एक-आयामी द्रव सिमुलेशन कोड | 05 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय भू-चुंबकत्त्व संस्थान, पृथ्वी के चुंबकीयमंडल क्षेत्र, पृथ्वी के चुंबकीयमंडल क्षेत्र का निर्माण

मेन्स के लिये:

पृथ्वी के चुंबकीयमंडल क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र की संरचना से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय भू-चुंबकत्त्व संस्थान (Indian Institute of Geomagnetism-IIG) के शोधकर्त्ताओं ने ‘एक-आयामी द्रव सिमुलेशन कोड’ (One Dimensional Fluid Simulation Code) विकसित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह शोध कार्य ‘फिज़िक्स ऑफ़ प्लाज़्माज़’ (Physics of Plasmas) पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
  • यह सिमुलेशन कोड पृथ्वी के चुंबकीयमंडल में विद्युत क्षेत्र की संरचना तथा उसकी बनावट का अध्ययन करने में मदद प्रदान करेगा।  
  • दरअसल पृथ्वी का चुंबकीयमंडल एक ऐसा विशाल क्षेत्र है, जिससे सीमित संख्या में उपग्रह गुजरते हैं। परिणामस्वरूप इस क्षेत्र का अवलोकन सीमित तथा अलग-अलग है।
  • गौरतलब है कि शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित इस नए सिमुलेशन कोड की मदद से उपग्रह के चारों ओर प्लाज़्मा के निर्मित होने के पीछे के विज्ञान को अच्छी तरह से समझा जा सकता है। 
  • जब उपग्रह किसी एक पर्यवेक्षण क्षेत्र से दूसरे में प्रवेश करते  हैं, तो इस प्रक्रिया के दौरान एक ऐसा विशाल अज्ञात क्षेत्र निर्मित होता है जिसका पर्यवेक्षण संभव नहीं होता है।
  • इस अज्ञात क्षेत्र में प्लाज़्मा संबंधी प्रक्रियाओं और उनका संरचना विज्ञान तथा स्थान एवं समय के साथ उनमें आने वाले बदलावों को आदर्श रूप से केवल कंप्यूटर सिमुलेशन के माध्यम से समझा जा सकता है।
  • यह अध्ययन भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों की योजना के लिये उपयोगी हो सकता है।
  • यह अध्ययन निरंतर बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के मद्देनज़र ‘सटीक व नियंत्रित फ्यूज़न प्रयोगशालाओं’ में भी मददगार साबित हो सकता है।

पृथ्वी के चुंबकीयमंडल क्षेत्र का निर्माण:

  • पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष में मौजूद प्लाज़्मा के जमाव का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य से उत्सर्जित होने वाला प्लाज़्मा सौर पवन (Solar Wind) के रूप में पृथ्वी की ओर गति करता है।
  • इस प्लाज़्मा की गति 300-1500 किमी/सेकंड के बीच होती है, जो अपने साथ सौर चुंबकीय क्षेत्र (Solar Magnetic Field) भी लाता है। इस सौर चुंबकीय क्षेत्र को अंतर-ग्रह चुंबकीय क्षेत्र या ‘इंटरप्लेनेटरी मैग्नेटिक फील्ड’ (Interplanetary Magnetic Field-IMF) कहा जाता है।
  • पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र तथा IMF की अंतर्क्रिया की वज़ह से पृथ्वी के चुंबकीयमंडल क्षेत्र का निर्माण होता है।

Solar-&-wind

पृथ्वी के चुंबकीयमंडल की संरचना:

  • बो शॉक (Bow shock):
    • पृथ्वी का चुंबकीयमंडल क्षेत्र सौर पवन से टकराने के कारण ‘बो शॉक’ का निर्माण होता है।
  • मैग्नेटोपॉज़ (Magnetopause): 
    • यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और सौर पवन के बीच की सीमा है।
  • मैग्नेटोसिएथ (Magnetosheath):
    • यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और मैग्नेटोपॉज के बीच की सीमा है।
  • नार्थर्न टेल लोब (Northern tail lobe):
    • नार्थर्न टेल लोब में चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएँ पृथ्वी की ओर होती है।
  • साउथर्न टेल लोब (Southern tail lobe):
    • साउथर्न टेल लोब में चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएँ पृथ्वी से दूर होती हैं।
  • प्लाज़्मास्फेयर (Plasmasphere):
    • चुंबकीयमंडल के अंदर का वह क्षेत्र जो आयनमंडल से प्रवाहित होने वाली  प्लाज़्मा को अवशोषित करता है।

भारतीय भू-चुंबकत्त्व संस्थान

(Indian Institute of Geomagnetism-IIG):

  • भारतीय भू-चुंबकत्त्व संस्थान भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1971 में की गई थी और इसका मुख्यालय मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थित है।
  • IIG का उद्देश्य भू-चुंबकत्व के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान करना और वैश्विक स्तर पर भारत को एक मानक ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
  • IIG जियोमैग्नेटिज़्म और संबद्ध क्षेत्रों जैसे- सॉलिड अर्थ जियोमैग्नेटिज़्म/जियोफिज़िक्स, मैग्नेटोस्फीयर, स्पेस तथा एटमॉस्फेरिक साइंसेज़ आदि में बुनियादी अनुसंधानों का आयोजन करता है।

स्रोत: पीआईबी