डेली न्यूज़ (27 Mar, 2020)



अफगानिस्तान की आर्थिक सहायता में कटौती

प्रीलिम्स के लिये 

अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता

मेन्स के लिये

शांति समझौते से संबंधी प्रमुख बिंदु और भारत तथा अमेरिका पर इसका प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका ने अफगानिस्तान में राष्ट्रपति और अन्य नेताओं के नई सरकार के गठन में विफल होने के पश्चात् अफगानिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता में 1 बिलियन डॉलर की कटौती की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) ने इस संदर्भ में घोषणा करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के नेताओं की इस विफलता के कारण अमेरिका के राष्ट्रीय हितों पर प्रत्यक्ष रूप से खतरा पैदा हो गया है।
  • उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला दोनों ने ही बीते वर्ष स्वयं को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया था।
  • अमेरिका के अनुसार, दोनों ही नेता तालिबान के साथ जारी गृहयुद्ध सहित देश के समक्ष मौजूद तमाम चुनौतियों का सामना करने के लिये एक समावेशी सरकार के गठन में विफल रहे हैं।
  • उल्लेखनीय है कि अमेरिका 9/11 हमले और तालेबान को उखाड़ फेंकने के पश्चात् से अफगानिस्तान की सरकार का प्रमुख समर्थक रहा है।
  • अफगानी नेताओं से वार्ता के पश्चात् विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी  के साथ भी बैठक की। माइक पोम्पिओ के अनुसार, अशरफ गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला बीते महीने हस्ताक्षरित अमेरिकी-तालिबान शांति समझौते का समर्थन करने हेतु किये गए समझौतों के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे थे।

अमेरिकी-तालिबान शांति समझौता

  • कतर के दोहा में अमेरिका के शांति प्रतिनिधि जलमय खालिज़ाद और तालिबान के प्रतिनिधि मुल्ला अब्दुल गनी बारादर के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस समझौते के अनुसार, अमेरिका आगामी 14 महीने में अफगानिस्तान से अपने सभी सैन्य बलों को वापस बुलाएगा। उल्लेखनीय है कि इस समझौते के दौरान भारत सहित दुनिया भर के 30 देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
  • इस समझौते के तहत अमेरिका, अफगानिस्तान में मौजूद अपने सैनिकों की संख्या में धीरे-धीरे कमी करेगा। इसके तहत अगले 6 महीने में लगभग 8,600 सैनिकों को वापस अमेरिका भेजा जाएगा।
  • अमेरिका अपनी ओर से अफगानिस्तान के सैन्य बलों को सैन्य साजो-सामान देने के साथ प्रशिक्षित भी करेगा, ताकि वह भविष्य में आंतरिक और बाहरी हमलों से खुद के बचाव में पूरी तरह से सक्षम हो सकें।
  • तालिबान ने इस समझौते के तहत बदले में अमेरिका को भरोसा दिलाया है कि वह अलकायदा और दूसरे विदेशी आतंकवादी समूहों से अपने संबंध समाप्त कर देगा।
  • तालिबान अफगानिस्तान की धरती को आतंकवादी गतिविधियों के लिये इस्तेमाल नहीं होने देने में अमेरिका की मदद करेगा।

पृष्ठभूमि

  • तालिबान का उदय 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में अफगानिस्तान से सोवियत संघ सेना की वापसी के पश्चात् हुआ। उत्तरी पाकिस्तान के साथ-साथ तालिबान ने पश्तूनों के नेतृत्व में अफगानिस्तान में भी अपनी मज़बूत पृष्ठभूमि बनाई।
  • विदित है कि तालिबान की स्थापना और प्रसार में सबसे अधिक योगदान धार्मिक संस्थानों एवं मदरसों का था जिन्हें सऊदी अरब द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाता था। प्रारंभ में तालिबान को भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर अंकुश लगाने तथा विवादित क्षेत्रों में अपना नियंत्रण स्थापित कर शांति स्थापित करने जैसी गतिविधियों के कारण सफलता मिली।
  • शुरुआत में दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान में तालिबान ने अपना प्रभाव बढ़ाया तथा इसके पश्चात् ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर अधिकार कर लिया।
  • धीरे-धीरे तालिबान पर मानवाधिकार का उल्लंघन और सांस्कृतिक दुर्व्यवहार के आरोप लगने लगे। तालिबान द्वारा विश्व प्रसिद्ध बामियान बुद्ध प्रतिमाओं को नष्ट करने की विशेष रूप से आलोचना की गई।
  • वर्ष 2001 में न्यूयॉर्क में आतंकी हमले के बाद तालिबान दुनिया की नज़रों में आया। इसी दौरान 7 अक्तूबर 2001 को अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया। अमेरिकी सेना ने तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया।
  • हालाँकि, इस हमले के बावजूद तालिबान नेता मुल्ला उमर और अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पकड़ा नहीं जा सका। मई 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड ओसामा-बिन-लादेन को अमेरिकी सेनाओं द्वारा मार गिराया गया।

