भारत -श्रीलंका | 20 Jan 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त द्वारा व्यक्त चिंता के बाद श्रीलंका सरकार ने जाफना विश्वविद्यालय (Jaffna University) में एक ध्वस्त स्मारक के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया है।

  • वर्ष 2009 में लिट्टे और श्रीलंकाई सेना के बीच गृह युद्ध के दौरान मारे गए तमिल नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिये स्थापित स्मारक के विध्वंस ने भारत-श्रीलंकाई संबंधों में फिर से श्रीलंकाई अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों के अप्रिय मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया है।

Sri-Lanka

प्रमुख बिंदु:

श्रीलंका में तमिलों के मुद्दे

  • नागरिकता दिये जाने से इनकार: श्रीलंकाई तमिलों की समस्या 1950 के दशक से पहले शुरू हो गई थी। वर्ष 1948 में आज़ादी मिलने के बाद श्रीलंकाई सरकार ने महसूस किया कि तमिल लोग श्रीलंकाई न होकर भारतीय वंशावली से संबंधित हैं।
    • तमिलों की बहुसंख्यक आबादी को श्रीलंका की नागरिकता से वंचित कर दिया गया, जिसके कारण अधिकांश तमिलों को श्रीलंका के चाय बागानों में गरीबी की स्थिति में रहना पड़ा।
  • भाषायी भेदभाव: श्रीलंका में सिंहली और तमिलों के बीच संघर्ष वर्ष 1956 में तब शुरू हुआ जब श्रीलंका के राष्ट्रपति ने सिंहली को आधिकारिक भाषा बनाया और तमिलों के खिलाफ बड़े पैमाने पर भेदभाव किया जाने लगा।
  • धार्मिक भेदभाव: 1960 के दशक के दौरान तमिल आबादी के खिलाफ भेदभाव जारी रहा क्योंकि बौद्ध धर्म को राज्य में प्राथमिक स्थान दिया गया था और राज्य द्वारा नियोजित  उच्च शिक्षा संस्थानों में की जाने वाली भर्ती में तमिलों की संख्या को सीमित कर दिया गया।
  • तीव्र आंदोलन: इस अवधि के दौरान सिंहलियों द्वारा किये गए उत्पीड़न के जवाब में तमिलों ने राजनीतिक व अहिंसक विरोध के माध्यम से आंदोलन को जारी रखा, हालाँकि 1970 के दशक में तमिल अलगाववाद और उग्रवाद के प्रति रुझान बढ़ा जिसने LTTE जैसे आतंकवादी संगठन को जन्म दिया।
  • लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम/ लिट्टे(LTTE): तमिलों और सिंहलियों के बीच जातीय तनाव और संघर्ष बढ़ने के बाद वर्ष 1976 में वेलुपिल्लई प्रभाकरन के नेतृत्व में लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम/ लिट्टे (Liberation Tiger of Tamil Eelam-LTTE) का गठन किया गया और इसने उत्तरी एवं पूर्वी श्रीलंका, जहाँ अधिकांश तमिलभाषी लोग निवास करते थे, में ‘एक तमिल मातृभूमि’ के लिये प्रचार करना प्रारंभ कर दिया।
    • विशेष रूप से सिंहलियों के खिलाफ श्रीलंका में कई आतंकवादी गतिविधियों के साथ ही इसने राजीव गांधी (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री) की हत्या को अंजाम दिया।
    • लंबे संघर्ष और लाखों लोगों के मारे जाने के बाद वर्ष  2009 में LTTE के साथ गृह युद्ध समाप्त हुआ। भारत ने श्रीलंका के इस गृह युद्ध को ख़त्म करने में सक्रिय भूमिका निभाई और श्रीलंका के संघर्ष को एक राजनीतिक समाधान प्रदान करने के लिये वर्ष 1987 में भारत-श्रीलंका समझौते पर हस्ताक्षर किये।

भारत की चिंता:

  • शरणार्थियों का पुनर्वास: श्रीलंकाई गृह युद्ध (2009) से बचकर भारत आए श्रीलंकाई तमिलों की एक बड़ी संख्या तमिलनाडु में शरण लेने की मांग कर रही है। वे लोग श्रीलंका में फिर से निशाना बनाए जाने के डर से वहाँ वापस नहीं लौट रहे हैं। भारत के लिये उनका पुनर्वास करना एक बड़ी चुनौती है।
  • तमिलों की अनदेखी: श्रीलंका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने हेतु श्रीलंकाई तमिलों की दुर्दशा को नज़रअंदाज़ करने के लिये भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर इसकी आलोचना की जाती है।
  • सामरिक हित बनाम तमिल मुद्दा: अक्सर भारत को अपने पड़ोसी के आर्थिक हितों की रक्षा और हिंद महासागर में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिये रणनीतिक मुद्दों पर अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों के मुद्दों को लेकर समझौता करना पड़ता है।

भारत-श्रीलंका के बीच निम्नलिखित बिंदुओं पर विश्वास बनाए रखना:

  • मुद्रा विनिमय समझौता: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने और देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए श्रीलंका के साथ 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुद्रा विनिमय समझौता किया था।
  • उच्च स्तरीय यात्राएँ: भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक संबंधों को नियमित अंतराल पर होने वाली उच्च स्तरीय यात्राओं के आदान-प्रदान द्वारा चिह्नित किया गया है।
  • आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन: गृह युद्ध के दौरान भारत ने आतंकवादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये श्रीलंका सरकार का समर्थन किया।
  • भारत का ‘हाउसिंग प्रोजेक्ट’: यह भारत सरकार की श्रीलंका के विकास में सहायता प्रदान करने हेतु प्रमुख परियोजना है। इसकी आरंभिक प्रतिबद्धता गृह युद्ध से प्रभावित लोगों के साथ-साथ बागान श्रमिकों के लिये 50,000 घरों का निर्माण करना है।
  • मछुआरों से संबंधित मुद्दा: दोनों देशों के प्रादेशिक जल क्षेत्र की निकटता को देखते हुए, विशेष रूप से पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी में मछुआरों के भटकने की घटनाएँ आम हैं।
    • दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने वाले मछुआरों की विवादित स्थिति से निपटने के लिये कुछ व्यावहारिक व्यवस्थाओं पर सहमति व्यक्त की है।
  • हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग में महत्त्वपूर्ण प्रगति देखने को मिली है।  
  • व्यापार और निवेश के साथ दोनों देशों के बीच अवसंरचना विकास, शिक्षा, संस्कृति तथा रक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है।
  • दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक आपसी समझ साझा करते हैं।  
  • ध्यातव्य है कि भारत एवं श्रीलंका सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) के सदस्य हैं और सार्क देशों में भारत का व्यापार श्रीलंका के साथ सबसे अधिक है।  
  • दिसंबर 1998 में एक अंतर-सरकारी पहल के माध्यम से ‘भारत-श्रीलंका फाउंडेशन’ (India-Sri Lanka Foundation) की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच  वैज्ञानिक, तकनीकी, शैक्षिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • भारत और श्रीलंका के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 4.5 बिलियन डॉलर का है, जिसमें भारत द्वारा श्रीलंका को किया गया निर्यात लगभग 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर और श्रीलंका से भारत को किया गया निर्यात लगभग 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा।   
  • दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’ (Mitra Shakti) और संयुक्त नौसैनिक अभ्यास स्लिनेक्स’ (SLINEX) का आयोजन किया जाता है।   

स्रोत: द हिंदू