डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट | 17 Feb 2021

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्रालय ने अवांछित वाणिज्यिक संचार (UCC) की शिकायतों और वित्तीय धोखाधड़ी (विशेष रूप से डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में) के मामलों से निपटने के लिये डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) को एक नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। 

  • DIU के अलावा सभी 22 लाइसेंस सेवा क्षेत्र स्तरों पर ‘टेलीकॉम एनालिटिक्स फॉर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज़्युमर प्रोटेक्शन’ (TAFCOP) का विकास किया जाएगा।
  • यह ‘दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम’ (TCCCPR), 2018 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगा, जो भारत में 'अवांछित वाणिज्यिक संचार' (UCC) को विनियमित करने के लिये एक संशोधित नियामक ढाँचा प्रदान करता है।

प्रमुख बिंदु:  

पृष्ठभूमि:  

  • हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय (HC) ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) को आदेश दिया कि वह अवांछित वाणिज्यिक संचार (UCC) पर अंकुश लगाने के लिये वर्ष 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी किये गए विनियमन के "पूर्ण और सख्त" कार्यान्वयन को सुनिश्चित करे।
  • इससे पहले नवंबर 2020 में TRAI ने भारत संचार निगम लिमिटेड, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम जैसी दूरसंचार कंपनियों द्वारा अप्रैल 2020 से जून 2020 के बीच अपने नेटवर्क पर होने वाले UCC को नियंत्रित करने के लिये पर्याप्त उपाय न करने के कारण उन पर 30 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया था। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पिछले एक वर्ष में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के दुरुपयोग, पहचान की क्लोनिंग और स्पैम से संबंधित 220 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की बात कही। DIU इस खतरे को कम कर सकता है।

डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (Digital Intelligence Unit):  

  • उद्देश्य: 
    • दूरसंचार संसाधनों से जुड़ी किसी भी धोखाधड़ी की गतिविधि की जाँच में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों, वित्तीय संस्थानों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच समन्वय स्थापित करना।
  • महत्त्व: 
    • अवांछित वाणिज्यिक संचार (UCC) की जाँच: 
      • UCC का मुद्दा दूरसंचार मंत्रालय के साथ-साथ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के लिये चिंता का प्रमुख विषय रहा है। UCC को रोकने के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण समय-समय पर दूरसंचार ऑपरेटरों पर जुर्माना लगाया गया है।
    • शिकायतों का प्रभावी निवारण:
      • शिकायतों के प्रभावी निवारण के लिये DIU के अलावा एक वेब और मोबाइल एप के साथ-साथ एक एसएमएस-आधारित प्रणाली विकसित की जाएगी।
    • डिजिटल इकोसिस्टम के प्रति विश्वास बढ़ाना:
      • डीआईयू प्रणाली डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति लोगों के विश्वास को मज़बूत करेगी और  वित्तीय डिजिटल लेन-देन (मुख्य रूप से मोबाइल से संबंधित) को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएगी, जिसके परिणामस्वरूप डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
    • ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं पर UCC:
      • TRAI ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं  के  माध्यम से किये जाने वाले अवांछित वाणिज्यिक संचार से निपटने के लिये एक परामर्श पत्र प्रस्तुत करने वाला है। हालाँकि वर्तमान में लॉन्च की गई प्रणालियाँ ओवर-द-टॉप (OTT) सेवा प्रदाताओं जैसे-व्हाट्सएप पर UCC के मुद्दे को संबोधित नहीं करती हैं।
      • दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम, 2018 ने दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के सभी हितधारकों के लिये मानदंडों को सख्त किया है, ताकि उपयोगकर्त्ताओं को अवांछित कॉल या एसएमएस के खिलाफ शिकायत करने की सुविधा मिल सके। हालाँकि यूसीसी के मामले में OTT सेवा प्रदाता अब तक इन नियमों की पहुँच से बाहर हैं।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण

(Telecom Regulatory Authority of India): 

सांविधिक निकाय: 

  • TRAI की  स्थापना वर्ष 1997 में 'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997' द्वारा की गई थी

उद्देश्य: 

  • दूरसंचार सेवाओं के लिये टैरिफ के निर्धारण/संशोधन सहित दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करना।
  • एक निष्पक्ष और पारदर्शी नीति वातावरण प्रदान करना जो सभी को सामान स्तर पर भागीदारी के अवसर के साथ निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा की सुविधा देता है।

हालिया संशोधन : 

  • वर्ष 2000 में 'दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (Dispute Settlement and Appellate Tribunal- TDSAT) की स्थापना के लिये ट्राई अधिनियम में संशोधन किया गया थ और इसके साथ ही अधिनिर्णय तथा विवाद निस्तारण से जुड़े TRAI के कार्यों को TDSAT को सौंप दिया गया। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस