11वाँ राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन | 29 Feb 2020

प्रीलिम्स के लिये:

11वाँ राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन

मेन्स के लिये:

11वें राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन के तहत किसानों के लिये कल्याणकारी प्रावधान

चर्चा में क्यों?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा 28 फरवरी 2020 से 1 मार्च 2020 तक नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन (National Krishi Vigyan Kendra Conference) के 11वें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ने 11वें राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र सम्मेलन का उद्घाटन किया।
  • इस सम्मेलन का विषय ‘प्रौद्योगिकी आधारित कृषि के लिये युवाओं को सशक्त करना’ (Empowering Youth for Technology Led Farming) है।

सम्मेलन के बारे में:

  • कृषि विज्ञान केंद्रों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी आधारित कृषि और युवा उद्यमिता पर आधारित होगा जिसमें पूरे भारत के सभी कृषि विज्ञान केंद्र शामिल होंगे।
  • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, कृषि विज्ञान केंद्र प्रयोगशालाओं और खेतों के बीच एक कड़ी की भूमिका निभाते हैं।
  • वर्ष 1974 में पुद्दुचेरी में पहले कृषि विज्ञान केंद्र के निर्माण के बाद अब पूरे देश में 717 कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रहे हैं।

अन्य तथ्य:

  • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, किसानों को उनके उत्‍पाद का बेहतर मूल्‍य प्रदान करने के लिये ई-नाम पोर्टल का सृजन किया गया है।
  • ई-नाम पोर्टल पर पहले ही 585 मंडियाँ शामिल की जा चुकी हैं और नियत समय में 415 अन्‍य मंडियों को भी शामिल किया जाएगा। ई-नाम पोर्टल पर 91 हज़ार करोड़ रुपए का ई-व्‍यापार (ई-ट्रेड) हो चुका है।

ई-नाम

(e-National Agriculture Market: eNAM):

  • ई-राष्ट्रीय कृषि बाज़ार एक पैन इंडिया ई-व्यापार प्लेटफॉर्म है। कृषि उत्पादों के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय बाज़ार का सृजन करने के उद्देश्य से इसका निर्माण किया गया है।
  • इसके तहत किसान नज़दीकी बाज़ार से अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं तथा व्यापारी कहीं से भी उनके उत्पाद का मूल्य चुका सकते हैं।
  • इसके परिणामस्वरूप व्यापारियों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में भी बढ़ोतरी होगी।
  • इसके माध्यम से मूल्यों का निर्धारण भलीभाँति किया जा सकता है तथा किसानों को अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त होता है।

कृषि विज्ञान केंद्र तथा उनकी भूमिका:

  • KVK राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा है।
  • KVK योजना को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शोध एवं शिक्षा विभाग के तहत शत-प्रतिशत केंद्रीय वितपोषण के ज़रिये संचालित किया जा रहा है।
  • KVK की गतिविधियों में प्रौद्योगिकियों का खेतों में परीक्षण एवं प्रदर्शन करना, किसानों एवं कृषिकर्मियों की क्षमता का विकास करना, कृषि प्रौद्योगिकियों का ज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य करना और किसानों के हित वाले विभिन्‍न विषयों पर ICT तथा अन्‍य मीडिया साधनों का उपयोग कर कृषि परामर्श जारी करना शामिल है।
  • इसके अलावा KVK प्रौद्योगिकी आधारित गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्‍पाद (बीज, रोपण सामग्री, बॉयो–एजेंट, पशुधन) मुहैया करने में सहायता करते हैं एवं इन्‍हें किसानों को उपलब्‍ध कराके जागरूकता बढ़ाने वाली विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करते हैं, चयनित कृषि नवाचारों की पहचान करने के साथ-साथ उनका प्रलेखन करते हैं और पहले से ही जारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के साथ सामंजस्‍य सुनिश्चित करते हैं।

सुझाव:

  • KVK को मज़बूत करने के लिये किसानों को बेहतर बीज, फसलों के लिये सिंचाई और खाद, फसल कटाई के लिये मशीनें और उत्पादों का सर्वोत्तम मूल्य देने वाला एक बाज़ार उपलब्ध कराने पर बल देना होगा।
  • प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों का डेटाबेस अपडेट करना होगा।
  • KVK को किसानों की विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एकल खिड़की सेवा प्रदान करनी चाहिये।

आगे की राह:

आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न उत्पादन के तीन प्रमुख कारक हैं- पहला किसानों की मेहनत, दूसरा कृषि वैज्ञानिकों, प्रयोगशालाओं एवं विश्वविद्यालयों की भूमिका और तीसरा केंद्र एवं राज्य सरकारों की किसान कल्याण नीतियाँ, योजनाएँ और प्रोत्साहन। हमें एक ऐसी आदर्श स्थिति बनानी होगी, जिससे कृषि क्षेत्र को आकर्षक बनाया जा सके। किसानों को अपने उत्तराधिकारियों को न केवल जमीन के टुकड़े, बल्कि एक पेशे के रूप में कृषि विरासत भी सौंपनी होगी।

स्रोत: पी.आई.बी.