प्रिलिम्स फैक्ट्स (21 Sep, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 21 सितंबर, 2021

तांगानिका झील: पूर्वी अफ्रीका

Lake Tanganyika: East Africa

सेव द चिल्ड्रन (एक मानवीय संगठन) की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में पूर्वी अफ्रीका के बुरुंडी में प्रवास मुख्य रूप से तांगानिका झील के तेज़ी से और महत्त्वपूर्ण वृद्धि के कारण देखा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह पूर्वी अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी झील है जो लगभग 12,700 वर्ग मील में फैली है।
  • यह विश्व की सबसे लंबी मीठे पानी की झील है और रूस में बैकाल झील के बाद दूसरी सबसे गहरी है।
  • यह झील चार देशों- बुरुंडी, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), तंजानिया और जाम्बिया में विभाजित है।
  • यह पूर्वी और पश्चिमी अफ्रीका के पुष्प क्षेत्रों और पाम ऑयल को विभाजित करने वाली रेखा पर स्थित है, जो कि पश्चिमी अफ्रीका की वनस्पतियों की विशेषता है, ये झील के किनारे उगते हैं।
  • झील से निकलने वाली सबसे बड़ी नदियाँ मालागारसी, रूज़िज़ी और कलम्बो हैं। इनका निकास द्वार लुकुगा नदी है, जिनका बहाव लुआलाबा नदी में है।
  • चावल और निर्वाह फसलें तटों के किनारे उगाई जाती हैं। यहाँ दरियाई घोड़े और मगरमच्छ प्रचुर मात्रा में हैं और कई प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं।

Tanzania


हाइबोडॉन्ट शार्क की नई प्रजाति

New Species of Hybodont Shark

हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) एवं  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की ने राजस्थान के जैसलमेर बेसिन में हाइबोडॉन्ट शार्क (Hybodont Shark) की एक नई विलुप्त प्रजाति की खोज की है।

  •  भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) खान मंत्रालय के तहत एक वैज्ञानिक एजेंसी है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान की जानकारी के संग्रहण हेतु कार्यरत है।

Hybodont-Shark

प्रमुख बिंदु

  • नई खोजी गई प्रजातियाँ:
    • जैसलमेर से खोजे गए नए टूटे हुए दाँत अनुसंधान दल द्वारा नामित एक नई प्रजाति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका नाम स्ट्रोफोडसजैसलमेरेंसिस (Strophodusjaisalmerensis) है। 
      • भारतीय उपमहाद्वीप से पहली बार जीनस स्ट्रोफोडस की पहचान की गई है तथा यह एशिया से केवल तीसरा ऐसा मामला है। इसके पहले जापान और थाईलैंड में ऐसी प्रजाति पाई गई थी। 
    • राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र के जुरासिक चट्टानों (लगभग 160 और 168 मिलियन वर्ष पुरानी) से पहली बार हाइबोडॉन्ट शार्क की जानकारी मिली है।
  • हाइबोडॉन्ट शार्क:
    • ट्राइसिक और प्रारंभिक जुरासिक काल के दौरान हाइबोडॉन्ट्स का पर्यावास समुद्री और ताज़े जल दोनों पारिस्थितिकी क्षेत्र पर था।
    • हालाँकि जब तक उन्होंने खुले-समुद्री शार्क संयोजनों का अपेक्षाकृत एक लघु घटक नहीं निर्मित कर लिया उसके पूर्व मध्य जुरासिक के बाद से ही समुद्री वातावरण में हाइबोडॉन्ट्स शार्क की संख्या में गिरावट आती गई। 
    • वे अंततः 65 मिलियन वर्ष पूर्व क्रिटेशियस काल में विलुप्त हो गए थे।
  • जीवाश्म का महत्त्व:
    • यह खोज राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में जुरासिक कशेरुकी जीवाश्मों के अध्ययन में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है और कशेरुकी जीवाश्मों के क्षेत्र में आगे किये जाने वाले शोधों के लिये नए द्वार खोलती है।
  • भूगर्भिक समय-सारणी:

Phanerozoic


समुद्र शक्ति अभ्यास

Exercise Samudra Shakti

भारत और इंडोनेशिया के बीच समुद्री अभ्यास 'समुद्र शक्ति' (Samudra Shakti) का तीसरा संस्करण 20-22 सितंबर, 2021 तक सुंडा जलडमरूमध्य में आयोजित किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • संदर्भ:
    • भारत की एक्ट ईस्ट नीति के अनुसरण में अभ्यास 'समुद्र शक्ति' की कल्पना वर्ष 2018 में द्विपक्षीय IN-IDN अभ्यास के रूप में की गई थी।
    • इस अभ्यास का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना, दोनों नौसेनाओं के बीच समुद्री संचालन में आपसी समझ और अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना है।
  • भारत की भागीदारी:
    • इसमें भाग लेने वाले भारतीय नौसेना के जहाज़ शिवालिक (Shivalik) और कदमत (Kadmatt) क्रमशः नवीनतम स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित मल्टी-रोल गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट और एंटी-सबमरीन कार्वेट हैं।
    • भारतीय नौसेना का पनडुब्बी-रोधी युद्ध सक्षम लंबी दूरी का समुद्री टोही विमान P8I भी अभ्यास में भाग ले रहा है।
  • इंडोनेशिया के साथ अन्य अभ्यास:
    • गरुड़ शक्ति (सैन्य अभ्यास)
    • इंड-इंडो काॅर्पेट, इंड-इंडो बिलट (सैन्य अभ्यास)

नोट: 