भारत की भूमिका 

  • भू-राजनैतिक रूप से अहम अफगानिस्तान में तालिबान के प्रसार से वहाँ की नवनिर्वाचित सरकार को खतरा होगा और भारत की कई विकास परियोजनाएँ प्रभावित होंगी।
  • इसके अतिरिक्त पश्चिम एशिया में अपनी पैठ बनाने में लगी भारत सरकार को बड़ा नुकसान होगा।
  • इसके साथ ही भारत पहले से ही अफगानिस्तान में अरबों डॉलर की लागत से कई बड़ी परियोजनाएँ पूरी कर चुका है और इनमें से कुछ पर अभी भी काम चल रहा है।

आगे की राह

अनवरत बदलते वैश्विक परिदृश्य में क्षेत्र विशिष्ट में शांति स्थापित करना काफी आवश्यक है। इस कार्य हेतु सभी नेताओं को अपने राजनीतिक हित एक ओर रखकर एक मंच पर आना होगा। भारत इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है, भारत के लिये यह अनिवार्य हो जाता है कि अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत किया जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


एकलव्य मॉडल आवासीय तथा डे बोर्डिंग विद्यालय

प्रीलिम्स के लिये:

EMRS, EMDBS, JNV विद्यालय

मेन्स के लिये:

जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs- MTA) ने COVID- 19 महामारी के चलते उत्पन्न आकस्मिक स्वास्थ्य स्थिति के मद्देनज़र राज्य सरकारों को एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential Schools- EMRS) एवं एकलव्य मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल (Eklavya Model Day Boarding Schools- EMDBS) में अवकाश के पुनर्निर्धारण करने के लिये पत्र लिखा है।

मुख्य बिंदु: 

  • अवकाश पुनर्निर्धारण का निर्णय COVID- 19 महामारी के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली संवेदनशील स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए लिया गया है।
  • स्थानीय प्रशासन ने संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये अवकाश की घोषणा सहित अनेक निवारक उपाय अपनाने के लिये निर्देश जारी किये हैं। कुछ मामलों में, जारी किये गए निर्देश निर्धारित वार्षिक परीक्षाओं को पूरा करने की अनुमति देते हैं।

EMRS योजना:

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना की शुरुआत वर्ष 1998 में की गई थी तथा इस तरह के प्रथम विद्यालय का शुभारंभ वर्ष 2000 में महाराष्‍ट्र में हुआ था। 
  • EMRS आदिवासी छात्रों के लिये उत्‍कृष्‍ट संस्‍थानों के रूप में कार्यरत हैं। राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में 480 छात्रों की क्षमता वाले EMRS की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 275 (1) के अंतर्गत अनुदान द्वारा विशेष क्षेत्र कार्यक्रम (Special Area Programme- SAP) के तहत की जा रही है। 
  • अनुसूचित जनजाति के बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा प्रदान करने के लिये EMRS एक उत्‍कृष्‍ट दृष्टिकोण है। EMRS में छात्रावासों और स्टाफ क्‍वार्टरों सहित विद्यालय की इमारत के निर्माण के अलावा खेल के मैदान, छात्रों के लिये कंप्यूटर लैब, शिक्षकों के लिये संसाधन कक्ष आदि का भी प्रावधान किया गया है।

एकलव्य मॉडल डे-बोर्डिंग विद्यालय (EMDBS):

  • जिन उप-ज़िला (Sub-District) क्षेत्रों की 90% या इससे अधिक जनसंख्या  अनुसूचित जनजातीय समुदाय से संबंधित है, उन क्षेत्रों में प्रयोगात्मक आधार पर एकलव्य मॉडल डे-बोर्डिंग विद्यालय  स्थापित करने का प्रस्ताव है। 
  • इन विद्यालयों का उद्देश्य, बिना आवासीय सुविधा के ST छात्रों को विद्यालय शिक्षा का लाभ देना है।

जवाहर नवोदय विद्यालय

(Jawahar Navodaya Vidyalayas- JNV): 

  • JNV की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखे बिना सांस्कृतिक मूल्यों युक्त, पर्यावरण शिक्षा, साहसिक गतिविधियों एवं शारीरिक शिक्षा के साथ प्रतिभाशाली ग्रामीण छात्रों को अच्छी गुणवत्ता वाली आधुनिक शिक्षा प्रदान करना है।  

नवीन संशोधन:

  • वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs- CCEA) ने 50 प्रतिशत से ज़्यादा जनजातीय आबादी एवं 20,000 जनजातीय जनसंख्या वाले प्रत्येक प्रखंड (block) में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अथवा एकलव्य मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूल (Eklavya Model Residential Schools- EMRSs) खोलने को सैद्धांतिक मंज़ूरी प्रदान की थी। 
  • पहले से स्‍वीकृत EMRS में प्रति स्‍कूल 5 करोड़ रुपए तक की अधिकतम राशि की लागत के आधार पर आवश्‍यकता के अनुसार सुधार कार्य किया जाएगा। 
  • 163 जनजातीय बहुल ज़िलों में प्रति 5 करोड़ रुपए लागत वाली खेल सुविधाएँ (Sports Facilities) स्थापित की जाएंगी, इसमें से प्रत्‍येक का निर्माण वर्ष 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। 

संशोधन का प्रभाव:

  • 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी और 20,000 जनजातीय जनसंख्या वाले 102 प्रखंडों में पहले से ही EMRS का संचालन किया जा रहा है। इस प्रकार देश भर में इन प्रखंडों में 462 नए EMRS की स्‍थापना की जाएगी।
  • पूर्वोत्‍तर (North East), पर्वतीय क्षेत्रों (Hilly Areas), दुर्गम क्षेत्रों (difficult areas) तथा वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित क्षेत्रों (areas affected by Left Wing Extremisma) में निर्माण के लिये 20 प्रतिशत अतिरिक्‍त राशि उपलब्‍ध कराई जाएगी।

अनुसूचित जनजाति के बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा प्रदान करने के लिये EMRS एक उत्‍कृष्‍ट दृष्टिकोण है। जनजातीय लोगों की शिक्षा संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने हेतु विशेष हस्‍तक्षेपों पर ध्‍यान केंद्रित किये जाने से उनके जीवन में सुधार लाने के साथ ही उनके अन्‍य सामाजिक समूहों के समकक्ष आने की संभावना है। 

स्रोत: पीआईबी


COVID-19 के लिये राहत पैकेज

प्रीलिम्स के लिये 

सरकार द्वारा की गई प्रमुख घोषणाएँ

मेन्स के लिये

सरकार द्वारा की गई घोषणाओं का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘कोरोनावायरस’ (COVID-19) के विरुद्ध लड़ाई में गरीबों की मदद करने के उद्देश्‍य से ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु

  • वित्त मंत्री ने कहा कि ‘सरकार द्वारा किये गए विभिन्‍न उपायों का उद्देश्य निर्धनतम लोगों को भोजन आदि की सुविधा प्रदान कर उनकी भरसक मदद करना है, ताकि उन्‍हें आवश्यक आपूर्ति या वस्‍तुओं को खरीदने और अपनी अनिवार्य ज़रूरतों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।’
  • हाल ही में सरकार ने कोरोनावायरस की महामारी को देखते हुए 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी, जो कि इस कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी से निपटने के लिये एक सराहनीय कदम के रूप में देखा गया था। 
  • हालाँकि सरकार के इस निर्णय से भारत के एक बड़े वर्ग के समक्ष आर्थिक तंगी की स्थिति उत्पन्न हो गई है और उन्हें दैनिक आधार पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 

