चावल के निर्यात हेतु प्रोत्साहन सब्सिडी 5 फीसदी
चर्चा में क्यों?
धान के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 13 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते चालू वित्त वर्ष में भारत के चावल के निर्यात में कमी आई है जिसको ध्यान में रखते हुए केंद्र ने अनाज के निर्यात को बढ़ावा देने की घोषणा की है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- वाणिज्य मंत्रालय के एक नोट में कहा गया है कि गैर-बासमती चावल के निर्यात को 26 नवंबर से लेकर 25 मार्च, 2019 तक भारत से वस्तुओं की निर्यात योजना (MEIS) के तहत 5 फीसदी सब्सिडी मिलेगी।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में निर्यात की अनुमति दिये जाने के बाद पहली बार गैर-बासमती चावल के निर्यात हेतु केंद्र द्वारा सब्सिडी देने की घोषणा की गई है।
- 2011 में निर्यात हेतु खोले जाने के बाद पहली बार गैर-बासमती चावल के निर्यात को सब्सिडी देने की केंद्र की घोषणा एक महत्त्वपूर्ण कदम है क्योंकि कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार देश में चावल का उत्पादन लगभग 99.24 मिलियन टन होने की उम्मीद है।
- MEIS के अंतर्गत दी जाने वाली 5 प्रतिशत सब्सिडी निश्चित रूप से विश्व बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाएगा।
- केंद्र सरकार ने धान की फसल पर MSP प्रति क्विंटल ₹200 बढ़ाते हुए सामान्य वैराइटी वाले धान के लिये ₹ 1,750 और ए ग्रेड वाली धान के लिये 1,770 रुपए MSP का निर्धारण किया है।
- 2011 में गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति मिलने से इसने भारत को पिछले कई वर्षों से सबसे बड़े चावल निर्यातक के रूप में उभारा है।
- उल्लेखनीय है कि गैर-बासमती चावल के लिये प्रमुख बाज़ार अफ्रीकी और एशियाई देश हैं।
सब्सिडी (Subsidy)
- सब्सिडी एक प्रकार की वित्तीय मदद है जो कि सरकार द्वारा किसानों, उद्योगों, उपभोक्ताओं को उपलब्ध करायी जाती हैl
- यह आम तौर पर आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों को लाभ पहुँचाने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से दी जाती है।
भारत से वस्तुओं के निर्यात योजना (MEIS) के बारे में
- MEIS वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा लागू भारत सरकार की एक प्रमुख निर्यात संवर्द्धन योजना है।
- इस योजना की घोषणा विदेश व्यापार नीति 2015-20 में की गई।
- यह योजना भारत में निर्मित/उत्पादित एवं अधिसूचित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देती है।
- 1 अप्रैल, 2015 को घोषित नई विदेश व्यापार नीति में कहा गया है कि देश से वस्तुओं को निर्यात योजना के अंतर्गत जिन प्रमुख क्षेत्रों को समर्थन दिया जाएगा उनमें प्रसंस्कृत, पैकेजिंग, कृषि और ग्रामोद्योग से संबंधित वस्तुएँ शामिल हैं।
- MEIS के अंतर्गत प्रोत्साहन देने के लिये देशों को तीन समूहों में श्रेणीबद्ध किया गया है, इसके अंतर्गत प्रोत्साहन की दरें 2 से लेकर 5 फीसदी तक हैं।
स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन )
दुधवा टाइगर रिज़र्व की गश्त हेतु एसएसबी
चर्चा में क्यों ?