  • गरुड़ भारत और फ्राँस के बीच एक द्विपक्षीय हवाई अभ्यास है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 सितंबर, 2021

ब्रिगेडियर एस.वी. सरस्वती: राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार

हाल ही में सैन्य नर्सिंग सेवा की उपमहानिदेशक ब्रिगेडियर ‘एस.वी. सरस्वती’ को राष्ट्रपति द्वारा ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार-2020’ से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्वारा यह पुरस्कार नर्स प्रशासक के रूप में ब्रिगेडियर ‘एस.वी. सरस्वती’ के सैन्य नर्सिंग सेवा में महत्त्वपूर्ण योगदान को देखते हुए दिया गया है। ‘राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ ऐसा सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान है, जिसे किसी नर्स को उसकी निःस्वार्थ सेवा और असाधारण कार्यकुशलता के लिये प्रदान किया जाता है। ब्रिगेडियर सरस्वती आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले की रहने वाली हैं और उन्होंने 28 दिसंबर, 1983 को सैन्य नर्सिंग सेवा में कार्य शुरू किया था। उन्होंने सैन्य नर्सिंग के क्षेत्र में साढ़े तीन दशक से अधिक समय तक सेवा की है। एक प्रसिद्ध ऑपरेशन थिएटर नर्स के रूप में ब्रिगेडियर सरस्वती ने 3,000 से अधिक जीवनरक्षक तथा आपातकालीन सर्जरी में सहायता की है और अपने कॅरियर में बहुत से रेज़ीडेंट, ऑपरेशन रूम नर्सिंग प्रशिक्षुओं एवं सहायक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। सैनिकों और उनके परिवारों के लिये नर्सिंग सेवाओं में उनके विशिष्ट योगदान के चलते उन्हें ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ कमेंडेशन’ (2005), ‘संयुक्त राष्ट्र मेडल’ (2007) और ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन’ (2015) से भी सम्मानित किया गया है। 

ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट: विश्व बैंक

विश्व बैंक ने हाल ही में वर्ष 2018 और वर्ष 2020 के संस्करणों में ‘डेटा अनियमितताओं’ की आंतरिक रिपोर्टों और बैंक कर्मचारियों से जुड़े संभावित ‘नैतिक मामलों’ की जाँच के बाद ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस  रिपोर्ट’ को बंद करने का निर्णय लिया है। विश्व बैंक द्वारा की गई आंतरिक जाँच के मुताबिक, तत्कालीन विश्व बैंक के अध्यक्ष ‘जिम योंग किम’ और तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी ‘क्रिस्टालिना जॉर्जीवा’ तथा उनके एक सलाहकार के दबाव में विश्व बैंक के कर्मचारियों ने ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में सुधार करने हेतु चीन के डेटा में बदलाव किया था। गौरतलब है कि क्रिस्टालिना जॉर्जीवा वर्तमान में ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ की प्रबंध संचालक’ (MD) हैं। विश्व बैंक द्वारा इस रिपोर्ट को सर्वप्रथम वर्ष 2003 में पेश किया गया था और यह एक व्यवसाय को प्रभावित करने वाले दस मापदंडों पर विश्व की कुल 190 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार नियमों और उनके प्रवर्तन का आकलन प्रदान करती है। इस रिपोर्ट के तहत ‘डिस्टेंस-टू-फ्रंटियर’ (DTF) स्कोर के आधार पर देशों को रैंक प्रदान की जाती थी, जो सर्वोत्तम वैश्विक अभ्यासों के संबंध में किसी एक विशिष्ट अर्थव्यवस्था के अंतर को उजागर करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 21 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों और नागरिकों के बीच शांति व्यवस्था कायम रखने के लिये प्रयास करना एवं अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों तथा विवादों पर विराम लगाना है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम ‘रिकवरिंग बेटर फॉर एन इक्विटेबल एंड सस्टेनेबल वर्ल्ड’ रखी गई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिवस को अहिंसा और संघर्ष विराम के अवलोकन के माध्यम से शांति के आदर्शों को मज़बूत करने हेतु एक दिवस के रूप में घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 में अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाने की घोषणा की थी, जिसके पश्चात् पहली बार वर्ष 1982 में इस दिवस का आयोजन किया गया था। वर्ष 1982 से लेकर वर्ष 2001 तक सितंबर माह के तीसरे मंगलवार को विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता था, किंतु वर्ष 2002 से इसके लिये 21 सितंबर की तारीख निर्धारित कर दी गई है।

विश्व बाँस दिवस

वैश्विक स्तर पर बाँस उद्योग के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 18 सितंबर को ‘विश्व बाँस दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य बाँस के लाभों के संबंध में जागरूकता फैलाना और रोज़मर्रा के उत्पादों में इसके उपयोग को बढ़ावा देना है। वर्ष 2009 में बैंकाक (थाईलैंड) में आयोजित 8वीं विश्व बाँस काॅन्ग्रेस में ‘विश्व बाँस संगठन’ ने आधिकारिक रूप से 18 सितंबर को विश्व बाँस दिवस (WBD) मनाए जाने की घोषणा की थी। विश्व बाँस संगठन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण की रक्षा के लिये इसके स्थायी उपयोग सुनिश्चित करने हेतु दुनिया भर में बाँस की खेती को बढ़ावा देना और साथ ही सामुदायिक आर्थिक विकास के लिये स्थानीय रूप से इसके पारंपरिक उपयोग को बढ़ावा देना है। बाँस को ‘ग्रीन गोल्ड’ के रूप में भी जाना जाता है। बाँस का विकास काफी तेज़ी से होता है और इसमें बहुमुखी क्षमता मौजूद होती है।