प्रिलिम्स फैक्ट्स (23 Feb, 2023)



इलेक्ट्रॉन का सटीक चुंबकीय आघूर्ण

हाल ही में भौतिकविदों ने इलेक्ट्रॉन के सटीक चुंबकीय आघूर्ण का रिकॉर्ड-ब्रेकिंग मापन कर मेट्रोलॉजी में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह आणविक भौतिकी के मानक मॉडल का अब तक का सबसे सटीक परीक्षण प्रदान करता है।

  • यह माप 0.13 भाग प्रति ट्रिलियन (PPT) है, जो 14 वर्ष पहले के पिछले सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड की तुलना में 2.2 गुना अधिक सटीक है। 

मानक मॉडल

  • मानक मॉडल (Standard Model- SM) एक सिद्धांत है जो उप-परमाणु कणों के गुणों का वर्णन करता है, उन्हें समूहों में वर्गीकृत करता है और यह निर्धारित करता है कि वे चार मूलभूत बलों में से तीन से कैसे प्रभावित होते हैं: मज़बूत-परमाणु, कमज़ोर-परमाणु और विद्युत चुंबकीय।
    • लेकिन यह गुरुत्त्वाकर्षण की व्याख्या नहीं कर सकता।
  • मानक मॉडल ने हिग्स बोसाॅन  के अस्तित्त्व की भविष्यवाणी की थी, जिसे वर्ष 2012 में खोजा गया था, साथ ही कई कणों के गुणों की सफलतापूर्वक भविष्यवाणी की, यही कारण है कि यह भौतिकी में सबसे सफल सिद्धांतों में से एक बन गया है। 
    • हिग्स बोसाॅन एक प्राथमिक कण है, जिसका अर्थ है कि इसे छोटे घटकों में नहीं तोड़ा जा सकता है। इसमें कोई विद्युत आवेश, स्पिन या अन्य आंतरिक गुण नहीं होते हैं, लेकिन इसमें द्रव्यमान होता है।
    • हिग्स बोसाॅन का द्रव्यमान लगभग 125 बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट है, यानी एक प्रोटॉन के द्रव्यमान का लगभग 133 गुना है।
  • अपनी सफलताओं के बावजूद मानक मॉडल कुछ घटनाओं की व्याख्या करने में असमर्थ है, जैसे ब्रह्मांड में एंटीमैटर पर पदार्थ की अधिकता, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी।
  • इस क्षेत्र में और अधिक शोध हमें ब्रह्मांड की मौलिक प्रकृति के बारे में समझने में मदद कर सकता कि यह किस प्रकार कार्य करता है।

डार्क मैटर और डार्क एनर्जी:

  • ब्रह्मांड की सामग्री को व्यापक रूप से तीन प्रकार के पदार्थों से युक्त माना जाता है: सामान्य पदार्थ, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी।
    • वर्तमान में ब्रह्मांड के लोकप्रिय 'कॉनकॉर्डेंस मॉडल' में ब्रह्मांड की 70% डार्क एनर्जी, 25% डार्क मैटर और 5% सामान्य पदार्थ माना जाता है।
  • सामान्य पदार्थ में परमाणु होते हैं जो ब्रह्मांड में सितारों, ग्रहों, मनुष्यों और हर अन्य दृश्य वस्तु का निर्माण करते हैं। 
  • डार्क मैटर आकाशगंगाओं और आकाशगंगा समूहों के अधिकांश द्रव्यमान का निर्माण करता है तथा आकाशगंगाओं के व्यापक रूप में व्यवस्थित होने के लिये ज़िम्मेदार है।  
  • डार्क एनर्जी को हम ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार को गतिमान रखने के लिये रहस्यमय प्रभाव के रूप में देखते हैं।

इलेक्ट्रॉन का चुंबकीय आघूर्ण:

  • चुंबकीय आघूर्ण इलेक्ट्रॉन का एक मौलिक गुण है तथा यह इलेक्ट्रॉन के आवेश एवं इसके आंतरिक स्पिन से संबंधित है।  
  • इलेक्ट्रॉन का चुंबकीय आघूर्ण एक महत्त्वपूर्ण भौतिक गुण है जिसका उपयोग परमाणु और आणविक भौतिकी में कई घटनाओं की व्याख्या करने के लिये किया जाता है, जैसे चुंबकीय क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनों का व्यवहार तथा पदार्थों के चुंबकीय गुण। 

प्रश्न. निकट अतीत में हिग्स बोसाॅन कण के अस्तित्त्व के संसूचन के लिये किये गए प्रयत्न लगातार समाचारों में रहे हैं। इस कण की खोज का क्या महत्त्व है? (2013)

  1. यह हमें यह समझने में मदद करेगा कि मूल कणों में संहति क्यों होती है।
  2. यह निकट भविष्य में हमें दो बिंदुओं के भौतिक अंतराल को पार किये बिना एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक पदार्थ स्थानांतरित करने की प्रौद्योगिकी विकसित करने में मदद करेगा।
  3. यह हमें नाभिकीय विखंडन के लिये बेहतर ईंधन उत्पन्न करने में मदद करेगा।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न. हाल ही में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से अरबों प्रकाश वर्ष दूर विशालकाय 'ब्लैकहोलों' के विलय का प्रेक्षण किया। इस प्रेक्षण का क्या महत्त्व है? (2019)

