प्रिलिम्स फैक्ट्स (04 Aug, 2020)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 04 अगस्त, 2020

बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र

Barakah Nuclear Energy Plant

01 जुलाई, 2020 को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Barakah Nuclear Energy Plant) में चार रिएक्टरों में से पहले रिएक्टर का संचालन शुरू किया है।

Barakah-Nuclear-Plant

प्रमुख बिंदु:

  • यह अरब जगत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। जो अबू धाबी के अल धफरा क्षेत्र (Al Dhafrah Region) में स्थित है।
  • इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल क्षमता 5600 मेगावाट है जिसका उद्देश्य UAE को 25% ऊर्जा की आपूर्ति है। 
  • अमीरात परमाणु ऊर्जा निगम (ENEC), कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (KEPCO) के साथ मिलकर ‘बाराकाह परमाणु ऊर्जा संयंत्र’ का निर्माण एवं संचालन कर रहा है। 


ढोल

Dhole

वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन सोसाइटी’ (WCS) भारत, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय (यूएसए), वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट (WCT) और ‘नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़’ (NCBS)  के वैज्ञानिकों ने पारिस्थितिकी, सामाजिक, राजनीतिक एवं प्रशासनिक हस्तक्षेपों के संयोजन का उपयोग करके भारत में लुप्तप्राय ढोल (Dhole) के संरक्षण के लिये एक रूपरेखा का प्रस्ताव किया है।

Dhole

प्रमुख बिंदु:

  • वन पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष शिकारी के रूप में ढोल एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • हालिया एक नए अध्ययन के अनुसार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश भारत में लुप्तप्राय ढोल के संरक्षण में उच्च स्थान पर हैं।  
    • शीर्षक ‘भारत में लुप्तप्राय ढोल (कुऑन अल्पाइन-Cuon Alpines) के संरक्षण के लिये एक रणनीतिक रोड मैप’ नामक अध्ययन हाल ही में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘मैमल रिव्यू’ (Mammal Review) में प्रकाशित हुआ था।
    • अध्ययन में बताया गया है कि ढोल, भारत के 2342 उप-ज़िलों में से 685 उप-ज़िलों के 49% निवास स्थान को अधिग्रहीत किये हैं।       

ढोल (Dhole): 

  • यह मध्य, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय वनों में निवास करने वाला एक शीर्ष सामाजिक मांसाहारी जीव है।
  • इसे ‘एशियाई जंगली कुत्ता’ (Asiatic Wild Dog) के रूप में भी जाना जाता है।
  • बाघ के अलावा भारत में ढोल एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जिसे IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय (Endangered) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।  
  • इसे CITES की परिशिष्ट II में और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 [Wildlife (Protection) Act] के तहत अनुसूची II में सूचीबद्ध किया गया है।  


इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क

Electronic Vaccine Intelligence Network

इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN) 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुँच चुका है और शीघ्र ही शेष राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, लद्दाख और सिक्किम में पहुँच जाएगा।

eVin

इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN):

  • यह एक नवीन तकनीकी समाधान है जिसका उद्देश्य देश भर में टीकाकरण आपूर्ति श्रृंखला प्रणालियों को मज़बूत करना है। 
  • इसका कार्यान्वयन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) के तहत किया जा रहा है।
  • eVIN का लक्ष्य देश के सभी कोल्ड चेन पॉइंट्स पर वैक्सीन के भंडार तथा बाज़ार में उपलब्धता एवं भंडारण तापमान पर रियल टाइम जानकारी देना है।
  • COVID-19 महामारी के दौरान अपेक्षित अनुकूलन के साथ आवश्यक प्रतिरक्षण सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने और बच्चों एवं गर्भवती माताओं के टीकाकरण के लिये इस प्रणाली का उपयोग किया गया है। 

eVIN के घटक: 

  • eVIN देश भर में कई स्थानों पर रखे गए टीकों के स्टॉक और भंडारण तापमान की रियल टाइम निगरानी करने के लिये एक मज़बूत आईटी अवसंरचना और प्रशिक्षित मानव संसाधन को आपस में जोड़ती है।
  • वर्तमान में 22 राज्यों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों के 585 ज़िलों में 23,507 कोल्ड चेन पॉइंट्स नियमित रूप से कुशल वैक्सीन लॉजिस्टिक्स प्रबंधन के लिये eVIN तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

eVIN का लाभ:

  • इससे एक बड़ा डेटा आर्किटेक्चर बनाने में मदद मिली है जो आँकड़ों के आधार पर निर्णय लेने और खपत आधारित योजना बनाने को प्रोत्साहित करने वाले क्रियात्मक विश्लेषण सृजित करता है जिससे कम लागत पर अधिक टीकों के भंडारण में मदद मिलती है।
  • eVIN के कारण भारत के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों में प्रत्येक समय टीके की उपलब्धता होने की संभावना बढ़कर 99% हो गई है।
  • जबकि वैक्सीन स्टॉक में कमी होने की संभावना को 80% तक घटाया गया है और  स्टॉक को फिर से भरने का समय भी औसतन आधे से अधिक घट गया है।
  • इससे यह सुनिश्चित हो गया है कि टीकाकरण स्थल पर पहुँचने वाले प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण किया जाता है और टीकों की अनुपलब्धता के कारण उन्हें वापस नहीं भेजा जाता है।


स्पेस एक्स का नया क्रू ड्रैगन

SpaceX's new Crew Dragon

31 मई, 2020 को स्पेस एक्स (SpaceX) के नए क्रू ड्रैगन (Crew Dragon) में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिये उड़ान भरने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बॉब बेहेनकेन (Bob Behnken) और डौग हर्ले (Doug Hurley) दो महीने की यात्रा के बाद 02 अगस्त, 2020 को वापस आ गए।   

प्रमुख बिंदु:

  • स्पेसएक्स (SpaceX) का यह कैप्सूल मैक्सिको की खाड़ी में उतरा। यह पिछले नौ वर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका की धरती से लॉन्च किया गया, नासा (NASA) का पहला क्रू मिशन था।
  • इस लैंडमार्क मिशन को नासा के ‘कैनेडी स्पेस सेंटर’ से 31 मई, 2020 को लॉन्च किया गया था। वर्ष 2011 में नासा के शटल कार्यक्रम के सेवानिवृत्त होने के बाद पहली बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने अमेरिकी धरती से अंतरिक्ष यात्रियों को लॉन्च किया।
    • वर्ष 2011 के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन में लॉन्च करने के लिये रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर निर्भर था।
  • स्पेसएक्स कंपनी के ड्रैगन नाम के कैप्सूल से दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी मैक्सिको की खाड़ी में हुई। उल्लेखनीय है कि 45 वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ है जब नासा का कोई अंतरिक्ष यात्री समुद्र में उतरा हो।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 अगस्त, 2020

हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र

हिम तेंदुओं (Snow Leopards) के संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए, उत्तराखंड के उत्तरकाशी वन प्रभाग (Uttarkashi Forest Division) में भारत का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र खोला जाएगा। हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का उद्देश्य स्थानीय समुदाय की मदद से हिम तेंदुओं की रक्षा करना है, साथ ही पर्यटन के माध्यम से आसपास के गाँवों के स्थानीय लोगों को रोज़गार देना है। इस संरक्षण केंद्र की स्थापना उत्तराखंड वन विभाग द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के साथ मिलकर की जाएगी। इस केंद्र का निर्माण एक छह वर्षीय प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालयाज़ (SECURE Himalayas) के तहत किया जाएगा, विदित हो कि वर्ष 2017 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य आजीविका को सुरक्षित करने, संरक्षण तथा स्थायी उपयोग को बढ़ावा देने और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली करना है। यह प्रोजेक्ट हिमालय में पाए जाने वाले हिम तेंदुओं और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण पर भी ध्यान देता है। 

