प्रिलिम्स फैक्ट्स (28 May, 2022)



सेला मकाक

अरुणाचल प्रदेश में पाई गई प्राचीन बंदर की एक नई प्रजाति का नाम सेला मकाक रखा गया है, यह नाम ‘सेला दर्रा’ के नाम पर रखा गया है, जो समुद्र तल से 13,700 फीट की ऊंँचाई पर एक रणनीतिक पहाड़ी दर्रा है। 

  • इसकी पहचान ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) और कलकत्ता विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा की गई थी। 
  • सेला पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश में दिरांग और तवांग शहरों के बीच स्थित है। 

Sela-Macaque

प्रमुख बिंदु 

  • फाइलोजेनेटिक एक प्रजाति या जीवों के समूह के विकास और विविधीकरण से संबंधित है। 
  • इस क्षेत्र में पाए जाने वालें मकाक की अन्य प्रजातियों से यह आनुवंशिक रूप में भिन्न है। 
  • अध्ययन में सेला मकाक को आनुवंशिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के मकाक प्रजाति का करीबी बताया गया है। 
  • दोनों में कुछ समान शारीरिक विशेषताएँ हैं जैसे कि भारी आकार और लंबे पृष्ठीय शरीर पर बाल। इन दोनों प्रजातियों में कुछ मकाक समूह अथवा दल मनुष्यों के बीच और कुछ समूह मनुष्यों से दूर रहना पसंद करते हैं। 
  • इन दोनों प्रजातियों में अंतर करने के लिये कुछ विशिष्ट लक्षण पाए जाते हैं। सेला मकाक का चेहरा पीले और भूरे रंग का होता है, जबकि अरुणाचल मकाक का चेहरा काले और गहरे भूरे रंग का होता है। 
  • सेला मकाक की पूँछ तिब्बती मकाक, असमी मकाक, अरुणाचल मकाक और व्हाइट चिक्ड मकाक से लंबी लेकिन बोनट मकाक और टोक मकाक से छोटी होती है। 
  • सेला मकाक मकाका के साइनिका प्रजाति-समूह से संबंधित है, लेकिन यह इस समूह के अन्य सभी सदस्यों से भूरे रंग के कॉलर बाल और थूथन, गर्दन के चारों ओर घने भूरे बाल तथा ठोड़ी पर मूँछों की अनुपस्थिति जैसे गुणों से अलग है। 
  • सेला मकाक राज्य के पश्चिमी कामेंग ज़िले में फसलों को नुकसान पहुँचाने में मामले में प्रमुख है। 

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India-ZSI):  

  • भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI), पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक संगठन है। 
  • समृद्ध जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने हेतु अग्रणी सर्वेक्षण, अन्वेषण और अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) की स्थापना तत्कालीन 'ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य' में 1 जुलाई, 1916 को की गई थी। 
  • इसका उद्भव 1875 में कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में स्थित प्राणी विज्ञान अनुभाग की स्थापना के साथ ही हुआ था। 
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में है तथा वर्तमान में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों में स्थित हैं। 

 स्रोत : द हिंदू 


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 मई, 2022

राष्ट्रीय खनिज कॉन्ग्रेस 

कोयला मंत्रालय ने विद्युत मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय और खान मंत्रालय के सहयोग से आज भुवनेश्वर में राष्ट्रीय खनिज कॉन्ग्रेस का आयोजन किया। वर्चुअल माध्यम से कॉन्ग्रेस को संबोधित करते हुए कोयला मंत्रालय में सचिव श्री अनिल कुमार जैन ने राष्ट्रीय खनिज कॉन्ग्रेस की सफलता की कामना की और हितधारकों के विचार-विमर्श के माध्यम से मूल्यवान परिणाम प्राप्त करने की आशा व्यक्त की। कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने के लिये एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज़ तैयार किया है। कोयला गैसीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ‘फ्यूल गैस’ बनाने के लिये कोयले को वायु, ऑक्सीजन, वाष्प या कार्बन डाइऑक्साइड के साथ आंशिक रूप से ऑक्सीकृत किया जाता है। इस गैस का उपयोग पाइप्ड प्राकृतिक गैस, मीथेन और अन्य के स्थान पर ऊर्जा प्राप्त करने हेतु किया जाता है। कोयले का ‘इन-सीटू’ गैसीकरण या भूमिगत कोयला गैसीकरण कोयले को गैस में परिवर्तित करने की तकनीक है, इसे कुओं के माध्यम से निकाला जाता है। कोयला गैसीकरण से प्राप्त हाइड्रोजन का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों हेतु किया जा सकता है, जैसे- अमोनिया का निर्माण, हाइड्रोजन इकॉनमी को मज़बूती प्रदान करने में। कोयले को जलाने की तुलना में कोयला गैसीकरण को स्वच्छ विकल्प माना जाता है। गैसीकरण कोयले के रासायनिक गुणों के उपयोग की सुविधा प्रदान करता है। 

‘आईएनएस खंडेरी’ 

