पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 | 24 Sep 2021

प्रिलिम्स के लिये:

बौद्धिक संपदा, पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021

मेन्स के लिये:

बौद्धिक संपदा से संबंधित मुद्दे, भारत में पेटेंट व्यवस्था

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 प्रस्तुत किया है, जिसने शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट दाखिल करने और अभियोजन हेतु शुल्क में 80% की कमी की है।

  • इसका उद्देश्य नवाचार और नई प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना है।

प्रमुख बिंदु:

  • संदर्भ:
    • पेटेंट:
      • पेटेंट बौद्धिक संपदा के संरक्षण का एक रूप है। यह किसी आविष्कार के लिये दिया गया एक विशेष अधिकार है, जो एक उत्पाद या प्रक्रिया के समान है, यह सामान्य रूप से कुछ करने का एक नया तरीका प्रदान करता है या किसी समस्या का एक नया तकनीकी समाधान प्रदान करता है।
      • पेटेंट प्राप्त करने के लिये पेटेंट आवेदन में आविष्कार के बारे में तकनीकी जानकारी जनता के सामने प्रकट की जानी चाहिये।
    • एक आविष्कार के लिये पेटेंट योग्यता मानदंड:
      • यह नवीन या सबसे भिन्न (Novel) होना चाहिये।
      • यह एक आविष्कारशील कदम होना चाहिये (तकनीकी उन्नति)।
      • औद्योगिक अनुप्रयोग में सक्षम हो।
    • पेटेंट की अवधि:
      • भारत में प्रत्येक पेटेंट की अवधि पेटेंट आवेदन दाखिल करने की तारीख से बीस वर्ष है, चाहे वह अनंतिम या पूर्ण विनिर्देश के साथ दायर किया गया हो।
    • पेटेंट अधिनियम, 1970: भारत में पेटेंट प्रणाली के लिये यह प्रमुख कानून वर्ष 1972 में लागू हुआ। इसने भारतीय पेटेंट और डिज़ाइन अधिनियम 1911 का स्थान लिया है।
      • अधिनियम को पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें उत्पाद पेटेंट को खाद्य, दवाओं, रसायनों तथा सूक्ष्मजीवों सहित प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में विस्तारित किया गया था।
      • संशोधन के बाद विशिष्ट विपणन अधिकारों (EMRs) से संबंधित प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है और अनिवार्य लाइसेंस प्रदान करने हेतु एक प्रावधान प्रस्तुत किया गया है।
      • अनुदान-पूर्व और अनुदान-पश्चात विरोध से संबंधित प्रावधान भी प्रस्तुत किये गए हैं।
  • पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021:
    • शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट शुल्क में कमी:
      • विभिन्न शोध गतिविधियों में संलग्न शैक्षणिक संस्थान, जहाँ प्रोफेसर/शिक्षक व छात्र कई ऐसी नई प्रौद्योगिकियाँ विकसित करते हैं जिन्हें उनके व्यावसायीकरण की सुविधा हेतु पेटेंट कराने की आवश्यकता होती है।
      • पेटेंट के लिये आवेदन करते समय नवोन्मेषकों को इन पेटेंटों को उन संस्थानों के नाम पर लागू करना पड़ता है, जो बड़े आवेदकों के लिये उस शुल्क का भुगतान करते हैं जो बहुत अधिक है और इस प्रकार यह प्रक्रिया निरुत्साहित करने का  काम करती है।
      • इस संबंध में देश के नवाचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिक्षण संस्थानों की और अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये पेटेंट नियम, 2003 के तहत विभिन्न अधिनियमों के संबंध में उनके द्वारा देय आधिकारिक शुल्क को पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021  के माध्यम से घटा  दिया गया है।  
      • पेटेंट फाइलिंग और अभियोजन के लिये 80% कम शुल्क से संबंधित लाभों को सभी शैक्षणिक संस्थानों तक भी बढ़ाया गया है।
        • पूर्व में यह लाभ सरकार के स्वामित्व वाले सभी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के लिये उपलब्ध था।
    • त्वरित परीक्षा प्रणाली का विस्तार: 
      • सबसे तीव्र गति से स्वीकृत होने वाला पेटेंट वह है जिसे इस तरह के अनुरोध को दाखिल करने के 41 दिनों के भीतर प्रदान किया गया हो। त्वरित परीक्षा प्रणाली की यह सुविधा प्रारंभ में स्टार्टअप्स द्वारा दायर पेटेंट आवेदनों के लिये प्रदान की गई थी।
      • अब इसे पेटेंट आवेदकों की 8 अन्य श्रेणियों तक बढ़ा दिया गया है:
        • लघु और मध्यम उद्यम (SME), महिला आवेदक, सरकारी विभाग, केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित संस्थान, सरकारी कंपनी, सरकार द्वारा पूर्ण या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित संस्थान और पेटेंट प्रॉसिक्यूशन हाइवे के तहत आवेदकों को।
          • पेटेंट प्रॉसिक्यूशन हाइवे (Patent Prosecution Highway- PPH) कुछ पेटेंट कार्यालयों के बीच सूचना साझा करके त्वरित पेटेंट अभियोजन प्रक्रिया प्रदान करने के लिये पहल का एक हिस्सा हैं।

नोट:

  • एवरग्रीनिंग पेटेंट: यह एक कॉर्पोरेट, कानूनी, व्यावसायिक और तकनीकी रणनीति है, जिसे एक ऐसे अधिकार क्षेत्र में दी गई पेटेंट की अवधि को विस्तृत करने / बढ़ाने के लिये उपयोग किया जाता  है, जिसकी अवधि समाप्त होने वाली है ताकि नए पेटेंट निर्मित कर उनसे रॉयल्टी बरकरार रखी जा सके।
    • भारतीय पेटेंट अधिनियम 1970 (2005 में संशोधित) की धारा 3 (d) एक ज्ञात पदार्थ के नए रूपों को शामिल करने वाले आविष्कारों को पेटेंट देने की अनुमति नहीं देती है, जब तक कि यह प्रभावकारिता के संबंध में गुणों में महत्त्वपूर्ण रूप से भिन्न न हो।
    • इसका आशय यह है कि भारतीय पेटेंट अधिनियम एवरग्रीनिंग पेटेंट के निर्माण की अनुमति नहीं देता है।
  • अनिवार्य लाइसेंसिंग (CL) : इसमें सरकार द्वारा पेटेंट-स्वामी की सहमति के बिना, पेटेंट किये गए आविष्कार के उपयोग, निर्माण, आयात या बिक्री करने के लिये संस्थाओं को अनुमति प्रदान की जाती है।  भारत में पेटेंट अधिनियम अनिवार्य लाइसेंसिंग (CL) से संबंधित है।
    • डब्ल्यूटीओ के ट्रिप्स (IPR) समझौते के तहत अनिवार्य लाइसेंस की अनुमति है, लेकिन उसके लिये 'राष्ट्रीय आपात स्थिति, अन्य चरम परिस्थितियों और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं' जैसी शर्तें को पूरा करना पड़ता है।

स्रोत: पीआईबी