एडिटोरियल (16 Jun, 2021)



वैश्विक न्यूनतम कर

यह एडिटोरियल दिनांक 15/06/2021 को 'द इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित लेख “Illusion of redistributive justice" पर आधारित है। इसमें वैश्विक न्यूनतम टैक्स से जुड़े मुद्दों पर बात की गई है।

संदर्भ

हाल ही में G7 की बैठक में सातों देशों के वित्त मंत्रियों ने कम से कम 15 प्रतिशत के वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) एवं 100 सबसे बड़ी कंपनियों के अतिरिक्त लाभ को उन देशों के साथ साझा करने, जहाॅं वे कार्य करते, के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है।

  • आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profits Shifting - BEPS) की अवधारणा लागू होने के पश्चात् न्यूनतम वैश्विक कराधान में कर सुधारों की दिशा में एक और सकारात्मक कदम है।
  • इसका उद्देश्य बड़ी कंपनियों को मूल रूप से शेल कंपनियों के माध्यम से अपने लाभ को कम-कर वाले देशों में स्थानांतरित करने से रोकना है। इसका एक और उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्त पोषण को रोकना है।
  • हालाॅंकि जीएमटी से जुड़े कई मुद्दे हैं, विशेषतः विकासशील दुनिया से संबंधित। अंतिम निष्कर्ष पर पहुॅंचने से पहले इन मुद्दों को हल किया जाना चाहिये।

टैक्स हेवन की अवधारणा को समझना

  • परिभाषा: एक टैक्स हेवन देश आम तौर पर एक ऐसा देश है जहाॅं राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर वातावरण में विदेशी व्यवसायों या संस्थाएॅं पर बहुत कम या कोई कर देयता नहीं होती है।
  • विशेषताएॅं: टैक्स हेवन देशों की विशेषताओं में आम तौर पर न्यूनतम आय कर, सूचनाओं की न्यूनतम रिपोर्टिंग, पारदर्शिता में कमी, भौतिक रूप उपस्थित होने की बाध्यता का ना होना इत्यादि, शामिल है।
  • मोडस ऑपरेंडी (कार्य करने का तरीका): आम तौर पर टैक्स हेवन को व्यक्तियों और व्यवसायों के लिये उनकी टैक्स नीतियों से लाभ उठाने के लिये उस देश में निवास या व्यावसायिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
    • व्यक्तियों और निगमों को कानून में कमियों, क्रेडिट या अन्य विशेष उपायों के माध्यम से विदेशों में आय पर लगाए गए कम करों या बिना करों से लाभ हो सकता है। आईएमएफ के एक शोध पत्र के अनुमान के अनुसार, वैश्विक कॉर्पोरेट निवेश का $12 ट्रिलियन कर से बचने के लिये सिर्फ 'Phantam' निवेश (ऐसी जगहों पर निवेश जिसके बारे में कोई विशेष जानकारी ना हो) था।
  • लोकप्रिय टैक्स हेवन: कुछ सबसे लोकप्रिय टैक्स हेवन देशों की सूची में अंडोरा, बहामास, बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, केमैन आइलैंड्स, चैनल आइलैंड्स, कुक आइलैंड्स, हांगकांग, मॉरीशस, लिचेंस्टीन, मोनाको, पनामा शामिल हैं। ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और केमैन आइलैंड्स।
  • इंट्रानेशनल टैक्स हेवन: कुछ मामलों में यदि कुछ स्थानों पर विशेष कर कानून लागू होते हैं तो इंट्रानेशनल स्थानों को भी टैक्स हेवन के रूप में भी पहचाना जा सकता है ।
  • नियामकीय निरीक्षण: दुनिया भर में विदेशी निवेश रिपोर्टिंग को बढ़ाने के लिये कुछ कार्यक्रम हैं। वित्तीय सूचनाओं का स्वचालित आदान-प्रदान इसका एक उदाहरण है, जिसकी देखरेख ओईसीडी करता है।
    • कर प्राप्तियों को अधिकतम करने के लिये कई विदेशी सरकारें विदेशी निवेश खातों के बारे में जानकारी जारी करने के लिये टैक्स हेवन देशों पर निरंतर दबाव बनाए रखती हैं।
    • हालाॅंकि मौद्रिक बोझ के कारण नियामकीय निरीक्षण किसी देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता नहीं हो सकता है।

जीएमटी की कार्य पद्धति?

