प्रिलिम्स फैक्ट्स (23 Oct, 2020)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 23 अक्तूबर, 2020

नाग मिसाइल का अंतिम परीक्षण

(Final User Trial of NAG Missile)

हाल ही में ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (Defence Research and Development Organisation- DRDO) द्वारा पोखरण फायरिंग रेंज में तीसरी पीढ़ी के एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल  (Anti Tank Guided Missile- ATGM) ‘नाग’ का अंतिम परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

NAG-Missile

  • इस मिसाइल को ‘नाग मिसाइल वाहक’ (NAG Missile Carrier- NAMICA) द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
  • इस परीक्षण के पूरा होने के बाद ‘नाग’ मिसाइल का उत्पादन शुरू किया जा सकेगा, गौरतलब है कि इस मिसाइल का उत्पादन रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम ‘भारत डायनामिक्स लिमिटेड’ (Bharat Dynamics Limited- BDL) द्वारा और NAMICA का उत्पादन मेदक स्थित आयुध निर्माणी द्वारा किया जाएगा।

नाग मिसाइल:  

  • नाग, ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित तीसरी पीढ़ी की एक टैंकभेदी मिसाइल है।
  • यह मिसाइल ‘दागो और भूल जाओ’ (Fire and Forget) श्रेणी के अंतर्गत आती है, अर्थात् एक बार छोड़े जाने के बाद इसे लक्ष्य को भेदने के लिये अतिरिक्त दिशा-निर्देशों की आवश्यकता नहीं होती है।
  • यह मिसाइल सभी मौसमों में दिन और रात के समय समान क्षमता के साथ 500 मीटर से लेकर 4 किमी. की दूरी पर स्थित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद सकती है। 
  • प्रक्षेपण से पहले लक्ष्य को चिह्नित करने के लिये इस मिसाइल में ‘इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर’ (Imaging Infrared Seeker) का उपयोग किया जाता है। 
  • वर्तमान में DRDO के अंतर्गत इस मिसाइल के हेलीकॉप्टर संस्करण ‘हेलीना’ (HELINA) का विकास भी अंतिम चरण में है, गौरतलब है कि हेलीना का सफल परीक्षण वर्ष 2018 में पूरा कर लिया गया था।     

आईएनएस कवरत्ती  

(INS Kavaratti)   

22 अक्तूबर, 2020 को भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित  पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत ‘आईएनएस कवरत्ती’ (INS Kavaratti)  को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

INS-Kavaratti

  • गौरतलब है कि ‘आईएनएस कवरत्ती’ प्रोजेक्ट-28 (Project- 28) के तहत ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स’ (Garden Reach Shipbuilders and Engineers-GRSE) निर्मित चार स्वदेशी युद्धपोतों में से चौथा व अंतिम युद्धपोत है।
  • इस युद्धपोत का डिज़ाइन ‘नौसेना डिज़ाइन निदेशालय’  (Directorate of Naval Design) द्वारा तैयार किया गया है तथा इसके निर्माण में  भारत निर्मित उच्च कोटि के  DMR 249A स्टील का प्रयोग किया गया है।
  • इस युद्धपोत की लंबाई 109 मीटर, चौड़ाई 14 मीटर और वजन 3300 टन है तथा यह चार डीज़ल इंजनों से संचालित होता है।
  • यह युद्धपोत रडार से बचने की क्षमता से लैस है जिससे प्रतिद्वंद्वी सेना द्वारा आसानी से इस युद्धपोत का पता नहीं लगाया जा सकता।
  • इस युद्धपोत को परमाणु, रासायनिक और जैविक (Nuclear, Biological and Chemical- NBC) युद्ध स्थितियों में लड़ने के लिये स्वदेशी अत्याधुनिक उपकरणों तथा प्रणालियों से सुसज्जित किया गया है।
  • आईएनएस कवरत्ती कई उन्नत स्वचालित प्रणालियों से युक्त है जिसमें ‘एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली’ (IPMS),  ‘एटमॉस्फेरिक कंट्रोल सिस्टम’ (TACS), ‘युद्ध क्षति नियंत्रण प्रणाली’ (BDCS) और ‘पर्सन लोकेटर सिस्टम’ (PLS) आदि शामिल हैं।    
  • इस युद्धपोत का संचालन 12 अधिकारियों और  134 नाविकों की एक टीम द्वारा किया जाएगा तथा यह युद्धपोत पूर्वी नौसेना कमान के तहत पूर्वी बेड़े का एक अभिन्न अंग होगा।।  
  •  इस युद्धपोत का नाम केंद्रशासित प्रदेश लक्ष्य द्वीप की राजधानी ‘कवरत्ती’ (Kavaratti) के नाम पर रखा गया है।
  • यह युद्धपोत पूर्व में इसी नाम से सक्रिय ‘अरनाला श्रेणी’ (Arnala Class) के युद्धपोत ‘आईएनएस कवरत्ती-पी 80’ (INS Kavaratti– P80) का नया अवतार है।
    • गौरतलब है कि ‘आईएनएस कवरत्ती - पी 80’ ने अन्य कई बड़े अभियानों के साथ वर्ष 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

