महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा मराठों के लिये 16% कोटा को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा ने सर्वसम्मति से सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में मराठों के लिये 16% आरक्षण का प्रस्ताव करने वाला एक विधेयक पारित किया। इसके साथ ही राज्य की 85% आबादी संविधान के अनुच्छेद 15(4) और अनुच्छेद 16(4) के तहत संवैधानिक लाभ प्राप्त करने की हकदार होगी।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक की मंज़ूरी आरक्षण सीमा को वर्तमान के 52% से बढ़ाकर 68% तक कर देगी, इस प्रकार आरक्षण सीमा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निश्चित किये गए 50% की सीमा को पार कर जाएगी।
- मराठों को 16% आरक्षण प्रदान करने के लिये ‘उपयुक्त’ सुझाव देते हुए यह विधेयक व्यक्त करता है कि, "यह संवैधानिक ढाँचे के अंतर्गत असाधारण समाधान की मांग करने वाली एक असाधारण स्थिति है।"
- विधेयक पारित होने की कार्यवाही की शुरुआत में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) की सिफारिशों पर एक कार्यवाही रिपोर्ट (Action Taken Report-ATR) के साथ दोनों सदनों में विधेयक पेश किया।
- इस मसौदा विधेयक में कहा गया है कि, “महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर विचार किया है। आयोग द्वारा रोज़गार, शिक्षा, सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर सहित संपूर्ण अध्ययन किये जाने के आधार पर सरकार ने मराठों को सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) के अंतर्गत रखने की घोषणा की है।”
- अधिनियम के तहत सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के उद्देश्य के लिये क्रीमी लेयर (Creamy Layer) के सिद्धांत को बनाए रखते हुए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि आरक्षण केवल उन लोगों को उपलब्ध कराया जाए जो क्रीमी लेयर के ‘नीचे’ हैं।
- राज्य की आबादी में 30% का योगदान करने वाले इस समुदाय के लिये मसौदा विधेयक में कहा गया है कि अकादमिक उत्कृष्टता की स्थिति में मराठों की उपस्थिति ‘बहुत ही मामूली’ है।
- औसतन 4.30% अकादमिक और शिक्षण पद ही मराठा समुदाय के व्यक्तियों द्वारा धारित हैं और पारंपरिक डिग्री की कमी उन्हें माथाडी, हमाल, डब्बावाला इत्यादि जैसे कार्यों में नियोजित करती है।
- मसौदा विधेयक में कहा गया है कि, “इस समुदाय के लगभग 70% लोग कच्चे घरों में रह रहे हैं, केवल 35.39% लोगों के पास व्यक्तिगत नल का पानी है तथा 31.79% लोग खाना पकाने के लिये लकड़ी के पारंपरिक ईंधन स्रोतों पर निर्भर हैं। वर्ष 2013-18 के बीच हुई कुल 13,368 आत्महत्या के मुकाबले 2,152 मराठा किसानों ने आत्महत्या की है।”
संविधान में आरक्षण का प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद 46 में राज्य से अपेक्षा की गई है कि वह समाज के कमज़ोर वर्गों, विशेषकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों का ध्याषन रखते हुए उन्हें सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित रखेगा।
- शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान अनुच्छेद 15(4) में किया गया है।
- पदों एवं सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 16(4), 16(4क) और 16(4ख) में किया गया है।
स्रोत : द हिंदू
वैश्विक पोषण रिपोर्ट- 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पोषण पर विश्व की सबसे व्यापक रिपोर्ट ‘वैश्विक पोषण रिपोर्ट’ (Global Nutrition Report- 2018) प्रस्तुत की गई, जो कुपोषण के सभी रूपों में प्रसार और उसकी सर्वव्यापकता को दर्शाती है।
- अपने पाँचवें संस्करण में वैश्विक पोषण रिपोर्ट ने कुपोषण को दूर करने के मामले में देशों की प्रगति के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर कुपोषण रुपी समस्या का समाधान करने वाले उपायों को प्रमुखता से दर्शाया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
हालाँकि कुपोषण को कम करने के मामले में कुछ प्रगति हुई है लेकिन यह प्रगति काफी धीमी है और कुपोषण के सभी रूपों तक इसकी पहुँच नहीं है।
- पाँच साल से कम आयु के बच्चों में स्टंटिंग के मामले में वैश्विक स्तर पर गिरावट दर्ज की गई है लेकिन अफ्रीका में इनकी संख्या बढ़ रही है और देशों के स्तर पर इस प्रगति में बहुत अधिक असमानताएँ हैं। वैश्विक स्तर पर पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच स्टंटिंग का स्तर वर्ष 2000 के 32.6% से घटकर 2017 में 22.2% पर पहुँच गया।
- वैश्विक स्तर पर महिलाओं के बीच कम वजन और एनीमिया की समस्या को हल करने में प्रगति बहुत धीमी रही है, वयस्कों में अधिक वज़न और मोटापे की समस्या में वृद्धि हुई है तथा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में मोटापे की उच्च दर पाई गई है। वर्ष 2000 से अब तक अंडरवेट महिलाओं की संख्या में मामूली कमी आई है, जो वर्ष 2016 में 11.6% से घटकर 9.7% तक पहुँच गई।
- रिपोर्ट के अनुसार, प्रजनन योग्य आयु (Reproductive Age) की एक तिहाई महिलाएँ एनीमिक (Anemic) हैं, जबकि दुनिया के 39% वयस्क अत्यधिक वज़न या मोटापे से ग्रस्त हैं और हर साल करीब 20 मिलियन बच्चे अंडरवेट पैदा होते हैं।
- 194 देशों में से केवल 94 देश 2025 के लिये निर्धारित वैश्विक पोषण लक्ष्यों में से कम से कम एक को पूरा करने के मार्ग पर निश्चित रूप से अग्रसत हैं लेकिन अधिकांश देश एक भी लक्ष्य प्राप्त करने से काफी पीछे हैं।
- नए विश्लेषण से इस बात की पुष्टि होती है कि कुपोषण के विभिन्न रूप एक-दूसरे से संबद्ध होते जा रहे हैं।
- दुनिया भर में तेज़ी से बढ़ते संकट (सामाजिक-आर्थिक) कुपोषण के सभी रूपों से निपटने में काफी बाधा उत्पन्न करते हैं।
कुपोषण को समाप्त करने के लिये प्रतिबद्धताओं में वृद्धि हुई है लेकिन इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिये एक लंबा रास्ता तय करना होगा।
- राष्ट्रीय पोषण नीतियों और पोषण लक्ष्यों की संख्या और विस्तार में वृद्धि हुई है लेकिन, इन लक्ष्यों को पूरा करने में सबसे अहम चुनौती है वित्तपोषण और कार्रवाई।
- ऋणदाताओं ने 2013 में Nutrition for Growth (N4G) शिखर सम्मेलन में किये गए वित्तपोषण प्रतिबद्धता को पूरा किया है, लेकिन विश्व स्तर पर अभी भी वित्तपोषण में भारी कमी है।
- प्रारंभिक संकेतों से पता चलता है कि कम और मध्यम आय वाले देशों में सरकारें पोषण पर अधिक घरेलू व्यय कर रही हैं।
कुपोषण के सभी रूपों को समाप्त करने के लिये आहार में सुधार पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
- अधिक से अधिक बेहतर डेटा से यह समझने में मदद मिलती है कि लोग क्या खा रहे हैं और यह क्यों मायने रखता है, लेकिन इस रिपोर्ट के आँकड़े दर्शाते हैं कि सभी देशों और संपत्ति समूहों में आहार, पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने के क्रम में एक महत्त्वपूर्ण खतरा पैदा करता है।
- स्वस्थ आहार नीतियाँ और कार्यक्रम देश, शहरों और समुदायों में प्रभावी साबित हो रही हैं लेकिन व्यापक स्तर एक समग्र कार्यवाही वाली नीति की कमी है।
हालाँकि डेटा में भी सुधार हो रहा है लेकिन कुछ बुनियादी अंतराल ऐसे हैं जिन्हें भरना अभी शेष है तथा अधिक प्रभावी कार्रवाई को लागू करने के लिये और अधिक निवेश की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में सुझाए गए पाँच महत्त्वपूर्ण कदम