सरकार द्वारा घोषित उपाय 

  • स्वास्थ्य कर्मियों के लिये बीमा योजना
    • सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोनावायरस (COVID-19) से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिये बीमा योजना शुरू की जाएगी। 
    • इस बीमा योजना के तहत सफाई कर्मचारी, वार्ड-ब्‍वॉय, नर्स, आशा कार्यकर्त्ता, सहायक स्‍वास्‍थ्‍य कर्मी, टेक्निशियन, डॉक्टर और विशेषज्ञ एवं अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता आदि सभी को शामिल किया जाएगा।
    • COVID-19 मरीज़ों का इलाज करते समय यदि किसी भी स्वास्थ्य कर्मी के साथ दुर्घटना होती है तो उसे योजना के तहत 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।
    • सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, वेलनेस सेंटरों और केंद्र के साथ-साथ राज्यों के अस्पतालों को भी इस योजना के तहत कवर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत महामारी से लड़ रहे लगभग 22 लाख स्वास्थ्य कर्मि‍यों को लाभ प्राप्त होगा।
  • पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना
    • इस मुख्य उद्देश्य भारत के गरीब परिवारों के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत भारत के लगभग 80 करोड़ व्यक्तियों (भारत की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या) को शामिल किया जाएगा।
    • इनमें से प्रत्येक व्‍यक्ति को आगामी 3 महीनों के दौरान मौज़ूदा निर्धारित अनाज के मुकाबले दोगुना अन्‍न मुफ्त प्रदान किया जाएगा।
    • उपर्युक्त सभी व्यक्तियों को प्रोटीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये आगामी 3 महीनों के दौरान क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार प्रत्‍येक परिवार को मुफ्त में 1 किलो दाल भी प्रदान की जाएगी।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
    • किसानों को लाभ: सरकार की घोषणा के अनुसार, वर्ष 2020-21 में देय 2,000 रुपए की पहली किस्त अप्रैल 2020 में ही ‘पीएम किसान योजना’ के तहत खाते में डाल दी जाएगी। इसके तहत 7 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा।
    • गरीबों को लाभ: कुल 40 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री जन धन योजना की महिला खाताधारकों को आगामी तीन महीनों के दौरान प्रति माह 500 रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।
    • गैस सिलेंडर: पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत आगामी 3 महीनों में 8 करोड़ गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर मुफ्त में दिये जाएंगे।
    • वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगजनों के लिये: सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, सरकार अगले 3 महीनों के दौरान भारत के लगभग 3 करोड़ वृद्ध, विधवाओं और दिव्यांग श्रेणी के लोगों को 1,000 रुपए प्रदान करेगी।
    • मनरेग : ‘पीएम गरीब कल्याण योजना’ के तहत 1 अप्रैल, 2020 से मनरेगा मज़दूरी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की जाएगी। मनरेगा के तहत मज़दूरी बढ़ने से प्रत्‍येक श्रमिक को प्रतिवर्ष 2,000 रुपए का अतिरिक्त लाभ होगा। इसके तहत लगभग 62 करोड़ परिवार लाभान्वित होंगे।
    • स्वयं सहायता समूह (SHG): राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों के लिये जमानत (Collateral) मुक्त ऋण देने की सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की जाएगी।
  • अन्य संबंधित घोषणाएँ 
    • कर्मचारी भविष्य निधि नियमनों में संशोधन कर ‘महामारी’ को भी उन कारणों में शामिल किया जाएगा जिसे ध्‍यान में रखते हुए कर्मचारियों को अपने खातों से कुल राशि के 75 प्रतिशत का गैर-वापसी योग्य अग्रिम या तीन माह का पारिश्रमिक, इनमें से जो भी कम हो, प्राप्‍त करने की अनुमति दी जाएगी। EPF के तहत पंजीकृत चार करोड़ कामगारों के परिवार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
    • राज्य सरकारों को देश के भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों की सहायता के लिये ‘भवन एवं अन्य निर्माण कोष’ का उपयोग करने के लिये निर्देश दिये जाएंगे, ताकि वे इन श्रमिकों को आर्थिक मुश्किलों से बचाने के लिये आवश्‍यक सहायता और सहयोग प्रदान कर सकें। ‘भवन एवं अन्य निर्माण कोष’ केंद्र सरकार के अधिनियम के तहत बनाया गया है। ध्यातव्य है कि इस कोष में लगभग 3.5 करोड़ पंजीकृत श्रमिक हैं।

इन घोषणाओं का प्रभाव

  • विशेषज्ञों ने सरकार द्वारा की गई इस घोषणा को सहायता राशि से अधिक राहत प्रदान करने के लिये एक अभिनव तरीका करार दिया है।
  • सरकार द्वारा की गई घोषणा में देश के उन सभी वर्गों को शामिल किया गया है, जिन्हें इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में सहायता की आवश्यकता है।
  • हालाँकि सरकार द्वारा घोषित इन योजनाओं के क्रियान्वयन स्तर पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू


भारत का मरुस्थलीकरण एवं भूमि अवनयन एटलस

प्रीलिम्स के लिये:

भूमि अवनयन रोकने संबंधी परियोजनाएँ  

मेन्स के लिये:

भारत में मरुस्थलीकरण एवं भूमि अवनयन 

चर्चा में क्यों?

हाल में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री (Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare) ने राज्यसभा में उत्तर देते हुए बताया कि सरकार अवनयित भूमि को कृषि योग्य भूमि में बदलने के लिये अनेक कदम उठा रही है। 

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2011-2013 की अवधि के लिये इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (Space Applications Centre- SAC) द्वारा तैयार किये गए ‘भारत में मरुस्थलीकरण एवं भूमि अवनयन एटलस’ (Desertification and Land Degradation Atlas of India) के अनुसार, देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 96.4 मिलियन हेक्टेयर अर्थात् 29.32% क्षेत्र मरुस्थलीकरण/भूमि क्षरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है।

IPCC रिपोर्ट: 

  • अगस्त 2019 में ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल’ (Intergovernmental Panel for Climate Change- IPCC) द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं भूमि पर विशेष रिपोर्ट (Special Report on Climate Change & Land) जारी की गई, जिसके अनुसार भूमि उपयोग परिवर्तन, भूमि उपयोग तीव्रता एवं जलवायु परिवर्तन ने मरुस्थलीकरण तथा भूमि अवनयन को बढ़ाया है। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन, जिसमें चरम जलवायवीय घटनाओं की आवृत्ति एवं तीव्रता में वृद्धि भी शामिल है, ने खाद्य सुरक्षा एवं  स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, साथ ही कई क्षेत्रों में मरुस्थलीकरण एवं भूमि अवनयन को बढ़ाया है।

भूमि पूनर्बहाली की दिशा में कदम:

  • वर्षा अपवाह जल संबंधी:
    • बंजर भूमि की पुनः बहाली के लिये ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’, नई दिल्ली (Indian Council for Agricultural Research- ICAR) भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (Indian Institute of Soil and Water Conservation- IISWC) के माध्यम से ने वर्षा अपवाह जल से मिट्टी के अवनयन रोकने के लिये अवस्थिति विशिष्टता (Location Specific) आधारित जैव-इंजीनियरिंग मानक विकसित किये हैं।
  • वायु अपरदन संबंधी:
    • केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (Central Arid Zone Research Institute- CAZRI), जोधपुर ने वायु अपरदन रोकने के लिये बालुका स्तूप स्थिरीकरण (Sand Dune Stabilization) तथा आश्रय बेल्ट (Shelter Belt) तकनीक विकसित की है।
  • लवणता संबंधी 
    • नमक प्रभावित मृदाओं पर केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल (Central Soil Salinity Research Institute, Karnal) तथा अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (All India Coordinated Research Project- AICRP) के माध्यम से ICAR लवणीय मृदा की उत्पादकता में सुधार के लिये भूमि पुनरुद्धार, उप-सतही जल निकासी, जैव-जल निकासी, कृषि वानिकी हस्तक्षेत, लवणता सहिष्णु फसल किस्मों का विकास किया है ताकि देश में लवणीय, क्षारीय तथा जल जमाव युक्त मिट्टी की उत्पादकता में सुधार किया जा सके।
  • कृषि संबंधी:
    • ICAR जलवायु सुनम्य कृषि पर राष्ट्रीय नवाचार ( National Innovations on Climate Resilient Agriculture- NICRA) प्रोज़ेक्ट के माध्यम से जलवायु सुनम्य तकनीकों, जिसमें सूखा सहन करने वाली छोटी अवधि की फसल, फसल विविधीकरण, एकीकृत कृषि प्रणाली, मिट्टी एवं जल संरक्षण जैसे उपाय शामिल हैं, को जलवायु परिवर्तन के प्रति सर्वाधिक सुभेद्य 151 ज़िलों में लागू किया जाएगा। 
    • 651 ज़िलों के लिये किसी भी प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से निपटने के लिये कृषि आकस्मिक योजनाएँ (Agricultural Contingent Plans) तैयार की गई हैं।
  • वनारोपण संबंधी:
    • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) का राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण विकास बोर्ड (National Afforestation & Eco Development Board- NAEB) अवनयित वन क्षेत्रों की पारिस्थितिक बहाली के लिये 'राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम' (National Afforestation Programme- NAP) को लागू कर रहा है, जिसके तहत 2 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वनीकरण के लिये 3.874 करोड़ से अधिक को मंज़ूरी दी गई है।
    • ग्रीन इंडिया मिशन, ‘क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण’ (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority- CAMPA) के तहत संचित निधि तथा नगर वन योजना आदि के तहत जमा किया गया फंड भी वन परिदृश्य के अवनयन रोकने तथा पुनर्स्थापन में भी मदद करेगा।
    • MoEF&CC वनों के बाहर भी वृक्षारोपण को बढ़ावा देगा क्योंकि देश में कृषि वानिकी के विस्तार, बंजर भूमि के इष्टतम उपयोग एवं खुली भूमि पर वृक्षारोपण के माध्यम से वनों के बाहर वृक्ष (Trees Outside Forest- TOF) क्षेत्र को बढ़ाने की बहुत अधिक संभावना है।
  • जल ग्रहण प्रबंधन संबंधी:
    • भूमि संसाधन विभाग ने वर्ष 2009-10 से वर्ष 2014-15 की अवधि के दौरान  28 राज्यों में (गोवा के अलावा) में (अब 27 राज्य और जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के 2 केंद्र शासित प्रदेश) लगभग 39.07 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 8214 वाटरशेड विकास परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। शुद्ध कृषि क्षेत्र तथा कृषि योग्य बंजर भूमि के वर्षा आधारित भागों के विकास के लिये एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम (Integrated Watershed Management Programme- IWMP) को लागू किया जाएगा। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि IWMP को वर्ष 2015-16 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (WDC-PMKSY) के वाटरशेड विकास घटक के रूप में शामिल कर दिया गया है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता:
    • भारत ने वर्ष 2030 तक भूमि अवनयन तटस्थता (Land Degradation Neutrality- LDN) की स्थिति हासिल करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की है।

भूमि अवनयन तटस्थता

(Land Degradation Neutrality- LDN):

