्वारा संचालित होगा।
- दोनों देशों का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार तथा वर्ष 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पारस्परिक निवेश हासिल करना है।
- भारतीय निर्यात मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, लोहा और इस्पात तथा समुद्री उत्पाद हैं।
- रूस से भारत के आयात में मुख्य रूप से कच्चा तेल एवं पेट्रोलियम उत्पाद, सूरजमुखी तेल, उर्वरक, कोकिंग कोयला तथा कीमती पत्थर और धातुएँ शामिल हैं।
- राजनयिक सहयोग: भारत और रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन, व्यापार-आर्थिक-वैज्ञानिक-तकनीकी-सांस्कृतिक सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC), IRIGC-M&MTC तथा 2+2 संवाद जैसे तंत्रों के माध्यम से निरंतर और सघन राजनयिक संपर्क बनाए रखते हैं, जिससे उच्च-स्तरीय समन्वय लगातार सुनिश्चित होता है।
- दोनों देश G-20, ब्रिक्स और SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी मिलकर कार्य करते हैं, जिससे उनकी वैश्विक साझेदारी मज़बूत होती है।
- रक्षा सहयोग: यह साझेदारी की आधारशिला है, जो वर्ष 2021-2031 सैन्य-तकनीकी सहयोग समझौते द्वारा निर्देशित है।
- यह संबंध अब केवल क्रेता–विक्रेता मॉडल तक सीमित न रहकर ब्रह्मोस, SU-30MKI, T-90 टैंक तथा AK-203 राइफल जैसी प्रणालियों के संयुक्त विकास और उत्पादन के स्तर तक विकसित हो चुका है।
- इंद्रा और जैपद-2025 जैसे नियमित सैन्य अभ्यास अंतर-संचालन क्षमता को सुदृढ़ करते हैं, जबकि पनडुब्बी, फ्रिगेट और S-400 प्रणाली जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म दोनों देशों के बीच निरंतर विश्वास को प्रतिबिंबित करते हैं।
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हथियार प्रणाली |
विवरण |
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ब्रह्मोस मिसाइल |
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रणाली जिसे भारत की DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya (NPOM) ने संयुक्त रूप से विकसित किया, जो भारत–रूस की मिसाइल तकनीक सहयोग का प्रमुख प्रतीक बनी हुई है। |
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सुखोई Su-30MKI |
भारत में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा बहु-भूमिका वाले फाइटर विमान का लाइसेंस के तहत उत्पादन। |
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T-90 टैंक |
भारत में T-90S भिश्म मुख्य युद्धक टैंकों का लाइसेंस के तहत उत्पादन। |
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S-400 ट्रायम्फ |
भारत द्वारा उन्नत लंबी दूरी की सतह से वायु मिसाइल रक्षा प्रणाली (SAM) की खरीद। यह संयुक्त रूप से उत्पादित नहीं है, बल्कि खरीदी गई है। |
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INS विक्रमादित्य |
पूर्व रूसी एयरक्राफ्ट कैरियर एडमिरल गॉर्शकोव का नवीनीकरण और भारतीय नौसेना को हस्तांतरण। भारत की अधिकांश पारंपरिक और परमाणु-संचालित पनडुब्बियाँ रूसी मूल की हैं। |
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AK-203 राइफल |
इंडो-रशिया राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के तहत कोरवा, भारत में "मेक इन इंडिया" पहल के तहत उत्पादन। |
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: गगनयान प्रशिक्षण पर भारत-रूस सहयोग गहन अंतरिक्ष साझेदारी को दर्शाता है, जबकि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र विदेशी समर्थन के साथ भारत की सबसे बड़ी असैन्य परमाणु परियोजना बनी हुई है।
- वर्ष 2021 में हस्ताक्षरित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार रोडमैप का उद्देश्य दोनों देशों के बीच नवाचार और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना है।
- शिक्षा एवं सांस्कृतिक सहयोग: दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंध सुदृढ़ हैं, जहाँ लगभग 20,000 भारतीय छात्र, मुख्यतः चिकित्सा विश्वविद्यालयों में, रूस में अध्ययन कर रहे हैं।
- मॉस्को में भारत उत्सव 2025 और कई रूसी शहरों में आयोजित भारतीय फिल्म महोत्सव जैसे बड़े पैमाने के आयोजन भारत के प्रति बढ़ते सांस्कृतिक उत्साह को दर्शाते हैं।
भारत–रूस संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ और समाधान:
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चुनौतियाँ |
समाधान |
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यूक्रेन युद्ध के कारण S-400 प्रणाली और अकुला पनडुब्बियों की आपूर्ति में देरी, जिससे भारत की रक्षा तैयारी प्रभावित हो रही है। |
‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और iDEX के माध्यम से स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना। IRIGC-M&MTC के तहत संयुक्त स्पेयर सपोर्ट का विस्तार करना। |