बिच्छुओं की दो नई प्रजातियों की खोज

(Discovery of 2 species of scorpions in W Ghats)

Endemic-Diversity

हाल ही में पुणे स्थित ‘प्राकृतिक इतिहास शिक्षा और अनुसंधान संस्थान’ (Institute of Natural History Education and Research) के कुछ वैज्ञानिकों द्वारा पुणे के वरंधा घाट और सांगली के अंबा घाट में बिच्छुओं की दो नई प्रजातियों की खोज की गई है। 

  • बिच्छुओं की दोनों प्रजातियाँ चिरोमैचिटेस (Chiromachetes) वंश की हैं।  
  •  बिच्छुओं की इन दो नई प्रजातियों में से एक को पंहाला के पावनखिंड क्षेत्र से खोजा गया है,  इसे ‘चिरोमैचिटेस पराक्रमी’ (Chiromachetes Parakrami)  नाम दिया गया है।
    • गौरतलब है कि यहीं पर छत्रपति शिवाजी महाराज के सेनापति  बाजी प्रभु देशपांडे और बीजापुर की सेना के सेनापति सिद्दी जौहर के बीच लड़ाई हुई थी।
  • इस वंश की दूसरी प्रजाति को 17वीं शताब्दी के प्रसिद्ध संत राम दास स्वामी से जुड़ी एक गुफा के नज़दीक खोजा गया है, जिसके कारण इसे  ‘चिरोमैचिटेस रामदासस्वामी' (Chiromachetes Ramdasswamii) नाम दिया गया है।  
  • विशेषज्ञों के अनुसार, चट्टानी क्षेत्रों में पाए जाने वाले बिच्छू पेड़ों या जमीन पर पाए जाने वाले बिच्छुओं की तुलना में अपने प्रवास स्थान को धीमी गति से बदलते हैं।  
  • क्योंकि ये बिच्छू एक ही क्षेत्र में बहुत लंबे समय तक रहते हैं, ऐसे में इनके शरीर में होने वाले क्रमिक परिवर्तन को पहचाना जा सकता है। साथ ही ये कारक इन प्रजातियों को अत्यधिक सुभेद्य बनाते हैं, अतः उन्हें प्राथमिकता के आधार पर संरक्षित किया जाना चाहिये।  

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और राष्ट्रीय संग्रहालय

(Indira Gandhi National Centre for the Arts-IGNCA)

केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना’ (Central Vista Redevelopment Project) के तहत नई दिल्ली स्थित  ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ (Indira Gandhi National Centre for the Arts-IGNCA) और ‘राष्ट्रीय संग्रहालय’ (National Museum)  को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।

IGNCA

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र: 

  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) भारत सरकार द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत स्थापित एक स्वायत्त संगठन है।   
  • IGNCA की शुरुआत 14 नवंबर, 1985 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्मृति में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा की गई थी।
  • 24 मार्च 1987 को नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का गठन और पंजीकरण किया गया। 
  • IGNCA की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य कला के प्रमुख संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करना, कला, मानविकी और संस्कृति से संबंधित अनुसंधान का संचालन करना तथा कला एवं दर्शन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी के समकालीन विचारों के बीच संवाद स्थापित करना था।

राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली: 

  • राष्ट्रीय संग्रहालय का उद्घाटन 15 अगस्त, 1949 को भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल आर.सी. राजगोपालाचारी द्वारा राष्ट्रपति भवन में किया गया था।
  • राष्ट्रीय संग्रहालय के वर्तमान भवन की नींव भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 12 मई, 1955 को रखी गई थी।
  • 18 दिसंबर, 1960 को भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा राष्ट्रीय संग्रहालय भवन के पहले चरण का औपचारिक उद्घाटन किया गया।
  • इसकी स्थापना का उद्देश्य प्रदर्शन, संरक्षण और शोध के लिये ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा कलात्मक महत्त्व की कला वस्तुओं को एकत्र करना, इन वस्तुओं के महत्त्व के बारे में ज्ञान का प्रसार करना एवं राष्ट्रीय पहचान के प्रतीक के रूप में अपनी सेवा प्रदान करना था।
  • वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय का संचालन भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 अक्तूबर, 2020

वीज़ा प्रतिबंधों की समाप्ति

कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू किये गए लॉकडाउन से संबंधित यात्रा प्रतिबंधों में और अधिक छूट देते हुए केंद्र सरकार ने ‘ओवरसीज़ सिटीज़नशिप ऑफ इंडिया’ (OCI) कार्डधारकों और अन्य विदेशी नागरिकों को पर्यटन के अलावा किसी भी अन्य कार्य के लिये भारत में आने की इजाज़त दे दी है। इस संबंध में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, श्रेणीबद्ध तरीके से दी जा रही इस यात्रा छूट के तहत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा, टूरिस्ट वीज़ा और मेडिकल वीज़ा को छोड़कर सभी मौजूदा वीज़ा को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का फैसला किया है। हालाँकि ऐसे सभी यात्रियों को क्वारंटाइन, सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना वायरस संबंधी अन्य प्रोटोकॉल्स के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। ध्यातव्य है कि सरकार ने इस वर्ष महामारी के कारण फरवरी माह में ही हवाई यात्राओं को प्रतिबंधित कर दिया था। कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप से निपटने के लिये लगभग दो महीने के निलंबन के बाद सरकार ने 25 मई को अनुसूचित घरेलू यात्री उड़ानों को फिर से शुरू कर दिया था। 

साद अल-हरीरी

लेबनान के राष्ट्रपति मिशेल ओउन (Michel Aoun) ने लेबनान की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति से निपटने के लिये नई सरकार बनाने हेतु पूर्व प्रधानमंत्री साद अल-हरीरी को लेबनान के नए प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया है। ध्यातव्य है कि साद अल-हरीरी को लेबनान की संसद के अधिकांश सांसदों का समर्थन भी हासिल है। साद अल-हरीरी सर्वप्रथम वर्ष 2009 में लेबनान के प्रधानमंत्री बने थे और वर्ष 2011 तक इस पद पर रहे थे, इसके बाद वे वर्ष 2016 में एक बार फिर लेबनान के प्रधानमंत्री बने, किंतु अक्तूबर, 2019 में उन्हें भारी विरोध प्रदर्शन के बीच इस्तीफा देना पड़ा था। साद अल-हरीरी की सरकार के समक्ष बैंकिंग संकट, मुद्रा संकट और गरीबी तथा सार्वजानिक ऋण में बढ़ोतरी जैसी काफी गंभीर चुनौतियाँ मौजूद हैं। इसके अलावा नई सरकार को कोरोना वायरस महामारी की गंभीर चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा। ध्यातव्य है कि अगस्त माह में लेबनान की राजधानी बेरुत में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ था, जिसमें लगभग 200 लोगों की मृत्यु हुई थी। ज्ञात हो कि पश्चिम एशिया में भू-मध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित देश लेबनान की जनसंख्या लगभग 68.5 लाख है। 

CTET और TET प्रमाणपत्र की मान्यता

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) और शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) प्रमाणपत्र को जीवन भर के लिये मान्य कर दिया है। इस निर्णय के माध्यम से वे उम्मीदवार जिन्होंने CTET और TET परीक्षा उत्तीर्ण की है, वे अपने पूरे जीवनकाल में शिक्षक भर्ती के लिये आवेदन कर सकते हैं। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व इन प्रमाणपत्रों की वैधता जारी होने की तारीख से 7 वर्ष तक मान्य थी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा अभी तक यह घोषणा नहीं की गई है कि यह निर्णय कब से लागू होगा। NCTE का यह निर्णय खासतौर पर उन CTET और TET प्रमाणित उम्मीदवारों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है, जो 7 वर्ष की वैधता समाप्त होने के कारण शिक्षक भर्ती के लिये आवेदन नहीं कर पर रहे थे। साथ ही यह शिक्षण क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिये रोज़गार के अवसर भी बढ़ाएगा। एक सांविधिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) 17 अगस्त, 1995 को अस्तित्त्व में आई थी। इस परिषद का मूल उद्देश्य समूचे भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली का नियोजन और समन्वित विकास करना, अध्यापक शिक्षा प्रणाली में मानदंडों और मानको का विनियमन तथा उन्हें समुचित रूप से बनाए रखना है।