आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन | 01 Mar 2022

प्रीलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, सैंडबॉक्स, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, डिजिटल हेल्थ आईडी।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ, स्वास्थ्य, मानव संसाधन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के देशव्यापी कार्यान्वयन को मंज़ूरी दी है, जिसमें पाँच वर्ष के लिये 1,600 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है।

  • इस मिशन के तहत नागरिक अपना आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनके डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ा जा सकेगा।
  • आयुष्मान भारत देश की एक प्रमुख योजना है, जिसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के दृष्टिकोण को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिश के अनुसार शुरू किया गया था।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

  • इसे सितंबर 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
  • इसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को अस्पतालों, बीमा फर्मों और नागरिकों को आवश्यकता पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने में मदद करने हेतु डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करना है।
  • मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से की थी।
    • यह पायलट परियोजना छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चरणबद्ध रूप में लागू की जा रही है
  • इसकी कार्यान्वयन एजेंसी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) होगी।

मिशन की विशेषताएँ

  • स्वास्थ्य आईडी:
    • यह प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया जाएगा जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी काम करेगा। इस स्वास्थ्य खाते में प्रत्येक परीक्षण, प्रत्येक बीमारी, डॉक्टर से अपॉइंटमेंट, ली गई दवाओं और निदान का विवरण होगा। 
    • स्वास्थ्य आईडी निःशुल्क व स्वैच्छिक है। यह स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करने में मदद करेगी और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बेहतर नियोजन, बजट तथा कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।
  • स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ और पेशेवर रजिस्ट्री:
    • कार्यक्रम के अन्य प्रमुख घटकों- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ रजिस्ट्री (HFR) को निर्मित किया गया है, जिससे मेडिकल प्रोफेशनल्स तथा स्वास्थ्य अवसंरचना तक आसान इलेक्ट्रॉनिक पहुँच की अनुमति मिलती है।
    • HPR चिकित्सा की आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रणालियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाले सभी स्वास्थ्य पेशेवरों का एक व्यापक डिजिटल भंडार होगा। 
    • एचएफआर डेटाबेस में देश की सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का रिकॉर्ड होगा।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन सैंडबॉक्स:
    • मिशन के एक हिस्से के रूप में निर्मित सैंडबॉक्स, प्रौद्योगिकी और उत्पाद परीक्षण हेतु एक रूपरेखा के रूप में कार्य करेगा जो संगठनों की मदद करेगा। इसमें राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने के इच्छुक प्राइवेट प्लेयर्स शामिल होते हैं। स्वास्थ्य सूचना प्रदाता या स्वास्थ्य सूचना उपयोगकर्त्ता आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ कुशलतापूर्वक जुड़ सकते हैं।

लाभ और संबंधित चिंताएँ:

  • संभावित लाभ:
    • डॉक्टरों और अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये व्यवसाय करने में आसानी।
    • उनकी सहमति से नागरिकों के देशांतरीय स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Longitudinal Health Records) तक पहुंँच और आदान-प्रदान को सक्षम बनाना।
    • भुगतान प्रणाली में आए क्रांतिकारी बदलाव में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) द्वारा निभाई गई भूमिका के समान डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने में सहायक होगी।
    • मिशन गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिये "समान पहुँच" में सुधार करेगा क्योंकि यह टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं की राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी को सक्षम करेगा।
  • चिंताएँ:
    • डेटा सुरक्षा बिल की कमी के कारण निजी फर्मों और बेड प्लेयर्स द्वारा डेटा का दुरुपयोग हो सकता है।
    • नागरिकों का बहिष्करण और सिस्टम में खराबी के कारण स्वास्थ्य सेवा से वंचित होना भी चिंता का विषय है।

NDHM-Echosystem

आगे की राह: 

  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) अभी भी स्वास्थ्य को न्यायसंगत अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान नहीं करता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2015 के मसौदे में निर्धारित स्वास्थ्य को अधिकार बनाने हेतु एक ड्राफ्ट होना चाहिये।
  • इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में एक समान राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) की विफलता से सीखा जाना चाहिये और मिशन को अखिल भारतीय स्तर पर शुरू करने से पहले तकनीकी और कार्यान्वयन से संबंधित कमियों को सक्रिय रूप से संबोधित किया जाना चाहिये।
  • देश भर में NDHM के मानकीकरण हेतु राज्य-विशिष्ट नियमों को समायोजित करने के तरीके खोजने की आवश्यकता होगी। इसे सरकारी योजनाओं जैसे- आयुष्मान भारत योजना और अन्य आईटी-सक्षम योजनाओं जैसे प्रजनन बाल स्वास्थ्य देखभाल व निक्षय आदि के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू