ऑरोरा, सोलर फ्लेयर्स, CMEs और सोलर स्टॉर्म
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आए सोलर स्टॉर्म्स और तेज़ सोलर साइकिल के दौरान कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) की वजह से उत्तरी गोलार्द्ध में रंगीन रोशनी उत्पन्न हुई, जो आर्कटिक क्षेत्र से दूर तक दिखाई दे रही थी।
सोलर साइकिल, सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) और सोलर स्टॉर्म क्या हैं?
- सोलर साइकिल/सौर चक्र: सौर चक्र सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का लगभग 11 वर्षीय चक्र है, जिसके दौरान इसकी चुंबकीय गतिविधि बढ़ती और घटती रहती है। सूर्य प्रत्येक चक्र के दौरान अपनी चुंबकीय ध्रुवता को पूरी तरह उलट देता है, जिसमें इसके उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव स्थान बदलते रहते हैं।
- यह चक्र सौर सतह गतिविधि को प्रभावित करता है, जिसमें सन स्पॉट्स (सूर्य की सतह पर छोटे, काले और ठंडे क्षेत्र), सौर ज्वालाएँ और CME शामिल हैं।
- इस चक्र की निगरानी सन स्पॉट्स की गणना करके की जाती है, जो सौर गतिविधि के न्यूनतम होने पर सौर न्यूनतम से शुरू होकर सौर गतिविधि के चरम पर पहुँचने तक चलती है।
- सौर ज्वालाएँ (सोलर फ्लेयर्स): सन स्पॉट्स के आसपास की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ अक्सर उलझ जाती हैं, एक-दूसरे को काटती हैं और फिर से संरेखित हो जाती हैं, इस प्रक्रिया से अत्यधिक ऊर्जा विस्फोट उत्पन्न होते हैं जिन्हें सौर ज्वालाएँ (सोलर फ्लेयर्स) कहा जाता है। ये ज्वालाएँ अंतरिक्ष में तीव्र विकिरण उत्सर्जित करती हैं। शक्तिशाली सौर ज्वालाएँ पृथ्वी पर रेडियो संचार में बाधा डाल सकती हैं तथा उपग्रहों व अंतरिक्ष यात्रियों के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
- कोरोनाल मास इजेक्शन (CME): सौर ज्वालाएँ अक्सर CME के साथ होती हैं, जो सूर्य की सबसे बाहरी परत- कोरोना से प्लाज़्मा और चुंबकीय क्षेत्र का विशाल निष्कासन है। जब सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ तेज़ी से पुनर्गठित होती हैं, जिससे CME तेज़ गति से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होते हैं।
- सौर तूफान (सोलर स्टॉर्म): सोलर स्टॉर्म (भू-चुंबकीय तूफान/जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म) तब उत्पन्न होते हैं जब सूर्य पर किसी बड़े चुंबकीय विस्फोट (जो प्रायः CME और सौर ज्वाला के साथ होता है) के कारण सूर्य के वायुमंडल के आवेशित कण अत्यधिक तेज़ गति से अंतरिक्ष में प्रवाहित हो जाते हैं।
- जब कोई CME (कोरोनल मास इजेक्शन) पृथ्वी तक पहुँचती है तो यह मैग्नेटोस्फीयर के साथ परस्पर क्रिया करती है, उसे संकुचित और अस्थिर करती है तथा ऊर्जावान सौर वायु कणों को ध्रुवों के पास वायुमंडल में प्रवेश करने देती है।
- पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर, जो उसके चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा उत्पन्न होता है, सामान्य परिस्थितियों में चंद्रमाओं को इन सौर कणों से बचाता है।
ऑरोरा क्या हैं?
- ऑरोरा: ऑरोरा रात के आकाश में दिखाई देने वाला एक मनमोहक प्राकृतिक प्रकाश प्रदर्शन है, जिसमें नीले, लाल, पीले, हरे और नारंगी जैसे बदलते रंग दिखाई देते हैं। हरे-पीले ऑरोरा सबसे सामान्य हैं, जो निम्न ऊँचाई पर आयनों के ऑक्सीजन परमाणुओं से टकराने के कारण होते हैं।
- ऑरोरा का निर्माण: ऑरोरा तब होता है जब सूर्य से आवेशित कण, सौर वायु द्वारा प्रवाहित होकर, पृथ्वी पर पहुँचते हैं।
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इन कणों को ध्रुवों की ओर निर्देशित करता है, जहाँ वे ऊपरी वायुमंडल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसी गैसों से टकराते हैं।
- इन टक्करों से गैसें उत्तेजित हो जाती हैं और प्रकाश उत्सर्जित करती हैं, जिससे रंग-बिरंगे दृश्य बनते हैं जिन्हें हम ऑरोरा के रूप में देखते हैं।
- कौन-सा रंग बनेगा यह गैस के प्रकार और टक्कर की ऊँचाई पर निर्भर करता है।
- भौगोलिक विस्तार: ऑरोरा आमतौर पर आर्कटिक और अंटार्कटिक वृत्तों (लगभग 66.5° उत्तर और दक्षिण) के पास देखे जाते हैं। यह दो प्रकार का होता है:
- ऑरोरा बोरियालिस: नॉर्दर्न लाइट्स, जिसे ऑरोरा बोरियालिस कहा जाता है, उत्तरी ध्रुव के पास होती है और आमतौर पर नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, कनाडा और अलास्का में दिखाई देती है।
- ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस: सदर्न लाइट्स, जिसे ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस कहा जाता है, दक्षिणी ध्रुव के पास होती है और अंटार्कटिका, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और चिली में दिखाई देती है।
- पूर्वानुमान: केपी-इंडेक्स (प्लैनेटरी K-इंडेक्स) एक वैश्विक 0–9 पैमाना है, जो सौर पवन से उत्पन्न पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में असंतुलन के स्तर को मापता है तथा भू-चुंबकीय तूफान (जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म) की तीव्रता का संकेत देता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. सोलर साइकिल (सौर चक्र) क्या है?
सौर चक्र सूर्य की चुंबकीय गतिविधि का लगभग 11 वर्षीय चक्र होता है, जिसमें सनस्पॉट, सौर ज्वालाओं (solar flares) और कोरोनल मास इजेक्शन्स (CMEs) की तीव्रता में असंतुलन देखने को मिलता है। प्रत्येक चक्र के दौरान सूर्य के चुंबकीय ध्रुव एक-दूसरे की जगह बदलते रहते हैं।
2. कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) क्या हैं?
CMEs सूरज से निकलने वाले चार्ज्ड पार्टिकल्स के बड़े बर्स्ट होते हैं, जो अक्सर सोलर फ्लेयर्स के साथ होते हैं, और धरती पर जियोमैग्नेटिक तूफान ला सकते हैं।
3. ऑरोरा कैसे बनते हैं?
ऑरोरा तब बनते हैं जब सोलर विंड आयन, आयनोस्फीयर में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से टकराते हैं, जिससे जियोमैग्नेटिक पोल के पास रंगीन रोशनी उत्सर्जित होती है।
4. सोलर स्टॉर्म का धरती पर क्या असर होता है?
सोलर स्टॉर्म पावर ग्रिड, सैटेलाइट, रेडियो कम्युनिकेशन और एयर ट्रैफिक पर असर डाल सकते हैं, साथ ही पोल से दूर दिखने वाले शानदार ऑरोरा भी उत्पन्न कर सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. यदि कोई मुख्य सौर तूफ़ान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में कौन-से संभव प्रभाव होंगे? (2022)
- GPS और दिक्संचालन (नेविगेशन) प्रणालियाँ विफल हो सकती हैं।
- विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
- बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
- पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
- ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
- उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।
नीचे दिये कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये :
(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1,3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7
उत्तर: (c)
प्रश्न. अंतरिक्ष में कई सौ किमी/से. की गति से यात्रा कर रहे विद्युत-आवेशी कण यदि पृथ्वी के धरातल पर पहुँच जाएँ तो जीव-जंतुओं को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं। ये कण किस कारण से पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँच पाते? (2012)
(a) पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति उन्हें ध्रुवों की ओर मोड़ देती है,
(b) पृथ्वी के इर्द-गिर्द की ओज़ोन परत उन्हें बाह्य अंतरिक्ष में परावर्तित कर देती है,
(c) वायुमंडल की ऊपरी पर्तों में उपस्थित आर्द्रता उन्हें पृथ्वी के धरातल पर नहीं पहुँचने देती
(d) उपर्युक्त कथनों (a), (b) और (c) में से कोई भी सही नहीं हैं।
उत्तर: (a)
मेन्स:
प्रश्न. ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस और ऑरोरा बोरियालिस क्या हैं? ये कैसे उत्प्रेरित होते हैं? (2024)
रानी लक्ष्मीबाई की जयंती
भारत के प्रधानमंत्री ने रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
- रानी लक्ष्मीबाई: इन्हें मणिकर्णिका के नाम से भी जाना जाता है। यह मराठा शासित झाँसी रियासत की रानी और सन् 1857 के विद्रोह की अग्रणी व्यक्तित्वों में से एक थीं।
- वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध साहस और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में स्मरण की जाती हैं।
- प्रारंभिक जीवन: इनका जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में मणिकर्णिका के रूप में हुआ था, रानी लक्ष्मीबाई ने बचपन में ही घुड़सवारी, बंदूक चलाना और तलवारबाज़ी का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
- उनके बालसखा नाना साहेब और तात्या टोपे थे, जो आगे चलकर सन् 1857 के विद्रोह के प्रमुख नेता बने।
- मणिकर्णिका से रानी लक्ष्मीबाई: 14 वर्ष की आयु में मणिकर्णिका का विवाह महाराजा गंगाधर राव से हुआ और वे रानी लक्ष्मीबाई बनीं।
- अपने नवजात पुत्र की मृत्यु के बाद, उन्होंने और महाराजा ने उत्तराधिकार सुरक्षित करने के लिये राजपरिवार के दामोदर राव को गोद लिया।
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: 1853 में महाराजा की मृत्यु के बाद ब्रिटिशों ने हड़प नीति का हवाला देते हुए दामोदर राव के दावे को खारिज कर दिया। यह नीति किसी शासक की बिना किसी स्वाभाविक पुरुष उत्तराधिकारी के मृत्यु होने पर रियासत का विलय करने की अनुमति देती थी।
- रानी लक्ष्मीबाई ने इसका प्रखर विरोध किया और 1857 के विद्रोह में अपनी सेना का नेतृत्व किया। वे 17 जून, 1858 को युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुईं।
- विरासत: सुभाष चंद्र बोस द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय सेना ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के योगदान के सम्मान में झाँसी की रानी के नाम पर एक महिला रेजिमेंट का गठन किया।
| और पढ़ें: रानी लक्ष्मीबाई |
इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती
भारत ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को उनकी 108वीं जयंती के मौके पर नई दिल्ली में उनके स्मारक शक्ति स्थल पर श्रद्धांजलि दी।
- 19 नवंबर, 1917 को इलाहाबाद में जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर जन्मी इंदिरा गांधी भारत की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री बनीं, उन्होंने वर्ष 1966 से 1977 तक, फिर वर्ष 1980 से 1984 तक प्रधानमंत्री का पद सॅंभाला।
- आज़ादी की लड़ाई में भूमिका: बचपन में उन्होंने 'बाल चरखा संघ' और वर्ष 1930 में असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की मदद के लिये बच्चों की 'वानर सेना' बनाई।
- वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था।
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योगदान:
- बैंक राष्ट्रीयकरण (1969): इंदिरा गांधी ने ऋण पहुॅंच का विस्तार करने, ग्रामीण विकास को समर्थन देने और बैंकिंग को सामाजिक कल्याण लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिये 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।
- हरित क्रांति: चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-1974) के दौरान, उन्होंने उच्च उपज देने वाली किस्म के बीजों, उर्वरक और सिंचाई सब्सिडी को बढ़ावा दिया, जिसका उद्देश्य खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देना और भारत को खाद्यान्न आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद करना था।
- वर्ष 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध: मुक्ति वाहिनी का समर्थन करते हुए भारत के निर्णायक हस्तक्षेप का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का गठन हुआ, साथ ही भारत की भू-राजनीतिक शक्ति प्रदर्शित हुई।
- प्रिवी पर्स का उन्मूलन (1971): 26वें संविधान संशोधन के माध्यम से राजसी अधिकारों को समाप्त किया गया, समानता को बढ़ावा दिया गया और सामंती विशेषाधिकारों को हटाया गया।
- भारत के परमाणु कार्यक्रम को सुदृढ़ बनाना: वर्ष 1974 के पोखरण-I परीक्षण (स्माइलिंग बुद्धा) सहित भारत की परमाणु क्षमता और वैज्ञानिक संस्थानों के विकास की देखरेख की।
- सामाजिक कल्याण उपाय: गरीबी उन्मूलन और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने हेतु ‘गरीबी हटाओ’ अभियान के तहत योजनाएँ शुरू की।
- राष्ट्रीय आपातकाल (1975–1977): इंदिरा गांधी के कार्यकाल में ‘आंतरिक अशांति’ का हवाला देते हुए राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया, जिसके दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया तथा प्रेस पर सेंसरशिप लागू की गई।
- प्रकाशन: द इयर्स ऑफ चैलेंज (1966-69), द इयर्स ऑफ़ एंडेवर (1969-72), इंडिया (1975) और इंडे (Inde) (1979)।
- सम्मान: उन्हें वर्ष 1972 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, इसके अलावा उन्हें बांग्लादेश मुक्ति के लिये मेक्सिकन अकादमी पुरस्कार (1972), FAO का दूसरा वार्षिक पदक (1973) और अमेरिकी मदर अवार्ड तथा अर्जेंटीना की एनीमल प्रोटेक्शन सोसाइटी से डिप्लोमा ऑफ ऑनर (1971) प्राप्त हुआ, जो उनकी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
| और पढ़ें: इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार |



