प्रिलिम्स फैक्ट्स (18 Feb, 2020)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 18 फरवरी, 2020

रैपिडजेन

RapidGen

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) ने फसल चक्रों के समय को कम करने के उद्देश्य से भारत की पहली सार्वजनिक अनुसंधान सुविधा रैपिडजेन (RapidGen) शुरू की।

मुख्य बिंदु:

  • रैपिडजेन (रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट के लिये एक उपनाम) तकनीक पौधों के जीवन चक्र के दौरान प्रकाश, तापमान और आर्द्रता नियंत्रित करने वाली स्थितियों में तेज़ी लाएगी।
  • इस सुविधा से फसल उत्पादन के समय एवं लागत में कमी आएगी।
  • वर्तमान में एक नई फसल की किस्म तैयार करने में लगभग एक दशक या उससे अधिक समय लगता है, जबकि नई सुविधा से यह कार्य 6-7 वर्षों में ही पूरा हो जाएगा।
  • विशेषज्ञों ने बताया है कि इस सुविधा से नई फसल की किस्म तैयार करने का समय कम हो जाएगा जो अपेक्षाकृत अधिक उपज देने वाली होती हैं और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिये अधिक उपयुक्त हैं।

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT):

  • ICRISAT एक गैर-लाभकारी कृषि अनुसंधान संगठन है। इसका मुख्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) में है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1972 में फोर्ड एवं रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा बुलाए गए संगठनों के एक संघ द्वारा की गई थी।
  • इसके चार्टर पर खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) ने हस्ताक्षर किये थे।
  • इसके दुनिया भर में कई क्षेत्रीय केंद्र हैं- निआमी (नाइजीरिया), नैरोबी (केन्या) और रिसर्च स्टेशन बामाको (माली), बुलावायो (ज़िम्बाब्वे)।

गौरतलब है कि इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR), राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों, औद्योगिक भागीदार और कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर फसल उत्पादन के समय में कमी लाने का प्रयास कर रहा है।


काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

Kaziranga National Park

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार पूर्वोत्तर भारत में असम राज्य के गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और नागाँव ज़िलों में है।

मुख्य बिंदु:

  • इस राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 250 से अधिक मौसमी जल निकाय (Water Bodies) हैं, इसके अलावा डिपहोलू नदी (Dipholu River ) इसके मध्य से होकर बहती है।

काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में

  • मैरी कर्ज़न ने अपने पति लॉर्ड कर्ज़न के साथ इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित करने की पहल की थी। वर्ष 1905 में काज़ीरंगा प्रस्तावित रिज़र्व फाॅरेस्ट (Kaziranga Proposed Reserve Forest) की स्थापना की गई थी।
  • वर्ष 1950 में इस क्षेत्र का नाम काज़ीरंगा वन्यजीव अभयारण्य रखा गया। जबकि वर्ष 1974 में भारत सरकार ने इस राष्ट्रीय उद्यान को आधिकारिक दर्जा दिया।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया था।
  • वर्ष 2006 में इस उद्यान को टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था। यह विश्व में टाइगर के सबसे अधिक घनत्व वाला क्षेत्र है।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान का प्रशासन असम सरकार के वन विभाग के अंतर्गत आता है।
  • विश्व के दो-तिहाई एक सींग वाले गैंडे काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में ही पाए जाते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-37 इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर गुज़रता है।
  • काज़ीरंगा में जीव-जंतुओं के संरक्षण प्रयासों के तहत चार मुख्य प्रजातियों- राइनो (Rhino), हाथी (Elephant), रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) और एशियाई जल भैंस (Asiatic Water Buffalo) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और कर्नाटक के बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के बाद भारत में धारीदार बिल्लियों की तीसरी सबसे ज़्यादा जनसंख्या काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है ।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, इस स्थान को बर्डलाइफ इंटरनेशनल (BirdLife International) द्वारा एक 'महत्त्वपूर्ण बर्ड एरिया' (Important Bird Area) के रूप में नामित किया गया है।

कंबाला

Kambala

कर्नाटक के कंबाला (Kambala) सुपर स्प्रिंटर श्रीनिवास गौड़ा (Srinivasa Gowda) कीचड़ युक्त खेतों में विश्व के सबसे तेज़ धावक उसेन बोल्ट (Usain Bolt) की तुलना में अधिक तेज़ दौड़ने के कारण चर्चा में रहे।

Kambala

मुख्य बिंदु:

  • कंबाला (Kambala) त्योहार भारत के कर्नाटक राज्य के तटीय इलाकों में आयोजित की जाने वाली दो दिवसीय भैंसा दौड़ प्रतियोगिता है।
  • इस प्रतियोगिता का आयोजन नवंबर से मार्च तक होता है, इसमें किसान हल के साथ भैंसों के जोड़े को बाँधकर कीचड़ के समानांतर पथों (Parralel Muddy Tracks) पर दौड़ते हैं। इसमें सबसे तेज़ भागने वाली टीम विजयी होती है।
  • इस त्योहार को कृषक समुदाय अच्छी फसल प्राप्त करने हेतु ईश्वर को खुश के लिये मनाता है। यह त्योहार तमिलनाडु के जल्लीकट्टू त्योहार जैसा है किंतु इसमें भैंसों को शामिल किया जाता है जबकि जल्लीकट्टू में बैलों को शामिल किया जाता है।
  • वर्ष 2014 में पशु कल्याण संगठनों द्वारा दायर मुकदमों के आधार पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कंबाला और जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
  • 3 जुलाई, 2017 को भारत के राष्ट्रपति ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (कर्नाटक संशोधन) अध्यादेश, 2017 [11] की घोषणा को मंज़ूरी दे दी और कर्नाटक में कंबाला उत्सव को वैध कर दिया गया है।

ईज़ ऑफ डूइंग हज

Ease of Doing Haj

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने बताया है कि भारत में हज यात्रियों के लिये डिजिटल/ऑनलाइन व्यवस्था हेतु ‘ईज़ ऑफ डूइंग हज’ (Ease of Doing Haj) के लक्ष्य को पूरा किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • भारत हज तीर्थयात्रियों की पूरी प्रक्रिया को पूर्णरुप से डिजिटल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।
  • इस व्यवस्था के ज़रिये भारत से मक्का-मदीना जाने वाले हज यात्रियों को ऑनलाइन आवेदन, ई-वीज़ा, हज पोर्टल, हज मोबाइल एप, भारतीय तीर्थयात्रियों के लिये ई-चिकित्सा सहायता प्रणाली हेतु ई-मसीहा (E-MASIHA), मक्का और मदीना में आवास एवं परिवहन से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिये ‘ई-लगेज प्री टैगिंग’ (E-Luggage Pre-Tagging) नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है।
    • ‘ई-मसीहा’ स्वास्थ्य सुविधा के माध्यम से प्रत्येक हज यात्री की सेहत से जुड़ी सभी जानकारियाँ ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगी। इससे किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मेडिकल सेवा उपलब्ध कराई जा सकेगी।
    • पहली बार हज तीर्थयात्रियों के सामान की डिजिटल प्री-टैगिंग की सुविधाएँ प्रदान की गईं।
    • इसके अंतर्गत हज ग्रुप ऑर्गेनाइज़र्स (Haj Group Organisers- HGOs) का एक पोर्टल भी विकसित किया गया है जिसमें हज ग्रुप ऑर्गेनाइजर्स एवं उनके पैकेज से संबंधित सभी विवरण उपलब्ध होंगे।

गौरतलब है कि भारत ने सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय वार्षिक हज 2020 समझौते पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये थे।


रानी कमलापति

Rani Kamlapati

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गोंड रानी कमलापति (Rani Kamlapati) की 32 फुट ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया।

Rani-Kamlapati

मुख्य बिंदु:

  • 1710 के दशक में भोपाल की ऊपरी झील के आसपास के क्षेत्र को मुख्य रूप से भील एवं गोंड जनजातियों द्वारा बसाया गया था।
  • स्थानीय गोंड सरदारों में सबसे शक्तिशाली निज़ाम शाह ने अपने क्षेत्र पर गिन्नौर किले से शासन किया था। वर्तमान में गिन्नौर का किला मध्य प्रदेश के सिहोर ज़िले में है।
  • गिन्नोर को एक अभेद्य किला माना जाता था जो लगभग 2000 फुट ऊँची चट्टान के शिखर पर स्थित था और घने जंगलों से घिरा हुआ था।
  • चौधरी कृपा-रामचंद्र की बेटी रानी कमलापति निज़ाम शाह की सात पत्नियों में से एक थी। वह अपनी सुंदरता एवं प्रतिभा के लिये प्रसिद्ध थी। स्थानीय किवदंतियों में उन्हें परी से भी अधिक सुंदर बताया गया है।
  • निज़ाम शाह की मृत्यु के बाद कुछ समय तक रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान (Dost Mohammad Khan) की मदद से इस क्षेत्र पर शासन किया।

अर्बन लिज़ार्ड

Urban Lizard

असम के गुवाहाटी में छिपकली की एक नई प्रजाति अर्बन बेंट- टोऐड गेको (Urban Bent-Toed Gecko) की खोज की गई।

Urban-Lizard

मुख्य बिंदु:

  • इसका वैज्ञानिक नाम सिरोटोडैक्टाइलस अर्बनुस (Cyrtodactylus urbanus) है। अर्बन बेंट- टोऐड गेको को पहले खासी हिल्स छिपकली (Khasi Hills lizard) के समान माना जाता था।
  • पूर्वोत्तर भारत की सभी बेंट- टोऐड गेको को एकल प्रजाति माना जाता था। सिरटोडैक्टाइलस खासीनेसिस (Cyrtodactylus Khasiensis) मुख्य रूप से मेघालय की खासी पहाड़ियों में पाई जाती है।
  • यद्यपि अर्बन बेंट- टोऐड गेको खासीनेसिस समूह के अंतर्गत आती है। यह इस समूह के अन्य सदस्यों से माइटोकॉन्ड्रियल अनुक्रम डेटा और आकृति विज्ञान (जीव विज्ञान की शाखा जो पौधों और जानवरों के रूप और संरचना से संबंधित है) के पहलुओं में भिन्न होती है।
  • छिपकली की नई प्रजाति साइरोडोडैक्टाइलस गुवाहाटीन्सिस (Cyrtodactylus Guwahatiensis) या गुवाहाटी बेंट- टोऐड गेको (Guwahati Bent-Toed Gecko) से आणविक संरचना, पीठ पर धब्बों एवं रंग में भिन्न है। साइरोडोडैक्टाइलस गुवाहाटीन्सिस को दो वर्ष पहले खोजा गया था।
  • शहरीकरण और संकट: बढ़ता शहरीकरण गेकोस (Geckos) के अस्तित्व के लिये एक बड़ा खतरा है।
  • असम का गुवाहाटी शहर कई महत्त्वपूर्ण प्रजातियों का निवास है। इस शहर में ब्रह्मपुत्र नदी के अलावा 18 पहाड़ियाँ, 8 आरक्षित वन, 2 वन्यजीव अभयारण्य और एक रामसर स्थल (दीपोर बील- Deepor Beel) होने के कारण शहरी जैव विविधता (Urban Biodiversity) को पनपने का अवसर मिल जाता है।