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 27 मई, 2022 को कर्नाटक में कारवाड़ नौसेना बेस की यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के शक्तिशाली प्लेटफॉर्म में से एक ‘आईएनएस खंडेरी’ पर समुद्र की यात्रा की। ऑपरेशन सॉर्टी के साथ पश्चिमी बेड़े के जहाज़ों की तैनाती, पी-81 एमपीए द्वारा एंटीसबमरीन मिशन सॉर्टी और सी-किंग हेलीकॉप्टर, मिग 29-के युद्धक विमानों द्वार फ्लाइपास्ट तथा खोज और बचाव क्षमता का प्रदर्शन भी किया गया। रक्षामंत्री द्वारा 28 सितंबर, 2019 को आईएनएस खंडेरी को कमीशन किया गया था। INS खंडेरी गहरे समुद्र में बिना आवाज़ किये 12 हज़ार किमी. तक सफर कर सकती है। इसकी लंबाई लगभग 67.5 मीटर और चौड़ाई 12.3 मीटर है। 40 से 45 दिन तक पानी में रहने की क्षमता वाली यह पनडुब्बी 350 मीटर की गहराई तक उतर सकती है तथा इसमें सभी अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं। प्रोजेक्ट 75 सबमरीन की इस दूसरी सबमरीन का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में 7 अप्रैल, 2009 को शुरू हुआ था। 12 जनवरी, 2017 को इसे लॉन्च किया गया और इसका नामकरण किया गया। इस पनडुब्बी में कुल 360 बैटरियाँ लगी हैं, जिनमें से प्रत्येक का वज़न 750 किग्रा. है। इसमें 6 टॉरपीडो ट्यूब लगे हैं। इसमें से 2 ट्यूब से मिसाइल भी दागी जा सकती है। इसके भीतर कुल 12 टॉरपीडो रखने की व्यवस्था है। इसे ‘खंडेरी’ नाम मराठा सेना के द्वीपीय किले के नाम पर दिया गया है। इसके अलावा खंडेरी को ‘टाइगर शार्क ’ भी कहते हैं। स्कॉर्पीन श्रेणी की बनी पहली पनडुब्बी INS कलवरी है। देश में वर्तमान में 49 जहाज़ों और पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।। 
 

एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस 

प्रतिवर्ष 28 मई को ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल' (Amnesty International) लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 28 मई, 1961 को ‘पीटर बेन्सन’ नामक एक ब्रिटिश वकील द्वारा की गई थी। इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य मानवाधिकारों की रक्षा और उनकी वकालत करना है। पीटर बेन्सन ने एक जनांदोलन के रूप में इस संगठन की स्थापना मुख्य तौर पर दुनिया भर में उन कैदियों को रिहा कराने के उद्देश्य से की थी, जिन्हें अपनी राजनीतिक, धार्मिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष मान्यताओं की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिये जेल में कैद किया गया हो, भले ही उन्होंने न कभी हिंसा का इस्तेमाल किया और न ही इसकी वकालत की। विश्व भर में इस संस्था के तीस लाख से अधिक सदस्य और समर्थक हैं। संगठन का उद्देश्य मानवाधिकारों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना तथा प्रताड़ित लोगों को न्याय दिलाना है। यह संगठन ऐसी दुनिया के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संबंधी दस्तावेज़ों में निर्धारित अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम हो। साथ ही यह संगठन मानवाधिकारों के मुद्दे पर शोधकार्य भी करता है। संगठन को वर्ष 1977 में शांति के लिये नोबेल पुरस्कार और वर्ष 1978 में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। 

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 

प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व भर में ‘विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस की शुरुआत जर्मनी स्थिति एक गैर-लाभकारी संगठन ‘वाॅॅश यूनाइटेड’ द्वारा वर्ष 2013 में की गई थी। ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ एक वैश्विक अभियान है, जो विश्व भर की महिलाओं और लड़कियों के लिये बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिये गैर-लाभकारी संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों, निजी क्षेत्र तथा मीडिया आदि को एक साथ- एक मंच पर लाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य मासिक धर्म स्वच्छता के संबंध में जागरूकता को बढ़ावा देना और मासिक धर्म से संबंधित नकारात्मक धारणाओं को समाप्त करना है। साथ ही यह दिवस वैश्विक, राष्ट्रीय व स्थानीय स्तरों पर नीति निर्माताओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य एवं स्वच्छता से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिये भी प्रेरित करता है। मासिक धर्म एक महिला के शरीर की सबसे महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक है, हालाँकि इस महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया के दौरान प्रायः महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में मासिक स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जो कि फंगल या जीवाणु संक्रमण जैसी कई समस्याओं को जन्म दे सकता है। भारत में यूनिसेफ द्वारा किये गए एक अध्ययन के मुताबिक, मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में अपर्याप्त जागरूकता के कारण 23 प्रतिशत लड़कियाँ मासिक धर्म शुरू होने के बाद स्कूल छोड़ने के लिये मजबूर होती हैं।