भारत-मंगोलिया रणनीतिक साझेदारी
प्रिलिम्स के लिये: मंगोलिया, महत्त्वपूर्ण खनिज, दुर्लभ मृदा तत्त्व, कोकिंग कोयला, गोबी रेगिस्तान, हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, नोमैडिक एलीफेंट, खान क्वेस्ट।
मेन्स के लिये: भारत-मंगोलिया सामरिक साझेदारी की गतिशीलता, बौद्ध कूटनीति, संसाधन संपन्न, स्थलरुद्ध राष्ट्रों के साथ भारत के जुड़ाव में सॉफ्ट पावर और विकास साझेदारी की भूमिका।
चर्चा में क्यों?
मंगोलिया के राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ और सामरिक साझेदारी की 10वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में भारत की राजकीय यात्रा की।
मंगोलिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के मुख्य परिणाम क्या हैं?
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत ने मंगोलिया के सीमा सुरक्षा बलों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों और भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे के माध्यम से रक्षा संबंधों को मज़बूत किया।
- ऊर्जा सुरक्षा: इस यात्रा से मंगोलिया में 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी परियोजना की पुष्टि हुई, जिसे भारतीय ऋण सहायता द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा, जो भारत की सबसे बड़ी वैश्विक विकास साझेदारी है तथा मंगोलिया की ऊर्जा सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- आर्थिक साझेदारी: महत्त्वपूर्ण खनिजों, दुर्लभ मृदा तत्त्वों और कोकिंग कोल में सहयोग को प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया, जिसमें भारत मंगोलियाई कोकिंग कोल के आयात के लिये व्लादिवोस्तोक (रूस) और तियानजिन बंदरगाह (चीन) के माध्यम से रसद मार्गों पर विचार कर रहा है।
- सांस्कृतिक संपर्क: भारत भगवान बुद्ध के शिष्यों सारिपुत्र और मौद्गल्यायन के पवित्र अवशेष मंगोलिया भेजेगा साथ ही सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद और अरखांगई प्रांत के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत गंडन मठ (मंगोलिया) में एक संस्कृत शिक्षक भी भेजेगा तथा दस लाख प्राचीन मंगोल पांडुलिपियों को डिजिटल बनाने की परियोजना शुरू करेगा।
- विकास सहयोग और कौशल विकास: दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आव्रजन सहयोग, आपदा प्रबंधन, और मंगोलिया स्थित बोगद खान पैलेस के पुनरुद्धार से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किये। साथ ही, अटल बिहारी वाजपेयी आईटी उत्कृष्टता केंद्र और भारत-मंगोलिया मैत्री विद्यालय के माध्यम से भारत की विकास और क्षमता निर्माण में सक्रिय भूमिका को रेखांकित किया गया।
मंगोलिया
- भौगोलिक स्थिति: मंगोलिया एशिया का एक स्थल-रुद्ध (Landlocked) देश है, जो उत्तर में रूस और दक्षिण में चीन के बीच स्थित है। यह देश अत्यंत शुष्क है, जहाँ प्रति वर्ष औसतन केवल 4 इंच वर्षा होती है।
- दक्षिणी मंगोलिया में गोबी मरुस्थल फैला हुआ है, जो एक शीत मरुस्थल है।
- मंगोलिया को “अनंत नीले आकाश की भूमि (Land of the Eternal Blue Sky)” और “घोड़ों की भूमि (Land of the Horse)” के नाम से भी जाना जाता है।
- जनजीवन एवं संस्कृति: अधिकांश मंगोलियाई लोग पारंपरिक युर्ट (Yurts) या गेर (Gers) नामक गुंबदाकार तंबुओं में रहते हैं।