दुधवा टाइगर रिज़र्व और सशस्त्र सीमा बल (SSB) दुधवा के जंगलों और इसके समृद्ध वन्यजीवन को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिये एक साथ मिलकर काम करने हेतु तैयार हो गए हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- SSB द्वारा गश्त का यह कार्य वन्यजीव और वन अपराधियों की गतिविधियों के बारे में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय एवं जानकारी साझा करने हेतु किया जा रहा है।
- उल्लेखनीय है कि सशस्त्र सीमा बल यानी SSB भारत का एक अर्धसैनिक बल है जिस पर 1,751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है।
दुधवा टाइगर रिज़र्व के बारे में
- यह उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी ज़िले में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में सबसे अच्छे प्राकृतिक जंगलों और घास के मैदानों का प्रतिनिधित्व करता है।
- इस तराई आर्क लैंडस्केप (TAL) के अंतर्गत तीन महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं :
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
- किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य
- कतर्निया घाट वन्यजीव अभयारण्य
- तीनों संरक्षित क्षेत्रों को राज्य में रॉयल बंगाल टाइगर के अंतिम व्यवहार्य घर होने के नाते प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के तहत दुधवा टाइगर रिजर्व के रूप में संयुक्त रूप से गठित किया गया है।
प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger)
- भारत सरकार ने 1973 में राष्ट्रीय पशु बाघ को संरक्षित करने के लिये 'प्रोजेक्ट टाइगर' लॉन्च किया।
- वर्तमान में 'प्रोजेक्ट टाइगर' के तहत संरक्षित टाइगर रिज़र्व की संख्या 50 हो गई है।
- 'प्रोजेक्ट टाइगर' पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक सतत केंद्र प्रायोजित योजना है जो नामित बाघ राज्यों में बाघ संरक्षण के लिये केंद्रीय सहायता प्रदान करती है।
- वर्ष 1987 में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत दुधवा टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था, जबकि कतर्निया वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 2000 में दुधवा टाइगर रिज़र्व में शामिल किया गया था। यह भारत के 47 टाइगर रिजर्व में से एक है।
तराई आर्क लैंडस्केप (TAL)
- TAL भारत और नेपाल ट्रांस-सीमा संरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र से बना है इसमें हिमालय के पास की तलहटी और नेपाल तथा भारत के 14 संरक्षित क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
- यह क्षेत्र लगभग 12.3 मिलियन एकड़ (5 मिलियन हेक्टेयर) तक फैला हुआ है और इसमें पूर्व में नेपाल की बागमती नदी और पश्चिम में भारत की यमुना नदी शामिल है।
- TAL कई लुप्तप्राय स्तनधारियों का निवास स्थल है जिसमें बंगाल के बाघ, भारतीय गैंडे, गौर, जंगली एशियाई हाथी, स्लॉथ भालू, दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फ़िन और चीतल के साथ - साथ पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियों भी पाई जाती हैं।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय जीव प्रजातियों का दसवाँ हिस्सा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) द्वारा जारी किये गए एक प्रकाशन, ‘फौनल डाइवर्सिटी ऑफ़ बायोजिओग्राफिक ज़ोंस: आईलैंड्स ऑफ़ इंडिया’ नामक शीर्षक में पहली बार अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर पाए गए सभी जीवित प्रजातियों के डेटाबेस को एकत्र किया गया है, जिसमें समस्त प्रजातियों की संख्या 11,009 दर्ज की गई है।
प्रमुख बिंदु
- यह दस्तावेज़ साबित करता है कि यह द्वीप समूह, जिसमें भारत के भौगोलिक क्षेत्र का केवल 0.25% हिस्सा शामिल है, देश के जीवों की प्रजातियों के 10% से अधिक का आवास है।
