प्रिलिम्स फैक्ट्स (20 May, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 20 मई, 2021

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस

International Museums Day

संग्रहालयों के संदर्भ में लोगों में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रत्येक वर्ष 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस (International Museums Day) मनाया जाता है।

  • वर्ष 2021 की थीम: “संग्रहालयों का भविष्य: पुनर्प्राप्ति और पुन: कल्पना” (The Future of Museums: Recover and Reimagine)

प्रमुख बिंदु

  • इतिहास: इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1977 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (International Council of Museums- ICOM) द्वारा की गई थी।

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM):

  • ICOM एक सदस्यता संघ और एक गैर-सरकारी संगठन है जो संग्रहालय संबंधी गतिविधियों के लिये पेशेवर एवं नैतिक मानक स्थापित करता है। संग्रहालय क्षेत्र में यह एकमात्र वैश्विक संगठन है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1946 में की गई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है।
  • यह संग्रहालय पेशेवरों (138 से अधिक देशों में 40,000 से अधिक सदस्य) के एक नेटवर्क के रूप में कार्य करता है।
  • ICOM की रेड लिस्ट (खतरे में रहने वाले सांस्कृतिक वस्तुओं से संबंधी), सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध यातायात को रोकने के लिये व्यावहारिक उपकरण है।
    • रेड लिस्ट सांस्कृतिक वस्तुओं की उन श्रेणियों को प्रस्तुत करती है जिनके चोरी होने या किसी अन्य खतरे का डर रहता है।

भारत में संग्रहालयों का प्रशासन:

  • विभिन्न संग्रहालयों का प्रभार अलग-अलग मंत्रालयों के पास है अर्थात् सभी संग्रहालय केवल संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रशासित नहीं हैं। 
  • कुछ संग्रहालयों को ट्रस्टी बोर्ड के तहत मुट्ठी भर लोगों द्वारा सरकारी समर्थन के बिना प्रशासित किया जाता है।
  • संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 49 में राष्ट्रीय महत्त्व के रूप में घोषित कलात्मक या ऐतिहासिक स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं की रक्षा करने का प्रावधान है।

संग्रहालय से संबंधित पहलें:

  • संग्रहालय अनुदान योजना:
    • संस्कृति मंत्रालय नए संग्रहालयों की स्थापना के लिये सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत राज्य सरकारों और समितियों, स्वायत्त निकायों, स्थानीय निकायों तथा ट्रस्टों को इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
    • इसका उद्देश्य क्षेत्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर मौज़ूदा संग्रहालयों को मज़बूत तथा आधुनिक बनाना है।
  • भारतीय संग्रहालयों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और डिजिटल रिपोजिटरी (संस्कृति मंत्रालय के तहत) को संग्रहालयों के संग्रह के डिजिटलीकरण के लिये शुरू किया गया है।

भारत में उल्लेखनीय संग्रहालय

  • राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली (संस्कृति मंत्रालय के अधीन अधीनस्थ कार्यालय)
  • राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली
  • सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद
  • भारतीय संग्रहालय, कोलकाता
  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण साइट संग्रहालय, गोवा
  • प्राकृतिक इतिहास का राष्ट्रीय संग्रहालय (NMNH), नई दिल्ली

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 मई, 2021

तरल ऑक्सीजन का कम दबाव वाले ऑक्सीजन में परिवर्तन

हाल ही में सेना के इंजीनियरों ने कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की सहायता के लिये तरल ऑक्सीजन को कम दबाव वाले ऑक्सीजन में परिवर्तित करने हेतु एक नई विधि खोजी है। वर्तमान में ऑक्सीजन को क्रायोजेनिक टैंकों में तरल रूप में ले जाया जाता है, जिसकी वजह से तरल ऑक्सीजन को ऑक्सीजन गैस में बदलने और रोगियों के बेड तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना सभी अस्पतालों के लिये एक प्रमुख चुनौती थी। ऐसे में भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा की गई खोज इस चुनौती से निपटने में काफी मददगार साबित होगी। यह प्रणाली आर्थिक रूप से कम लागत वाली है और संचालित करने के लिये सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडर में उच्च गैस दबाव को कम करती है और इसे संचालित करने के लिये किसी प्रकार की बिजली की आपूर्ति की आवश्यकता भी नहीं होती है। ज्ञात हो कि भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा यह विधि ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (CSIR) तथा ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (DRDO) के सहयोग से विकसित की गई है। सीधे कोविड-19 संक्रमित रोगी के बेड पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर ऑक्सीजन की निरंतर पहुँच सुनिश्चित करने के लिये समूह ने छोटी क्षमता (250 लीटर) के एक स्व-दबाव वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग किया और इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए वेपोराइज़र के माध्यम से संसाधित किया, जिसे प्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जा सकता है।