  • LDN को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है,  जिसमें भूमि संसाधनों की मात्रा एवं गुणवत्ता, पारिस्थितिक तंत्र के कार्यों तथा सेवाओं का समर्थन करने और खाद्य सुरक्षा के लिये आवश्यक है, तथा वे कालिक या स्थानिक पैमानों  पर स्थिर रहते हैं या उनमें वृद्धि होती है।
  • इसके अलावा, सितंबर 2019 में भारत में आयोजित यूनाइटेड  ‘मरुस्थलीकरण रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ (UNCCD) के ‘COP- 14’ वें सत्र में वर्ष 2030 तक 21-26 मिलियन हेक्टेयर अवनयित भूमि को पुन: बहाल करने की अपनी महत्त्वाकांक्षा जाहिर की है। 

आगे की राह:

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को स्थिर करने, वन्यजीव प्रजातियों को बचाने , खाद्य सुरक्षा एवं समस्त मानव जाति की रक्षा के लिये मरुस्थलीकरण को समाप्त करना आवश्यक है। वनों की रक्षा करना तथा भूमि संरक्षण करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है, अत: दुनिया भर के लोगों एवं सरकारों को इसे निभाने के लिये आगे आना चाहिये।

स्रोत: PIB


आंतरिक दहन इंजन की ईंधन दक्षता में सुधार

प्रीलिम्स के लिये:

इंटरनेशनल एडवांस्ड सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स, अल्ट्राफास्ट लेज़रसरफेस टेक्सचरिंग तकनीक

मेन्स के लिये:

अल्ट्राफास्ट लेज़रसरफेस टेक्सचरिंग तकनीक से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘इंटरनेशनल एडवांस्ड सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स’ (International Advanced Centre for Powder Metallurgy & New Materials-ARCI) ने एक ‘अल्ट्राफास्ट लेज़रसरफेस टेक्सचरिंग’ (Ultrafast Laser Surface Texturing) तकनीक विकसित की है।

प्रमुख बिंदु:

  • अल्ट्राफास्ट लेज़रसरफेस टेक्सचरिंग तकनीक से आंतरिक दहन इंजनों की ईंधन दक्षता में सुधार किया जा सकता है। 
  • माइक्रो-सरफेस टेक्सचर (Micro Surface Texture) के आकार, बनावट और घनत्व को सटीक नियंत्रण प्रदान करने वाली लेज़रसरफेस माइक्रो-टेक्सचरिंग तकनीक  घर्षण और घिसाव पर प्रभावशाली रूप से नियंत्रण बनाती है

अल्ट्राफास्ट लेज़र सरफेस टेक्सचरिंग तकनीक

(Ultrafast Laser Surface Texturing Technology) के बारे में:

  • इस तकनीक में, एक स्पंदित लेज़र बीम के माध्यम से बेहद नियंत्रित तरीके से वस्तुओं की सतह पर सूक्ष्म-गर्तिका अथवा खांचे (Micro-Dimples or Grooves) का निर्माण किया जाता है।
  • इस तरह के सतह ड्राई स्लाइडिंग की स्थिति में और तेल की आपूर्ति (स्नेहक टंकी) को बढ़ाने जैसे प्रभावों को भी नियंत्रित करने के साथ ही यह घर्षण गुणांक को कम करते हुए घिसने की दर को भी कम करता है।
  • सतहों का बनावट:
  • इन सतहों पर आकृति का निर्माण 100 एफएस पल्स ड्यूरेशन लेज़र(Fs Pulse Duration Laser) का उपयोग करते हुए ऑटोमोटिव आंतरिक दहन इंजन पुर्जों, पिस्टन रिंग्स और सिलेंडर लाइनर्स पर किया गया था।
  • लेज़रबीम के माध्यम से लगभग 5-10 μm गहरी और 10-20 μm व्यास की सूक्ष्म-गर्तिका को नियमित पैटर्न का उपयोग करते हुए बनाया गया है।
  • वस्तुओं की सतह पर सूक्ष्म-गर्तिका अथवा खाँचे के निर्माण से सतह स्थलाकृति में परिवर्तन होता है जो अतिरिक्त हाइड्रोडाइनामिक दबाव (Hydrodynamic Pressure) उत्पन्न करता है, जिससे सतहों की भार-वहन क्षमता बढ़ जाती है।

design

चित्र 1: फैमटोसैकेंड लेज़रसरफेस टेक्सचरिंग (क) डिम्पल्स (Dimples) (ख) ग्रूब्स (Grooves) (ग) क्रास-हैचिस (Cross-Hatches)

  • निर्मित किये गए सतह का शीतलक और स्नेहन तेल के विभिन्न गति और तापमान के तहत इंजन रिग में परीक्षण किया गया।
  • परिणामस्वरूप  पिस्टन रिंग्स पर निर्मित किये गए सतह के उपयोग से स्नेहक ईंधन की खपत में 16% की कमी आई एवं 10 घंटे की ल्यूब ऑयल (Lube Oil) खपत परीक्षण से पता चलता है कि रिंग्स के सतह पर लगने वाले  घर्षण में भी काफी कमी हुई है।

