एडिटोरियल

गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम: चुनौतियाँ व प्रासंगिकता | 30 Jun 2020 | आंतरिक सुरक्षा

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

वर्तमान में आतंकवाद वैश्विक स्तर पर एक बड़ी समस्या बना हुआ है। आतंकवाद की समस्या से प्रभावित होने वाले देशों में भारत गंभीर रूप से पीड़ित देशों की श्रेणी में आता है। आतंकवाद और नक्सलवाद की बढ़ती समस्या से निपटने के लिये गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA), 1967 में आतंक विरोधी प्रावधानों को शामिल किया गया है। यह अधिनियम आतंकवादी गतिविधियों को रोकने, आतंकवादी संगठनों को चिह्नित करने और उन पर रोक लगाने में काफी सहायक सिद्ध हुआ।

इस कानून के निर्माण का उद्देश्य उन गतिविधियों पर अंकुश लगाना था, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिये खतरा हैं। स्वाभाविक रूप से, इसने देश की तथाकथित संप्रभुता और अखंडता के नाम पर नागरिकों की बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी प्रभावित किया है, जिससे न्यायालयों को भी प्रायः देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये सक्रियता से हस्तक्षेप करना पड़ा है। गृह मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau-NCRB), 2018 के आँकड़ों के आधार पर दी गई जानकारी के अनुसार, UAPA के तहत वर्ष 2017 में सजा की दर 49.3 प्रतिशत थी तो वहीं 2015 में यह दर 14.5 प्रतिशत थी। वर्ष 2018 में UAPA के तहत गिरफ्तार होने वाले व्यक्तियों की संख्या 1421 थी।

इस आलेख में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी।

UAPA से तात्पर्य

संशोधित प्रावधान

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी

संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

संशोधित प्रावधान के अनुसार कौन हो सकता है ‘आतंकवादी’

अधिनियम से संबंधित चुनौतियाँ

आतंकी घोषित व्यक्ति के अधिकार

निष्कर्ष

आतंकवाद व अन्य विध्वंसक गतिविधियों से निपटने के लिये भारत में एक कठोर कानून की आवश्यकता थी। गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 आतंकवाद से निपटने के संदर्भ में भारत के प्रयासों में एक कारगर उपकरण सिद्ध हो सकता है। हमें इन तथ्यों पर भी ध्यान देना होगा कि देश की सुरक्षा के लिये कठोर क़ानून के निर्माण से अधिक महत्त्वपूर्ण इनका दृढ़ता से क्रियान्वयन करना है। इस बात को भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इस प्रकार के कठोर कानून का दुरूपयोग न होने पाए।

प्रश्न- देश की आंतरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने में गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम एक कारगर उपकरण है। समीक्षा कीजिये।