हिंद महासागर में चक्रवाती तूफान | 11 Oct 2018

संदर्भ

हाल ही में बंगाल की खाड़ी में तितली और अरब सागर में लुबान नामक चक्रवाती तूफान हिंद महासागर क्षेत्र में विकसित हुए थे। अनुमानित मार्ग से होते हुए तितली चक्रवात ओडिशा के गोपालपुर तट से टकरा गया। टकराते समय इस तूफान की रफ्तार 145-150 किमी/घंटे थी।

उल्लेखनीय बिंदु

  • तीव्र चक्रवात लुबान अरब सागर में सक्रिय था और इसने भारत के किसी भी तट को प्रभावित नहीं किया, जबकि वहीं दूसरी तरफ, तितली चक्रवात ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों पर टकरा गया।
  • अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में इतने ताकतवर चक्रवानी तूफान दुर्लभ ही उत्पन्न होते हैं।
  • तितली का नामकरण पाकिस्तान द्वारा जबकि लुबान का ओमान द्वारा किया गया है।
  • सक्रिय अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) तट की तरफ दक्षिण की ओर बढ़ना शुरू हो गया था। समुद्र में हलचल के पीछे यही मुख्य कारक था। दोनों चक्रवात इस ITCZ के ही उपशाखा थे।
  • इसके अलावा, मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO) भी हिंद महासागर के निकट था।

अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ)

  • अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र या ITCZ पृथ्वी पर, भूमध्य रेखा के पास वृत्ताकार क्षेत्र है। पृथ्वी पर यह वह क्षेत्र है, जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों की व्यापारिक हवाएँ, यानी पूर्वोत्तर व्यापारिक हवाएँ तथा दक्षिण-पूर्व व्यापारिक हवाएँ एक जगह मिलती हैं।
  • भूमध्य रेखा पर सूर्य का तीव्र तापमान और गर्म जल ITCZ में हवा को गर्म करते हुए इसकी आर्द्रता को बढ़ा देते हैं जिससे यह उत्प्लावक बन जाता है। व्यापारिक हवाओं के अभिसरण के कारण यह ऊपर की तरफ उठने लगता है।
  • ऊपर की तरफ उठने वाली यह हवा फैलती है और ठंडी हो जाती है, जिससे भयावह आँधी तथा भारी बारिश शुरू हो जाती है।

मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO)

  • मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन उष्णकटिबंधीय परिसंचरण और वर्षा में एक प्रमुख उतार-चढ़ाव है जो भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ता है तथा 30-60 दिनों की अवधि में पूरे ग्लोब की परिक्रमा है।
  • इसलिये MJO हवा, बादल और दबाव की एक चलती हुई प्रणाली है। यह जैसे ही भूमध्य रेखा के चारों ओर घूमती है वर्षा की शुरुआत हो जाती है।
  • इस घटना का नाम दो वैज्ञानिकों रोलैंड मैडेन और पॉल जूलियन के ऊपर रखा गया था जिन्होंने 1971 में इसकी खोज की थी।