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चित्र 2: (क) विभिन्न टेक्सचर्ड सैम्पल्स का बॉल-ऑन-डिस्क परीक्षण (ख) टेक्सचर्ड पिस्टन रिंग्स का इंजन परीक्षण

  • अल्ट्राफास्ट लेज़रवैक्यूम रहित स्थितियों के बिना ही माइक्रो अथवा नैनो विशेषताओं का निर्माण करती है।
  • इसकी विशेषताएँ विवर्तन-सीमित लेज़रफोकल स्पॉट व्यास (diffraction-limited laser focal spot diamete) की तुलना में छोटी है।

इंटरनेशनल एडवांस्ड सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स

(International Advanced Centre for Powder Metallurgy & New Materials):

  • वर्ष 1997 में स्थापित इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) का एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास केंद्र है।
  • इसका मुख्यालय हैदराबाद में स्थित है एवं परिचालन संबंधी कार्य चेन्नई और गुरुग्राम में होते हैं।
  • ARCI का उद्देश्य:
    • उच्च गुणवता वाले पदार्थों की खोज।
    • भारतीय उद्योग में प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण करना।

स्रोत: पीआईबी


संक्रामक रोगों में लिपिड की भूमिका

प्रीलिम्स के लिये:

लिपिड्स, माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस के बारे में

मेन्स के लिये: 

संक्रामक रोगों में लिपिड की भूमिका

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (Indian Institutes of Technology- Bombay) के शोधकर्त्ताओं द्वारा जैविक रूप से सक्रिय लिपिड अणुओं (Active Lipid Molecule) का उपयोग रासायनिक जीव विज्ञान उपकरण के रूप में किया जा रहा है ताकि रोग पैदा करने में उनकी जैविक भूमिका को समझा जा सके। 

प्रमुख बिंदु:

  • गौरतलब है कि शोधकर्त्ता इस लिपिड का उपयोग माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacteria Tuberculosis- Mtb) से कर रहे हैं।
  • होस्ट (Host) और रोगजनक (Pathogens) की अन्योन्य क्रिया में शामिल महत्त्वपूर्ण तंत्रों में लिपिड की भूमिका का पता लगाया जा रहा है। 
  • होस्ट झिल्ली और संबंधित कोशिकाओं (मानव की) पर ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड की क्रियाओं का महत्त्वपूर्ण तंत्र है। यह तंत्र झिल्ली-आरोपित बैक्टीरिया की उत्तरजीविता, रोगजनन और दवा प्रतिरोध में ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड के कार्य की समझ को बढ़ाता है। 
  • वैज्ञानिकों द्वारा ड्रग और मेम्ब्रेन की आपसी अंतर्क्रिया में ‘माइकोबैक्टीरिया ट्यूबरकुलोसिस’ लिपिड की भूमिका की भी जाँच की जा रही है। उल्लेखनीय है कि लिपिड ड्रग प्रसार, विभाजन और संचय को प्रभावित करने वाली झिल्लियों के साथ दवाओं की आण्विक अंतर्क्रिया को गंभीर रूप से निर्देशित करते हैं।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा माइकोबैक्टीरियल लिपिड के लिये विशिष्ट झिल्ली संरचनाएँ भी विकसित की गई हैं जो टीबी से संबंधित दवाओं की अंतर्क्रिया हेतु ‘कोशिकाहीन’ प्लेटफार्म के रूप में कार्य कर सकती हैं। ये निम्नलिखित क्रियाओं में मदद प्रदान करेंगी। 
    • भविष्य के एंटीबायोटिक डिज़ाइन के लिये माइकोबैक्टीरियल (क्षय रोग का प्रेरक एजेंट) विशिष्ट झिल्ली के साथ एंटीबायोटिक अंतर्क्रिया की जाँच करना।
    • पहले से मौज़ूद एंटी-टीबी ड्रग अणुओं की प्रभावशीलता में वृद्धि करना और नए ड्रग अणुओं के विकास को बढ़ावा देना। 
    • रोगजनक कारकों से ग्रसित होस्ट के कोशिकीय मार्गों की जाँच और तपेदिक में संभावित चिकित्सीय लक्ष्यों को स्पष्ट करना। 

लिपिड्स (Lipids):