  • मूल संस्थाओं पर कर लगाना: इसके तहत 750 मिलियन यूरो से अधिक राजस्व वाली फर्मों को वास्तविक और प्रभावी कर दर के बीच अंतर पर कर लगाने का पहला अधिकार उस देश को है जहाॅं ये कंपनियाॅं मूल रूप से स्थित हैं।
  • मिरर नियम: यह नियम भारत जैसे स्रोत देशों को अधिक-कर क्षेत्राधिकार से कम-कर क्षेत्राधिकारों में सीमा पार भुगतान पर कर की उच्च दर लगाने का अधिकार देता है। यह कुछ नियमों एवं शर्तों के अधीन है। इसके लिये दूसरे पक्ष के देश (कम-कर क्षेत्राधिकार वाले देश) के साथ द्विपक्षीय संधि की आवश्यकता होगी।

GMT के साथ संबद्ध मुद्दे

  • रेस टू बॉटम: न्यूनतम कर का अनिवार्य रूप से अर्थ यह होगा कि संधि दरों या स्थानीय कर प्रणालियों में मौजूद कर प्रोत्साहन भी अब उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।
    • यह विकासशील और अविकसित देशों के लिये एक समस्या बनी हुई है, जहाॅं कर प्रोत्साहन निवेश को आकर्षित करने का काम करते हैं।
    • भारत जैसे देश के लिये भी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र के माध्यम से विदेशी निवेशकों को लाने का प्रयास एक प्रोत्साहन है।
  • एक्सक्लूसिविस्ट इन नेचर: जीएमटी का प्रस्ताव प्रकृति में एक्सक्लूसिविस्ट या विशिष्ट है क्योंकि दुनिया के लिये यह नियम चुनिंदा विकसित देशों द्वारा तय किये जाएॅंगे।
    • इसके अलावा, विकासशील देशों के लिये संप्रभुता के नज़रिए से करारोपण चिंता बनी हुई है।
  • प्रतिकूल प्रभाव: यदि सभी राष्ट्र वैश्विक न्यूनतम कर प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं, तो यह एक नई तरह की प्रतिस्पर्द्धा को जन्म दे सकता है - निगम या वाणिज्यिक संस्थाएॅं अपनी मूल शाखा वहाॅं स्थापित करेंगे जहाॅं न्यूनतम कर नियम लागू ना हो। इसके परिणामस्वरूप नए टैक्स हेवन का निर्माण होगा।
  • विकसित देशों की दोहरी प्रकृति: ब्रिटेन लंबे समय से बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, केमैन आइलैंड्स और चैनल आइलैंड्स जैसे ब्रिटिश क्षेत्रों में टैक्स हैवन बनाने में लगा हुआ है।
    • इसके अलावा भारत सहित कुछ देशों ने अपने राजस्व के आधार पर डिजिटल बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाना शुरू कर दिया है। यह अमेरिकी प्रशासन था जिसने भारत और ऐसे अन्य देशों को जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी।
  • विकासशील देशों की विकास में बाधा: 15% न्यूनतम कॉर्पोरेट टैक्स न केवल टैक्स हेवन बल्कि भारत सहित अन्य देशों को प्रभावित करेगा, जो विशिष्ट उद्देश्यों जैसे- निर्यात उद्योग, पिछड़े क्षेत्रों या विशेष आर्थिक क्षेत्रों में निवेश, हरित निवेश, आर एंड डी, त्वरित मूल्यह्रास के लिये टैक्स ब्रेक की पेशकश करते हैं।

निष्कर्ष

सबसे आसान एवं ईमानदार समाधान है कि टैक्स ब्रेक की परवाह किये बिना 15% के वैकल्पिक न्यूनतम कर का प्रावधान किया जाए। कोई भी देश जो विशेष प्रोत्साहनों के माध्यम से राजनीतिक या सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहता है उसे बजटीय अनुदानों के माध्यम से ऐसा करना होगा, कर रियायतों के माध्यम से नहीं।

अभ्यास प्रश्न: वैश्विक न्यूनतम कर का प्रस्ताव वैश्विक कराधान सुधारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालाॅंकि इससे जुड़े कई मुद्दे हैं विशेषतः विकासशील दुनिया से संबंधित। चर्चा कीजिये।