प्रिलिम्स फैक्ट्स (01 May, 2021)



प्रिलिम्स फैक्ट: 01 मई, 2021

पाइथन-5 मिसाइल 

Python-5 Missile 

हाल ही में सफल परिक्षण के बाद इज़राइल की पायथन-5 एयर-टू-एयर मिसाइल (AAM) फायरिंग प्रणाली को भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस (Light Combat Aircraft Tejas) के बेड़े में शामिल कर लिया गया है।

  • साथ ही इन परीक्षणों का उद्देश्य तेजस में पहले से ही समन्वित ‘डर्बी बियॉन्ड विजुअल रेंज’ (Derby Beyond Visual Range) एयर-टू-एयर मिसाइल की बढ़ी हुई क्षमता का आकलन करना भी था।
  • ये परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा किये गए थे।

प्रमुख बिंदु

पाइथन-5 मिसाइल के विषय में:

  • इसे इज़रायली रक्षा कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स (Rafael Advanced Defense System) द्वारा विकसित किया गया है। यह पायथन परिवार का सबसे नवीनतम संस्करण है।
  • 5वीं पीढ़ी की हवा-से-हवा में मार करने वाली यह मिसाइल, पायलट को दुश्मन के विमान से चारों तरफ से घेरने की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह मिसाइल दुश्मन के विमानों को बहुत कम दूरी से लेकर लगभग दृश्य सीमा से परे (बियॉन्ड विज़ुअल रेंज) तक मार गिराने में सक्षम है।
  • यह एक दोहरी उपयोग वाली मिसाइल है जो हवा-से-हवा के साथ-साथ सतह-से-हवा में भी मार करने में सक्षम है।
  • यह मिसाइल एक ठोस प्रणोदक रॉकेट इंजन वाली है, जो इसे मैक 4 तक की गति और 20 किलोमीटर से अधिक दूरी की मारक क्षमता प्रदान करता है।
  • यह लॉक-ऑन-बिफोर (Lock-on-Before) और लॉक-ऑन-आफ्टर (Lock-on-After ) लॉन्च क्षमताओं से भी लैस है।

लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस:

  • तेजस एकल इंजन युक्त, हल्के वजन वाला, अत्यधिक फुर्तीला, मल्टी रोल सुपरसोनिक फाइटर है।
  • स्वदेश में विकसित इस विमान का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) द्वारा किया गया है और इसे भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिये वैमानिकी विकास एजेंसी (Aeronautical Development Agency) द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
  • यह हवा-से-हवा, हवा-से-सतह, सटीक-निर्देशित, हथियारों की एक रेंज को ले जाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

बियॉन्ड विज़ुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल

  • यह एक हवा-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जो 37 किलोमीटर या उससे अधिक की रेंज में मार करने में सक्षम होती है। इस सीमा को बूस्टर रॉकेट मोटर (Booster Rocket Motor) और रैमजेट सस्टेर मोटर (Ramjet Sustainer Motor) का उपयोग करके हासिल किया गया है।
  • यह मिसाइल इस रेंज में अपने लक्ष्य को ट्रैक करने या उड़ते लक्ष्य को टारगेट करने में भी सक्षम है।
  • यह तकनीक लड़ाकू पायलटों को दुश्मन के ठिकानों को दृश्य क्षमता से परे सटीक रूप से शूट करने में सक्षम बनाती है।

MACS 1407: सोयाबीन की किस्म 

MACS 1407: Variety of Soybean

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की एक उच्च उपज एवं कीट प्रतिरोधी वाली किस्म विकसित की है, जिसे एमएसीएस 1407 (MACS 1407) नाम दिया गया है।

  • सोयाबीन की इस किस्म को एमएसीएस-अगरकर अनुसंधान संस्थान (MACS- Agharkar Research Institute), पुणे तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है।

 प्रमुख बिंदु: 

MACS 1407:

  • पारंपरिक क्रॉस ब्रीडिंग (Conventional Cross Breeding) तकनीक का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों द्वारा MACS 1407 को विकसित किया गया है, जो प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल की उपज देती है, जो इसे अधिक उपज देने वाली किस्म बनाता है।
  • इस किस्म को 50% ‘फ्लावरिंग’ (Flowering) हेतु औसतन 43 दिन की आवश्यकता होती है और बुवाई की तारीख से परिपक्व होने में 104 दिन का समय लगता है।
  • इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले रंग का ‘हिलम’ (Black Hilum) होता है। इसके बीजों में 19.81% तेल और 41% प्रोटीन की मात्रा होती है, साथ ही इनमें बेहतर रोगाणु क्षमता (Germinability) भी होती है।
  • इसके पौधों का तना मोटा (7cm) होता है और इनकी फलियांँ बिखरती नहीं होती है, इसलिये यह यांत्रिक विधि से कटाई करने हेतु उपयुक्त है।
  • यह पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिये उपयुक्त है।
    • इसे असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों में प्रयोग किया जा सकता है।
  •  सोयाबीन की यह किस्म गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों के प्रति भी प्रतिरोधी है। 
  • इसके बीज वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम (Kharif season) के दौरान किसानों को बुवाई हेतु उपलब्ध कराए जाएंगे।
    • सोयाबीन की यह किस्म बिना किसी उपज हानि के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बुआई के लिये अत्यधिक अनुकूल है। 

महत्त्व:

  • वर्ष 2019 में, भारत द्वारा लगभग 90 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन किया गया और भारत सोयाबीन के विश्व के प्रमुख उत्पादकों में से एक बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत में इसका उत्पादन व्यापक रूप से तेल के बीज के साथ-साथ पशु आहार और कई पैकेज्ड भोजन में प्रोटीन के स्रोत के रूप में किया जाता है।
  • सोयाबीन की उच्च पैदावार तथा रोग प्रतिरोधी किस्में इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं।

खरीफ का मौसम:

  • इसके तहत फसलें जून से जुलाई तक बोई जाती हैं और सितंबर-अक्तूबर के मध्य उनकी कटाई की जाती है।
  • फसलें: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली, सोयाबीन आदि।
  • राज्य: असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के तटीय क्षेत्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र।

रबी का मौसम: 

  • इसके तहत फसलें अक्तूबर से दिसंबर के मध्य बोई जाती हैं और अप्रैल-जून के मध्य उनकी कटाई की जाती है।
  • फसलें: गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों आदि।
  • राज्य: पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश।

ज़ायद का मौसम: 

  • रबी और खरीफ के मौसम के मध्य, गर्मियों के महीनों के दौरान एक छोटा मौसम होता है जिसे ज़ायद का मौसम कहा जाता है।
  • फसलें: तरबूज, कस्तूरी, ककड़ी, सब्जियाँ और चारा फसलें।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 01 मई, 2021

नेट ज़ीरो प्रोड्यूसर्स फोरम

हाल ही में सऊदी अरब ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, नॉर्वे और कतर के साथ ‘नेट ज़ीरो प्रोड्यूसर्स फोरम’ में शामिल होने की घोषणा की है। इस नए मंच के माध्यम से सभी देश जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के क्रियान्वयन का समर्थन करने संबंधी उपायों पर चर्चा करेंगे। साथ ही इस मंच के माध्यम से वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने पर भी चर्चा की जाएगी। ज्ञात हो कि कनाडा, नॉर्वे, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमेरिका, वैश्विक रूप से तेल तथा गैस उत्पादन के 40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस फोरम के माध्यम से विश्व के कुछ प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देशों द्वारा मीथेन न्यूनीकरण में सुधार करने, चक्रीय कार्बन अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण को बढ़ावा देने; स्वच्छ-ऊर्जा का विकास करने; कार्बन कैप्चर, उपयोग एवं भंडारण प्रौद्योगिकी का विकास करने; हाइड्रोकार्बन राजस्व पर निर्भरता से विविधता लाने जैसे विभिन्न उपायों पर चर्चा की जाएगी, साथ ही इन उपायों के विकास के दौरान विभिन्न देशों की अपनी स्थानीय परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाएगा। ज्ञात हो कि सऊदी अरब ने अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से देश की ऊर्जा का 50 प्रतिशत हिस्सा उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 

नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम 

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ‘नेटवर्क फॉर ग्रीनिंग द फाइनेंशियल सिस्टम’ में शामिल हुआ है। यह केंद्रीय बैंकों का एक स्वैच्छिक समूह है। रिज़र्व बैंक, एक स्थायी और सतत् अर्थव्यवस्था के प्रति ट्रांजीशन का समर्थन करने के लिये वित्त जुटाने हेतु वित्तीय क्षेत्र में पर्यावरण और जलवायु जोखिम प्रबंधन से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा उनमें योगदान देने हेतु शामिल हुआ है। इन नेटवर्क में वर्तमान में कुल 62 केंद्रीय बैंक शामिल हैं और इसका उद्देश्य सदस्यों के लिये ऐसी नीतियों का निर्माण करना है, जो वित्तीय क्षेत्र में पर्यावरण एवं जलवायु जोखिम लचीलेपन को सुनिश्चित कर सकें। जलवायु परिवर्तन, भौतिक जोखिम (चरम मौसम की घटनाओं के कारण उत्पन्न जोखिम) और ट्रांजीशन जोखिम (निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करते हुए नीति, कानूनी और नियामक ढाँचे, उपभोक्ता वरीयताओं और तकनीकी विकास में बदलाव के कारण उत्पन्न जोखिम) के रूप में वित्तीय स्थिरता के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। ज्ञात हो कि हाल ही में न्यूज़ीलैंड जलवायु परिवर्तन के संबंध में कानून बनाने वाला पहला देश बन गया है। न्यूज़ीलैंड का यह कानून वित्तीय कंपनियों के लिये जलवायु-संबंधी जोखिमों की रिपोर्ट करना अनिवार्य बनाता है। 

महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 01 मई को देश के दो बड़े राज्यों (महाराष्ट्र और गुजरात) के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत  भाषाई आधार पर भारत संघ के भीतर राज्यों के लिये सीमाओं को परिभाषित किया गया था। परिणामस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन किया गया। इस अधिनियम के तहत बॉम्बे राज्य का गठन मराठी, गुजराती, कच्छी (Kutchi) एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये किया गया था। हालाँकि यह विविधता की अवधारणा सफल नहीं हो सकी और संयुक्त महाराष्ट्र समिति के तहत बॉम्बे राज्य को दो राज्यों (एक राज्य गुजराती एवं कच्छी भाषी लोगों के लिये और दूसरा राज्य मराठी एवं कोंकणी भाषी लोगों के लिये) में विभाजित किये जाने को लेकर एक आंदोलन की शुरू हो गया। यह आंदोलन वर्ष 1960 तक चला और इस दौरान महाराष्ट्र तथा गुजरात बॉम्बे प्रांत का हिस्सा रहे। वर्ष 1960 में बंबई पुनर्गठन अधिनियम,1960 द्वारा द्विभाषी राज्य बंबई को दो पृथक राज्यों (महाराष्ट्र मराठी भाषी लोगों के लिये और गुजरात, गुजराती भाषी लोगों के लिये) में विभाजित कर दिया गया। इस तरह 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात दो स्वतंत्र राज्यों के रूप में अस्तित्त्व में आए। भारतीय संविधान के तहत ‘गुजरात’ भारतीय संघ का 15वाँ राज्य बना। 

तेलंगाना को कोविड-19 हेतु ड्रोन प्रयोग की अनुमति 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने तेलंगाना सरकार को कोविड वैक्सीन डिलीवरी के लिये ड्रोन की तैनाती की सीमित अनुमति दे दी है। यह अनुमति एक वर्ष की अवधि या अगले आदेश तक के लिये मान्य है। साथ यह आदेश तभी मान्य रहेगा, जब तक तेलंगाना द्वारा सभी शर्तों और नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इस प्रकार की अनुमति का प्राथमिक उद्देश्य तीव्रता से वैक्सीन का वितरण करने और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के दोहरे लक्ष्यों को प्राप्त करना है। इस प्रकार की व्यवस्था से देश में चिकित्सा आपूर्ति शृंखला में सुधार करने में भी मदद मिल सकती है। इससे पूर्व ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) को भी  IIT-कानपुर के सहयोग से ड्रोन का उपयोग करते हुए कोविड-19 वैक्सीन वितरण की व्यवहार्यता का अध्ययन करने हेतु इसी प्रकार की अनुमति दी गई थी।