  • लिपिड शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ब्लोर नामक वैज्ञानिक ने किया था। 
  • रासायनिक दृष्टि से लिपिड वसीय अम्ल तथा ग्लिसराॅल के एस्टर होते हैं। इनमें ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा कम होती है। 
    • कार्बनिक अम्ल+एल्कोहल= एस्टर
  • लिपिड ऐसे अणु होते हैं जिनमें हाइड्रोकार्बन होते हैं तथा जीवित कोशिकाओं की संरचना और कार्य के निर्माण खंडों को बनाते हैं।
  • लिपिड्स कोशिका झिल्ली के गुणों में परिवर्तन करने में  एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • किसी संक्रमण और रोग के दौरान लिपिड्स विखंडित हो जाते हैं तथा रोगजनक (Pathogens) अपने अस्तित्व और संक्रमण हेतु कोशिका झिल्ली का दोहन करते हैं। 
  • लिपिड का प्रयोग कॉस्मेटिक और खाद्य उद्योगों के साथ-साथ नैनो तकनीक में भी किया जाता है। 

स्रोत- पीआईबी


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 मार्च, 2020

मार्क ब्लम

हॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता मार्क ब्लम (Mark Blum) का कोरोनावायरस संक्रमण के कारण 69 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। मार्क ब्लम को थिएटर और सिनेमा में उनके अतुल्य काम के लिये जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि उन्होंने नेटफ्लिक्स (Netflix) की बहुचर्चित सीरिज़ 'यू' (You) में भी अभिनय किया था। मार्क ब्लम का जन्म 14 मई, 1950 को अमेरिका के न्यू जर्सी (New Jersey) में हुआ था। मार्क ब्लम ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1970 में की थी। उन्होंने ‘लॉस्ट इन यॉन्कर्स’ (Lost in Yonkers), ‘द बेस्ट मैन’ (The Best Man) और ‘द एसेंबल्ड पार्टीज़’ (The Assembled Parties) जैसे थिएटर्स में शानदार अभिनय किया था। फिल्म जगत में उन्हें एक अभिनेता और निर्माता के रूप में उनकी फिल्म ‘क्रोकोडाइल डंडी’ (Crocodile Dundee-1986) और ‘डेस्पेरेटली सीकिंग सुसान’ (Desperately Seeking Susan-1985) के लिये याद किया जाता है। उल्लेखनीय है कि उन्होंने थिएटर और फिल्म के अलावा TV में भी कार्य किया था। 

सतीश गुजराल

पद्म विभूषण से सम्मानित और प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार, मूर्तिकार, लेखक तथा वास्तुकार सतीश गुजराल का 94 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उल्लेखनीय है कि सतीश गुजराल पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई थे। वर्ष 1999 में कला के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसंबर, 1925 में ब्रिटिश इंडिया के झेलम शहर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। सतीश गुजराल को मूर्तिकला के लिये एक बार में तीन बार और चित्रकला के लिये दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।  इसके अलावा उन्हें कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किये गए, जिनमें मेक्सिको का ‘लियो नार्डो द विंसी पुरस्कार’ (Leonardo da Vinci Award) और बेल्जियम के राजा का 'आर्डर ऑफ क्राउन' पुरस्कार (Order of the Crown) शामिल हैं। उनकी चित्रकारी में पशु और पक्षियों को विशेष स्थान प्राप्त है। 

स्टे होम इंडिया विद बुक्स

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHDR) के तहत कार्यरत नेशनल बुक ट्रस्ट (National Book Trust-NBT) ने ‘स्टे होम इंडिया विद बुक्स’ पहल लॉन्च की है। इस पहल के तहत 100 से अधिक किताबें NBT की वेबसाइट से डाउनलोड की जा सकती हैं। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिये भारत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की है। इस स्थिति में HRD मंत्रालय ने गुणवत्ता समय बिताने में लोगों की मदद करने के उद्देश्य से इस पहल की शुरुआत की है। मंत्रालय के अनुसार, अधिकांश पुस्तकें बच्चों से संबंधित हैं और विभिन्न भाषाओं में मौजूद हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट (NBT) की स्थापना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1957 में की गयी थी। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन उच्च शिक्षा विभाग के तहत कार्य करती है।

विश्व रंगमंच दिवस

दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में थिएटर अथवा नाटक कला के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करना है। विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत वर्ष 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (International Theatre Institute) द्वारा की गई थी। प्रथा के अनुसार, इस दिन किसी थिएटर के किसी प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा रंगमंच की मौज़ूदा स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए संदेश दिया जाता है। वर्ष 1962 में पहला विश्व थिएटर दिवस संदेश जीन कोक्टयू द्वारा दिया गया था। वर्ष 2002 में यह संदेश भारत के सबसे प्रसिद्ध थिएटर कलाकार गिरीश कर्नाड ने दिया था। नाटक अथवा थिएटर रंगमंच से जुड़ी एक विधा है, जिसे अभिनय करने वाले कलाकारों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। नाटक की परंपरा बहुत प्राचीन है। इस संदर्भ में शेक्सपियर की निम्नलिखित पंक्तियाँ उल्लेखनीय हैं-

ये दुनिया एक रंगमंच है, और सभी स्त्री-पुरुष सिर्फ पात्र हैं