कोविड के लिये नए टीके और दवा | 30 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

टीके और प्रकार, वायरस स्ट्रेन, म्यूटेशन। कॉर्बेवैक्स एवं कोवोवैक्स, मोलनुपिरवीर, स्पाइक प्रोटीन।

मेन्स के लिये:

वायरल संक्रमण के इलाज में वैक्सीन का तंत्र। टीकों के प्रकार।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिये दो टीके कॉर्बेवैक्स और कोवोवैक्स एवं एक दवा मोलनुपिरवीर को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

  • कॉर्बेवैक्स प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन:
    • परिचय:
    • यह एक प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है, जिसका अर्थ है कि पूरे वायरस के बजाय, यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिये इसके टुकड़ों का उपयोग करती है।
    • इस मामले में सबयूनिट वैक्सीन में एक हानिरहित स्पाइक (एस) प्रोटीन होता है।
      • एस प्रोटीन एक अत्यधिक ग्लाइकोसिलेटेड और बड़े प्रकार का ट्रांसमेम्ब्रेन फ्यूज़न प्रोटीन है जो वायरस के प्रकार के आधार पर 1,160 से 1,400 अमीनो एसिड से बना होता है।
      • एस प्रोटीन मेजबान कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमण शुरू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • एक बार जब प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन को पहचान लेती है, तो ऐसा होने पर यह वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिये एंटीबॉडी का उत्पादन करती है।
  • दक्षत:
    • यह डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ तटस्थ एंटीबॉडी प्रकाशित अध्ययनों के आधार पर रोगसूचक संक्रमण की रोकथाम के लिये 80% से अधिक की वैक्सीन प्रभावशीलता को इंगित करती है।
    • इम्युनोजेनिक श्रेष्ठता के समापन बिंदु के साथ किये गए निर्णायक चरण III के अध्ययन में यह COVISHIELD वैक्सीन की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का प्रदर्शन करता है, जब वुहान स्ट्रेन और विश्व स्तर पर प्रमुख डेल्टा संस्करण के खिलाफ एंटीबॉडी जियोमेट्रिक मीन टाइटर्स (जीएमटी) को निष्क्रिय करने के लिये मूल्यांकन किया जाता है।
  • कोवोवैक्स- पुनः संयोजक नैनोपार्टिकल वैक्सीन:
    • परिचय:
      • सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित यह एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन भी है, लेकिन रिकॉम्बिनेंट नैनोपार्टिकल टेक्नोलॉजी (आरएनटी) का उपयोग करती है। इसे अमेरिका स्थित नोवावैक्स ने विकसित किया है।
        • कोविड-19 वायरस के खिलाफ रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन वैक्सीन एक और तरीका है। यह तकनीक शरीर को स्पाइक प्रोटीन का उपयोग करके वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने का तरीका सिखाती है।
      • स्पाइक प्रोटीन की हानिरहित प्रतियाँ कीट कोशिकाओं में उगाई जाती हैं; फिर प्रोटीन को निकाला जाता है और वायरस जैसे नैनोकणों में इकट्ठा किया जाता है।
      • नोवावैक्स ने एक प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले यौगिक (सहायक) का उपयोग किया है। एचपीवी और हेपेटाइटिस बी के टीके में एक ही तकनीक का उपयोग किया जाता है।
    • दक्षता:
      • टीके का मूल्यांकन दो चरणों में 3 परीक्षणों के माध्यम से किया गया है: यूके में एक परीक्षण जिसने मूल वायरस स्ट्रेन के खिलाफ 96.4%, अल्फा के खिलाफ 86.3% और समग्र रूप से 89.7% प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया।
  • मोलनुपिरवीर - ओरल एंटीवायरल ड्रग:
    • परिचय:
      • यह वायरस के आनुवंशिक कोड में त्रुटियों को पेश करके काम करता है, जो प्रतिकृति को रोकता है।
    • दक्षता:
      • यूके ने मोलनुपिरवीर को "सुरक्षित और प्रभावी" रूप में मंज़ूरी दे दी।
      • अमेरिका ने इसे लगातार पाँच दिनों से अधिक समय तक या 18 वर्ष से कम उम्र के रोगियों में उपयोग के लिये अधिकृत नहीं किया क्योंकि यह हड्डी और उपास्थि के विकास को प्रभावित कर सकता है।
      • भारत में 93% से अधिक ऑक्सीजन स्तर वाले वयस्क कोविड रोगियों के इलाज के लिये सिफारिश की जाती है जिनके रोग के बढ़ने का उच्च जोखिम होता है और यह कि दवा केवल नुस्खे के तहत खुदरा द्वारा बेची जाती है।

