प्रिलिम्स फैक्ट्स (29 Jul, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 29 जुलाई, 2021

कांजीवरम सिल्क साड़ी: तमिलनाडु 

(Kanjeevaram Silk Sari: Tamil Nadu)

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बुनकर बी. कृष्णमूर्ति ने कांजीवरम सिल्क साड़ी बुनाई के लिये सभी पारंपरिक डिज़ाइन, पैटर्न और रूपांकनों के नमूनों का एक भंडार तैयार किया है, जो भावी पीढ़ी के लिये टुकड़ों को संरक्षित करता है।

Silk-Sari

प्रमुख बिंदु

कांजीवरम साड़ियों के विषय में:

  • परंपरागत रूप से कांजीवरम साड़ी को प्रायः शहतूत के रेशमी धागों से हाथ से बुना जाता है और इसमें शुद्ध सोने या चांदी की ज़री प्रयोग होती है जो इसे एक महत्त्वपूर्ण गुणवत्ता प्रदान करती है।
    • हथकरघा निर्मित रेशम की साड़ी को भारतीय पारंपरिक कपड़ों में सबसे शानदार और उत्तम दर्जे के कपड़े के रूप में जाना जाता है।
  • तमिलनाडु के 'कांचीपुरम' गाँव में निर्मित कांजीवरम साड़ी को ‘रेशम की साड़ियों की रानी’ भी माना जाता है।
  • दक्षिण भारत विशेष रूप से कांचीपुरम के आसपास के क्षेत्रों की मंदिर वास्तुकला पारंपरिक कांजीवरम रूपांकनों के लिये डिज़ाइन प्रेरणा के रूप में काम करती है।
    • कांजीवरम साड़ी के डिज़ाइन में ऐसे कई रूपांकन खोजे जा सकते हैं, जैसे- पौराणिक पक्षी ‘यली’ (हाथी-शेर का संलयन) और ‘गंडाबेरुंडा (दो सिर वाला राजसी पौराणिक पक्षी) आदि।
  • चोल राजवंश से शुरू हुए लंबे और समृद्ध इतिहास के साथ कांचीपुरम साड़ियों को वर्तमान में भारतीय कपड़ा उद्योग की सबसे पुरानी एवं समृद्ध विरासतों में से एक माना जाता है।
  • कांचीपुरम रेशम को वर्ष 2005-06 में भौगोलिक संकेत (GI टैग) भी प्राप्त हुआ है।

अन्य जीआई (GI) टैग प्राप्त साड़ियाँ:

  • तमिलनाडु: कंडांगी साड़ी, थिरुबुवनम सिल्क साड़ी, कोवई कोरा कॉटन साड़ी।
  • उत्तर प्रदेश: बनारस ब्रोकेड।
  • कर्नाटक: इलकल साड़ी, मोलाकलमुरु साड़ी।
  • आंध्र प्रदेश: उप्पदा जामदानी साड़ी, वेंकटगिरि साड़ी, मंगलगिरी साड़ी।
  • केरल: बलरामपुरम साड़ी, कासरगोड साड़ी, कुथमपल्ली साड़ी
  • तेलंगाना: गडवाल साड़ी, पोचमपल्ली इकत (लोगो)
  • मध्य प्रदेश: चंदेरी साड़ी, महेश्वर साड़ी।
  • ओडिशा: उड़ीसा इकत, बोमकाई साड़ी, हबसपुरी साड़ी।
  • पश्चिम बंगाल: शांतिपुर साड़ी, बलूचरी साड़ी, धनियाखली साड़ी।
  • महाराष्ट्र: पैठानी साड़ी और कपड़े, करवाथ कटी साड़ी एवं कपड़े।
  • छत्तीसगढ़: चंपा सिल्क साड़ी।
  • गुजरात: सूरत जरी क्राफ्ट, पटोला साड़ी

भारत में रेशम उत्पादन:

  • भारत विश्व में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो विश्व के कुल रेशम का लगभग 18% उत्पादन करता है।
  • वाणिज्यिक महत्त्व के रेशम के पाँच प्रमुख प्रकार हैं, जो रेशम के कीड़ों की विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होते हैं। ये हैं शहतूत, ओक टसर और ट्रॉपिकल टसर, मुगा एवं एरी।
    • शहतूत को छोड़कर रेशम की अन्य गैर-शहतूत किस्में जंगली रेशम हैं, जिन्हें वान्या रेशम (Vanya Silk) के रूप में जाना जाता है।
  • रेशम की इन सभी व्यावसायिक किस्मों के उत्पादन में भारत को अद्वितीय गौरव प्राप्त है।
  • दक्षिण भारत देश का प्रमुख रेशम उत्पादक क्षेत्र है और कांचीपुरम, धर्मावरम, अरनी आदि को प्रसिद्ध रेशम बुनाई परिक्षेत्रों के लिये भी जाना जाता है।
  • भारत सरकार ने वर्ष 2017 में देश में रेशम उत्पादन के विकास के लिये "सिल्क समग्र" (Silk Samagra) नामक योजना शुरू की।

SLDE एवं GHG कैलकुलेटर

SLDE and GHG Calculator

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease Of Doing Business) को और ज़्यादा बेहतर बनाने के उद्देश्य से ग्रीनहाउस गैस (GreenHouse Gas) उत्सर्जन हेतु कैलकुलेटर के साथ-साथ ‘सिक्योर्ड लॉजिस्टिक्स डॉक्यूमेंट एक्सचेंज’ (SLDE) की शुरुआत की गई है। 

  • विश्व बैंक (World Bank) की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट, 2020 में भारत 190 देशों में 63वें स्थान पर है।

प्रमुख बिंदु 

सिक्योर्ड लॉजिस्टिक्स डॉक्यूमेंट एक्सचेंज:

  • यह एक प्लेटफॉर्म है जो डिजिटलीकृत, सुरक्षित और समेकित दस्तावेज़ विनिमय प्रणाली के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स दस्तावेज़ों का निर्माण, आदान-प्रदान एवं अनुपालन की वर्तमान मैनुअल प्रक्रिया को प्रतिस्थापित करने का एक उपाय है।
  • यह डेटा सुरक्षा एवं प्रमाणीकरण के लिये आधार और ब्लॉकचेन आधारित सुरक्षा प्रोटोकॉल का डिजिटल उपयोग करते हुए लॉजिस्टिक्स संबंधित दस्तावेज़ों का उत्पादन, भंडारण एवं वस्तु-विनिमय को संभव बनाएगा।
  • यह दस्तावेज़ हस्तांतरण से संबंधित एक पूरा ऑडिट मार्ग भी प्रदान करेगा, साथ ही तीव्र गति से लेन-देन का निष्पादन, प्रेषण की लागत में कमी, संपूर्ण कार्बन फुटप्रिंट, दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता का सरल सत्यापन, धोखाधड़ी के जोखिम में कमी भी लाएगा। 

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कैलकुलेटर:

  • GHG कैलकुलेटर एक कुशल और उपयोगकर्त्ता के अनुरूप उपकरण है तथा विभिन्न उपायों के माध्यम से GHG उत्सर्जन की गणना एवं तुलना की सुविधा प्रदान करता है।
  • यह सड़क और रेल द्वारा आवाजाही के बीच GHG  उत्सर्जन एवं उनकी पर्यावरणीय लागत सहित परिवहन की कुल लागत की कमोडिटी के अनुसार तुलना की अनुमति देता है।
  • उपकरण का उद्देश्य सभी संबद्ध वस्तुओं के लिये उपयुक्त मॉडल विकल्प की सुविधा प्रदान करना है।

लाभ: 

  • बेहतर दक्षता:
    • इस  डिजिटल पहल की शुरुआत लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाने और मल्टी-मॉडलिटी एवं निरंतरता को बढ़ावा देने हेतु की गई है। इन डिजिटल पहलों की शुरुआत अंतराल क्षेत्रों को पूर्ण करने हेतु की गई हैं, जहांँ पर अब तक किसी भी निजी कंपनी या संबंधित मंत्रालयों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
  • लक्ष्य प्राप्त करना:
    • यह लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI ) में भारत की रैंकिंग में सुधार लाने, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी और लॉजिस्टिक्स में निरंतर सुधार हेतु  स्वदेशी भारत-विशिष्ट मेट्रिक्स की स्थापना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होगा।
      •  वर्ष 2018 में LPI में भारत 44वें स्थान पर था।

संबंधित पहलें:

  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC):
    • यह एक उच्च गति और उच्च क्षमता वाला रेलवे कॉरिडोर है जो विशेष रूप से माल या दूसरे शब्दों में माल एवं वस्तुओं के परिवहन के लिये है।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति 2020: 
    • इसका उद्देश्य देश में रसद यानी लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को सुव्यवस्थित करना है, ताकि इस क्षेत्र से संबंधित विकास को बढ़ावा दिया जा सके और निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं LPI में रैंकिंग बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन दिया जा सके।
  • लॉजिक्स इंडिया 2019: 
    • इसे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (FIEO) द्वारा भारत के वैश्विक व्यापार के लिये रसद लागत प्रभावशीलता एवं परिचालन क्षमता में सुधार हेतु एक पहल के रूप में आयोजित किया गया था।
  • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
    • पार्क व्यापार लागत में 10% की कमी करेगा और इसकी कार्गो क्षमता प्रतिवर्ष 13 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) की होगी।
  • भारत में फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट:
    • हाल ही में इसे माल परिवहन को लागत प्रभावी बनाने और भारत की रसद लागत को कम करने के लिये लॉन्च किया गया था।
  • पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम 'PCS1x': 
    • इस प्लेटफॉर्म में भारत के समुद्री व्यापार में क्रांति लाने और इसे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के समान बनाने तथा ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस वर्ल्ड रैंकिंग व LPI रैंक में सुधार का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जुलाई, 2021

विश्‍व प्रकृति संरक्षण दिवस

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये लोगों में जागरुकता पैदा करने हेतु प्रतिवर्ष 20 जुलाई को ‘विश्‍व प्रकृति संरक्षण दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य दुनिया को स्वस्थ रखने के लिये पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करना है। विलुप्त होने की कगार पर मौजूद पौधों और जानवरों को बचाना विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का प्राथमिक लक्ष्य है। इस दिवस पर प्रकृति के विभिन्न घटकों को अक्षुण्ण बनाए रखने पर भी ज़ोर दिया जाता है। इनमें वनस्पति और जीव, ऊर्जा संसाधन, मृदा, जल तथा वायु आदि शामिल हैं। यह भावी पीढ़ी के लिये पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण मानव समाज आज ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं, बढ़े हुए तापमान आदि के प्रकोप का सामना कर रहा है। पर्यावरण के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक प्लास्टिक का उपयोग है। यद्यपि प्लास्टिक एक सस्ती और सुविधाजनक सामग्री है, किंतु यह प्रकृति को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। प्लास्टिक उत्पाद गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग में कटौती करना है। भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक संरक्षण के लिये स्वच्छ भारत अभियान और प्रोजेक्ट टाइगर जैसी कई प्रमुख पहलें शुरू की गई हैं। 

विश्व हेपेटाइटिस दिवस

प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व हेपेटाइटिस दिवस की थीम ‘हेपेटाइटिस कैन नॉट वेट’ है। यह दिवस नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिवस को चिह्नित करता है, जिन्होंने ‘हेपेटाइटिस बी वायरस’ (HBV) की खोज की थी। उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस के इलाज के लिये एक नैदानिक ​​परीक्षण और टीका भी विकसित किया था। इस दिवस का उद्देश्य हेपेटाइटिस A, B, C, D और E नामक संक्रामक रोगों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना तथा हेपेटाइटिस की रोकथाम, निदान एवं उपचार को प्रोत्साहित करना है। दुनिया भर में वायरल हेपेटाइटिस के कारण वार्षिक तौर पर लगभग 1.3 मिलियन मौतें होती हैं, वहीं 300 मिलियन लोग इस बीमारी के साथ जीवन जी रहे हैं किंतु वे अपने संक्रमण की स्थिति से अनजान हैं। वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘एलिमिनेट हेपेटाइटिस बाई 2030’ नामक अभियान शुरू किया था। स्क्रीनिंग एवं शुरुआती पहचान इस बीमारी से निपटने का एकमात्र तरीका है। हालाँकि हेपेटाइटिस A एवं B वायरस के लिये टीका उपलब्ध है। 

राकेश अस्थाना

गृह मंत्रालय की आधिकारिक सूचना के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक राकेश अस्थाना को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। गुजरात कैडर के वर्ष 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना, दिल्ली के पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव का स्थान लेंगे, जिन्हें इस वर्ष जून माह में दिल्ली पुलिस प्रमुख का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। राकेश अस्थाना का जन्म 9 जुलाई, 1961 को रांची में हुआ था और उन्होंने झारखंड के नेतरहाट आवासीय विद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात् उन्होंने दिल्ली के ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ (JNU) से उच्च शिक्षा प्राप्त की और सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद वे ‘भारतीय पुलिस सेवा’ (IPS) में शामिल हो गए। वर्ष 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद वर्ष 1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम के माध्यम से अंग्रेज़ों द्वारा पुलिस व्यवस्था को एक संगठित रूप दिया गया। वर्ष 1912 में दिल्ली के पहले मुख्य आयुक्त की नियुक्ति की गई और उन्हें पुलिस महानिरीक्षक की शक्तियाँ और कार्य दिये गए। स्वतंत्रता के बाद दिल्ली पुलिस को पुनर्गठित किया गया और इसमें कर्मियों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी गई। 

नंदू नाटेकर

28 जुलाई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ‘नंदू नाटेकर’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। नंदू नाटेकर वर्ष 1956 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे। छह बार के राष्ट्रीय एकल चैंपियन नंदू नाटेकर ने 20 वर्ष की आयु में भारत की ओर से अपना पदार्पण किया और वर्ष 1951-1963 तक (लगभग एक दशक से अधिक समय) ‘थॉमस कप चैंपियनशिप’ की पुरुष टीम में भारत का नेतृत्त्व किया। वर्ष 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे, नंदू नाटेकर ने 15 वर्ष के अपने कॅरियर में भारत के लिये 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते। इसके अलावा नंदू नाटेकर वर्ष 1961 में प्रथम अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता भी थे।