- नारकॉन्डम हॉर्नबिल, इसका आवास एक अकेले द्वीप तक ही सीमित है; निकोबार मेगापोड, एक पक्षी जो ज़मीन पर घोंसला बनाता है; निकोबार ट्रेशू, छछूंदर जैसा एक छोटा स्तनपायी; लांग-टेल निकोबार मकाक और अंडमान डे गेको, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर पाए गए उन 1,067 स्थानिक प्रजातियों में से हैं जो कहीं और नहीं पाए जाते।
- हालाँकि यह प्रकाशन चेतावनी देता है कि पर्यटन, अवैध निर्माण और खनन द्वीपों की जैव विविधता के लिये खतरा पैदा कर रहे हैं, जो अस्थिर जलवायु कारकों के प्रति पहले से ही सुभेद्य है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का कुल क्षेत्रफल लगभग 8,249 वर्ग किमी. है, जिसमें 572 द्वीप, छोटे टापू और चट्टानी उभार शामिल हैं। इस द्वीप समूह की कुल आबादी 4 लाख से अधिक नहीं हैं, जिसमें विशेष रूप से छह कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG)- ग्रेट अंडमानी, ओंग, जारवा, सेंटिनेलिस, निकोबारी और शोम्पेन्स शामिल हैं।
- नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, 4.87 लाख पर्यटक सालाना इन द्वीपों की यात्रा करते हैं जो कि इन द्वीपों पर रहने वाले लोगों की संख्या से अधिक है।
- ज्ञातव्य है कि हाल ही में भारत सरकार ने विदेशी (प्रतिबंधित क्षेत्र) आदेश, 1963 के तहत अधिसूचित कुछ विदेशी नागरिकों के लिये प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (RAP) मानदंडों में 31 दिसंबर, 2022 तक अपने 29 आवासित द्वीपों की यात्रा के लिये ढील दी है। इसने द्वीपों के पारिस्थितिक तंत्र पर बढ़े हुए मानवजनित दबावों से संबंधित चिंताओं को जन्म दिया है।
प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट
- RAP सूची से हटाए गए कुछ द्वीपों में उत्तरी सेंटीनेल द्वीप के मामले में सेंटिनेलिस जैसे पीवीटीजी को छोड़कर कोई आवास नहीं है और नारकोंडम द्वीप पर पुलिस चौकी के अलावा कुछ भी नहीं है।
- इस जगह पर सूक्ष्म स्तर पर किये जाने वाले विकास के प्रतिमान जो अंतरिक्ष, निर्माण और सैन्य विकास के क्षेत्र में हो रहे हैं, को पारिस्थितिकीय नाजुकता (स्थानिकता), भूगर्भीय अस्थिरता (भूकंप और सुनामी) और स्थानीय समुदायों पर उनके प्रभाव के असर को ध्यान में रखकर नहीं किया जा रहा है।
- 49 अध्यायों और 500 पृष्ठों में जारी किया गया यह प्रकाशन, न केवल जानवरों की विशेष श्रेणी में पाए जाने वाले प्रजातियों का डेटाबेस तैयार करता है, बल्कि उनमें से सबसे सुभेद्य का भी उल्लेख करता है।
- यहाँ पाई जाने वाली 46 स्थलीय स्तनधारी प्रजातियों में से तीन प्रजातियों- अंडमान श्रेव (Crocidura andamanensis), जेनकिन श्रेव (C. jenkinsi) और निकोबार श्रेव (C. nicobarica) को गंभीर रूप से लुप्तप्राय श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। IUCN के मुताबिक, पाँच प्रजातियों को लुप्तप्राय, नौ प्रजातियों को सुभेद्य और एक प्रजाति को संकट के निकट श्रेणी के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।
- इन द्वीपों पर पाए जाने वाले समुद्री जीवों की दस प्रजातियों में से ड्युगोंग/समुद्री गाय और भारत-प्रशांत क्षेत्र की हंपबैक डॉल्फिन, दोनों को IUCN (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्ज़र्वेशन ऑफ़ नेचर) के तहत संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में स्थानिकता काफी अधिक है, जहाँ 364 प्रजातियों में से 36 प्रजातियाँ केवल इन्हीं द्वीपों पर पाई जाती हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA) के तहत संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में इन पक्षी प्रजातियों में से कई को रखा गया है।
समुद्री विविधता
- इसी प्रकार, उभयचर की आठ प्रजातियाँ और सरीसृप की 23 प्रजातियाँ जो इन द्वीपों के लिये स्थानिक हैं, पर संकटग्रस्त होने का उच्च जोखिम है। द्वीपों के पारिस्थितिक तंत्र की एक और अनोखी विशेषता इसकी समुद्री जीव विविधता है, जिसमें प्रवाल चट्टानें और इससे संबंधित जीव शामिल हैं।
