प्रीलिम्स फैक्ट्स: 11 जून, 2020

किसान उत्पादक संगठन

Farmer Producer Organisation

भारत सरकार अगले तीन वर्षों में 3,500 किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organisation- FPO) का निर्माण करेगी, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित पारिश्रमिक मूल्य मिल सके।

प्रमुख बिंदु: 

  • आगामी तीन वर्षों में जो FPOs बनाए जायेंगे उनमें से अधिकांश FPO भारत सरकार के ‘एक उत्पाद-एक-ज़िला’ पहल पर आधारित होंगे जहाँ FPO मुख्य रूप से कम मात्रा वाली अन्य उपजों के अलावा विशेष कमोडिटी को बढ़ावा देगा एवं इनका व्यापार करेगा।
  • इस वर्ष वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में आगामी पाँच वर्ष में 10,000 FPOs बनाने में मदद करने की घोषणा की थी।
  • वर्तमान में देश में लगभग 5,000 FPOs कार्य कर रहे हैं जिनमें से 910 ‘लघु कृषक कृषि-व्यापार संघ’ (Small Farmers' Agri-Business Consortium- SFAC) से संबद्ध हैं जबकि लगभग 3000 राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अंतर्गत आते हैं। शेष FPOs निजी कंपनियों द्वारा बनाए एवं चलाए जा रहे हैं।

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organisation- FPO):

  • 'किसान उत्पादक संगठनों’ का अभिप्राय किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के समूह से होता है।
  • इस प्रकार के संगठनों का प्रमुख उद्देश्य कृषि से संबंधित चुनौतियों का प्रभावी समाधान करना होता है।
  • FPOs प्राथमिक उत्पादकों जैसे- किसानों, दूध उत्पादकों, मछुआरों, बुनकरों और कारीगरों आदि द्वारा गठित क़ानूनी इकाई होती हैं।
  • FPOs को भारत सरकार तथा नाबार्ड जैसे संस्थानों से भी सहायता प्राप्त होती है।

सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह और परियोजना विकास प्रकोष्ठ 

Empowered Group of Secretaries and Project Development Cell

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘भारत में निवेश आकर्षित करने के लिये मंत्रालयों/विभागों में सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (Empowered Group of Secretaries-EGoS) और परियोजना विकास प्रकोष्ठ (Project Development Cell- PDC)’ की स्थापना को स्वीकृति दे दी। 

प्रमुख बिंदु: 

  • इस नई व्यवस्था से भारत को वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विज़न को बल मिलेगा।

सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह

(Empowered Group of Secretaries-EGoS): 

  • भारत में निवेश के लिये निवेशकों को सहायता एवं सुविधाएँ उपलब्ध कराने तथा अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहन देने के क्रम में निम्नलिखित संयोजन और उद्देश्यों के साथ सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (EGoS) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।
    • कैबिनेट सचिव (अध्यक्ष)
    • सीईओ, नीति आयोग (सदस्य)
    • सचिव, उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (सदस्य संयोजक)
    • सचिव, वाणिज्य विभाग (सदस्य)
    • सचिव, राजस्व विभाग (सदस्य)
    • सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (सदस्य)
    • संबंधित विभाग के सचिव (विकल्प के रूप में)

EGoS के उद्देश्य: 

  • विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच तालमेल कायम करना तथा समयबद्ध स्वीकृतियाँ सुनिश्चित करना।
  • भारत में अधिक निवेश आकर्षित करना और वैश्विक निवेशकों को निवेश समर्थन तथा सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
  • लक्षित तरीके से शीर्ष निवेशकों से आने वाले निवेश को आसान बनाना और समग्र निवेश परिदृश्य में नीतिगत स्थायित्व तथा सामंजस्य कायम करना।
  • विभागों द्वारा परियोजना निर्माण तथा उस पर होने वाले वास्तविक निवेश के आधार पर निवेशों का मूल्यांकन करना।

परियोजना विकास प्रकोष्ठ (Project Development Cell- PDC):

  • केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय में निवेश योग्य परियोजनाओं के विकास के लिये एक ‘परियोजना विकास प्रकोष्ठ’ (PDC) की स्थापना की भी स्वीकृति दी गई। 
  • इससे भारत में निवेश योग्य परियोजनाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी और FDI प्रवाह भी बढ़ेगा।
  • सचिव के दिशा-निर्देशन में संबंधित केंद्रीय मंत्रालय के एक अधिकारी को निवेश योग्य परियोजनाओं के संबंध में अवधारणा तैयार करने, रणनीति बनाने, कार्यान्वयन और विवरण के प्रसार का काम सौंपा जाएगा।

उद्देश्य: 

  • सभी स्वीकृतियों, आवंटन के लिये जमीन की उपलब्धता और निवेशकों द्वारा स्वीकार्यता/निवेश के लिये पूर्ण विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ परियोजनाएँ तैयार करना।
  • निवेश आकर्षित करने और उसे अंतिम रूप देने के क्रम में ऐसे मुद्दों की पहचान करना जिनका समाधान करने की ज़रूरत है तथा उन्हें अधिकार प्राप्त समूह के सामने रखा जाना चाहिये।

भारत सरकार के इस निर्णय से भारत अधिक निवेश अनुकूल स्थल के रूप में सामने आएगा और देश में निवेश प्रवाह को समर्थन तथा आसान बनाकर ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा।


विश्व प्रत्यायन दिवस 2020

World Accreditation Day 2020

विश्व प्रत्यायन दिवस (World Accreditation Day- WAD) प्रत्येक वर्ष 9 जून को व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में प्रत्यायन की भूमिका को रेखांकित करने एवं बढ़ावा देने के लिये मनाया जाता है।

world-Accreditation-Day-2020

थीम:

  • विश्व प्रत्यायन दिवस 2020 की थीम ‘प्रत्यायन: खाद्य सुरक्षा में सुधार लाना’ (Accreditation: Improving Food Safety) है। जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम (International Accreditation Forum- IAF) एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग (International Laboratory Accreditation Cooperation- ILAC) द्वारा निर्धारित किया गया है।

प्रमुख बिंदु: 

  • भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India- QCI) के दो प्रत्यायन बोर्डों ‘राष्ट्रीय प्रमाणन निकाय प्रत्यायन बोर्ड’ (National Accreditation Board for Certification Bodies- NABCB) तथा ‘राष्ट्रीय परीक्षण एवं अशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories- NABL) ने इस अवसर पर एक वेबीनार का आयोजन किया जिसमें सभी संबंधित हितधारकों ने भाग लिया।

भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India- QCI): 

  • भारत सरकार ने भारतीय गुणवत्‍ता परिषद की स्‍थापना वर्ष 1997 में उद्योग संवर्द्धन एवं आतंरिक व्यापार विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन एक स्‍वायत्‍त निकाय के तौर पर की थी।
  • इस संगठन की स्‍थापना अनुरूप प्रत्यायन निकायों के लिये राष्‍ट्रीय प्रत्‍यायन ढाँचे की स्‍थापना करने एवं उनके प्रचालन करने के अलावा शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य तथा गुणवत्‍ता संवर्द्धन के क्षेत्र में प्रत्‍यायन उपलब्‍ध कराने के लिये की गई थी।
  • प्रत्‍यायन ढाँचे के तौर पर भूमिका अदा करने के अलावा यह ‘राष्ट्रीय प्रमाणन निकाय प्रत्यायन बोर्ड’ (National Accreditation Board for Certification Bodies- NABCB) के द्वारा उपलब्‍ध कराई गई प्रत्‍यायन सेवाओं के जरिये गुणवत्‍ता प्रबंधन प्रणालियों (ISO 14001 श्रृंखला), खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (ISO 22000 श्रृंखला) तथा उत्‍पाद प्रमाणन एवं निरीक्षण निकायों के संबंध में गुणवत्‍ता मानकों को अपनाने के लिये भी प्रोत्‍साहित करता है।
  • QCI में भारतीय उद्योग का प्रतिनिधित्त्व तीन प्रमुख उद्योग संघों एसोचैम, सीआईआई तथा फिक्‍की के द्वारा किया जाता है।

‘राष्ट्रीय परीक्षण एवं अशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’

(National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories- NABL):

  • NABL अनुरूप प्रत्यायन निकायों (प्रयोगशालाओं) को मान्यता प्रदान करता है।
  • NABL भारत की गुणवत्ता परिषद का एक घटक बोर्ड है।
  • इसका गठन वर्ष 1988 में किया गया था। 