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वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का रूस से आयात 63 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जबकि निर्यात 5 अरब डॉलर से भी कम है, जिससे व्यापार संरचना असंतुलित है। |
भारत–EAEU मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताओं के माध्यम से बाज़ार तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के माध्यम से मेडिसिन, आईटी और इंजीनियरिंग निर्यात को बढ़ावा देना। |
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बीजिंग पर मॉस्को की बढ़ती निर्भरता, भारत–चीन तनाव के संदर्भ में उसकी तटस्थ भूमिका को सीमित करती है। |
क्वाड, यूरोप और मध्य एशिया के साथ संबंधों को मज़बूत कर रूस की घटती रणनीतिक उपयोगिता की भरपाई करना। |
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प्रतिबंधों के कारण सामान्य बैंकिंग चैनल अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे बड़ी राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। |
स्पेशल रूपी वोस्ट्रो अकाउंट, RBI की INR निपटान व्यवस्था तथा गैर-प्रतिबंधित बैंकों के माध्यम से एस्क्रो प्रणालियों का उपयोग कर वैकल्पिक भुगतान मार्ग विकसित करना। |
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रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती, अक्सर फर्जी नौकरी प्रस्तावों के माध्यम से, के परिणामस्वरूप भारत में जनहानि हुई है तथा व्यापक जनाक्रोश फैला है। |
MADAD पोर्टल, eMigrate प्रणाली तथा रूस के साथ वाणिज्य दूतावास संवाद मंचों के अंतर्गत निगरानीयुक्त प्रत्यावर्तन के लिये द्विपक्षीय तंत्रों के माध्यम से प्रवासी सुरक्षा को सुदृढ़ करना। |
निष्कर्ष:
भारत–रूस साझेदारी स्थिर बनी हुई है, जिसमें व्यापार में वृद्धि हो रही है और रक्षा क्षेत्र से आगे सहयोग के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से रूसी सुदूर पूर्व के साथ नए निर्यात अवसरों और गहरे क्षेत्रीय जुड़ाव की संभावनाओं पर काम किया जा रहा है। INSTC और चेन्नई–व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी संपर्क परियोजनाएँ रूस के पूर्वोन्मुखी रुख और भारत के आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को मजबूती प्रदान करती हैं।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्र. आर्कटिक और रूसी सुदूर पूर्व (रशियन फार ईस्ट) के साथ भारत की संलग्नता एक आर्थिक आवश्यकता है। अवसरों और बाधाओं की आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत-रूस आर्थिक सहयोग का मार्गदर्शन कौन-सा तंत्र करता है?
व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC)।
2. 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में किन प्रमुख संपर्क गलियारों पर प्रकाश डाला गया?
आईएनएसटीसी, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग।
3. कौन-सी परमाणु परियोजना भारत-रूस असैन्य परमाणु सहयोग का प्रतिनिधित्व करती है?
तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र।
4. कौन-से रक्षा प्लेटफॉर्म भारत-रूस संयुक्त विकास या लाइसेंस प्राप्त उत्पादन को दर्शाते हैं?
ब्रह्मोस मिसाइल, Su-30MKI विमान, T-90 टैंक और AK-203 राइफलें।
सारांश
- 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन ने रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग में नए समझौतों के माध्यम से अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत किया।
- दोनों पक्षों ने वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया तथा INSTC, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी प्रमुख संपर्क परियोजनाओं को आगे बढ़ाया।
- रूसी सुदूर पूर्व, आर्कटिक, डिजिटल भुगतान और कुडनकुलम जैसी असैन्य परमाणु परियोजनाओं में सहयोग का विस्तार हुआ।
- चर्चा में रक्षा आपूर्ति में देरी, व्यापार असंतुलन, भुगतान संबंधी मुद्दे और रूसी सेना में भारतीय नागरिकों से संबंधित चिंताओं सहित प्रमुख चुनौतियों पर भी चर्चा की गई।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न:
प्रीलिम्स
प्रश्न. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ 'परमाणु क्षेत्र में सहयोग की प्राथमिकता और कार्यान्वयन के लिये कार्ययोजना' नामक एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)
(a) जापान
(b) रूस
(c) यूनाइटेड किंगडम
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न. भारत-रूस रक्षा समझौते पर भारत-अमेरिका रक्षा समझौते का क्या महत्त्व है? हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)
