प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 Jun, 2022)



भारत गौरव योजना

भारत गौरव योजना के तहत भारत की पहली निजी ट्रेन को कोयंबटूर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। 

  • यात्रियों को देश की सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी देते हुए ट्रेन मार्ग पर कई ऐतिहासिक स्थलों को कवर करेगी। 

भारत गौरव योजना: 

  • परिचय: 
    • नवंबर 2021 में शुरू की गई इस योजना के तहत अब ट्रेनों में पर्यटन के लिये तीसरा अनुभाग स्थापित किया जाएगा। अब तक रेलवे के पास यात्री अनुभाग और माल अनुभाग थे। 
      • ये नियमित ट्रेनें नहीं हैं जो एक समय सारिणी के अनुसार चलेंगी बल्कि आईआरसीटीसी (IRCTC) द्वारा चलाई जा रही रामायण एक्सप्रेस की तर्ज पर संचालित की जाएंगी। 
    • थीम आधारित टूरिस्ट सर्किट ट्रेनों के तहत इसकी घोषणा की गई। इन ट्रेनों को थीम आधारित सर्किट में निजी भागीदारों और IRCTC दोनों द्वारा चलाया जाएगा। 
      • थीम आधारित पर्यटन (सर्किट) से रेलवे का आशय गुरु कृपा जैसी उन ट्रेनों से है जिनका संचालन गुरु नानक से संबंधित सभी स्थानों पर किया जाता है या रामायण थीम वाली ट्रेनें भगवान राम से संबंधित स्थानों के लिये संचालित हैं। 
    • सोसाइटी, ट्रस्ट, कंसोर्टियम और यहाँ तक कि राज्य सरकारों से इन ट्रेनों के अधिग्रहण के लिये कोई भी आवेदन कर सकता है और उन्हें थीम आधारित विशेष पर्यटन सर्किट पर संचालित किया जा सकता है। 
      • सेवा प्रदाता पर्यटकों को रेल यात्रा, होटल/विश्राम स्थल, दर्शनीय स्थलों की व्यवस्था, ऐतिहासिक/विरासत स्थलों का भ्रमण, टूर गाइड आदि सहित सभी समावेशी पैकेज़ प्रदान करेगा। 
  • योजना के लाभ: 
    • ये ट्रेनें भारत और दुनिया के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व भव्य ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन कराने के विज़न को साकार करने में सहायता करेंगी। 
    • इससे भारत की व्यापक पर्यटन संभावनाओं के दोहन में भी मदद मिलेगी। 

अन्य संबंधित योजनाएँ: 

  • स्वदेश दर्शन योजना 
    • स्वदेश दर्शन, एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जो देश में थीम-आधारित पर्यटक सर्किट के एकीकृत विकास के लिये वर्ष 2014-15 में शुरू की गई थी। 
  • प्रसाद योजना: 
    • पर्यटन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014-15 में चिह्नित तीर्थ स्थलों के समग्र विकास के उद्देश्य से 'तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन' (प्रसाद) शुरू किया गया था। 
  • बौद्ध सम्मेलन:  
    • यह भारत को बौद्ध गंतव्य और दुनिया भर के प्रमुख बाज़ारों के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रत्येक वैकल्पिक वर्ष में आयोजित किया जाता है। 
  • देखो अपना देश' पहल: 
    • यह नागरिकों को देश के भीतर व्यापक रूप से यात्रा करने और भारत की अद्वितीय चीजों का पता लगाने के लिये प्रोत्साहित करने से संबंधित एक पहल है जिससे देश में पर्यटन स्थलों में घरेलू पर्यटन  सुविधाओं और बुनियादी ढांँचे के विकास को सक्षम बनाया जा सके। 

भारत में पर्यटन की स्थिति: 

  • भारत में पर्यटन देश की अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण है और तेज़ी से बढ़ रहा है। 
  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में यात्रा और पर्यटन उद्योग का योगदान 2020 में 121.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और इसके वर्ष 2028 तक 512 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। 
  • भारत में, सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग का प्रत्यक्ष योगदान 2019 और 2028 के बीच 10.35% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज करने की उम्मीद है। 
  • साथ ही, यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट 2019 ने भारत को समग्र रूप से 140 देशों में से 34वाँ स्थान दिया, जो इस क्षेत्र में सुधार के लिये भारत के प्रयासों को दर्शाता है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस   


अल्ट्राथिन हेटेरोप्रोटीन फिल्म

हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा उत्कृष्ट थर्मल, मैकेनिकल और पीएच स्थिरता के साथ अल्ट्रा-थिन हेट्रो हेटो प्रोटीन फिल्में (Ultra-Thin Hetero Protein films) विकसित की गई हैं जो बायोमेडिकल और खाद्य पैकेज़िग उद्योगों में पतली फिल्मों के अनुप्रयोगों के विस्तार का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। 

  • इसमें दो गोलाकार प्रोटीन (Globular proteins) बोवाइन सीरम एल्ब्यूमिन (Bovine Serum Albumin- BSA) और लाइसोजाइम (Lysozyme- Lys) होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा लैंगमुइर-ब्लॉडगेट (LB) तकनीक का उपयोग करने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जो नैनोमीटर के क्रम में फिल्मों को मोटाई प्रदान करती है। 
  • ग्लोलोबुलर या स्फेरोप्रोटीन गोलाकार प्रोटीन होते हैं और सामान्य प्रोटीन प्रकारों में से एक होते हैं। रेशेदार या झिल्लीदार प्रोटीन के विपरीत गोलाकार प्रोटीन कुछ हद तक पानी में घुलनशील होते हैं। 

अल्ट्राथिन हेट्रो प्रोटीन फिल्म के  लाभ: 

  • अन्य प्रोटीन या प्लास्टिक फिल्मों की तुलना में यह अधिक पतली है। 
  • ये  मुलायम और पतले होते हैं और अन्य फिल्मों की तुलना में अधिक लचीले होने का फायदा है। 
  • हाल के दिनों में विभिन्न शोध समूहों द्वारा उपयुक्त हेट्रो प्रोटीन की मदद से इन प्रोटीन फिल्मों के कई संशोधनों की सूचना दी गई थी। इन परिसरों को आमतौर पर थोक समाधानों से विकसित किया गया था। 
  • बीएसए और एलआईएस की फिल्में पतली फिल्म प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने अनुप्रयोगों के विस्तार के लिये विभिन्न प्रोटीन परिसरों की अत्यधिक स्थिर जैव विघटनीय पतली फिल्मों के निर्माण के लिये उपयोगी हो सकती हैं। 
  • इस प्रोटीन कॉम्प्लेक्स में पैरामीटर परिवर्तन या विभिन्न फैटी एसिड या पॉलीओल मोएट (ग्लिसरॉल, स्टार्च, जिलेटिन आदि) का समावेश जैसे विविध भौतिक-रासायनिक तरीके फिल्म को विविध अनुप्रयोगों के लिये मुक्त बना सकते हैं। 

प्रोटीन 

  • परिचय: 
    • प्रोटीन विभिन्न समूहों में व्यवस्थित अमीनो एसिड से बने होते हैं। ये मौलिक अमीनो एसिड अनुक्रम विशिष्ट हैं और इसकी व्यवस्था डीएनए द्वारा नियंत्रित होती है। 
    • प्रोटीन अणु दो प्रकार के होते हैं, रेशेदार प्रोटीन और गोलाकार प्रोटीन। 
      • रेशेदार प्रोटीन अघुलनशील और लंबी होती हैं। 
      • गोलाकार प्रोटीन घुलनशील और कॉम्पैक्ट होते हैं। 
  • कार्य:  
    • एंजाइम: एंजाइम ज़्यादातर सभी रासायनिक प्रतिक्रियाओं को पूरा करते हैं जो एक कोशिका के भीतर होती हैं। वे DNA अणुओं को पुन: उत्पन्न करने और बनाने एवं जटिल प्रक्रियाओं को पूरा करने में भी मदद करते हैं। 
    • हार्मोन: प्रोटीन विभिन्न प्रकार के हार्मोन के निर्माण करते हैं जो शरीर के घटकों को संतुलित करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिये इंसुलिन जैसे हार्मोन, जो रक्त शर्करा और स्रावी को विनियमित करने में मदद करते हैं। यह पाचन प्रक्रिया और पाचक रसों के निर्माण में भी शामिल है। 
    • एंटीबॉडी: एंटीबॉडी को इम्युनोग्लोबुलिन के रूप में भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का प्रोटीन है जिसका मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बाहरी बैक्टीरिया से शरीर की मरम्मत और उपचार के लिये उपयोग किया जाता है। वे अक्सर अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं के साथ मिलकर एंटीजन की पहचान करने और उन्हें तब तक बढ़ने से रोकते हैं जब तक कि श्वेत रक्त कोशिकाएंँ उन्हें पूरी तरह से नष्ट नहीं कर देतीं। 
    • ऊर्जा: प्रोटीन ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है जो हमारे शरीर की गतिविधियों में मदद करता है। प्रोटीन को ऊर्जा में बदलने के लिये उसका सही मात्रा में होना जरूरी है। प्रोटीन, जब अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है, तो वसा बनाने की आदत हो जाती है और वसा कोशिकाओं का हिस्सा बन जाता है। 

स्रोत: पी.आई.बी. 


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जून, 2022

डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट

हाल ही में तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद में भारत की पहली डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट (Display Fabrication Unit) स्थापित करने हेतु बेंगलुरु बेस्ड Elest के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये है। यह डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट 24,000 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन प्रोग्राम (India Semiconductor Mission Programme) के तहत स्थापित किया जाएगा। तेलंगाना में डिस्प्ले फैब स्थापित करने से भारत अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों के साथ वैश्विक मानचित्र पर आ जाएगा। सरकार को विश्वास है कि तेलंगाना में एक डिस्प्ले फैब होने से राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी पारिस्थितिकी तंत्र और इसकी सहायक कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। जब से भारत सेमीकंडक्टर मिशन की घोषणा की गई है, तब से तेलंगाना सरकार राज्य में फैब्रिकेशन यूनिट स्थापित करने के लिये मिशन मोड पर कार्य कर रही है।

मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स वायरस अब तक 29 देशों में फैल चुका है। इसके साथ ही 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए चेतावनी जारी की है। यह एक वायरल ज़ूनोटिक रोग (Zoonotic Disease- जानवरों से मनुष्यों में संचरण होने वाला रोग) है और बंदरों में चेचक के समान बीमारी के रूप में पहचाना जाता है, इसलिये इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया है। यह नाइजीरिया की स्थानिक बीमारी है। मंकीपॉक्स वायरस के स्रोत के रूप में पहचाने जाने वाले जानवरों में बंदर और वानर, विभिन्न प्रकार के कृतंक (चूहों, गिलहरियों तथा प्रैरी कुत्तों सहित) एवं खरगोश शामिल हैं। यह रोग मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है, जो पॉक्सविरिडे फैमिली (Poxviridae Family) में ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस (Orthopoxvirus Genus) का सदस्य है। मंकीपॉक्स का संक्रमण पहली बार वर्ष 1958 में अनुसंधान के लिये रखे गए बंदरों के समूहों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोपों के बाद खोजा गया जिसे 'मंकीपॉक्स' नाम दिया गया। पहला मानव संचरण का मामला वर्ष 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में चेचक को खत्म करने के तीव्र प्रयास के दौरान दर्ज किया गया था। मंकीपॉक्स के लिये रोगोद्भवन अवधि (संक्रमण से लक्षणों तक का समय) आमतौर पर 7-14 दिनों की होती है लेकिन यह अवधि 5-21 दिनों तक भी हो सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 16 जून को अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस (IDFR) का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी। ‘अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस’ उन दो सौ मिलियन प्रवासी श्रमिकों को मान्यता प्रदान करता है, जो अपने प्रियजनों को धन हस्तांतरित करते हैं। प्रेषित धन वह धन है जो किसी अन्य पार्टी (सामान्यत: एक देश से दूसरे देश में) को भेजा जाता है। प्रेषक आमतौर पर एक अप्रवासी होता है और प्राप्तकर्त्ता एक समुदाय/परिवार से संबंधित होता है। दूसरे शब्दों में रेमिटेंस या प्रेषण से आशय प्रवासी कामगारों द्वारा धन अथवा वस्तु के रूप में अपने मूल समुदाय/परिवार को भेजी जाने वाली आय से है। ज्ञात हो कि विश्व में प्रेषित धन या रेमिटेंस का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता भारत है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, ‘प्रेषण’ प्रवासी श्रमिकों को उनके परिवारों से आर्थिक रूप से जोड़ता है। यह दिवस इस तथ्य को रेखांकित करता है कि ‘प्रेषण’ दुनिया भर में परिवारों की कई बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है।

एनोकोवैक्स

हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री ने जानवरों के लिये देश में कोरोना की पहली स्वदेशी वैक्सीन एनोकोवैक्स लॉन्च की। इसे हरियाणा स्थित आइसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर आन इक्विंस द्वारा विकसित किया गया है। एनोकोवैक्स जानवरों के लिये एक निष्क्रिय सार्स-कोव-2 डेल्टा (कोरोना) वैक्सीन है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार यह वैक्सीन कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रोन वेरिएंट से बचाती है। यह श्वानों, शेरों, तेंदुओं, चूहों और खरगोशों के लिये सुरक्षित है। इसके साथ ही कुत्ते में सार्स-कोव-2 के खिलाफ एंटीबाडी का पता लगाने के लिये कैन-कोव-2 एलिसा किट भी लॉन्च की। यह विशिष्ट न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन आधारित अप्रत्यक्ष एलिसा किट है। यह किट भारत में बनाई गई है।