IUCN की रेड लिस्ट | 20 Jul 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) की संकटग्रस्त प्रजातियों से संबंधित लाल सूची (Red List) से पता चलता है कि मूल्यांकित की गई अधिकांश प्रजातियों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है।

प्रमुख बिंदु :

  • IUCN की सूची में 1,05,732 प्रजातियों का आकलन किया गया है, जिसमें से 28,338 प्रजातियों पर विलुप्ति का ख़तरा मंडरा रहा है।
  • कुल मूल्यांकन में से 873 पहले से ही विलुप्त हैं।
  • यह सूची दर्शाती है कि ताज़े पानी और समुद्री पानी में रहने वाले कई जीवों की संख्या में कमी की दर काफी अधिक है। उदाहरण के लिये, जापान की स्थानीय ताज़े पानी की 50 प्रतिशत से अधिक मछलियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं।
  • स्थानीय नदियों की संख्या में हो रही कमी और लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण को इस प्रकार की कमी का मुख्य कारण माना जा सकता है।
  • IUCN द्वारा मूल्यांकित 50 प्रतिशत प्रजातियों को ‘कम चिंताजनक’ प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है। जिसका अर्थ यह हुआ की शेष बची 50 प्रतिशत प्रजातियाँ खतरे के अलग-अलग स्तर पर हैं और उनके विषय में चिंता किया जाना आवश्यक है।
  • सूची से यह स्पष्ट होता है कि मानवजाति वन्यजीवों का आवश्यकता से अधिक शोषण कर रही है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ

(The International Union for Conservation of Nature)

  • IUCN सरकारों तथा नागरिकों दोनों से मिलकर बना एक सदस्यता संघ है।
  • यह दुनिया की प्राकृतिक स्थिति को संरक्षित रखने के लिये एक वैश्विक प्राधिकरण है जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी।
  • इसका मुख्यालय स्विटज़रलैंड में स्थित है।
  • IUCN द्वारा जारी की जाने वाली लाल सूची दुनिया की सबसे व्यापक सूची है, जिसमें पौधों और जानवरों की प्रजातियों की वैश्विक संरक्षण की स्थिति को दर्शाया जाता है।
    • IUCN प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिये कुछ विशेष मापदंडों का उपयोग करता है। ये मानदंड दुनिया की अधिकांश प्रजातियों के लिये प्रासंगिक हैं।
    • इसे जैविक विविधता की स्थिति जानने के लिये सबसे उत्तम स्रोत माना जाता है।
    • यह SDG का एक प्रमुख संकेतक भी है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