अंतरराष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम

(International Accreditation Forum- IAF):

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम उन संगठनों का एक अंतर्राष्ट्रीय संघ है जो सामान्य व्यापार सुविधा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये दुनिया भर में एक साथ काम करने के लिये सहमत हुए हैं।
  • IAF, अनुरूप प्रत्यायन प्रचलन हेतु सिद्धांतों एवं प्रथाओं को विकसित करने के लिये विश्व में एक प्रमुख मंच हैं जो बाज़ार स्वीकृति के लिये आत्मविश्वास प्रदान करता है।
  • यह उन मान्यता प्राप्त निकायों के माध्यम से कार्य करता है जो प्रबंधन प्रणालियों, उत्पादों, कर्मियों या निरीक्षण को प्रमाणित या पंजीकृत करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग

(International Laboratory Accreditation Cooperation- ILAC):

  • ILAC की शुरुआत पहली बार एक सम्मेलन के रूप में हुई थी। यह सम्मेलन 24-28 अक्तूबर, 1977 को कोपेनहेगन, डेनमार्क में आयोजित किया गया था जिसका उद्देश्य मान्यता प्राप्त परीक्षण एवं अंशांकन परिणामों की स्वीकृति के संवर्द्धन द्वारा व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विकसित करना था।
  • वर्ष 1996 में ILAC ‘प्रत्यायन निकायों के बीच आपसी समझौतों के नेटवर्क को स्थापित करने वाले एक चार्टर’ के तहत एक औपचारिक सहयोग संगठन बन गया।
  • वर्ष 2000 में विश्व के 28 देशों के प्रयोगशाला प्रत्यायन निकायों से संबंधित ILAC के 36 पूर्णकालिक सदस्यों ने मिलकर निर्यातित माल के लिये तकनीकी परीक्षण एवं अंशांकन डेटा की स्वीकृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में ‘ILAC म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट’ (ILAC MRA) पर हस्ताक्षर किये।
  • अंशांकन एवं परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिये ILAC MRA 31 जनवरी, 2001 को प्रभावी हुआ।

तुरंत कस्टम्स

Turant Customs

हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs- CBIC) ने बंगलुरु व चेन्नई में अपना फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘तुरंत कस्टम्स’ (Turant Customs) लॉन्च किया।

प्रमुख बिंदु: 

  • CBIC ने बताया है कि यह आयातित वस्तुओं के कम समय में सीमा शुल्क निकासी के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने से संबंधित कार्यक्रम है।
  • इस कार्यक्रम के तहत आयातकों द्वारा आयात किये गए सामान का क्लीयरेंस फेसलेस, कांटेक्टलेस एवं पेपरलेस होगा। 
    • अर्थात् ‘तुरंत कस्टम’ के जरिये आयातित सामान अगर चेन्नई में आया है तो उसका क्लीयरेंस बेंगलुरु में बैठा हुआ ऑफिसर दे सकता है और इसी तरह अगर बेंगलुरु में कोई सामान आया है तो उसका क्लीयरेंस चेन्नई में बैठा हुआ ऑफिसर भी दे सकता है। 
  • तुरंत कस्टम ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ के लिये एक प्रमुख सुधार पहल है।
  • दिसंबर, 2020 तक इसे देश के सभी बंदरगाहों, हवाई अड्डों, आतंरिक कंटेनर डिपो में शुरू कर दिया जाएगा। 
    • पहले चरण में इसके अंतर्गत देश के प्रमुख बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों पर मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मशीनरी के आयात को कवर किया जाएगा।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड

(Central Board of Indirect Taxes and Customs- CBIC): 

  • केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत राजस्व विभाग का एक सहायक बोर्ड है।
  • यह लेवी एवं सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, केंद्रीय माल एवं सेवा कर और IGST के संग्रह के लिये नीति निर्माण से संबंधित है और यह तस्करी की रोकथाम के लिये भी काम करता है। 
  • यह बोर्ड अपने अधीनस्थ संगठनों के लिये एक प्रशासनिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है जिसमें कस्टम हाउस, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं केंद्रीय जीएसटी आयुक्त (Central Excise and Central GST Commissionerates) और केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला (Central Revenues Control Laboratory) शामिल हैं।