- कुपोषण के सभी रूपों में को समाप्त करने के लिये एकीकृत दृष्टिकोण और एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
- कार्रवाई के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करें और आवश्यक डेटा को प्राथमिकता दें तथा निवेश में वृद्धि करें।
- पोषण कार्यक्रमों के लिये वित्त पोषण में वृद्धि करें और उसमें विविधता एवं नवीनता लाएँ।
- स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिये दुनिया भर में स्वस्थ खाद्य पदार्थों को सस्ता किया जाए और उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- कुपोषण के सभी रूपों में समाप्त करने के लिये बेहतर प्रतिबद्धताओं को अपनाएँ और उन्हें पूरा करने का प्रयास करें - वैश्विक पोषण लक्ष्यों को पूरा करने के लिये एक महत्वाकांक्षी, परिवर्तनीय दृष्टिकोण को अपनाएँ।
वैश्विक पोषण रिपोर्ट और भारत
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुपोषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। पूरी दुनिया में में स्टंटेड (कुपोषण के कारण अविकसित रह जाने वाले) बच्चों की कुल संख्या में लगभग 31 प्रतिशत बच्चे भारतीय हैं। कुपोषण पीड़ित बच्चों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में पहले स्थान पर है।
- इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (International Food Policy Research Institute) के अध्ययन पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 5 साल से कम उम्र के 150.8 मिलियन बच्चे स्टंटिंग और 50.5 मिलियन बच्चे वेस्टिंग (उम्र के अनुसार वज़न में कमी) का शिकार हैं।
- कुपोषण के कारण ओवरवेट होने वाले बच्चों की संख्या भारत में 10 लाख से अधिक है जिसके कारण भारत उन 7 देशों में शामिल है जहाँ कुपोषण के कारण ओवरवेट बच्चों की संख्या अधिक है। इस लिस्ट में शामिल अन्य देश हैं- अमेरिका, चीन, पाकिस्तान, मिस्र, ब्राजील और इंडोनेशिया। उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में कुपोषण के कारण ओवरवेट का शिकार होने वाले बच्चों की संख्या 38.3 मिलियन है।
स्टंटिंग से पीड़ित बच्चों की संख्या के अनुसार शीर्ष 3 देश
- भारत- 46.6 मिलियन
- नाइजीरिया- 13.9 मिलियन
- पाकिस्तान- 10.7 मिलियन
वेस्टिंग से पीड़ित बच्चों की संख्या के अनुसार शीर्ष 3 देश
- भारत- 25.5 मिलियन
- नाइजीरिया- 3.4 मिलियन
- इंडोनेशिया- 3.3 मिलियन
वैश्विक पोषण रिपोर्ट के बारे में
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट दुनिया भर में कुपोषण की स्थिति पर दुनिया का सबसे प्रमुख प्रकाशन है।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट की परिकल्पना वर्ष 2013 में न्यूट्रीशन फॉर ग्रोथ (Nutrition for Growth-N4G) शिखर सम्मेलन में की गई थी। वर्ष 2014 में इस रिपोर्ट का पहला संस्करण प्रकाशित किया गया था।
- यह डेटा संचालित रिपोर्ट है तथा वार्षिक रूप से प्रकाशित की जाती है।
- यह वैश्विक पोषण लक्ष्यों पर प्रगति को ट्रैक करता है, जिसमें आहार से संबंधित NCDs से लेकर मातृ, शिशु और युवा बाल पोषण शामिल होते हैं।
- 2018 वैश्विक पोषण रिपोर्ट मौजूदा प्रक्रियाओं की समीक्षा करती है, कुपोषण का मुकाबला करने में हुई प्रगति पर प्रकाश डालती है, चुनौतियों की पहचान करती है और उन्हें हल करने के तरीकों का प्रस्ताव देती है।
- यह दुनिया के अग्रणी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और सरकारी प्रतिनिधियों के एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (Independent Expert Group- IEG) द्वारा किये गए शोध और विश्लेषण के आधार पर तैयार की जाती है।
- विश्व बैंक (World Bank) इस रिपोर्ट का वैश्विक भागीदार है।
स्रोत : यूनिसेफ वेबसाइट तथा इकोनॉमिक टाइम्स
खाद्यान्न से एथेनॉल निष्कर्षण की अनुमति
संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार ने एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत एथेनॉल निष्कर्षण की परिधि को बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि अब मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे खाद्यान्नों के अधिशेष और फलों/सब्जियों के अपशिष्ट से भी एथेनॉल निष्कर्षण की अनुमति होगी।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत मक्का, जवार तथा बाजरे को शामिल करना किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगा तथा EBP कार्यक्रम को विस्तार भी मिलेगा।
- एथेनॉल की प्राप्ति हेतु लिया गया यह निर्णय आपूर्ति वर्ष 2018-19 से लागू होगा।
- अब तक, ईंधन मिश्रण कार्यक्रम के तहत खरीद के लिये केवल अतिरिक्त गन्ना उत्पादन को एथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति थी।
- राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 (The National Policy on Biofuels 2018) ने अधिशेष उत्पादन की स्थिति में एथेनॉल के उत्पादन के लिये अनाज की अतिरिक्त मात्रा को रूपांतरित करने की अनुमति देने हेतु राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (National Biofuel Coordination Committee-NBCC) को अधिकार प्रदान किया है।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति, 2018
- इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
- नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2G) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (MSW) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3G) के जैव ईंधन, बायोसीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।
- अतिरिक्त उत्पादन के चरण के दौरान किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलने का खतरा होता है। इसे ध्यान में रखते हुए इस नीति में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की मंज़ूरी से एथेनॉल उत्पादन के लिये (पेट्रोल के साथ उसे मिलाने हेतु) अधिशेष अनाजों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।
- NBCC ने EBP कार्यक्रम के लिये फलों/सब्जियों के अपशिष्ट जैसे अन्य फीडस्टॉक से एथेनॉल का उत्पादन करने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दे दी है।
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग (DAC&FW) ने EBP कार्यक्रम के तहत एथेनॉल के उत्पादन हेतु आपूर्ति वर्ष 2018-2019 के दौरान खाद्यान्न के अधिशेष (Surplus) का अनुमान लगाया है।
तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य (Target for OMCs)
- EBP कार्यक्रम के तहत, केंद्र सरकार ने तेल विपणन कंपनियों (OMCs) से 2022 तक एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल को 10 प्रतिशत तक लक्षित करने के लिये कहा है।
- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन द्वारा संकलित आँकड़ों के मुताबिक, 1 अक्तूबर तक एथेनॉल मिश्रण हेतु देशव्यापी औसत 4.02 प्रतिशत था।
- हालाँकि एथेनॉल में भारी कमी उक्त लक्ष्य को पूरा करने में बाधा है। वर्तमान में, एथेनॉल के उत्पादन में सी-भारी शीरे (‘C-heavy’ molasses) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार ने इस साल की शुरुआत में एक संशोधित जैव ईंधन नीति प्रस्तुत किया था।
- यह नीति उन चीनी मिलों को प्रोत्साहित करती है जो एथेनॉल उत्पादन के लिये 'बी-भारी' शीरा और गन्ने के रस का उपयोग करती हैं।
स्रोत- द हिंदू बिजनेस लाइन
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (30 November)
- अर्जेंटीना में ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटीज़ या G20 शिखर सम्मेलन
- महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा मराठों के लिये 16% कोटा को मंज़ूरी, महाराष्ट्र विधान सभा में बिल सर्वसम्मति से पारित।
- यूनिसेफ (unicef) ने पोषण पर विश्व की व्यापक रिपोर्ट की जारी, रिपोर्ट का शीर्षक है ‘वैश्विक पोषण रिपोर्ट’ (Global Nutrition Report- 2018)
- मक्का, ज्वार, बाजरा जैसे खाद्यान्नों से भी एथेनॉल निकालने की मिली अनुमति
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UNESCO ने वैश्विक अमूर्त विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage) में जमैका की रेगे (Reggae) संगीत विधा को किया शामिल, बॉब मार्ले जैसे कलाकारों की वजह से प्राप्त है मशहूर
- भारत और ब्रिटेन (United Kingdom) के बीच शुरू हुआ नौसैनिक अभ्यास कोंकण, वर्ष 2004 में हुई थी शुरुआत
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 30 नवंबर, 2018
कोंकण युद्धाभ्यास-18 (KONKAN exercise)
हाल ही में भारत और ब्रिटेन (United Kingdom) के बीच नौसैनिक अभ्यास कोंकण (KONKAN) की शुरुआत हुई।
- कोंकण युद्धाभ्यास दोनों देशों की नौसेनाओं को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ समुद्र और बंदरगाह में समय-समय पर युद्धाभ्यास हो सके ताकि पारस्परिकता निर्मित की जा सके और बेहतरीन कार्यप्रणाली का आदान-प्रदान किया जा सके।
- कोंकण युद्धाभ्यास श्रृंखला की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई थी।
रेगे (Reggae) संगीत
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को (UNESCO) ने वैश्विक अमूर्त विरासत सूची (Intangible Cultural Heritage) में जमैका की रेगे (Reggae) संगीत विधा को शामिल किया है।
- इस संगीत को बॉब मार्ले जैसे कलाकारों की वजह से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।
अमूर्त विरासत
- 2003 में, यूनेस्को की महासभा ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि के रूप में अमूर्त विरासत की सुरक्षा के समझौते को अपनाया और स्वीकार किया कि सांस्कृतिक विरासत में मात्र मूर्त स्थान, स्मारक और वस्तुएँ ही नहीं, बल्कि परंपराएँ और जीवंत अभिव्यक्तियाँ भी शामिल हैं।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का अर्थ प्रथाओं, प्रतिनिधित्वों, अभिव्यक्तियों, ज्ञान और कौशल के साथ-साथ उनसे जुड़े उपकरणों, वस्तुओं, कलाकृतियों और सांस्कृतिक स्थानों से है, जिन्हें विभिन्न समुदाय, समूह और व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत का एक भाग मानते हैं।
भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
- कुंभ मेला, पंजाब के ठठेरा समुदाय की तम्बा और पीतल के बर्तन बनाने की परंपरागत कला, संकीर्तन (अनुष्ठान गायन, ड्रमिंग और नृत्य- मणिपुर), लद्दाख का बौद्ध ग्रंथों का मंत्रोच्चार (Buddhist chanting), छाऊ नृत्य, कालबेलिया (राजस्थान का लोक गीत और नृत्य), कुटीयट्टम (केरल का संस्कृत थियेटर), मुड़ियेत्तू, वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा, रामलीला, नौरोज़ (पारसी नववर्ष) और रम्माण (गढ़वाल का धार्मिक उत्सव)।
बुद्ध की 70 फीट ऊँची प्रतिमा
हाल ही में नालंदा (बिहार) के राजगीर में बुद्ध की 70 फीट ऊँची प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- इस मूर्ति का निर्माण घोड़ा कटोरा झील के बीच में 32 मीटर व्यास वाली पीठिका (pedestal) पर किया गया है।
- इस मूर्ति के निर्माण में 45,000 क्यूबिक फीट चुनार (उत्तर प्रदेश) के गुलाबी बलुआ पत्थर (pink sand stone) का उपयोग किया गया है।
- इस मूर्ति में भगवान् बुद्ध को ध्यान चक्र मुद्रा में दर्शाया गया है।
- घोड़ा कटोरा झील पाँच पहाड़ियों से घिरी एक प्राकृतिक झील है।