- कुल मिलाकर, इस द्वीप समूह के पारिस्थितिक तंत्र में स्क्लेरैक्टिनियन कोरल (कठोर या चट्टानी प्रवाल) की 555 प्रजातियाँ पाई जाती हैं और वे सभी WPA की अनुसूची 1 के तहत रखी जाती हैं। इसी प्रकार, गोरगोनियन (सी फैन्स) और कैल्सरस स्पंज की सभी प्रजातियाँ WPA के विभिन्न अनुसूचियों के तहत सूचीबद्ध हैं।
- लंबे समय तक मुख्य भूमि से अलगाव के कारण ये द्वीप कई प्रजातियों के उद्भव (नई और विशिष्ट प्रजातियों का गठन) के लिये हॉटस्पॉट बने जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों स्थानिक प्रजातियाँ और उप-प्रजातियाँ यहाँ विकसित हुईं।
- इस प्रकाशन के लेखकों ने रेखांकित किया है कि किसी भी संकट का द्वीपों की जैव विविधता पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है, जो कि किसी भी स्थानिक जीव की आबादी के आकार को नष्ट करते हुए, इसके बाद सीमित समयावधि में उसे विलुप्तता तक पहुँचा सकता है।
स्रोत : द हिंदू
अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल और छात्रों की बौद्धिक प्रगति
संदर्भ
हाल ही में वैज्ञानिकों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में अध्ययन-अध्यापन में प्रयुक्त होने वाली अंग्रेज़ी भाषा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किये हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि अध्ययन-अध्यापन में अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल बच्चों, खासतौर से उन बच्चों जिनके परिवार में कोई अन्य भाषा बोली जाती है, को शुरुआती कौशल प्रशिक्षण से दूर कर रहा है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- गौरतलब है कि इस चार वर्षीय प्रोजेक्ट को ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग (University of Reading) और कर्नाटक, हैदराबाद तथा नई दिल्ली स्थित सहयोगियों के साथ मिलकर पूरा किया जा रहा है।
- इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य उन कारणों का पता लगाना है जिसकी वज़ह से कोई देश, जहाँ बहुभाषावाद (Multilingualism) आम बात हो फिर भी वह इसका लाभ नहीं उठा पा रहा है।
- शोधकर्त्ता इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्यों बच्चे, पश्चिम के बहुभाषी बच्चों की तरह ज्ञान-संबंधी बातें सीखने में गहन रुचि नहीं ले रहे हैं।
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के एक प्रोफेसर के मुताबिक, इस विरोधाभास का जवाब दिल्ली, हैदराबाद और बिहार से पिछले दो वर्षों में एकत्र किये गए 1,000 स्कूली बच्चों से संबंधित आँकड़ों में छुपा है।
- इस प्रोजेक्ट के तहत दो वर्षों के दौरान टीम ने तीन अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी स्कूलों में शिक्षा के प्रावधान में काफी भिन्नता पाई है जिसमें शिक्षण पद्धति और मानक भी शामिल हैं।
संभावित कारण
- उक्त 1000 बच्चों की पुनः परीक्षा ली जाएगी जिसमें केवल परीक्षा के परिणाम ही नहीं बल्कि अन्य कारकों जैसे शिक्षण पद्धति, वातावरण तथा मानकों का भी ध्यान रखा जाएगा।
- परीक्षा में ख़राब प्रदर्शन की एक वज़ह छात्र-केंद्रित (Pupil-Centred) शिक्षण पद्धति का अभाव भी हो सकता है जिसमें शिक्षक छात्रों पर हावी हो जाते हैं। हावी होने की इस प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप कक्षा में खुलकर सवाल पूछने वाले छात्रों की संस्था में कमी आने लगती है।
- हालाँकि ये निष्कर्ष अभी प्रारंभिक अवस्था में हैं किंतु शोधकर्त्ताओं का मानना है कि स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का माध्यम, खासतौर से अंग्रेज़ी, ही वह कारण है जो इस भाषा से अनभिज्ञ छात्रों के पिछड़ने की वज़ह बन रहा है।
स्रोत- द हिंदू (बिजनेस लाइन)
तितली ‘अति दुर्लभ’ साइक्लोन
संदर्भ
