प्रीलिम्स फैक्ट्स: 7 नवंबर, 2019

बंजर भूमि एटलस- 2019

Wasteland Atlas– 2019

हाल ही में देश की बंजर भूमि हेतु डेटाबेस की उपलब्धता के महत्त्व को देखते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने बंजर भूमि एटलस-2019 (Wastelands Atlas– 2019) का विमोचन किया।

Westland Atlas

बंजर भूमि एटलस- 2019

  • राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre- NRSC) द्वारा भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए बंजर भूमि मानचित्रण को ‘बंजर भूमि एटलस- 2019’ के पांचवें संस्‍करण के रूप में प्रकाशित किया गया है।
    • इससे पहले भूमि संसाधन विभाग ने अंतरिक्ष विभाग (Space Department) के NRSC के सहयोग से भारत के बंजर भूमि एटलस के वर्ष 2000, 2005, 2010 और 2011 के संस्करण को प्रकाशित किया था।
  • बंजर भूमि एटलस- 2019 में जम्मू-कश्मीर के अब तक के सर्वेक्षण नहीं किए गए 12.08 मिलियन हेक्‍टेयर क्षेत्र को भी शामिल किया गया है।
  • इसके अलावा एटलस में बंजर भूमि की विभिन्न श्रेणियों के ज़िले और राज्यवार विभाजन को प्रकाशित किया गया है।
  • इस एटलस में वर्ष 2008-09 से वर्ष 2015-16 के बीच हुए परिवर्तनों को शामिल किया गया है।
  • इसके अनुसार राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मिज़ोरम, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल राज्यों में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है।
  • अधिकांश बंजर भूमि को फसलीकरण, वृक्षारोपण और औद्योगिक क्षेत्रों की श्रेणियों में परिवर्तित कर दिया गया है।

दनाकिल डिप्रेसन

Danakil Depression

नेचर एकोलोजी एंड एवोल्यूशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दनाकिल (Danakil) पर सक्रिय और स्वाभाविक रूप से चलने वाला जीवन संभव नहीं है।

Danakil Depression

दनाकिल डिप्रेसन

  • यह उत्तरी-पूर्वी इथियोपिया में अवस्थित है तथा विश्व का सबसे गर्म स्थान के साथ-साथ विश्व के सबसे गहरे स्थानों में से एक है जिसकी गहराई समुद्र तल से 100 मीटर है।
  • इसे रिफ्ट घाटी के उत्तरी छोर पर अवस्थित लाल सागर से एक सक्रिय ज्वालामुखी द्वारा अलग किया जाता है।
  • इस मैदान का निर्माण एक अंतःस्थलीय जल निकाय के वाष्पीकरण द्वारा हुआ था।
  • दनाकिल में प्रवेश करने वाला सारा जल वाष्पित हो जाता है और यहाँ से जल की कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है।
  • यहाँ लगभग 10 लाख टन से अधिक लवण की मात्रा विद्यमान है।

क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़

Kyasanur Forest Disease

हाल ही में कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मलनाद में बंदरों के लिये बनाए जाने वाले पार्क की व्यवहार्यता को लेकर पर्यावरणविदों के बीच संशय बना हुआ है।

  • इनके अनुसार ऐसे पार्क से क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ (Kyasanur Forest Disease- KFD) के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

Kyasanur forest disease

क्यासानूर फाॅरेस्ट डिज़ीज़

  • क्यासानूर फाॅरेस्ट डिज़ीज़ को सामान्यतः मंकी फीवर (Monkey Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह क्यासानूर फाॅरेस्ट डिज़ीज़ वायरस (Kyasanur Forest Disease Virus-KFDV) के कारण फैलता है। जो फ्लेवीवायरस (Flavivirus) के समुदाय से संबंधित है।
  • क्यासानूर वायरस की पहचान वर्ष 1957 में एक बीमार बंदर में की गई थी। उसके बाद से प्रत्येक वर्ष लगभग 400-500 मानव संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
  • KFDV कर्नाटक राज्य में स्थानिक है।
  • संक्रमित क्रतंक (Rodents), बंदर, छछूंदर आदि KFDV के वाहक (Hosts) हैं।
  • मनुष्यों में यह टिक (Tick) के काटने या संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से हो सकता है।
  • KFDV के लिये कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालाँकि वर्तमान में इसके लिये टीका उपलब्ध है।

कोर निवेश कंपनी

Core Investment Companies

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India- RBI) द्वारा स्थापित तपन रे की अध्यक्षता में कार्यरत एक समूह ने कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियों (Core Investment Companies- CIC) के लिये कड़े कॉर्पोरेट प्रशासन दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव किया है।

Core Investment

  • कोर निवेश कंपनियों (Core Investment Companies- CIC) पर लागू होने वाले विनियामक दिशा-निर्देशों और ढाँचे की समीक्षा करने के लिये RBI ने इस कार्यदल का गठन किया था।
  • RBI के अनुसार, मौजूदा ढाँचा कंपनियों के जटिल कॉर्पोरेट प्रशासन संरचना को संभालने में असमर्थ है जिसके कारण उसकी समीक्षा करने और उसमें महत्त्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है।

कोर निवेश कंपनी

  • CIC गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ ((Non Banking Finance Comapnies- NBFC) हैं जिनकी संपत्ति 100 करोड़ रुपए से अधिक होती है और जो RBI की कुछ शर्तों के अधीन शेयरों एवं प्रतिभूतियों के अधिग्रहण का व्यवसाय करती हैं।
  • इक्विटी शेयरों, वरीयता शेयरों, बाॅण्ड, डिबेंचर, ऋण या ऋण में निवेश के रूप में CIC अपनी शुद्ध संपत्ति का 90% से कम नहीं रख सकती हैं।
  • 100 करोड़ रुपए से कम की संपत्ति वाली CICs को RBI से पंजीकरण और विनियमन से छूट केवल तभी दी जाती जब वे वित्तीय क्षेत्र में विदेशी निवेश करना चाहती हैं।