ग्लोबल एनुअल टू डेकाडल क्लाइमेट अप्डेट रिपोर्ट | 12 May 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वार्षिक दशकीय जलवायु आउटलुक रिपोर्ट, रिपोर्ट के निष्कर्ष, विश्व मौसम विभाग, पेरिस समझौता।

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, संरक्षण।

चर्चा में क्यों? 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) द्वारा जारी ‘ग्लोबल  एनुअल टू डेकाडल क्लाइमेट अप्डेट रिपोर्ट’ (Global Annual To Decadal Climate Update Report) के अनुसार, भारत विश्व स्तर पर उन कुछ क्षेत्रों में शामिल हो सकता है जहांँ वर्ष 2022 और अगले चार वर्षों के लिये तापमान सामान्य से कम रहने की भविष्यवाणी की गई है।

  • वर्ष 2022 अलास्का और कनाडा के साथ-साथ भारत में (1991-2020 के औसत की तुलना में) ठंडा रहेगा।
  • वार्षिक अद्यतन हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित जलवायु वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता और निर्णय लेने वालों के लिये कार्रवाई योग्य जानकारी को एकत्र करने के लिये विश्व के प्रमुख जलवायु केंद्रों से सर्वोत्तम भविष्यवाणी प्रणाली का उपयोग किया जाता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO):

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) 192 देशों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
  • भारत विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य देश है।
  • इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 के वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था।
  • 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO, मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा इससे संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान हेतु संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई है।
  • WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।

प्रमुख निष्कर्ष:  

  • 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान: अगले पाँच वर्षों में से कम-से-कम एक वर्ष के लिये वार्षिक औसत वैश्विक तापमान अस्थायी रूप से पूर्व-औद्योगिक स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुँचने की 50 प्रतिशत संभावना है।
  • सर्वाधिक गर्म वर्ष: वर्ष 2022-2026 के बीच कम-से-कम एक वर्ष सबसे गर्म होने का रिकॉर्ड बनाएगा और वर्ष 2016 को सबसे गर्म वर्ष की शीर्ष रैंकिंग से हटा देगा।
    • वर्ष 2022-2026 का औसत पिछले पाँच वर्ष के औसत (2017-2021) की तुलना में 93% अधिक होने की भी संभावना है।
  • ला नीना और अल नीनो घटनाएँ: वर्ष 2021 की शुरुआत और अंत में ला नीना की घटनाएँ वैश्विक तापमान को कम करेंगी, लेकिन यह केवल अस्थायी है तथा दीर्घकालिक ग्लोबल वार्मिंग प्रवृत्ति के विपरीत नहीं है।
    • अल नीनो घटना में वृद्धि तापमान को तत्काल बढ़ा देगी, जैसा कि वर्ष 2016 में हुआ था, जो अब तक का रिकॉर्ड सर्वाधिक गर्म वर्ष है।
  • वर्षा पैटर्न: 1991-2020 के औसत की तुलना में नवंबर से मार्च 2022/23-2026/27 के औसत के लिये अनुमानित वर्षा पैटर्न, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कम वर्षा का संकेत देते हैं, जो जलवायु वार्मिंग के अपेक्षित पैटर्न के अनुरूप है। 

भारत विशिष्ट निष्कर्ष:

  • अगले वर्ष से भारत में तापमान कम होने का एक प्राथमिक कारण इस दशक में वर्षा गतिविधि में संभावित वृद्धि है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, भारतीय मानसून वर्ष 1971 के बाद से नकारात्मक अवधि में रहने के बाद जल्द ही एक सकारात्मक अवधि में प्रवेश करेगा।
    • भारत के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होगी जिससे तापमान भी कम रहेगा।
  • भविष्य की प्रवृत्ति बताती है कि 2021 से 2030 तक दशकीय औसत मानसून  सामान्य के करीब होगा।
    • यह तब सकारात्मक होगा,जब 2031-2040 के दशक में एक आर्द्र अवधि की शुरुआत होगी।

 संबंधित चिंताएँ:

  • अध्ययन के अनुसार, दुनिया अस्थायी रूप से जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के शुरूआती  लक्ष्य के करीब पहुँच रही है।
    • 1.5 डिग्री सेल्सियस शायद उस बिंदु का संकेतक है जिस पर जलवायु प्रभाव मानव और वास्तव में पूरे ग्रह के लिये हानिकारक हो जाएगा।
  • पेरिस समझौता इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने एवं वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिये सभी देशों को मार्गदर्शन प्रदान कर दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित करता है और इसके साथ ही आगे चलकर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • जब तक लोग ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रखेंगे, तापमान में वृद्धि जारी रहेगी एवं इसके साथ-साथ, महासागर गर्म और अधिक अम्लीय होते जाएंगे, समुद्री बर्फ एवं ग्लेशियर पिघलते रहेंगे, तथा समुद्र का स्तर बढ़ता जाएगा, परिणामस्वरूप मौसम अधिक चरम होता जाएगा।
    • आर्कटिक वार्मिंग अनियंत्रित रूप से बढ़ रही है और आर्कटिक की स्थिति सभी को प्रभावित करती है। 

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (2016) 

  1. इस समझौते पर UN के सभी सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किये थे और यह वर्ष 2017 में लागू हुआ।  
  2. समझौते का लक्ष्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करना है, ताकि इस सदी के अंत तक औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस या 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न हो।
  3. विकसित देशों ने ग्लोबल वार्मिंग में अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को स्वीकार किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये विकासशील देशों की मदद करने हेतु वर्ष 2020 से प्रतिवर्ष 1000 बिलियन डॉलर का दान करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस