प्रिलिम्स फैक्ट्स (29 Jun, 2022)



डाक कर्मयोगी

हाल ही में संचार मंत्रालय ने डाक विभाग का ई-लर्निंग पोर्टल 'डाक कर्मयोगी' लॉन्च किया है।

  • डाक विभाग के कर्मचारियों के अच्छे प्रदर्शन को मान्यता देने के लिये आठ अलग-अलग श्रेणियों में मेघदूत पुरस्कार भी प्रदान किये गए। मेघदूत पुरस्कार वर्ष 1984 में शुरू किया गया था। यह समग्र प्रदर्शन और उत्कृष्टता के लिये राष्ट्रीय स्तर पर डाक विभाग का सर्वोच्च पुरस्कार है।

डाक कर्मयोगी:

  • परिचय:
    • इस पोर्टल को 'मिशन कर्मयोगी' के तहत 'इन-हाउस' विकसित किया गया है, जिसे 'न्यूनतम सरकार' और 'अधिकतम शासन' के साथ नौकरशाही में दक्षता लाने की दृष्टि से प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित किया गया था।
    • यह पोर्टल प्रशिक्षुओं की समान मानकीकृत प्रशिक्षण सामग्री एवं ऑनलाइन या मिश्रित परिसर मोड तक पहुँच स्थापित करने में सक्षम करेगा ताकि वे ग्राहकों की संतुष्टि के लिये कई G2C (सरकार से नागरिक) सेवाओं को प्रभावी ढंग से वितरित कर सकें।
  • उद्देश्य:
    • कर्मचारियों एवं ग्रामीण डाक सेवकों का उन्नयन कर बेहतर सेवाएंँ प्रदान करना।

स्रोत: पी.आई.बी.


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जून, 2022

राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस

राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली (National Statistical System) की स्थापना में प्रशांत चंद्र महालनोबिस के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिये उनकी जयंती (29 जून) को हर साल सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य यह बताना है कि दैनिक जीवन में सांख्यिकी के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और जनता को इस बात के लिये जागरूक करना कि नीतियों को आकार देने तथा तैयार करने में सांख्यिकी किस तरह सहायक है। प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है, उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute- ISI) की स्थापना की, योजना आयोग को आकार दिया (जिसे 1 जनवरी, 2015 को नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया) और बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण के लिये कार्यप्रणाली का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने रैंडम सैंपलिंग की विधि का उपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण करने तथा परिकलित रकबे/पहले से अनुमानित क्षेत्रफल और फसल पैदावार का आकलन करने हेतु नवीन तकनीकों की शुरुआत की। उन्होंने 'फ्रैक्टाइल ग्राफिकल एनालिसिस' नामक एक सांख्यिकीय पद्धति भी तैयार की, जिसका उपयोग विभिन्न समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बीच तुलना करने के लिये किया जाता है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक बाय बैक योजना

केंद्र सरकार 1 जुलाई, 2022 से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिये पूरी तरह तैयार है। केंद्र के फैसले के अनुरूप हिमाचल प्रदेश ने “सिंगल-यूज़ प्लास्टिक बाय बैक योजना” शुरू की है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक बाय बैक स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश सरकार स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक आइटम खरीदेगी। यह कदम युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा करेगा। इसके तहत छात्रों को घर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का सामान लाकर स्कूलों में जमा करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिये सरकार छात्रों को 75 रुपए प्रति किलो का भुगतान करेगी।युवाओं में पर्यावरण संरक्षण की आदत डालने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई थी। पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। इन नियमों को विशिष्ट एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करने के लिये अधिसूचित किया गया था। सिंगल यूज़ प्लास्टिक को डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक के रूप में भी जाना जाता है। उनका उपयोग केवल एक बार किया जाता है। प्लास्टिक इतना सुविधाजनक और सस्ता है कि इसने पैकेजिंग उद्योग की अन्य सामग्रियों की जगह ले ली है। हालाँकि इसे विघटित होने में सैकड़ों साल लगते हैं। भारत में हर साल 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से 43 फीसदी सिंगल यूज़ प्लास्टिक है।

इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली


हाल ही में रूस द्वारा बेलारूस को “इस्कंदर-एम मिसाइल सिस्टम” (Iskander-M Missile System) स्थानांतरित करने की घोषणा की गई है। इस मिसाइल प्रणाली के परमाणु और पारंपरिक संस्करणों में बैलिस्टिक या क्रूज़ मिसाइलों का उपयोग किया जा सकता है। इस्कंदर-एम मिसाइल प्रणाली को नाटो द्वारा “SS -26 स्टोन” के रूप में कोड नेम (Code name) दिया गया है। रूस इस्कंदर-एम शब्द का प्रयोग ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर लॉन्च सिस्टम के साथ-साथ उसके द्वारा दागी गई कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) को परिभाषित करने हेतु करता है। इस प्रणाली का उपयोग ज़मीन से प्रक्षेपित क्रूज़ मिसाइलों (GLCMs) जैसे SSC-7 और SSC-8 को फायर करने के लिये किया जा सकता है। इस प्रणाली को विशेष रूप से रूसी सेना द्वारा उपयोग किया जाता है। वर्ष 1996 इसे पहली बारें सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

जुलजाना

हाल ही में ईरान द्वारा “जुलजाना” नामक एक ठोस ईंधन वाला रॉकेट लॉन्च किया गया है। जुलजाना 25.5 मीटर लंबा ईरानी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है। यह 220 किलोग्राम के पेलोड या उपग्रह को पृथ्वी से 500 किलोमीटर ऊपर स्थित कक्षा में ले जाने में सक्षम है। यह सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में डेटा एकत्र करने के साथ-साथ ईरान के अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देगा। यह पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और स्वदेशी रूप से निर्मित हाइब्रिड ईंधन उपग्रह प्रक्षेपण यान है। यह सफीर और सिमोर्ग के बाद ईरान में विकसित तीसरा नागरिक उपग्रह प्रक्षेपण यान है। जुलजाना रॉकेट का 1 फरवरी, 2021 को अनावरण किया गया था। इसे 1 फरवरी, 2021 को ही पहले टेलीमेट्री और परीक्षण उद्देश्यों हेतु उप-कक्षीय उड़ान में लॉन्च किया गया था। इस रॉकेट का नाम इमाम हुसैन (पैगंबर मुहम्मद के पोते) के घोड़े के नाम पर रखा गया है।