- गर्मियों में मनाया जाने वाला नादाम उत्सव खेलकूद, पारंपरिक खेलों और भोजन का उत्सव है, जिसमें बच्चे भी घुड़दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
- जनसंख्या का अधिकांश भाग पारंपरिक घुमंतू पशुपालन करता है। मंगोलिया में प्रमुख जातीय समूहों में मंगोल, कज़ाख और टुवान शामिल हैं।
- प्रकृति एवं वन्यजीवन: मंगोलिया में कई विशिष्ट प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे दो कूबड़ वाले बेक्ट्रियन ऊँट और मंगोलियाई घोड़े (Mongolian Horses)।
- संकटग्रस्त प्रजातियों (Endangered Species) में हिम तेंदुआ (Snow Leopard) और कस्तूरी मृग (Musk Deer) प्रमुख हैं।
- विश्व का पहला डायनासोर अंडा भी गोबी मरुस्थल में खोजा गया था, जहाँ लगभग 10 करोड़ वर्ष पुराने (लेट क्रिटेशियस काल) अनेक डायनासोर जीवाश्म भी मिले हैं।
- इतिहास: 13वीं शताब्दी में चंगेज़ खान और उनके पुत्रों के नेतृत्व में मंगोल साम्राज्य ने एशिया और यूरोप के बड़े हिस्से पर विजय प्राप्त की।
- मार्को पोलो और उनके परिवार को लगभग 1275 ईस्वी में गोबी मरुस्थल पार करने वाले पहले यूरोपीय माना जाता है।
भारत-मंगोलिया संबंधों की स्थिति क्या है?
- ऐतिहासिक संबंध: ऐतिहासिक अनुमानों के अनुसार 4,300 वर्ष पूर्व मंगलदेव के अधीन कांगड़ा राज्य से प्रवास हुआ था, हालाँकि साक्ष्यों का अभाव है।
- हुन्नू राज्य (मंगोलिया में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) और महान मंगोल साम्राज्य के दौरान, बौद्ध भिक्षुओं और भारतीय व्यापारियों ने मंगोलिया का दौरा किया तथा 552 ईसा पूर्व में, उदयना (उत्तरी भारत) से लामा नरेंद्रयश ने निरुन राज्य (मंगोलिया) का दौरा किया।
- राजनीतिक संबंध: भारत और मंगोलिया के बीच राजनयिक संबंध 1955 में स्थापित हुये, जिससे भारत समाजवादी गुट के बाहर ऐसा करने वाला पहला देश बन गया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) में मंगोलिया की सदस्यता का भी समर्थन किया।
- व्यापार संबंध: वर्ष 2024 में, भारत-मंगोलिया द्विपक्षीय व्यापार 111 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। मंगोलिया को भारत के निर्यात में दवाइयाँ, खनन मशीनरी और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं, जबकि आयात में मुख्य रूप से कच्चा कश्मीरी ऊन शामिल है।
- रक्षा सहयोग: भारत-मंगोलिया संयुक्त अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है तथा भारत मंगोलिया द्वारा आयोजित सप्ताह भर चलने वाले अभ्यास खान क्वेस्ट में भी भाग लेता है।
- मानवीय सहायता: भारत ने ज़ूद (अत्याधिक सर्दी) से प्रभावित सुखबातर ऐमाग में चरवाहों के बच्चों को 20,000 अमेरिकी डॉलर (बिस्तर, चादरें, खिलौने) की मानवीय सहायता प्रदान की तथा बाढ़ प्रभावित प्रांतों बयान उलगी, अरहंगई और हुव्सगुल को 50,000 अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की ।
- सांस्कृतिक संबंध: वर्ष 1961 का भारत-मंगोलिया सांस्कृतिक समझौता सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) को नियंत्रित करता है, जो छात्रवृत्ति, विशेषज्ञ आदान-प्रदान और सम्मेलन में भागीदारी के माध्यम से शैक्षिक सहयोग को सुविधाजनक बनाता है।
- स्कूली बच्चों के लिये अखिल मंगोलियाई भारतीय नृत्य प्रतियोगिता, मेलोडी ऑफ गंगा, का आयोजन किया जा रहा है।
भारत-मंगोलिया साझेदारी को मज़बूत बनाने में कौन-से कारक बाधा डाल रहे हैं?
