पहला गति शक्ति कार्गो टर्मिनल | 15 Mar 2022

प्रिलिम्स के लिये:

पीएम गति शक्ति योजना, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन।

मेन्स के लिये:

संसाधनों का संग्रहण, सरकारी बजट, राजकोषीय नीति, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप, पीएम गति शक्ति योजना का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री के विज़न "गति शक्ति" (Gati Shakti) के अनुरूप भारतीय रेल का पहला गति शक्ति कार्गो टर्मिनल (Gati Shakti Cargo Terminal-GCT) पूर्वी रेलवे के आसनसोल मंडल (Asansol Division) में शुरू किया गया है।

  • दिसंबर '2021 में GCT नीति के लागू होने बाद से यह भारतीय रेलवे में इस तरह का पहला शक्ति कार्गो टर्मिनल है।
  • इससे भारतीय रेलवे की कमाई में इज़ाफा होने की उम्मीद है। इस टर्मिनल और अन्य ऐसे टर्मिनल्स के चालू होने से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

प्रमुख बिंदु

प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना:

  • प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के बारे में:
    • वर्ष 2021 में भारत सरकार ने लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये समन्वित और बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के निष्पादन हेतु महत्त्वाकांक्षी गति शक्ति योजना या ‘नेशनल मास्टर प्लान फॉर मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी प्लान’ लॉन्च किया है।
  • उद्देश्य:
    • ज़मीनी स्तर पर कार्य में तेज़ी लाने, लागत को कम करने और रोज़गार सृजन पर ध्यान देने के साथ-साथ आगामी चार वर्षों में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
    • गति शक्ति योजना के तहत वर्ष 2019 में शुरू की गई 110 लाख करोड़ रुपए की ‘राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन’ को शामिल करना।
    • लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती के अलावा इस योजना का उद्देश्य कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाना और व्यापार को बढ़ावा देने हेतु बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय को कम करना है।
    • इसका लक्ष्य 11 औद्योगिक गलियारे और दो नए रक्षा गलियारे (एक तमिलनाडु में और दूसरा उत्तर प्रदेश में) बनाना भी है।
    • इसके तहत सभी गाँवों में 4G कनेक्टिविटी का विस्तार किया जाएगा। साथ ही गैस पाइपलाइन नेटवर्क में 17,000 किलोमीटर की क्षमता जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।
    • यह वर्ष 2024-25 के लिये सरकार द्वारा निर्धारित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई को 2 लाख किलोमीटर तक विस्तारित करना, 200 से अधिक नए हवाई अड्डों, हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम का निर्माण करना शामिल है।

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  • अपेक्षित परिणाम:
    • यह योजना मौजूदा और प्रस्तावित कनेक्टिविटी परियोजनाओं की मैपिंग में मदद करेगी।
    • साथ ही इसके माध्यम से देश में विभिन्न क्षेत्रों और औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने संबंधी योजना भी स्पष्ट हो सकेगी।
    • यह समग्र एवं एकीकृत परिवहन कनेक्टिविटी रणनीति ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करेगी और परिवहन के विभिन्न तरीकों को एकीकृत करेगी।
    • इससे भारत को विश्व की व्यापारिक राजधानी बनने में मदद मिलेगी।
  • एकीकृत बुनियादी अवसंरचना के विकास की आवश्यकता:
    • समन्वय एवं उन्नत सूचना साझाकरण की कमी के कारण वृहतस्तरीय नियोजन और सूक्ष्म स्तरीय कार्यान्वयन के बीच एक व्यापक अंतर मौजूद है, क्योंकि विभाग प्रायः अलगाव की स्थिति में कार्य करते हैं।
    • एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 13% है, जो कि विकसित देशों की तुलना में काफी अधिक है।
      • इस उच्च लॉजिस्टिक लागत के कारण भारत की निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता बहुत कम हो जाती है।
    • विश्व स्तर पर यह स्वीकार किया जाता है कि सतत् विकास के लिये गुणवत्तापूर्ण बुनियादी अवसंरचना का निर्माण काफी महत्त्वपूर्ण है, जो विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से व्यापक पैमाने पर रोज़गार पैदा करता है।
    • इस योजना का कार्यान्वयन ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ (NMP) के साथ समन्वय स्थापित कर किया जाएगा।
      • ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ को मुद्रीकरण हेतु एक स्पष्ट ढाँचा प्रदान करने और संभावित निवेशकों को बेहतर रिटर्न की प्राप्ति के लिये संपत्तियों की एक सूची निर्मित करने हेतु शुरू किया गया है।

संबद्ध चिंताएँ:

  • लो क्रेडिट ऑफ-टेक: हालाँकि सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र को मज़बूती प्रदान करने के लिये कई सुधार किये हैं और दिवाला एवं दिवालियापन संहिता ने खराब ऋणों पर लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपए की वसूली की, इसके बावजूद ऋण लेने की प्रवृत्ति में गिरावट को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।
    • भविष्य की आय और मौजूदा बाज़ार के प्रमाण के माध्यम से भविष्य की परियोजनाओं के वित्तपोषण में व्यवसायों की मदद करने के लिये बैंक क्रेडिट ऑफ-टेक की सुविधा देते हैं।
  • मांग में कमी: कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में निजी मांग और निवेश की कमी देखी गई है।
  • संरचनात्मक समस्याएँ: भूमि अधिग्रहण में देरी और मुकदमेबाज़ी के मुद्दों के कारण देश में वैश्विक मानकों की तुलना में परियोजनाओं के कार्यान्वयन की दर बहुत धीमी है।
    • इसके अतिरिक्त भूमि प्रयोग और पर्यावरण मंज़ूरी के मामले में विलंब, अदालत में लंबे समय तक चलने वाले मुकदमे आदि अवसंरचना परियोजनाओं में देरी के कुछ प्रमुख कारण हैं।

आगे की राह

  • PM गति शक्ति सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। हालाँकि इसके उच्च सार्वजनिक व्यय से उत्पन्न संरचनात्मक और व्यापक आर्थिक स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता है।
    • इस प्रकार आवश्यक है कि यह पहल एक स्थिर और पूर्वानुमेय नियामक एवं संस्थागत ढाँचे पर आधारित हो।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्र. हाल ही में भारत का पहला 'राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र' कहाँ स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया था? (2016)

(a) आंध्र प्रदेश
(b) गुजरात
(c) महाराष्ट्र
(d) उत्तर प्रदेश

उत्तर: (a)

स्रोत: पी.आई.बी.