प्रिलिम्स फैक्ट्स (28 Apr, 2022)



मालचा महल

दिल्ली सरकार द्वारा 14वीं सदी के स्मारक मालचा महल (Malcha Mahal) का जीर्णोद्धार किया जाएगा।

Malcha-Mahal

मालचा महल के बारे में: 

  • 1325 ईस्वी में तत्कालीन सुल्तान फिरोज शाह तुगलक द्वारा इसका निर्माण कराया गया तथा लंबे समय तक इसका उपयोग हंटिंग लॉज (Hunting Lodge) के रूप में किया गया।
  • बाद में यह अवध के नवाब के वंशजों का निवास स्थान बन गया।  
  • ऐसा माना जाता है कि अवध की बेगम विलायत महल के नाम पर इसे 'विलायत महल' कहा जाने लगा, उन्होंने दावा किया कि वह अवध के शाही परिवार की सदस्य थीं। उन्हें वर्ष 1985 में सरकार द्वारा महल का स्वामित्व प्रदान किया गया था। 
  • वर्ष 1993 में बेगम द्वारा आत्महत्या करने के बाद मालचा महल उनकी बेटी सकीना महल और बेटे राजकुमार अली रज़ा (साइरस) के स्वामित्व में आ गया। वर्ष 2017 में राजकुमार की मृत्यु हो गई तथा उनकी मृत्यु से कुछ वर्ष पहले उनकी बहन का देहांत हो चुका था। 

फिरोज शाह तुगलक:

  • इसका जन्म 1309 ईस्वी में हुआ था और अपने चचेरे भाई मुहम्मद-बिन-तुगलक के निधन के बाद यह दिल्ली की गद्दी पर बैठा था।
  • यह तुगलक वंश का तीसरा शासक था जिसने 1320 ईस्वी से 1412 ईस्वी तक दिल्ली पर शासन किया था। मुहम्मद-बिन-तुगलक 1351ईस्वी से 1388 ईस्वी तक सत्ता में रहा।
  • इसने ही जजिया कर लगाने की शुरुआत की थी।
    • जजिया' या 'जीज्या' का तात्पर्य राज्य के सार्वजनिक व्यय हेतु निधि प्रदान करने के लिये इस्लामी कानून द्वारा शासित राज्य के स्थायी गैर-मुस्लिम विषयों पर वित्तीय प्रभार के रूप में प्रति व्यक्ति वार्षिक कराधान से है।
  • इसने  सशस्त्र बलों में उत्तराधिकार के सिद्धांत को  लागू किया जहाँ अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपने बच्चों को उस स्थान पर सेना में भेजने की अनुमति थी। हालांँकि उन्हें भुगतान,  वास्तविक मुद्रा की बजाय ज़मीन के रूप में किया जाता था।
  • अंग्रेज़ों द्वारा उसे 'सिंचाई विभाग का जनक' कहकर संबोधित किया गया क्योंकि उसने कई बगीचे और नहरों का निर्माण करवाया था।

तुगलक वंश:

  • तुगलक वंश तुर्क मूल के मुस्लिम परिवार से संबंधित था। मुहम्मद-बिन-तुगलक द्वारा सैन्य अभियान का नेतृत्व किये जाने के परिणामस्वरुप 1330-1335 ईस्वी के बीच यह राजवंश अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच  गया
  • इसका शासन यातना, क्रूरता और विद्रोहों द्वारा चिह्नित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 1335 ईस्वी के बाद इस वंश की क्षेत्रीय पहुँच का तेज़ी से विघटन हुआ।
  • तुगलक वंश में तीन महत्त्वपूर्ण शासक थे- गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325 ईस्वी), मुहम्मद-बिन- तुगलक (1325-1351 ईस्वी) और फिरोज शाह तुगलक (1351 से 1388 ईस्वी)।
  • गयासुद्दीन तुगलक इस वंश का संस्थापक था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


क्वार जलविद्युत परियोजना

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में चिनाब नदी पर 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना को मंज़ूरी दे दी है।

क्वार जलविद्युत परियोजना: 

  • यह सिंधु बेसिन का हिस्सा है और ज़िले में आने वाली कम-से-कम चार परियोजनाओं में से एक होगी, जिसमें 1,000 मेगावाट की पाकल दुल जलविद्युत परियोजना और 624 मेगावाट की किरू जलविद्युत परियोजना शामिल है। .
  • भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1960 की पुरानी सिंधु जल संधि (IWT) के तहत दोनों देश सिंधु बेसिन में छह नदियों के जल को साझा करते हैं जो भारत से पाकिस्तान की ओर बहती हैं। 
    • इनमें से तीन पूर्वी नदियों- सतलुज, ब्यास और रावी पर भारत का पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों- चिनाब, झेलम और सिंधु पर पाकिस्तान का अधिकार है।
  • क्वार परियोजना को चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPL) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा, जो नैशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ( NHPC) लिमिटेड और जम्मू-कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JKSPDC) के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
  • इस परियोजना से 90% निर्भरता के साथ वर्ष में 1975.54 मिलियन यूनिटउत्पादन होने की उम्मीद है। 
  • परियोजना के निर्माण कार्य के परिणामस्वरूप लगभग 2,500 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा। 

चिनाब नदी के संबंध में:

  • स्रोत: यह हिमाचल प्रदेश राज्य केलाहुलऔर स्पीतिज़िले के ऊपरी हिमालय से निकलती है।
    • चिनाब नदी हिमाचल प्रदेश के लाहुल एवं स्पीति ज़िले के तांडी (कीलोंग से 8 किमी दक्षिण पश्चिम) में दो नदियों चंद्र एवं भागा के संगम से बनती है। 
      • भागा नदी सूर्य ताल झील से निकलती है, जो हिमाचल प्रदेश में बारा-लाचा ला दर्रे से कुछ किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
      • चंद्र नदी उसी दर्रे (चंद्र ताल के पास) के पूर्व के ग्लेशियरों से निकलती है। 
  • प्रवाह: यह सिंधु नदी में मिलने से पहले जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र, पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी भागों से होकर बहती है।
  • चिनाब पर कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ/बाँध:
    • रतले जल विद्युत परियोजना:
    • सलाल बाँध- रियासी के पास पनबिजली परियोजना।
    • दुलहस्ती हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट- किश्तवाड़ ज़िले में बिजली परियोजना।
    • पाकल दुल बाँध (निर्माणाधीन)- किश्तवाड़ ज़िले में चिनाब की एक सहायक नदी मरुसादर पर। 

India

स्रोत: द हिंदू 


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 अप्रैल, 2022

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य और आतिथ्य मेला- आहार 2022 

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा भारत व्यापार संवर्द्धन संगठन (ITPO) के सहयोग से नई दिल्ली के प्रगति मैदान में एशिया का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खाद्य और आतिथ्य मेला- आहार 2022 का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले का यह 36वाँ संस्करण है। इस मेले की शुरुआत 26 अप्रैल, 2022 को हुई, जो 30 अप्रैल, 2022 तक चलेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, कृषि उत्पादों के विभिन्न खंडों के 80 से अधिक निर्यातक जिनमें भौगोलिक संकेत उत्पाद, प्रसंस्कृत खाद्य, जैविक और जमे हुए खाद्य उत्पाद शामिल हैं, मेले में भाग लेंगे। APEDA ने पूर्वोत्तर क्षेत्र और हिमालयी राज्यों जैसे- जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के निर्यातकों, महिला उद्यमियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्टार्टअप्स तथा बाजरा निर्यातकों के लिये समर्पित स्टॉल बनाए हैं। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत की गई है। प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है। एपीडा (APEDA) को निर्यात प्रोत्साहन और अनुसूचित उत्पादों जैसे- फल, सब्जियाँ, मांस उत्पाद, डेयरी उत्पाद, मादक व गैर-मादक पेय आदि के विकास के साथ-साथ चीनी आयात की निगरानी की ज़िम्मेदारी भी सौंपी गई है।

पल्ली: देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत 

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली जम्मू संभाग की सांबा ज़िले की पल्ली पंचायत देश की पहली कार्बन न्यूट्रल पंचायत बन गई है। प्रधानमंत्री ने पंचायत में 348 घरों को रोशन करने के लिये 500 किलाेवाट के सौर ऊर्जा सयंत्र का उद्घाटन किया। पल्‍ली गाँव ऊर्जा स्‍वराज का एक बड़ा उदाहरण है। केंद्र सरकार देश की पंचायतों को और अधिक शक्तिशाली बनाने के उद्देश्य से प्रमुख प्रौद्योगिकी संबंधी उपायों, भुगतान के तरीकों तथा ई-स्वराज पर ज़ोर दे रही है। सरकार की योजना है कि पंचायतों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिये उन्हें बेहतर बनाया जाए। पंचायतों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिये भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। कार्बन न्यूट्रल शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को संदर्भित करता है। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को उसके निष्कासन या उत्सर्जन के उन्मूलन के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है। कार्बन न्यूट्रल शब्द का प्रयोग ऊर्जा उत्पादन, परिवहन, उद्योग और कृषि के संदर्भ में किया जाता है। 

बैटरी पासपोर्ट

जर्मनी के अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने घोषणा की है कि देश के मोटर वाहन उद्योग में कंपनियों के एक समूह द्वारा एक ‘पासपोर्ट’ विकसित किये जाने की योजना है जो यूरोपीय बैटरी के पर्यावरणीय प्रभाव का पता लगाएगा। 11 भागीदारों वाले संघ ने यूरोपीय बैटरी पर डेटा एकत्र करने और उन्हें प्रस्तुत करने हेतु मानकों का एक सामान्य सेट विकसित करने के लिये 8.2 मिलियन यूरो का वित्तपोषण किया। Umicore, BMW और BASF कुछ ऐसी कंपनियाँ हैं जो इस ‘बैटरी पासपोर्ट’ प्रयास में शामिल हैं। इस फ्रेमवर्क के तहत, यूरोपीय बैटरी में एक QR कोड होना चाहिये जो एक ऑनलाइन डेटाबेस से जुड़ा होगा जहांँ व्यवसाय, ईवी मालिक तथा नियामक बैटरी की संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होंगे। यह डिजिटल टूल बैटरी के अंदर मौजूद कच्चे माल का पुनर्चक्रण करना भी आसान बना देगा। यह इस क्षेत्र में विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं की निकेल और लिथियम जैसे संसाधनों पर निर्भरता को कम करने में भी मदद करेगा जो कि बैटरी के उत्पादन के लिये आवश्यक होते हैं।

क्‍वार पनबिजली परियोजना

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्यसमिति ने जम्‍मू-कश्‍मीर के किश्‍तवाड ज़िले में चिनाब नदी पर 45 अरब रुपए से अधिक लागत की 540 मेगावाट की क्‍वार पनबिजली परियोजना के निर्माण की स्‍वीकृति दे दी है। इस परियोजना को चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कार्यान्‍वित करेगी। यह एनएचपीसी और जेकेएसपीडीसी के बीच संयुक्‍त उपक्रम कंपनी है। इस परियोजना से 197.55 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और यह करीब साढे चार साल में कार्य प्रारंभ कर देगी। इस परियोजना से लगभग 2,500 लोगों को प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रोज़गार मिलेगा। इस परियोजना से केंद्रशासित प्रदेश को 40 साल के दौरान लगभग 4,548.59 करोड़ रुपए की मुफ्त बिजली और इसी अवधि के दौरान जल उपयोग शुल्क के ज़रिये 4,941.46 करोड़ रुपए का लाभ भी मिलेगा।