इंदिरा रसोई योजना

राजस्थान सरकार ने 20 अगस्त, 2020 से राज्य के शहरी क्षेत्रों में इंदिरा रसोई योजना शुरू करने का निर्देश दिया है। एक अनुमान के अनुसार, राज्य सरकार इस योजना पर प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस योजना के तहत राज्य के शहरी गरीब लोगों को मात्र 8 रुपए में गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक भोजन दिया जाएगा। इस योजना को सार्वजनिक सेवा, पारदर्शिता और जन भागीदारी की भावना के साथ लागू किया जाना चाहिये ताकि यह देश में गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक उदाहरण बन सके। यह योजना राज्य के सभी 213 शहरी स्थानीय निकायों में चलाई जाएगी। पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से शुरू हो रही इस योजना को राज्य के सभी 213 शहरी स्थानीय निकायों में शुरू किया जाएगा। इस योजना के तहत 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्ज़ियाँ, 250 ग्राम चपाती और अचार परोसने का निर्णय लिया गया है। इस योजना से राज्य के तकरीबन 4.87 करोड़ लोगों के लाभान्वित होने की संभावना है। योजना के कार्यान्वयन के दौरान कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रयास को रोकने संबंधी उपायों पर भी ध्यान दिया जाएगा। 

संस्कृत दिवस 

प्रत्येक वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा (Poornima) को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस 03 अगस्त, 2020 को आयोजित किया गया। संस्कृत दिवस का मुख्य उद्देश्य इस प्राचीन भारतीय भाषा के पुनरुद्धार को बढ़ावा देना है। गौरतलब है कि इस दिवस का आयोजन सर्वप्रथम वर्ष 1969 में किया गया था। संस्कृत दिवस की शुरुआत इस प्राचीन भारतीय भाषा के संबंध में जागरुकता फैलाने, इससे बढ़ावा देने और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयासों को तेज़ करने के लक्ष्य के साथ हुई थी। ध्यातव्य है कि प्रत्येक वर्ष इस दिवस के अवसर पर संस्कृत भाषा के महत्त्व और इसके प्रभाव से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित किये जाते हैं। माना जाता है कि भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति लगभग 3500 पूर्व हुई थी। संस्कृत को लगभग सभी भारतीय भाषाओं की जननी माना जाता है और भारत में बोली जाने वाली प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। एक भाषा के तौर पर संस्कृत की खूबसूरती को इसी बात से समझा जा सकता है कि अंग्रेज़ी भाषा में जिस भाव को व्यक्त करने के लिये चार से छह शब्दों की आवश्यकता होगी उसे संस्कृत में मात्र एक शब्द के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। गौरतलब है कि संस्कृत को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के सबसे अनुकूल वैज्ञानिक भाषा माना जाता है।

जॉन ह्यूम

03 अगस्त, 2020 को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और उत्तरी आयरलैंड के राजनीतिज्ञ जॉन ह्यूम (John Hume) का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। अपने 30 वर्ष से भी अधिक लंबे राजनीतिक कैरियर के दौरान जॉन ह्यूम उत्तरी आयरलैंड के प्रमुख राजनेताओं में से एक रहे। वे वर्ष 1970 में सोशल डेमोक्रेटिक एंड लेबर पार्टी (SDLP) के संस्थापक सदस्य बने और वर्ष 1979 से वर्ष 2001 तक पार्टी का नेतृत्त्व भी किया। जॉन ह्यूम ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिये शुरू हुई वार्ता में एक प्रमुख भूमिका निभाई, जिसके कारण वर्ष 1998 में गुड फ्राइडे समझौता (Good Friday Agreement) हुआ था। इसी समझौते के कारण उत्तरी आयरलैंड में तीन दशकों की हिंसा समाप्त हुई थी। जॉन ह्यूम का जन्म 18 जनवरी, 1937 को उत्तरी आयरलैंड में हुआ था। जॉन ह्यूम को उत्तरी आयरलैंड में किये गए उनके कार्य और शांति प्रयासों के लिये काफी सराहा गया एवं वर्ष 1998 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।