अफ्रीका और एशिया में आपदा की पूर्व चेतावनी देने वाली 45 देशों की संस्था ‘रीजनल इंटीग्रेटेड मल्टी-हैज़र्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम (Regional Integrated Multi-Hazard Early Warning System-RIMES)’ ने अक्तूबर में आए भयावह साइक्लोन तितली (Titli) को अति दुर्लभ के रूप में नामित किया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- ‘रिम्स’ के अनुसार, ओडिशा तट पर चक्रवातों के 200 से अधिक वर्षों के इतिहास पर एक नजर डालने से पता चलता है कि तितली चक्रवात अपनी विशेषताओं के मामले में अति दुर्लभ है, जैसे-भूमि से टकराने के बाद पुनरावृत्ति और टकराने के बाद भी दो दिनों तक अपनी विनाशकारी क्षमता को बरकरार रख पाने जैसी विशेषताएँ।
- इससे पहले, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने तितली की बनावट को ‘अति दुर्लभ’ घटना के रूप में परिभाषित किया था। इस तीव्र तूफ़ान ने ज़मीन से टकराने (Landfall) के बाद अपना रास्ता बदल दिया था।
- तितली नामक चक्रवाती तूफान की वज़ह से मुख्य रूप से अंदरूनी गजपति ज़िले में भू-स्खलन के कारण 60 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी। ओडिशा जो कि आपदा से निपटने हेतु तैयारियों को लेकर अत्यधिक मुस्तैद रहता है, के अंदरूनी ज़िलों में तितली के कारण जीवन तथा संपत्ति दोनों का नुकसान उठाना पड़ा।
- तितली की वज़ह से सबसे ज़्यादा मौतें गजपति ज़िले के बरघारा गाँव में भू-स्खलन की वज़ह से हुई थीं क्योंकि इस चक्रवात को लेकर कोई भी सटीक चेतवानी नहीं दी जा सकी थी।
तितली
- भयावह चक्रवात तितली अक्तूबर में ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों पर टकराया था।
- अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में इतने ताकतवर चक्रवाती तूफान दुर्लभ ही उत्पन्न होते हैं। तितली का नामकरण पाकिस्तान द्वारा किया गया है।
- सक्रिय अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) तट की तरफ दक्षिण की ओर बढ़ना शुरू हो गया था। समुद्र में हलचल के पीछे यही मुख्य कारक था। यह चक्रवात ITCZ का ही उपशाखा के रूप में था।
- इसके अलावा, मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO) भी हिंद महासागर के निकट था।
अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ)
- अंतःउष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र या ITCZ पृथ्वी पर भूमध्य रेखा के पास वृत्ताकार क्षेत्र है। यह पृथ्वी पर वह क्षेत्र है, जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्धों की व्यापारिक हवाएँ, यानी पूर्वोत्तर व्यापारिक हवाएँ तथा दक्षिण-पूर्व व्यापारिक हवाएँ एक जगह मिलती हैं।
- भूमध्य रेखा पर सूर्य का तीव्र तापमान और गर्म जल ITCZ में हवा को गर्म करते हुए इसकी आर्द्रता को बढ़ा देते हैं जिससे यह उत्प्लावक बन जाता है।
व्यापारिक हवाओं के अभिसरण (Convergence) के कारण यह ऊपर की तरफ उठने लगता है। ऊपर की तरफ उठने वाली यह हवा फैलती है और ठंडी हो जाती है, जिससे भयावह आँधी तथा भारी बारिश शुरू हो जाती है।
मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO)
- मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन उष्णकटिबंधीय परिसंचरण और वर्षा में एक प्रमुख उतार-चढ़ाव है जो भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ता है तथा 30-60 दिनों की अवधि में पूरे ग्लोब की परिक्रमा करता है।
- इसलिये MJO हवा, बादल और दबाव की एक चलती हुई (Moving) प्रणाली है। यह जैसे ही भूमध्य रेखा के चारों ओर घूमती है वर्षा की शुरुआत हो जाती है।
- ‘रिम्स’ के अनुसार, राजकीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ओडिशा (OSDMA) को तितली के प्रभावों से निपटने में इसलिये परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके पास कार्रवाई-योग्य पूर्व सूचना उपलब्ध नहीं थी।
- तितली तूफ़ान से मिली सीख का उपयोग करते हुए राजकीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ओडिशा (OSDMA) भविष्य में तितली जैसे तूफानों से निपटने में सक्षम होगा।
- ‘रिम्स’ ने सिफारिश की है कि ओडिशा में तितली द्वारा किये गए विनाश के संदर्भ में जोखिमों को समझने हेतु विस्तृत जोखिम मूल्यांकन किया जाना चाहिये।
स्रोत- द हिंदू
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (26 November)
- 26 नवंबर: भारत का संविधान दिवस; 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने अपनाया था संविधान; 26 जनवरी 1950 से हुआ लागू
- 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में हुआ बिम्सटेक देशों के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों का सम्मेलन; आतंकवाद, मानव तस्करी और ड्रग्स स्मगलिंग की रोकथाम के उपायों पर हुई चर्चा
- मालदीव की नई सरकार ने भारत के साथ नौसैनिक अभ्यास फिर शुरू करने की हामी भरी; भारत-श्रीलंका-मालदीव के बीच वार्षिक नौसैन्य अभ्यास ‘दोस्ती’ एक साल बाद फिर शुरू होगा दिसंबर में
- चीन के सिचुआन प्रांत में हुई 21वें दौर की भारत-चीन सुरक्षा वार्ता; भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के स्टेट काउंसिलर वांग यी ने लिया हिस्सा; नई दिल्ली में हुआ था सीमा वार्ता का पिछला दौर
- नदी मार्ग से कार्गो सेवा के सफल परीक्षण के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच अगले वर्ष मार्च से क्रूज़ सेवा शुरू होने की संभावना; बांग्लादेश के रास्ते पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने की है योजना
- उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रखी करतारपुर साहिब गलियारे के निर्माण की आधारशिला; सिखों के प्रथम गुरु नानक देवजी का 550वाँ प्रकाशोत्सव 2019 में मनाया जाना है
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने वर्षा के कारण नदियों और जलाशयों के जलस्तर में वृद्धि का आकलन करने के लिये 'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण' नामक नई तकनीक विकसित की
- केंद्र सरकार ने किया चाइल्ड पोर्नोग्राफी के दंडात्मक प्रावधानों को सख्त बनाने का फैसला; तीन साल की सज़ा को बढ़ाकर पाँच साल से अधिकतम सात साल किया जाएगा, अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया
- केंद्र सरकार समेकित स्वर्ण नीति लाने की कर रही है तैयारी; इंडिया गोल्ड एंड ज्वेलरी समिट में वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने की घरेलू स्वर्ण परिषद (Domestic Gold Council) की घोषणा
- केंद्र सरकार कर रही है देश में सरकारी आँकड़ों का कोष बनाने का प्रयास; सांख्यिकी और कार्यक्रम अनुपालन मंत्रालय ‘नेशनल डाटा वेयरहाउस’ बनाने पर कर रहा विचार
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नोएडा और ग्रेटर नोएडा को यूनिवर्सिटी सिटी कैटेगरी के तहत ग्लोबल सस्टेनेबल सिटीज़ 2025 पहल के लिये चुना गया; इस पहल में दुनियाभर से केवल 20 शहरों को पाँच श्रेणियों के तहत चुना गया है
- उत्तर प्रदेश सरकार ने जेवर में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल नोएडा एयरपोर्ट के लिये 1260 करोड़ रुपए स्वीकृत किये; किसानों और भूमि अधिग्रहण पर किये जाएंगे खर्च
- 16 से 30 नवंबर तक जनजातीय कार्य मंत्रालय दिल्ली हाट में आदि महोत्सव का आयोजन कर रहा है। देशभर से आए जनजातीय कलाकार और कारीगर ले रहे हैं हिस्सा; राज्यों की जनजातीय परंपरा, उनके खान-पान, रहन-सहन आदि को राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है इसका उद्देश्य
- ओडिशा के कटक और भुवनेश्वर में चल रहा है बालियात्रा मेला; स्थानीय भाषा में ‘बोइत वंदान’ कहा जाता है इसे; प्राचीन काल में व्यापार तथा सांस्कृतिक प्रसार करना होता था इन यात्राओं का उद्देश्य
- कोलकाता में हुई जंगलमहल महोत्सव की शुरुआत; पश्चिम बंगाल के वेस्ट मिदनापुर, झारग्राम, बाँकुड़ा और पुरुलिया ज़िलों के जंगलों वाले इलाकों को कहा जाता है जंगलमहल
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ सैन्य संबंध मज़बूत बनाने और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिये थलसेनाध्यक्ष बिपिन रावत वियतनाम दौरे पर; सामरिक स्तर के संबंध हैं भारत और वियतनाम के बीच
- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की लाओस (Lao PDR) यात्रा के दौरान राजधानी विएनतियन में दोनों देशों के संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक का आयोजन हुआ; प्रधानमंत्री थोंगलून सीसोलिथ के साथ हुई आपसी सहयोग को और बढ़ाने पर चर्चा
- UNEP के कार्यकारी निदेशक एरिक सोलहेम के इस्तीफे के बाद तंज़ानिया के Joyce Msuya कार्यकारी प्रमुख बने; संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम है UNEP का पूरा नाम; केन्या की राजधानी नैरोबी में है इसका मुख्यालय
- यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों ने ब्रेक्जिट समझौते को मंज़ूरी दी; अगले वर्ष 29 मार्च को यूरोपीय संघ से बाहर आ जाएगा ब्रिटेन, लेकिन 21 और महीनों के लिये एकल बाज़ार में बना रहेगा
- लगातार पाँचवीं बार महिला विश्व T-20 फाइनल खेल रही ऑस्ट्रेलिया की टीम ने इंग्लैंड को हराकर चौथी बार खिताब जीत लिया; ऑस्ट्रेलिया की विकेटकीपर बैट्समैन एलिसा हीली बनी ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
- 28 नवंबर से भुवनेश्वर में शुरू हो रहे पुरुष हॉकी विश्व कप के साथ ‘भुवनेश्वर शहर महोत्सव’ का भी किया जा रहा है आयोजन; इसके तहत खाद्य महोत्सव आयोजित करने की भी है तैयारी
- भारतीय महिला तलवारबाज भवानी देवी ने ऑस्ट्रेलिया में खेली जा रही सीनियर राष्ट्रमंडल तलवारबाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता; इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी हैं
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 26 नवंबर, 2018
‘ग्लोबल सिटी’ पहल
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ग्लोबल सस्टेनेबल सिटीज़ 2025 पहल में भागीदारी के लिये नोएडा और ग्रेटर नोएडा को चुना है।
- शहरों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स इंस्टीट्यूट से एक पत्र गौतमबुद्ध नगर ज़िला मजिस्ट्रेट को भेजा गया था जिसे राज्य सरकार को अग्रेसित कर दिया जाएगा।
- ये दोनों शहर उन 25 शहरों में शामिल हैं जिन्हें पाँच श्रेणियों में ग्लोबल सस्टेनेबल सिटीज 2025 पहल में भागीदारी के लिये चुना गया है।
- इस पहल के एक हिस्से के रूप में सतत विकास लक्ष्य (SDG) को साकार करने हेतु कई मिलियन डॉलर का वित्तपोषण प्रदान करने के लिये संयुक्त राष्ट्र, शहर के प्रशासन के साथ एक समझौता करेगा।
- संयुक्त राष्ट्र नोएडा में ऐसे 51 छात्रों को पीएचडी के लिये आर्थिक संरक्षण भी प्रदान करेगा जो अपने अनुसंधान के माध्यम से योजना में योगदान देंगे।
खारे पानी का मगरमच्छ
- हाल ही में आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में एक महीने के अंदर दो मगरमच्छों को देखा गया है।
- गौरतलब है कि ये मगरमच्छ आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम तट तथा श्रीकाकुलम तट पर देखे गए हैं।
- खारे पानी के मगरमच्छ आमतौर पर ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि यह प्रजाति ओडिशा तट से प्रवास कर रही है।
- भारत में सुंदरबन तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह खारे पानी के मगरमच्छों के प्रमुख आवास हैं।
- सभी जीवित सरीसृपों में से यह मगरमच्छ सबसे बड़ा होता है जो लगभग 7 मीटर तक लंबा हो सकता है।
- यह दक्षिण-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है।
- भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान-
- भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के बेहतरीन जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक है और यह अपने हरे मैंग्रोव, प्रवासी पक्षियों, कछुए, एस्चुराइन मगरमच्छ तथा अनगिनत संकरी खाड़ियों (creeks) के लिये प्रसिद्ध है।
- भीतरकनिका ब्राह्मणी, वैतरणी, धामरा और महानदी नदी के मुहाने पर स्थित है।
- ऐसा माना जाता है कि यह उद्यान देश के 70 फीसदी एस्चुराइन या खारे पानी के मगरमच्छों का आवास है।