प्रिलिम्स फैक्ट्स (24 Mar, 2020)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 24 मार्च, 2020

कैरिसा कोपिली

Carissa kopilii

एक अध्ययन में भारत के असम राज्य में कैरिसा कैरेंडस (Carissa Carandas) की एक अन्य प्रजाति कैरिसा कोपिली (Carissa kopilii) का पता लगाया गया है। 

kopilii

मुख्य बिंदु: 

  • यह अध्ययन मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर और नगालैंड विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा किया गया और इसे एशिया-प्रशांत जैव विविधता के जर्नल (Journal of Asia-Pacific Biodiversity) में प्रकाशित किया गया।
  • कैरिसा कोपिली (Carissa kopilii) कैरिसा कैरेंडस की एक मृदु किस्म है। कैरिसा कैरेंडस एक बहु-उपयोगी जंगली बेरी (छोटा फल) है। इसे हिंदी में करौंदा (Karonda), तमिल में कलक्काई (Kalakkai), बंगाली में कोरोम्चा (Koromcha) और असमिया में कर्जा टेंगा (Karja Tenga) के नाम से जाना जाता है।
    • कैरिसा कोपिली, कोपिली नदी (Kopili River) के किनारे समुद्र के स्तर से 85-600 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती  है।

कोपिली नदी (Kopili River):

  • कोपिली नदी मेघालय के पठार से निकलती है और ब्रह्मपुत्र में मिलने से पहले मध्य असम के पहाड़ी ज़िलों से होकर बहती है।
  • कोपिली नदी एक अंतर्राज्यीय नदी है जो मेघालय एवं असम राज्यों से होकर बहती है और असम में ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है।
  • इसे दस्त, एनीमिया, कब्ज, अपच, त्वचा संक्रमण और मूत्र विकारों जैसे कई बीमारियों के लिये एक पारंपरिक हर्बल दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों को रेशम के कीड़ों के लिये चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जबकि इसकी जड़ें कीट विकर्षक का कार्य करती हैं।
  • भारत में अंग्रेजों ने नमक की तस्करी को रोकने के लिये 1870 के दशक में इसके काँटेदार पौधों का उपयोग 1,100 मील के एक अवरोधक निर्माण करने में किया था। 
    • ब्रिटिश लेखक रॉय मोक्स्हम (Roy Moxham) ने अपनी पुस्तक ‘द ग्रेट हेज ऑफ इंडिया’ (The Great Hedge of India) में इस अल्पकालिक अवरोध की तुलना चीन की महान दीवार (Great Wall of China) से की।
  • मेघालय में कोयला खनन तथा कोपिली नदी पर पनबिजली परियोजनाओं के कारण नदी का जल अम्लीय हो रहा है जिससे मेघालय से संबद्ध मध्य असम क्षेत्र में इस पौधे (कैरिसा कोपिली) को नुकसान हो रहा है।  

मिशन रक्षा ज्ञानशक्ति

Mission Raksha Gyanshakti

भारत में रक्षा उद्योग के आधुनिकीकरण में योगदान करने के लिये 27 नवंबर, 2018 को मिशन रक्षा ज्ञानशक्ति (Mission Raksha Gyanshakti) की शुरूआत की गई।

उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उद्योग में बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Right- IPR) की संस्कृति को बढ़ावा देना है।

मुख्य बिंदु: 

  • इस कार्यक्रम के समन्वय एवं कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (Directorate General of Quality Assurance- DGQA) को दी गई है।
    • गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGQA) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। 
    • यह महानिदेशालय सशस्त्र बलों को आपूर्ति किये जाने वाले हथियारों, गोला-बारूद, उपकरणों की पूरी श्रृंखला के लिये गुणवत्ता आश्वासन (Quality Assurance- QA) प्रदान करता है।
  • इस मिशन को बढ़ावा देने के लिये बौद्धिक संपदा सुविधा सेल (Intellectual Property Facilitation Cell- IPFC), रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence- MoD) और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (National Research Development Corporation- NRDC) के बीच वर्ष 2019 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे।

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम

(National Research Development Corporation- NRDC):

  • राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (NRDC) की स्थापना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1953 में की गई थी।

उद्देश्य: 

  • इसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों में विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकियों/जानकारियों/आविष्कारों/पेटेंट/प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना और उनका व्यवसायीकरण करना है। 

बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR):

  • बौद्धिक संपदा अधिकार, निजी अधिकार हैं जो किसी देश की सीमा के भीतर मान्य होते हैं तथा औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्य और कला के क्षेत्र में व्यक्ति (व्यक्तियों) अथवा कानूनी कंपनियों की रचनात्मकता अथवा नव प्रयोग के संरक्षण के लिये उन्हें दिये जाते हैं।

रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार

Innovations for Defence Excellence

भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 2018 में रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (Innovations for Defence Excellence- iDEX) की शुरूआत की गई। 

उद्देश्य:

  • iDEX का उद्देश्य रक्षा एवं एयरोस्पेस से संबंधित समस्याओं का हल निकालने, प्रौद्योगिकी विकसित करने और नवाचार करने के लिये स्टार्टअप को बढ़ावा देना है।

मुख्य बिंदु:

  • यह MSMEs, स्टार्ट-अप्स, व्यक्तिगत इनोवेटर, शोध एवं विकास संस्थानों और अकादमियों को अनुसंधान एवं विकास के लिये अनुदान प्रदान करता है।
  • भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BEL) और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा वित्तपोषित रक्षा नवाचार संगठन (Defence Innovation Organization- DIO) द्वारा iDEX का क्रियान्वयन किया जा रहा है।  
  • DIO, कंपनी अधिनियम 2013 की धारा-8 के तहत गठित एक गैर लाभकारी संगठन है।
  • रक्षा नवाचार संगठन ने वर्ष 2018-19 में अपनी गतिविधियाँ शुरू की और तब से यह डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (Defence India Startup Challenges- DISCs) का संचालन तथा रक्षा क्षेत्र में भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने का प्रयास कर रहा है।

डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज

(Defence India Startup Challenges- DISCs):

  • राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा (National Defence and Security) के क्षेत्र में उत्पादों के प्रोटोटाइप/ व्यावसायिक उत्पादों का निर्माण करने हेतु स्टार्टअप/MSMEs/इनोवेटर्स का समर्थन करने के उद्देश्य से डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC) की शुरुआत की गई थी।
  • इसे अटल इनोवेशन मिशन (Atal Innovation Mission) के साथ साझेदारी में रक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया है।

विज़न:

  • इसका विज़न राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये प्रासंगिक उत्पादों/प्रौद्योगिकियों के कार्यात्मक प्रोटोटाइप बनाने में मदद करना एवं भारतीय रक्षा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना तथा निर्मित उत्पादों के लिये बाज़ार एवं ग्राहक खोजना है।

DISC कार्यक्रम में स्टार्ट-अप, भारतीय कंपनियाँ और व्यक्तिगत इनोवेटर्स (अनुसंधान एवं शैक्षणिक संस्थान) भाग ले सकते हैं।


यक्षगान लिपि

Yakshagana Script

कर्नाटक के प्रसिद्ध लोकनाट्य यक्षगान (Yakshagana) की 900 से अधिक लिपियों (Script) को डिजिटलीकरण करके सार्वजनिक कर दिया गया। 

Yakshagana-script

मुख्य बिंदु:

  • इन लिपियों में वर्ष 1905 में छपा ‘प्रह्लाद चरित्र’(Prahlada Charitre), वर्ष 1907 का ‘रामाश्वमेध’ (Ramashwamedha), वर्ष 1913 का ‘पुत्राकामेस्ती’ (Putrakamesti), वर्ष 1929 का ‘कनकंगी कल्याण’ (Kanakangi Kalyana), वर्ष 1931 का कुमुधावती कल्याण (Kumudhwati Kalyana) और वर्ष 1938 में छपे ‘संपूर्ण रामायण’ (Sampoorna Ramayana) को मुख्य रूप से शामिल किया गया है। 
  • इन लिपियों का डिजिटलीकरण करके गूगल ड्राइव में पीडीएफ प्रारूप में संरक्षित किया गया है। ये लिपियाँ www.prasangaprathi sangraha.com पर उपलब्ध हैं और इनको ‘प्रसंग प्राथी संग्रह’ (Prasanga Prathi Sangraha) एप के माध्यम से भी उपलब्ध कराया गया है। 

यक्षगान (Yakshagana):

  • यक्षगान कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में किया जाने वाला प्रसिद्ध लोकनाट्य है। यक्षगान का शाब्दिक अर्थ है- यक्ष के गीत। 
  • कर्नाटक में यक्षगान की परंपरा लगभग 800 वर्ष पुरानी मानी जाती है। यक्षगान भगवान गणेश की वंदना से शुरू होता है। इसके बाद एक हास्‍य अभिनय प्रस्तुत किया जाता है।
  • यक्षगान की संगीत शैली भारतीय शास्त्रीय संगीत ‘कर्नाटक’ और ‘हिन्दुस्तानी’ शैली दोनों से अलग है।
    • यह संगीत, नृत्य, भाषण और वेशभूषा का एक समृद्ध कलात्मक मिश्रण है, इस कला में संगीत नाटक के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और जन मनोरंजन जैसी विशेषताओं को भी महत्त्व दिया जाता है।
  • यक्षगान की कई समानांतर शैलियाँ हैं जिनकी प्रस्तुति आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है।