टीकों के प्रकार

  • निष्क्रिय टीका: बड़ी संख्या में सक्रिय रोगजनक उत्पन्न किये जाते हैं तत्पश्चात् उन्हें रसायनों अथवा ऊष्मा की सहायता से निष्क्रिय कर दिया जाता है। यद्यपि रोगजनक को निष्क्रिय कर दिया जाता है या इनकी प्रजनन क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, रोगजनक के विभिन्न हिस्से बरकरार रहते हैं जैसे-एंटीजन (रासायनिक संरचना) जिसकी पहचान प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा की जाती है, को अछूता रखा जाता है।
    • क्योंकि रोगजनक मृत होता है, इसलिये न तो यह प्रजनन करने में सक्षम होता है, न ही किसी रोग का कारण बन सकता है। अतः कम प्रतिरक्षा वाले लोगों जैसे कि वृद्ध एवं सहरुग्णता वाले लोगों को इन्हें दिया जाना सुरक्षित होता है।
  • सक्रिय टीका: इनमें किसी रोगाणु के कमज़ोर (अथवा क्षीण) रूप का उपयोग किया जाता है।
    • क्योंकि यह वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण से इतनी मिलती-जुलती होती है कि एक शक्तिशाली एवं दीर्घकालीन प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है।
    • नोट: चूँकि इसमें अल्प मात्रा में कमज़ोर सक्रिय विषाणु होते हैं, इसलिये कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोग, दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्ति अथवा जिन व्यक्तियों का अंग प्रत्यारोपण हुआ हो, उन्हें स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के पूर्व परामर्श के बिना यह टीका नहीं लगाया जाता।
  • मैसेंजर (m) RNA टीके:
    • mRNA टीके प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिये प्रोटीन बनाते हैं। mRNA टीकों के अन्य प्रकार के टीकों की तुलना में कई लाभ होते हैं जिनमें कम निर्माण समय भी शामिल है तथा टीकाकरण कराने वाले व्यक्ति में बीमारी पैदा करने का कोई ज़ोखिम नहीं होता है। क्योकि इसमे एक मृत वायरस प्रयोग होता है, 
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव के लिये किया जाता है।
  • सब-यूनिट, पुनः संयोजक, पॉलीसेकेराइड और संयुग्म टीके:
    • इनमें प्रोटीन, चीनी या कैप्सिड (रोगाणु के चारों ओर एक आवरण) जैसे रोगाणु के विशिष्ट टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। यह बहुत मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करते हैं।
    • इनका उपयोग कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों पर भी किया जा सकता है।
    • इन टीकों का उपयोग हिब (हीमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी) रोग, हेपेटाइटिस बी, एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस), न्यूमोकोकल रोग से बचाने के लिये किया जाता है।
  • टॉक्सोइड टीके:
    • इनमें रोग का कारण बनने वाले रोगाणु द्वारा निर्मित विष (हानिकारक उत्पाद) का उपयोग किया जाता है। यह रोगाणु के उन हिस्सों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं जो रोगाणु के बजाय रोग का कारण बनते हैं। इसका मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरे रोगाणु के बजाय विष को लक्षित करती है।
    • डिप्थीरिया, टेटनस से बचाव के लिये टॉक्सोइड टीकों का उपयोग किया जाता है।
  • वायरल वेक्टर टीके:
    • वायरल वेक्टर टीके सुरक्षा प्रदान करने के लिये वेक्टर के रूप में एक अलग वायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं।
    • कई अलग-अलग वायरस को वैक्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिसमें इन्फ्लूएंज़ा, वेसिकुलर स्टामाटाइटिस वायरस (वीएसवी), खसरा वायरस और एडेनोवायरस शामिल हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं।
      • एडिनोवायरस कुछ कोविड-19 टीकों में उपयोग किये जाने वाले वायरल वैक्टर में से एक है जिसका नैदानिक ​​परीक्षणों में अध्ययन किया जा रहा है।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 से बचाव के लिये किया जाता है

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस