बिम्सटेक की 17वीं मंत्रिस्तरीय बैठक | 05 Apr 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने बिम्सटेक की 17वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया।

  • श्रीलंका की अध्यक्षता में यह बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई थी।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में भारत का पक्ष

    • भारत की प्रतिबद्धता
      • बैठक के दौरान भारत ने बिम्सटेक ढाँचे के तहत आगे भी क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने और संगठन को मज़बूत, जीवंत, अधिक प्रभावी और परिणाम-उन्मुख बनाने के प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर की।
    • प्रगति
      • बैठक में भारत द्वारा आतंकवाद, ट्रांस-नेशनल क्राइम, परिवहन एवं संचार, पर्यटन और पर्यावरण तथा आपदा प्रबंधन आदि विभिन्न क्षेत्रों में हुई प्रगति को रेखांकित किया गया।
  • बैठक का परिणाम

    • बैठक के दौरान श्रीलंका में आयोजित होने वाले आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में अपनाने हेतु बिम्सटेक परिवहन कनेक्टिविटी मास्टर प्लान का समर्थन किया गया।
    • भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य, इस मास्टर प्लान का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि कई सड़कें और नदी लिंक इस क्षेत्र से गुज़रते हैं।
    • बिम्सटेक चार्टर को जल्द अपनाने का आह्वान किया गया।
    • बैठक में आपराधिक मामलों में आपसी कानूनी सहायता पर कन्वेंशन, राजनयिकों तथा प्रशिक्षण अकादमियों के बीच सहयोग और कोलंबो (श्रीलंका) में बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा की स्थापना से संबंधित तीन समझौता ज्ञापनों का समर्थन किया गया।
    • इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया कि भारत में स्थापित ‘बिम्सटेक सेंटर फॉर वेदर एंड क्लाइमेट’ आपदा संबंधी प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करने के लिये अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ पूर्णतः कार्यात्मक है।
  • चिंताएँ

    • रोहिंग्या शरणार्थी मामला जिसने म्याँमार और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव उत्पन्न कर दिया है, के कारण सदस्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करना मुश्किल हो गया है।
    • इसने संगठन के काम को कुछ हद तक प्रभावित किया है, क्योंकि इसके कारण एक सामान्य चार्टर विकसित करना संभव नहीं हो सका है।

बिम्सटेक

  • परिचय:
    • इसका पूरा नाम ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन’ (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है तथा यह एक क्षेत्रीय संगठन है।
    • इसके 7 सदस्यों में से 5 सदस्य- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका दक्षिण एशिया से हैं तथा दो- म्याँमार और थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया से हैं।
    • यह भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के चलते दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क-SAARC) के महत्त्वहीन हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक नया मंच प्रदान करता है।
    • अंतर-क्षेत्रीय सहयोग पर ध्यान देने केंद्रित करने के साथ-साथ, बिम्सटेक ने दक्षेस यानी SAARC और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (Association of Southeast Asian Nations-ASEAN) के सदस्य देशों के साथ एक साझा मंच का निर्माण भी किया है।
    • वर्तमान मे, बिम्सटेक 15 क्षेत्रों में कार्य करता है, जिनमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यटन, मत्स्य पालन, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।
    • वर्ष 1997 में इसकी शुरुआत केवल छह क्षेत्रों को शामिल करते हुए हुई थी और बाद में वर्ष 2008 में शेष नौ क्षेत्रों तक इसे विस्तारित किया गया।
    • सचिवालय: ढाका, बांग्लादेश।
  • उद्देश्य:
    • क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना।
    • सहयोग और समानता की भावना विकसित करना।
    • सदस्य राष्ट्रों के साझा हित के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
    • शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में एक-दूसरे का पूर्ण सहयोग।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस