उपकर एवं केंद्रीय वित्त में इसकी भूमिका
चर्चा में क्यों?
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) ने उपकर संग्रह को निर्धारित कोषों में स्थानांतरित करने में 3.69 लाख करोड़ रुपए की कमी को रेखांकित किया है, जिससे ऐसे उपकरों के उद्देश्य और उनके समुचित उपयोग पर ध्यान केंद्रित हुआ है।
उपकर लगाने का उद्देश्य क्या है?
- परिचय: अनुच्छेद 270 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त उपकर, भारत सरकार द्वारा किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त कर है। यह संघ सूची में सूचीबद्ध करों या शुल्कों के ऊपर लगाया जाता है।
- उद्देश्य: उपकर, नियमित करों से भिन्न होता है क्योंकि यह एक निर्दिष्ट उद्देश्य के लिये निर्धारित होता है। उपकर का उद्देश्य उसे लगाने वाले कानून में स्पष्ट रूप से उल्लिखित होना चाहिये और यह सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) के बाहर, किसी संघ उद्देश्य के लिये होना चाहिये।
- उपकरों का नाम उनके उद्देश्य के आधार पर रखा जाता है (जैसे शिक्षा उपकर या स्वच्छ भारत उपकर) और उनका उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिये किया जाना चाहिये, उन्हें सामान्य सरकारी व्यय के लिये नहीं लगाया जाना चाहिये।
- संघीय वित्त में भूमिका: संघ द्वारा लगाए गए अधिभारों सहित उपकर से प्राप्त आय को भारत की संचित निधि में जमा किया जाता है तथा उसे करों के विभाज्य पूल से बाहर रखा जाता है, तथा वह संघ के नियंत्रण में रहता है।
अधिभार
- परिचय: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 271 संसद को संघीय उद्देश्यों के लिये कुछ करों और शुल्कों पर अधिभार लगाने का अधिकार देता है।
- यह अधिभार मौजूदा करों एवं शुल्कों के अतिरिक्त है, जिसे प्राय: "कर पर कर" कहा जाता है।
- प्रयोज्यता: यह नियम व्यक्तियों, कंपनियों और कुछ निश्चित आय वर्ग के अन्य करदाताओं पर लागू होता है। आमतौर पर यह तब लागू होता है जब किसी वित्तीय वर्ष में आय 50 लाख रुपए से अधिक हो।
- यह दर आय स्तर और आय के प्रकार के आधार पर भिन्न होती है।
- उद्देश्य और प्रकृति: यह प्रकृति में प्रगतिशील है (उच्च आय वाले अधिक योगदान करते हैं), यह सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है और आय असमानता को दूर करता है
- उच्च आय वाले करदाताओं के लिये कुल कर देयता बढ़ जाती है।
- उपकर बनाम अधिभार: उपकर और अधिभार दोनों को भारत की संचित निधि (CFI) में जमा किया जाता है और राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है, लेकिन उपयोग में भिन्नता होती है।
- अधिभार को अन्य करों की तरह व्यय किया जाता है, जबकि उपकर को अलग से आवंटित किया जाना चाहिये और केवल अपने विशिष्ट उद्देश्य के लिये ही उपयोग किया जाना चाहिये।
- 13वें एवं 14वें वित्त आयोग ने विभाज्य कर पूल से अधिभार को बाहर रखने का समर्थन किया, लेकिन अधिभार राजस्व पर केंद्र की निर्भरता को कम करने की सिफारिश की।
कर एवं उपकर उद्देश्य और उपयोग में किस प्रकार भिन्न हैं?
पहलू |
कर |
उपकर |
परिभाषा |
आय, संपत्ति आदि पर सरकारी कर। |
किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये मौजूदा कर या शुल्क पर अतिरिक्त शुल्क |
राजस्व उपयोग |
संचित निधि, सामान्यतः उपयोग किया जाता है |
संचित निधि में जमा किया गया लेकिन केवल निर्दिष्ट उद्देश्य के लिये उपयोगी |
राज्य साझाकरण |
राज्यों के साथ साझा किया गया |
सामान्यतः, राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता |
उदाहरण |
आयकर, जीएसटी, कॉर्पोरेट कर |
स्वच्छ भारत उपकर, शिक्षा उपकर, कृषि कल्याण उपकर |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. टूथपेस्ट खरीदते समय आप जो बिक्री कर देते हैं वह है (2014)
(a) केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया कर
(b) केंद्र सरकार द्वारा लगाया कर, लेकिन राज्य सरकार द्वारा एकत्रित कर
(c) राज्य सरकार द्वारा लगाया कर, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित कर
(d) राज्य सरकार द्वारा लगाया और एकत्रित कर
उत्तर: (D)
आयकर विधेयक, 2025
संसद के दोनों सदनों ने आयकर विधेयक, 2025 पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य मौज़ूदा आयकर 1961 अधिनियम को सरल, युक्तिसंगत और संक्षिप्त बनाना है।
- विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन अकाउंट, क्लाउड सर्वर, वेबसाइट और डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित किसी भी डिजिटल वातावरण के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यदि इसे बनाए रखा गया, तो कर प्राधिकरण संभावित कर चोरी या कम आय दिखाने की जांच के लिए पासवर्ड तक पहुँच सकते हैं या उन्हें दरकिनार कर सकते हैं और कंपनियों को संभवतः इसमें सहायता करने की आवश्यकता हो सकती है।
- यह 'मूल्यांकन वर्ष' और 'पिछले वर्ष' की दोहरी अवधारणाओं को एक समान 'कर वर्ष (tax year)' से प्रतिस्थापित करता है, जिसे 1 अप्रैल से 31 मार्च तक परिभाषित किया गया है।
- विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तपोषित शिक्षा प्रयोजनों के लिये उदारीकृत धनप्रेषण योजना (LRS) के तहत भेजे जाने वाले धन पर स्रोत पर कर संग्रहण (TCS) नहीं लगेगा।
- जिन व्यक्तियों पर कोई कर देयता नहीं है, वे अग्रिम रूप से स्रोत पर शून्य कर कटौती प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।
- सीमित देयता भागीदारी (LLP) के लिये वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) की प्रयोज्यता को आईटी अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाया गया है।
- AMT यह सुनिश्चित करता है कि कर कटौती और छूट का लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति कम से कम न्यूनतम कर राशि का भुगतान करें।
आयकर
- यह एक प्रत्यक्ष कर है, जो किसी वित्तीय वर्ष के दौरान व्यक्तियों, कंपनियों या अन्य संस्थाओं द्वारा अर्जित आय पर लगाया जाता है। भारत में व्यक्तिगत करदाताओं के लिये यह प्रगतिशील कर स्लैब के अनुसार लगाया जाता है।
- ये स्लैब नए कर शासन के तहत या लागू छूट और कटौतियों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अनुसार, वर्ष 2025-26 में भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹7.99 लाख करोड़ रहा, जो वित्त वर्ष 2024-25 के ₹8.14 लाख करोड़ की तुलना में 1.9% कम है।
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राज्य स्वास्थ्य नियामक उत्कृष्टता सूचकांक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य स्वास्थ्य नियामक उत्कृष्टता सूचकांक (State Health Regulatory Excellence Index- SHRESTH) की शुरूआत की है।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा विकसित 'SHRESTH'(श्रेष्ठ), राज्यों के लिये उनकी वर्तमान स्थिति और परिपक्वता/म्चोरिटी प्रमाणन की दिशा में प्रगति का मूल्यांकन करने हेतु एक आभासी अंतर मूल्यांकन उपकरण है, जिसका उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दवा सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रभावकारिता सुनिश्चित करना है।
- SHRESTH की मुख्य विशेषताएँ:
- राज्य वर्गीकरण: राज्यों को विनिर्माण राज्य और मुख्य रूप से वितरण राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- मूल्यांकन मानदंड: SHRESTH सूचकांक मानव संसाधन, प्रयोगशाला परीक्षण क्षमता, लाइसेंसिंग गतिविधियों, निगरानी और सार्वजनिक शिकायतों के प्रति जवाबदेही जैसे पहलुओं पर राज्यों का मूल्यांकन करता है।
- निगरानी और जवाबदेही: राज्य CDSCO को मासिक आँकड़े प्रस्तुत करते हैं, जो सूचकांक को संकलित और अंक देता है तथा प्रत्येक माह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ परिणाम साझा करता है।
- वैश्विक मानक: SHRESTH का लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैश्विक बेंचमार्किंग टूल (GBT) म्चोरिटी लेवल 3 (ML3) के अनुरूप होना है, जिससे भारत की "विश्व की फार्मेसी (फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड)" के रूप में स्थिति सुदृढ़ होगी।
- WHO का GBT दवाओं, टीकों, रक्त उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिये राष्ट्रीय प्रणालियों की नियामक परिपक्वता/म्चोरिटी (चार स्तरों (ML1–ML4) पर) का आकलन करता है, जिससे विश्वभर में उच्च गुणवत्ता वाला, सुसंगत विनियमन सुनिश्चित होता है।
- भारत ने वर्ष 2024 में ML3 प्राप्त कर लिया, जो एक स्थिर, अच्छी तरह से कार्यशील और एकीकृत नियामक प्रणाली को दर्शाता है।
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