वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक: ITU | 01 Jul 2021

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक, डिजिटल इंडिया 

मेन्स के लिये:

भारत में साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँ और सरकार द्वारा इस संबंध में किये गए प्रयास 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union- ITU) के वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (Global Cybersecurity Index- GCI) 2020 में 37 स्थानों की बढ़त के साथ 10वें स्थान पर पहुँच गया है।

  • 1 जुलाई को डिजिटल इंडिया ( Digital India) की छठी वर्षगांँठ से ठीक पहले इसकी पुष्टि की गई है।

शीर्ष रैंकिंग:

  • अमेरिका शीर्ष पर रहा, उसके बाद यूके (यूनाइटेड किंगडम) और सऊदी अरब एक साथ दूसरे स्थान पर रहे।
  • एस्टोनिया सूचकांक में तीसरे स्थान पर रहा।

भारत की स्थिति:

  • भारत ने GCI 2020 में  दसवें स्थान पर पहुंँचने के लिये अधिकतम 100 अंकों में से कुल 97.5 अंक प्राप्त किये।
  • एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत चौथे स्थान पर रहा।
  • भारत एक वैश्विक आईटी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, जो डेटा गोपनीयता और नागरिकों के ऑनलाइन अधिकारों की रक्षा हेतु दृढ़ उपायों के साथ अपनी डिजिटल संप्रभुता का दावा प्रस्तुत कर रहा है।
  • साइबर सुरक्षा डोमेन के सभी मापदंडों के तहत प्राप्त परिणाम पर्याप्त समग्र सुधार और भारत की मज़बूत स्थिति को दर्शाते हैं।

आकलन का आधार:

  • साइबर सुरक्षा के प्रदर्शन का आधार पाँच मापदंडों पर निहित है जो इस प्रकार हैं:
    • कानूनी उपाय, तकनीकी उपाय, संगठनात्मक उपाय, क्षमता विकास और सहयोग।
  • इनके आधार पर प्रदर्शन का एक समग्र स्कोर प्राप्त किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ:

  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union- ITU) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।
  • इसे संचार नेटवर्क में अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी की सुविधा के लिये वर्ष 1865 में स्थापित किया गया। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • यह वैश्विक रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह की कक्षाओं को आवंटित करता है, तकनीकी मानकों को विकसित करता है ताकि नेटवर्क और प्रौद्योगिकियों को निर्बाध रूप से आपस में जोड़ा जा सके और दुनिया भर में कम सेवा वाले समुदायों के लिये ICT तक पहुँच में सुधार करने का प्रयास किया जाए।
  • भारत को अगले 4 वर्षों की अवधि (2019-2022) के लिये पुनः अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) परिषद का सदस्य चुना गया है। भारत वर्ष 1952 से इसका एक नियमित सदस्य बना हुआ है।

भारत में साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँ

  • विभिन्न साइबर सुरक्षा उपकरणों को तैनात करना एक खंडित और जटिल सुरक्षा वातावरण को मज़बूती प्रदान करता है, हालाँकि यह मानवीय त्रुटि से उत्पन्न जोखिमों के प्रति सुभेद्य होता है।
  • भारतीय कंपनियाँ भी साइबर सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहीं हैं, क्योंकि कोविड-19 के कारण कंपनियों के अधिकांश कर्मचारियों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ मोड में स्थानांतरित कर दिया गया है।
  • भारत में हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर साइबर सुरक्षा उपकरणों में स्वदेशीकरण का अभाव है। यह भारत के साइबरस्पेस को राज्य और गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा प्रेरित साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
    • भारत के पास यूरोपीय संघ के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) या अमेरिका के ‘क्लेरिफाइंग लॉफुल ओवरसीज़ यूज़ ऑफ डेटा’ (CLOUD) एक्ट जैसी कोई  'सक्रिय साइबर डिफेंस' नीति नहीं है।

भारत में साइबर सुरक्षा में सुधार के प्रयास:

  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020: इस रणनीति को और अधिक कठिन ऑडिट प्रकिया के माध्यम से साइबर जागरूकता एवं साइबर सुरक्षा में सुधार के लिये तैयार किया गया है।
  • नागरिकों के डेटा को सुरक्षित करने के लिये व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक मसौदा, 2018 (न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण समिति की सिफारिश के आधार पर)। 
  • सभी प्रकार के साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिये अक्तूबर 2018 में I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) स्थापित करने की योजना को मंज़ूरी दी गई थी।
  • भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) सभी साइबर सुरक्षा प्रयासों, आपातकालीन प्रतिक्रियाओं और संकट प्रबंधन के समन्वय के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure Protection Centre- NCIIPC) की स्थापना के साथ महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचनाओं को संरक्षण प्रदान किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय तंत्र: 

  • साइबर अपराध पर बुडापेस्ट अभिसमय: यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो राष्ट्रीय कानूनों के सामंजस्य, जाँच तकनीकों में सुधार और राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाकर इंटरनेट तथा कंप्यूटर से जुड़े अपराधों से निपटने का प्रयास करती है। यह संधि 1 जुलाई, 2004 को लागू हुई। भारत इस अभिसमय/कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है।
  • इंटरनेट गवर्नेंस फोरम (IGF): यह इंटरनेट गवर्नेंस संबंधी चर्चाओं/डिबेट पर सभी हितधारकों यानी सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाने का कार्य करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस