संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद | 11 Feb 2021

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की है कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पुनः शामिल होगा, उसने वर्ष 2018 में इसे छोड़ दिया था।

  • परिषद में एक पूर्ण सदस्य के रूप में चुने जाने के उद्देश्य के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका वर्तमान में इसमें एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होगा।

प्रमुख बिंदु:  

परिचय:  

  • मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय है जो विश्व भर में मानवाधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण को मज़बूटी प्रदान करने के लिये उत्तरदायी है।

गठन:

  • इस परिषद का गठन वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया गया था। इसने पूर्ववर्ती संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग का स्थान लिया।
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त  कार्यालय (OHCHR) मानव अधिकार परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।

सदस्य: 

  • इसका गठन 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से मिलकर हुआ है जो संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा चुने जाते हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण में भागीदार राज्यों के योगदान के साथ-साथ इस संबंध में उनके द्वारा की गई स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं और प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रखता है।
  • परिषद की सदस्यता समान भौगोलिक वितरण पर आधारित है। इसकी सीटों का वितरण निम्नलिखित प्रकार से किया गया है:
    • अफ्रीकी देश: 13 सीटें
    • एशिया-प्रशांत देश: 13 सीटें
    • लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देश: 8 सीटें
    • पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश: 7 सीटें
    • पूर्वी यूरोपीय देश: 6 सीटें
  • परिषद के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है और लगातार दो कार्यकाल की सेवा के बाद कोई भी सदस्य तत्काल पुन: चुनाव के लिये पात्र नहीं होता है।

प्रक्रिया और तंत्र:

  • सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा: सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (Universal Periodic Review- UPR) यूपीआर सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में मानवाधिकार स्थितियों का आकलन का कार्य करता है।  
  • सलाहकार समिति: यह परिषद के "थिंक टैंक" के रूप में कार्य करता है जो इसे विषयगत मानवाधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञता और सलाह प्रदान करता है।
  • शिकायत प्रक्रिया: यह लोगों और संगठनों को  मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देता है।
  • संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रक्रिया: ये विशेष प्रतिवेदक, विशेष प्रतिनिधियों, स्वतंत्र विशेषज्ञों और कार्य समूहों से बने होते हैं जो विशिष्ट देशों में विषयगत मुद्दों या मानव अधिकारों की स्थितियों की निगरानी, जाँच करने, सलाह देने और सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट करने का कार्य करते हैं।

संबंधित मुद्दे 

  • सदस्यता से संबंधित: कुछ आलोचकों के लिये परिषद की सदस्यता की संरचना एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय रही है, जिसमें कभी-कभी ऐसे देश भी शामिल होते है जिन्हें व्यापक मानवाधिकार हनन करने वाले देश के रूप में देखा जाता है।
    • चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, रूस और वेनेजुएला जैसे देश मानवाधिकारों के हनन के आरोप के बावजूद इस परिषद में शामिल रहे हैं।
  • असंतुलित फोकस: परिषद द्वारा असंगत रूप से इज़राइल पर ध्यान केंद्रित किये जाने के कारण अमेरिका वर्ष  2018 में इससे बाहर हो गया, गौरतलब है कि किसी भी देश की तुलना में परिषद को इज़राइल के संबंध में सबसे अधिक आलोचनात्मक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

भारत और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विशेष प्रतिवेदकों के एक समूह ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना 2020 के मसौदे के संदर्भ में भारत सरकार को अपनी चिंता से अवगत कराया था।
  • वर्ष 2020 में भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) प्रक्रिया के तीसरे दौर के एक भाग के रूप में परिषद  के समक्ष अपनी  मध्यावधि रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।
  • भारत को 1 जनवरी, 2019 को तीन वर्षों की अवधि के लिये परिषद में चुना गया था।

स्रोत: द हिंदू