जल में रेडियोधर्मी प्रदूषण | 13 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये: 

रेडियोधर्मी प्रदूषण, रेडियोधर्मी उत्सर्जन, यूरेनियम, थोरियम, एक्टिनियम

मेन्स के लिये:

जल में रेडियोधर्मी प्रदूषण के स्रोत एवं इनका स्वास्थ्य पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में जल में रेडियोधर्मी प्रदूषण और इससे जुड़े स्वास्थ्य प्रभावों को दुनिया के कई हिस्सों में देखा  गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • रेडियोधर्मिता कुछ तत्त्वों के अस्थिर नाभिक से कणों या तरंगों के स्वतःस्फूर्त उत्सर्जन की घटना है। रेडियोधर्मी उत्सर्जन तीन प्रकार के होते हैं: अल्फा, बीटा और गामा।
      • अल्फा कण धनावेशित हीलियम (He) परमाणु हैं, बीटा कण ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन हैं और गामा किरणें उदासीन विद्युतचुंबकीय विकिरण हैं।
    • रेडियोधर्मी तत्त्व प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की क्रस्ट में पाए जाते हैं। यूरेनियम, थोरियम और एक्टिनियम तीन ‘NORM’ (स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी सामग्री) शृंखला हैं जो जल संसाधनों को संदूषित करते हैं।
    • सभी प्रकार के जल में थोड़ी मात्रा में विकिरण पाया जाता है लेकिन विकिरण की विस्तारित मात्रा मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है। पीने के पानी में रेडियोधर्मिता को सकल अल्फा परीक्षण द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
    • रेडियोधर्मिता को बेकुरल (SI इकाई) या क्यूरी में मापा जाता है। यूनिट सीवर्ट मानव ऊतकों द्वारा अवशोषित विकिरण की मात्रा को मापता है।
  • स्रोत:
    • प्राकृतिक:
      • जलीय प्रणाली में रेडियोटॉक्सिक तत्त्व: रेडियम, NORM शृंखला में पाए जाने वाले समूह का एक तत्त्व है जो जलीय प्रणालियों में पाए जाने वाले रेडियोटॉक्सिक तत्त्वों में से एक है जो निम्नलिखित माध्यमों से भूजल में प्रवेश कर सकता है-
        (i) एक्वीफर रॉक विघटन (ii) 238U और 232Th के क्षय, या (iii) अवशोषण की प्रक्रिया द्वारा।
        • रेडियम एक रेडियोन्यूक्लाइड है जो पर्यावरण में यूरेनियम (U) और थोरियम (Th) के क्षय से निर्मित होता है।
      • मैग्मा (Magma):  कभी-कभी पर्यावरण में मैग्मा से रेडियोधर्मी गैसें भी उत्सर्जित होती हैं।
      • मृदा तलछट: मिट्टी के तलछट से जलभृत तक NORM का रिसाव भूजल संदूषण का कारण बनता है।
    • मानवजनित:
      • कॉस्मोजेनिक रेडियोन्यूक्लाइड्स का वायुमंडलीय जमाव:
        • कॉस्मोजेनिक रेडियोन्यूक्लाइड्स का वायुमंडलीय जमाव (सूखा और आर्द्र दोनों) सतह के पानी में रेडियोधर्मी नाभिक जोड़ते है।
        • कॉस्मोजेनिक रेडियोन्यूक्लाइड रेडियोधर्मी एक समस्थानिक हैं जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित होते हैं जो पृथ्वी प्रणाली के भीतर वितरित हैं।
      • परमाणु रिएक्टर और हथियार:
        • परमाणु रिएक्टर और परमाणु हथियार का प्रयोग मानव प्रेरित रेडियोन्यूक्लाइड निर्वहन के प्रमुख स्रोत हैं। परमाणु रिएक्टर रेडियो आइसोटोप (कोबाल्ट-60, इरिडियम-192 आदि) का उत्पादन करते हैं जो रेडियोथेरेपी तथा कई औद्योगिक उपकरणों में गामा विकिरण के स्रोत के रूप में बाहर निकलते हैं।
        • तटीय क्षेत्रों में स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र परमाणु कचरे को छोड़ कर समुद्री जल में रेडियोलॉज़िकल संदूषक उत्सर्जित करते हैं। इन बिजलीघरों में पानी को शीतलक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, जो दूषित भी हो जाते हैं।
      • रेडियोधर्मी कचरे का डंपिंग:
        • परमाणु हथियारों, एक्स-रे, एमआरआई और अन्य चिकित्सा उपकरणों में रेडियोधर्मी तत्त्वों के प्रयोग से मनुष्य के संपर्क में आने का कारण बनता है। इन रेडियोधर्मी कचरे को सतही जल निकायों में डालने से जल प्रदूषण होता है।
        • ट्रोंटियम-90, सीज़ियम-137 आदि कई अनावश्यक रेडियोआइसोटोपिक भी कचरे के साथ-साथ परमाणु रिएक्टरों से बनते हैं।
      • खनन:
        • यूरेनियम और थोरियम जैसे रेडियोधर्मी तत्त्वों की खनन गतिविधियाँ भी सतह और भूजल को प्रदूषित करती हैं।
      • परमाणु दुर्घटनाएँ:
        • प्रायः परमाणु पनडुब्बियाँ समुद्री वातावरण में रेडियोधर्मी संदूषण का कारण बनती हैं।
        • पनडुब्बी दुर्घटनाओं के कारण रेडियोधर्मी प्रदूषण होता है।
        • कोलोराडो में रॉकी फ्लैट्स प्लांट, फुकुशिमा और चेर्नोबिल परमाणु आपदा ऐसी परमाणु दुर्घटनाओं के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
  • स्वास्थ्य प्रभाव
    • विकिरण सिंड्रोम:
      • मानव ऊतक प्रदूषित पानी और खाद्य पदार्थों के माध्यम से विकिरण को अवशोषित करते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं। विकिरण की उच्च मात्रा विकिरण सिंड्रोम या त्वचीय विकिरण चोट का कारण बन सकती है।
    • मानव शरीर क्रिया में विकार:
      • विकिरण के संपर्क में आने से मानव शरीर में विभिन्न विकार होते हैं, जिनमें कैंसर, ल्यूकेमिया, आनुवंशिक उत्परिवर्तन, मोतियाबिंद आदि शामिल हैं।
    • उत्परिवर्तन और संरचनात्मक परिवर्तन:
      • आनुवंशिक प्रभाव, आयनकारी विकिरण रोगाणु कोशिकाओं (पुरुष शुक्राणु कोशिकाओं और महिला अंडाणु कोशिकाओं) में उत्परिवर्तन को प्रेरित करता है, जिसके परिणामस्वरूप रोगाणु कोशिकाओं के डीएनए में संरचनात्मक परिवर्तन होता है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता है।
      • वंशानुगत विकारों से असामयिक मृत्यु और गंभीर मानसिक बीमारी हो सकती है।

आगे की राह

  • मौजूदा समय में सुरक्षित जल आपूर्ति के लिये रेडियोधर्मी प्रदूषकों के उचित विश्लेषण एवं निगरानी की भी आवश्यकता है। रोकथाम और एहतियाती उपाय जल संसाधनों में रेडियोधर्मी संदूषण के मानवजनित स्रोतों को भी रोक सकते हैं।
  • रेडियोधर्मी दूषित पानी के उपचार के लिये विभिन्न उपचार विधियाँ जैसे वातन, रिवर्स ऑस्मोसिस, आयन एक्सचेंज और ग्रेन्युल कार्बन अवशोषण प्रभावी उपचारात्मक उपाय हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