(a) 'हिग्स बोसाॅन कणों' का अभिज्ञान हुआ।
(b) गुरुत्त्वीय तरंगों' का अभिज्ञान हुआ।
(c) 'वार्महोल' से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई।
(d) इसने वैज्ञानिकों को 'विलक्षणता (सिंगुलारिटी)' को समझने में मदद की।

उत्तर: (b) 

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 फरवरी, 2023

एनोफिलीज़ स्टीफेन्सी: घातक मलेरिया प्रजाति 

केन्या में एशिया से भी घातक मलेरिया रोगवाहक का पता चला है। केन्या अफ्रीका का छठा और नवीनतम देश है जिसने घातक मलेरिया प्रजातियों के संक्रमण की सूचना दी है। एनोफिलीज़ स्टीफेन्सी की उत्पत्ति दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अरब प्रायद्वीप में हुई थी। इस प्रजाति पिछले ने एक दशक में अपनी भौगोलिक सीमा का विस्तार किया है, अफ्रीका में पहली बार जिबूती (2012), इथियोपिया और सूडान (2016), सोमालिया (2019) तथा नाइजीरिया (2020) में इसके बारे में पता लगने की सूचना मिली है। यह एक बड़ा खतरा भी है, क्योंकि अन्य मलेरिया पैदा करने वाले मच्छर वाहकों के विपरीत, जो कि मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन करते हैं, एनोफिलीज़ स्टीफेन्सी अत्यधिक अनुकूली है और शहरी वातावरण में पनप सकता है। मलेरिया प्लाज्मोडियम परजीवियों के कारण होने वाला एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका तथा एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह रोकथाम योग्य होने के साथ-साथ इलाज योग्य भी है। भारत में मलेरिया उन्मूलन प्रयास वर्ष 2015 में शुरू किये गए थे तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2016 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रूपरेखा (National Framework for Malaria Elimination- NFME) को लॉन्च किये जाने के बाद इसमें तेज़ी देखी गई है।

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कनक रेले 

हाल ही में शास्त्रीय नृत्य की महान हस्ती कनक रेले जिन्हें मोहिनीअट्टम (केरल राज्य का शास्त्रीय नृत्य रूप) के प्रतिपादक के रूप में भी जाना जाता है, का निधन हो गया। उन्हें केरल सरकार के पहले गुरु गोपीनाथ राष्ट्रीय पुरस्करम से सम्मानित किया गया था। डॉ. रेले ने वर्ष 1973 में नालंदा नृत्य कला महाविद्यालाय और नालंदा नृत्य रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं और ये महाविद्यालय स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान करते हैं। वर्ष 1977 में भारत में नृत्य कला में PhD करने वाली वह पहली महिला थी। उनके डॉक्टरेट थीसिस का शीर्षक 'मोहिनी अट्टम: ऑल एस्पेक्ट्स एंड स्फियर्स ऑफ इफेक्ट' था। उन्हें पद्मश्री (1989), संगीत नाटक अकादमी अवार्ड (1994), एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी अवार्ड, कालिदास सम्मान (2006) जैसे विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। बाद में वर्ष 2013 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

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WMCC की 26वीं बैठक

वर्ष 2020 में भारत-चीन सीमा गतिरोध शुरू होने के बाद पहली बार भारत-चीन सीमा मामलों (WMCC) पर परामर्श और समन्वय के लिये कार्यकारी तंत्र की 26वीं बैठक के लिये भारत ने बीजिंग का दौरा किया। जुलाई 2019 में आयोजित 14वीं बैठक के बाद से WMCC की यह पहली व्यक्तिगत बैठक थी। WMCC की स्थापना वर्ष 2012 में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के प्रबंधन के लिये परामर्श एवं समन्वय के साथ-साथ दोनों पक्षों के सीमा सुरक्षा कर्मियों के मध्य संचार तथा सहयोग को मज़बूत करने हेतु विचारों का आदान-प्रदान करने के लिये एक संस्थागत तंत्र के रूप में की गई थी। दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति की समीक्षा की एवं खुले क्षेत्रों में रचनात्मक तरीके से पीछे हटने के प्रस्तावों पर चर्चा की, जिससे पश्चिमी सेक्टर में LAC पर शांति और स्थिरता बहाल करने में मदद मिलेगी तथा द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये  स्थितियाँ सृजित होंगी। 

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प्रवेश हेतु न्यूनतम आयु 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) 2020 के अनुरूप कक्षा 1 में प्रवेश हेतु न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित करने का निर्देश दिया है। NEP 2020 के अनुसार, बुनियादी चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) हेतु सीखने के पाँच वर्ष के अवसर शामिल हैं, जिसमें तीन वर्ष की प्री-स्कूल शिक्षा के बाद कक्षा 1 और 2 शामिल हैं। NEP 2020 प्री-स्कूल से कक्षा 2 तक के बच्चों के निर्बाध सीखने और विकास को बढ़ावा देता है। इसने राज्यों को यह भी सलाह दी है कि वे अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में प्री स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में दो वर्षीय डिप्लोमा (Diploma in Preschool Education- DPSE) को डिज़ाइन करने एवं चलाने की प्रक्रिया शुरू करें। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (State Council of Educational Research and Training- SCERT) से पाठ्यक्रम को डिज़ाइन करने की उम्मीद है, जो SCERT के पर्यवेक्षण और नियंत्रण के तहत ज़िला शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्थान (District Institute of Education and Training- DIET) के माध्यम से चलाया या कार्यान्वित किया जाएगा।

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