राजस्थान में ‘म्युकरमाइकोसिस’ महामारी घोषित 

राजस्थान में ‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्युकरमाइकोसिस’ को महामारी (Epidemic) घोषित किया गया है। राज्य में इस बीमारी के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह मुख्य रूप से कोविड संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों को प्रभावित करती है। राजस्थान महामारी अधिनियम-2020 के तहत ‘ब्लैक फंगस’ को एक महामारी और गंभीर बीमारी के रूप में अधिसूचित किया गया है। इसी के साथ स्वास्थ्य सुविधाओं और अधिकारियों के लिये राज्य में ‘ब्लैक फंगस’ अथवा ‘म्युकरमाइकोसिस’ के प्रत्येक मामले की रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा। यह कदम ‘ब्लैक फंगस’ और कोरोना वायरस के एकीकृत एवं समन्वित उपचार को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। ‘ब्लैक फंगस’ यानी ‘म्युकरमाइकोसिस’ एक गंभीर लेकिन दुर्लभ कवक संक्रमण है। यह  म्युकरमायसिटिस (Mucormycetes) नामक फफूँद (Molds) के कारण होता है, जो पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएंँ हैं या वे ऐसी दवाओं का सेवन करते हैं, जो कीटाणुओं और बीमारी से लड़ने की शरीर की क्षमता को कम करती हैं। इसके अलावा डायबिटीज़/मधुमेह से पीड़ित लोगों को भी ‘ब्लैक फंगस’ संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

COP26 पीपल्स एडवोकेट

इस वर्ष नवंबर में ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन’ के दौरान ब्रिटेन की अध्यक्षता के लिये विश्व प्रसिद्ध प्राकृतिक इतिहासकार सर डेविड एटनबरो को ‘COP26 पीपल्स एडवोकेट’ नामित किया गया है। प्रसिद्ध संरक्षणवादी सर डेविड एटनबरो को वैश्विक नेताओं, प्रमुख निर्णय निर्माताओं और आम जनता को जलवायु कार्रवाई के महत्त्व के प्रति जागरूक करने, मौजूदा प्रगति पर वार्ता करने और COP26 के दौरान लिये जाने वाले निर्णयों और कार्रवाइयों को उजागर करने का कार्य सौंपा गया है। इसके अलावा ‘COP26 पीपल्स एडवोकेट’ के रूप में 95 वर्षीय डेविड एटनबरो आगामी छह माह में प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान वैश्विक नेताओं को संबोधित करेंगे, जिसमें जून में कॉर्नवल (इंग्लैंड) में आयोजित होने वाला G7 शिखर सम्मेलन भी शामिल है, ताकि जलवायु और प्रकृति की रक्षा संबंधी मुद्दे को वैश्विक एजेंडे में प्राथमिक स्थान दिया जा सके। 

नीलम संजीव रेड्डी

19 मई, 2021 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व राष्‍ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुरम ज़िले के इलूर गाँव में हुआ था। वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। वर्ष 1937 में वे आंध्र प्रांतीय काॅॅन्ग्रेस समिति (APCC) के सबसे कम उम्र के सचिव बने। वर्ष 1940-45 के दौरान उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के लिये कई बार कारावास भेजा गया। रेड्डी का विधायी कॅॅरियर वर्ष 1946 में तब शुरू हुआ जब वे मद्रास विधानसभा के लिये चुने गए और मद्रास काॅॅन्ग्रेस विधायक दल के सचिव बने। उन्होंने वर्ष 1956–60 और 1962–64 में नवगठित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। 25 जुलाई, 1977 को नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध रूप से देश का छठा राष्ट्रपति चुन लिया गया, और इसी के साथ वे देश के सबसे कम आयु (64 वर्ष) के राष्ट्रपति भी बने। वर्ष 1996 में 83 वर्ष की आयु में डॉ. नीलम संजीव रेड्डी का उनके पैतृक स्थान पर निधन हो गया।