जैव ईंधन नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बना राजस्थान | 01 Aug 2018

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान, केंद्र सरकार द्वारा मई 2018 में प्रस्तुत की गई जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति को लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है।


प्रमुख बिंदु

  • राजस्थान अब तेल बीजों के उत्पादन में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा वैकल्पिक ईंधन और ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये उदयपुर में एक उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करेगा।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति किसानों को उनके अधिशेष उत्पादन का आर्थिक लाभ प्रदान करने और देश की तेल आयात निर्भरता को कम करने में सहायक होगी। 
  • भारतीय रेलवे की वित्तीय सहायता से राजस्थान में 8 टन प्रतिदिन की क्षमता का एक बायोडीज़ल संयंत्र पहले ही स्थापित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार जैव ईंधन के विपणन को बढ़ावा देगी और उसके बारे में जागरूकता का प्रसार करेगी।
  • राज्य सरकार के अनुसार, राज्य ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (एसआरएलडीसी) बायोडीज़ल की आपूर्ति के माध्यम से अतिरिक्त आय के स्रोतों का पता लगाने के लिये महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी प्रोत्साहित करेगी।

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

  • इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
  • नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1जी) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2जी) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्‍ल्‍यू) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3जी) के जैव ईंधन, बायोसीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्‍येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्‍साहन बढ़ाया जा सके।
  • अतिरिक्‍त उत्‍पादन के चरण के दौरान किसानों को उनके उत्‍पाद का उचित मूल्‍य नहीं मिलने का खतरा होता है। इसे ध्‍यान में रखते हुए इस नीति में राष्‍ट्रीय जैव ईंधन समन्‍वय समिति की मंज़ूरी से एथेनॉल उत्‍पादन के लिये (पेट्रोल के साथ उसे मिलाने हेतु) अधिशेष अनाजों के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है।
  • जैव ईंधनों के लिये नीति में 2जी एथेनॉल जैव रिफाइनरी को 1जी जैव ईंधनों की तुलना में अतिरिक्‍त कर प्रोत्‍साहन, उच्‍च खरीद मूल्‍य आदि के अलावा 6 वर्षों में 5000 करोड़ रुपए की निधियन योजना हेतु वायबिलिटी गैप फंडिंग का संकेत दिया गया है।