- भौगोलिक एवं तार्किक अवरोध: मंगोलिया की स्थलरुद्ध स्थिति द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लिये एक मौलिक तार्किक अवरोध उत्पन्न करती है।
- भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज निर्यात और मंगोलिया की तेल रिफाइनरी के लिये ऋण (LOC) आयात सहित सभी वस्तुओं की आवाजाही रूस या चीन के माध्यम से होनी चाहिये, जिससे लागत बढ़ेगी तथा भारत की व्यापार प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम होगी।
- आर्थिक पैमाने और व्यापार की मात्रा में असमानता: वर्ष 2015 से रणनीतिक साझेदारी के बावजूद, वास्तविक द्विपक्षीय व्यापार नगण्य (वर्ष 2024 में लगभग 110 मिलियन अमरीकी डॉलर) बना हुआ है, विशेष रूप से मंगोलिया की चीन पर आर्थिक निर्भरता की तुलना में।
- पड़ोसियों के प्रति भू-राजनीतिक भेद्यता: मंगोलिया की "तीसरे पड़ोसी" की नीति चीन और रूस को संतुलित करने के लिये भारत को एक लोकतांत्रिक और आध्यात्मिक साझेदार के रूप में मानती है।
- हालाँकि, इस संबंध को गहरा करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए किसी भी आक्रामक कदम को उसके शक्तिशाली पड़ोसियों द्वारा भू-राजनीतिक उकसावे के रूप में देखा जा सकता है, जिससे सहयोग जटिल हो सकता है तथा मंगोलिया के लिये अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
- परियोजना कार्यान्वयन और राजनीतिक अस्थिरता: भारत की प्रमुख परियोजनाओं, विशेष रूप से 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी (2028 तक अपेक्षित) की समय-सीमा और सफल निष्पादन में देरी, लागत में वृद्धि तथा मंगोलिया में स्थानीय राजनीतिक अस्थिरता की आशंका है।
- धीमी गति से क्रियान्वयन या नीतिगत परिवर्तन से संशय और आलोचना उत्पन्न हो सकती है, जिससे समझौता ज्ञापनों को स्थायी रणनीतिक लाभ में बदलने के लिये आवश्यक विश्वास को बढ़ावा नहीं मिल पाता।
मंगोलिया के साथ अपने संबंधों को गहरा करने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है?
- महत्त्वपूर्ण खनिज साझेदारी: मंगोलिया के दुर्लभ पृथ्वी तत्त्वों (जैसे, तांबा, यूरेनियम) को निकालने के लिये कोयला गैसीकरण परियोजनाओं और संयुक्त उद्यमों में निवेश करना, जिससे महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये चीन पर भारत की निर्भरता कम हो जाएगी।
- रणनीतिक संपर्क: मंगोलिया की "तीसरे पड़ोसी" नीति को मज़बूत करने के लिये सीधी उड़ानें (जैसे, दिल्ली-उलानबटार) शुरू करना और डिजिटल बुनियादी ढाँचे (जैसे, ई-गवर्नेंस के लिये इंडिया स्टैक) पर सहयोग करना।
- रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग: भारत की उच्च-ऊँचाई संचालन विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए शांति स्थापना, आतंकवाद-निरोधक अभियानों और शीत मरुस्थलीय युद्ध से संबंधित संयुक्त सैन्य अभ्यासों का दायरा और दायित्व बढ़ाना।
- सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना: बौद्ध विरासत स्थलों (जैसे, गंडन मठ) के जीर्णोद्धार के लिये धन मुहैया कराना और नालंदा विश्वविद्यालय के माध्यम से विद्वानों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, साथ ही भारतीय मीडिया में मंगोलिया की रुचि को बढ़ाने के लिये संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सिनेमा सह-निर्माण का आयोजन करना।
- कृषि एवं खाद्य सुरक्षा: भारत के सहकारी डेयरी मॉडल (जैसे अमूल) में अपनी विशेषज्ञता को साझा करते हुए मांस निर्यात अवसंरचना का आधुनिकीकरण करना तथा मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु सूखा-प्रतिरोधी फसलों की प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध कराना।
निष्कर्ष:
मंगोलिया के राष्ट्रपति की भारत यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाते हुए एक दशक पुरानी रणनीतिक साझेदारी को सशक्त बनाया तथा रक्षा, ऊर्जा, आर्थिक, सांस्कृतिक और कौशल विकास सहयोग को और गहरा किया। 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी परियोजना, सीमा सुरक्षा हेतु क्षमता निर्माण, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की ऐतिहासिक पहलों के माध्यम से इस यात्रा ने दोनों देशों के बीच विश्वास, क्षेत्रीय साझेदारी और जन-से-जन संबंधों को और प्रगाढ़ किया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. मंगोलिया कहाँ स्थित है?
मंगोलिया एशिया में एक स्थलरुद्ध देश है, जिसके उत्तर में रूस और दक्षिण में चीन स्थित है।
2. भारत और मंगोलिया के बीच क्या सांस्कृतिक सहयोग मौजूद हैं?
पहलों में बौद्ध अवशेष भेजना, गंडन मठ में एक संस्कृत शिक्षक भेजना, पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण, नालंदा विश्वविद्यालय को जोड़ना और लद्दाख-अरखांगई सांस्कृतिक सहयोग जैसे समझौता ज्ञापन शामिल हैं।
3. भारत और मंगोलिया रक्षा क्षेत्र में किस प्रकार सहयोग करते हैं?
सीमा बलों के लिये क्षमता निर्माण कार्यक्रमों, प्रशिक्षण पहलों, एक रक्षा अताशे और नोमैडिक एलिफेंट तथा खान क्वेस्ट जैसे संयुक्त अभ्यासों के माध्यम से।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रश्न. "जलवायु चरम है, वर्षा कम है और लोग चलवासी पशुचारक हुआ करते थे।" (2013)
उपर्युक्त कथन निम्नलिखित क्षेत्र में से किसका सबसे अच्छा वर्णन करता है?
(a) अफ्रीकी सवाना
(b) मध्य एशियाई स्टेपी
(c) उत्तरी अमेरिकी प्रेयरी
(d) साइबेरियाई टुंड्रा
उत्तर: (b)
आयुष्मान भारत और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज
प्रिलिम्स के लिये: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, ABHA संख्या, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र।
मेन्स के लिये: भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) को आगे बढ़ाने में आयुष्मान भारत की भूमिका। सरकारी प्रायोजित स्वास्थ्य योजनाओं में निजी अस्पतालों के प्रभुत्व के कारण। प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण।
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 से पता चला है कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत, जबकि सूचीबद्ध संस्थानों में अधिकांश सरकारी अस्पताल हैं, अधिकांश लाभार्थी अक्सर अधिक लागत पर वास्तव में निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
AB-PMJAY के संबंध में प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- निजी अस्पतालों का प्रभुत्व: AB-PMJAY के तहत सूचीबद्ध 31,005 अस्पतालों में से केवल 45% निजी हैं, फिर भी वे 9.19 करोड़ अस्पतालों में से 52% के लिये ज़िम्मेदार हैं और कुल ₹1.29 लाख करोड़ उपचार लागत का 66% प्राप्त करते हैं।
- उपचार के रुझान: वर्ष 2018 से अब तक AB-PMJAY के तहत हुए उपचारों में से 14% हीमोडायलिसिस (haemodialysis) के लिये रहे हैं, जबकि इसके बाद बुखार (4%), गैस्ट्रोएन्टराइटिस (3%) और पशु काटने (3%) से संबंधित मामले रहे। वर्ष 2024–25 में सबसे अधिक उपचार जनरल मेडिसिन (General Medicine), नेत्र रोग (Ophthalmology) और सामान्य शल्य चिकित्सा (General Surgery) से जुड़े रहे।
- रोगी की गतिशीलता: आयुष्मान भारत की एक प्रमुख विशेषता पोर्टेबिलिटी है, जो राज्यों के बीच उपचार को सक्षम बनाती है।
- शीर्ष प्रवास गंतव्य चंडीगढ़ (19%), उत्तर प्रदेश (13%) और गुजरात (11%) हैं, जबकि सबसे अधिक प्रवास वाले राज्य उत्तर प्रदेश (24%), मध्य प्रदेश (17%) तथा बिहार (16%) हैं।
- डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की प्रगति: सरकार का डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र तेज़ी से प्रगति कर रहा है: 10 में से 6 लोगों के पास ABHA नंबर है, 50 करोड़ स्वास्थ्य रिकॉर्ड जुड़े हुए हैं, 38% स्वास्थ्य सुविधाएँ और 26% स्वास्थ्य कर्मी इस प्रणाली पर पंजीकृत हैं।
- ABHA नंबर एक 14-अंकीय आईडी है, जो डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने के लिये क्लाउड-आधारित खाता बनाता है।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना क्या है?
- आयुष्मान भारत-AB-PMJAY भारत की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना है जो कमज़ोर परिवारों को माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिये वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य अस्पताल खर्च को कम करना तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) को बढ़ावा देना है।
- पूर्व में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (NHPS) के नाम से जानी जाने वाली इस योजना में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY, 2008) का समावेश कर दिया गया है तथा इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है।
- लक्षित लाभार्थी: इसमें 12 करोड़ परिवार (लगभग 55 करोड़ लोग) शामिल हैं जिसमे जनसंख्या के सबसे गरीब 40% लोगों को प्राथमिकता दी गई है। लाभार्थियों की पहचान सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC-2011) और पूर्व RSBY कवरेज के माध्यम से की जाती है।
- 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी आय कितनी भी हो, इसके लिये पात्र हैं, जिनकी कुल संख्या लगभग 6 करोड़ है।
- वित्तपोषण: यह योजना पूर्णतः सरकारी वित्त पोषित है, जिसमें केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी है: अधिकांश राज्यों के लिये 60:40, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये 90:10 तथा बिना विधानमंडल वाले केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100% केंद्रीय वित्त पोषण।
- ज़रूरी भाग:
- आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM): इसकी योजना 1,50,000 केंद्र (पूर्व में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र) स्थापित करने की है, ताकि गैर-संचारी रोगों, उपशामक और पुनर्वास देखभाल, मौखिक, नेत्र, ईएनटी और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं सहित व्यापक, मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जा सके।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY): यह माध्यमिक और तृतीयक देखभाल, अस्पताल में भर्ती के लिये प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।
- कार्यान्वयन संरचना:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA): केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली स्वायत्त संस्था।
- राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएचए): राज्य सरकार द्वारा नियुक्त CEO के नेतृत्व में।
- ज़िला कार्यान्वयन इकाई (DIU): ज़िला कलेक्टर/DC/DM की अध्यक्षता में।
- प्रस्तावित लाभ:
- प्रमुख उपलब्धियाँ:
- व्यापक पहुँच: 35.4 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किये गए; 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में परिचालन।
- लैंगिक समानता: 49% कार्ड महिलाओं को जारी किये गए तथा 3.61 करोड़ लोगों ने अस्पताल में भर्ती होने का लाभ उठाया।
- वित्तीय प्रभाव: आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में 21% की कमी तथा आपातकालीन स्वास्थ्य ऋण में 8% की गिरावट।
- ज़िला अस्पताल को लाभ: वार्षिक शुद्ध लाभ 26.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जो 41.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर (प्रति अस्पताल 169,607 अमेरिकी डॉलर) तक पहुँचने का अनुमान है।
भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ को बाधित करने वाले प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य वित्तपोषण: भारत का सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 1.84% है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के 2.5% के लक्ष्य से कम है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य अवसंरचना को अपर्याप्त वित्तपोषण प्राप्त हुआ है, जबकि आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) 39.4% रहा।
- सीमित एवं असमान पहुँच: आयुष्मान भारत PM-JAY जैसी योजनाएँ "मिसिंग मिडिल" (जो न तो सब्सिडी के लिये पर्याप्त गरीब हैं और न ही निजी बीमा के लिये पर्याप्त समृद्ध) को अनदेखा कर देती हैं और माध्यमिक/तृतीयक देखभाल पर ध्यान केंद्रित करती हैं, प्राथमिक और बाह्य रोगी सेवाओं की उपेक्षा करती हैं, जो आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) का एक बड़ा हिस्सा हैं।
- ग्रामीण-शहरी असंतुलन: अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर शहरी निजी क्षेत्रों में हैं, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कमी है तथा बीमारियों से निपटने के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य और पैरामेडिकल स्टाफ अपर्याप्त है।
- कमज़ोर प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा: कमज़ोर प्राथमिक देखभाल प्रणाली के कारण मरीजों को छोटी बीमारियों के लिये भी तृतीयक अस्पतालों में जाना पड़ता है, तथा स्वास्थ्य प्रणाली का ध्यान स्वास्थ्य और रोकथाम की बजाय उपचार पर अधिक केंद्रित रहता है।
- विनियामक अंतराल: निजी क्षेत्र, जो अधिकांश देखभाल प्रदान करता है, में असंगत गुणवत्ता और खराब विनियमन देखने को मिलता है, जिसके कारण अनैतिक व्यवहार और अधिक शुल्क वसूलने को बढ़ावा मिलता है, जबकि अपर्याप्त स्वास्थ्य डेटा प्रणालियाँ साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण को सीमित करती हैं।
भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ प्राप्त करने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- सार्वजनिक स्वास्थ्य निधि में वृद्धि: सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5% तक बढ़ाना, प्राथमिक देखभाल (AAM) को सशक्त करने और एक मज़बूत गेटकीपिंग प्रणाली स्थापित करने के लिये अधिक धनराशि निर्देशित करना।
- एकीकृत स्वास्थ्य बीमा: वर्तमान में वंचित आबादी के लिये किफायती बीमा विकसित करना तथा अस्पताल में भर्ती से लेकर बाह्य रोगी देखभाल, निदान और दवाओं तक कवरेज़ का विस्तार करना।
- स्वास्थ्य कार्यबल को मज़बूत बनाना: वंचित क्षेत्रों में मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों का विस्तार करना, ग्रामीण स्वास्थ्य पेशेवरों को बनाए रखने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना, तथा सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं, नर्सों और पैरामेडिक्स के प्रशिक्षण में निवेश करना।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: विशेषज्ञ देखभाल को दूरस्थ रूप से प्रदान करने के लिये टेलीमेडिसिन और ABHA डिजिटल इकोसिस्टम का लाभ उठाना, तथा गैर-संचारी रोगों (NCD), स्वच्छता और पोषण पर सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों का संचालन करना।
- शासन में सुधार: गुणवत्ता और लागत मानकों के लिये नैदानिक स्थापन अधिनियम, 2010 को लागू करना, साक्ष्य-आधारित उपचार दिशानिर्देशों को लागू करना, तथा निगरानी, योजना और जवाबदेही के लिये डेटा प्रणालियों को मज़बूत करना।
निष्कर्ष
AB PM-JAY ने व्यापक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करके और आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर को कम करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ को महत्त्वपूर्ण रूप से उन्नत किया है। हालाँकि, इसकी सफलता एक महत्त्वपूर्ण चुनौती को उज़ागर करती है: रोगियों की निजी स्वास्थ्य सेवा के प्रति अत्यधिक प्राथमिकता, जो स्थायी समानता के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता और क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
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दृष्टि मेंस प्रश्न: प्रश्न. चर्चा कीजिये कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करने में किस प्रकार योगदान देती है। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. AB-PMJAY क्या है?
AB-PMJAY भारत की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना है जो द्वितीयक और तृतीयक देखभाल के लिये प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य कमज़ोर आबादी के लिये सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज़ प्राप्त करना है।
2. AB-PMJAY के तहत लोग निजी अस्पतालों को क्यों पसंद करते हैं?
उन्नत प्रौद्योगिकी, बेहतर बुनियादी ढाँचे, विशेषज्ञों की उपलब्धता, सावधानीपूर्वक देखभाल और तीव्र पहुँच के कारण निजी अस्पतालों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि सूचीबद्ध अस्पतालों में से केवल 45% ही निजी हैं।
3. AB-PMJAY लैंगिक समानता को कैसे बढ़ावा देता है?
49% आयुष्मान कार्ड महिलाओं को जारी किये गए हैं, और 3.61 करोड़ अस्पताल में भर्ती होने से महिला लाभार्थियों को सहायता मिली है, जिससे समावेशी स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सुनिश्चित हुई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के संदर्भ में प्रशिक्षित सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता ‘आशा’ के कार्य निम्नलिखित में से कौन-से हैं? (2012)
- स्त्रियों को प्रसवपूर्व देखभाल जाँच के लिये स्वास्थ्य सुविधा केंद्र साथ ले जाना।
- गर्भावस्था के प्रारंभिक संसूचन के लिये गर्भावस्था परीक्षण किट का उपयोग करना।
- पोषण एवं टीकाकरण पर जानकारी प्रदान करना।
- बच्चे का प्रसव कराना
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a)केवल 1, 2 और 3
(b)केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a)
मेन्स:
प्रश्न. सार्विक स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैं। क्या आपके विचार में खाई को पाटने में निजी क्षेत्रक सहायक हो सकता है? आप अन्य कौन-से व्यवहार्य विकल्प सुझाएंगे? (2015)
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा
चर्चा में क्यों?
भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), जिसे वर्ष 2023 G20 शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया, का उद्देश्य भारत को मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप से जोड़ना है।
- हालाँकि, पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और उभरते आर्कटिक मार्ग इसके कार्यान्वयन एवं रणनीतिक व्यवहार्यता के लिये गंभीर चुनौतियाँ पेश करते हैं।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा क्या है?
- परिचय: IMEC एक रणनीतिक मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी पहल है जिसे नई दिल्ली में वर्ष 2023 में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक समझौता ज्ञापन (MoU) के माध्यम से लॉन्च किया गया था। इसके दो कॉरिडोर सेगमेंट हैं: पूर्वी कॉरिडोर (भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ता है) और उत्तरी कॉरिडोर (खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ता है)।
- IMEC के हस्ताक्षरकर्ता देशों में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्राँस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ (EU) शामिल हैं। यह G7 की पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII, 2021) का हिस्सा है।
- IMEC 2023 में अनुकूल भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बीच उभरा, जिसे अब्राहम एकॉर्ड (Abraham Accord) और भारत-UAE, सऊदी अरब तथा अमेरिका के संबंधों में सुधार का समर्थन प्राप्त था। इसका लक्ष्य इज़राइल के हाइफा पोर्ट को जॉर्डन की रेलवे प्रणाली और गल्फ क्षेत्र के बंदरगाहों से जोड़ना है।
- उद्देश्य: IMEC का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व एवं यूरोप के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये बंदरगाहों, रेलवे, सड़कों, समुद्री मार्गों, ऊर्जा पाइपलाइनों तथा डिजिटल अवसंरचना (अंडरसी डिजिटल केबल्स) का एक समेकित नेटवर्क विकसित करना है।
- IMEC को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के पारदर्शी, सतत् और ऋण-मुक्त विकल्प के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता को प्रभावित किये बिना अवसंरचना विकास सुनिश्चित करता है।
- भारत के लिये आर्थिक और रणनीतिक लाभ: IMEC स्वेज़ नहर मार्ग की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत को लगभग 30% और परिवहन समय को लगभग 40% कम करता है, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होती है।
- भारत के लिये, IMEC व्यापार मार्गों में विविधता लाने का एक रणनीतिक अवसर है, जिससे स्वेज़ नहर जैसे चोकपॉइंट्स पर निर्भरता कम होती है। यह गलियारा भूमध्य सागर के माध्यम से यूरोपीय बाज़ारों तक पहुँच बढ़ाता है और चीन की BRI के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
- EU, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है (2024-25 में 136 बिलियन USD का व्यापार) और मज़बूत कनेक्टिविटी निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दे सकती है।
- IMEC भारत की एक्ट वेस्ट नीति के साथ भी मेल खाता है, जो ऊर्जा सुरक्षा, विप्रेषण एवं डायस्पोरा संबंधों के लिये मध्य पूर्व के साथ सहभागिता को गहरा करता है और साथ ही पाकिस्तान के क्षेत्रीय रणनीतिक प्रभाव का मुकाबला करता है।
- यह भारत की वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) पहल के अनुरूप है, जो मध्य पूर्व से सौर और हरित हाइड्रोजन ऊर्जा का उपयोग करने का प्रयास करती है तथा भारत के कम-कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण का समर्थन करती है।
- भारत के लिये, IMEC व्यापार मार्गों में विविधता लाने का एक रणनीतिक अवसर है, जिससे स्वेज़ नहर जैसे चोकपॉइंट्स पर निर्भरता कम होती है। यह गलियारा भूमध्य सागर के माध्यम से यूरोपीय बाज़ारों तक पहुँच बढ़ाता है और चीन की BRI के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) की प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक अस्थिरता: अक्तूबर 2025 में हमास के हमले तथा उसके बाद इज़राइली सैन्य कार्रवाई ने क्षेत्रीय सुरक्षा को और बिगाड़ दिया है, विशेषकर इज़राइल और अरब राज्यों के बीच, जिससे IMEC के मुख्य मार्ग को खतरा उत्पन्न हुआ है।
- इज़राइल के सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे देशों के साथ संबंधों में गिरावट उनके क्षेत्रों के माध्यम से योजनाबद्ध रेलवे तथा ऊर्जा अवसंरचना परियोजनाओं को रोक सकती है।
- पश्चिम एशिया की अस्थिर राजनीतिक स्थिति दीर्घकालिक बुनियादी ढाँचे में निवेश को जोखिमपूर्ण और अनिश्चित बनाती है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण व्यापार गतिशीलता में बदलाव: आर्कटिक समुद्री मार्ग, जो अब जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक सुलभ हो गए हैं, एशिया और यूरोप के बीच छोटे एवं लागत-प्रभावी शिपिंग मार्ग प्रदान करते हैं, जिससे IMEC की प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त कम होती है।
- अमेरिका, रूस, चीन और उत्तरी यूरोप जैसे देश आर्कटिक कनेक्टिविटी से IMEC के हस्ताक्षरकर्त्ता देशों की तुलना में अधिक लाभ उठा सकते हैं।
- इटली और फ्राँस जैसे भूमध्यसागरीय देश IMEC को आर्कटिक मार्गों के कारण संभावित आर्थिक हाशियेकरण का मुकाबला करने वाला विकल्प मानते हैं।
- लाल सागर में विघटन और समुद्री असुरक्षा: लाल सागर में हूती विद्रोहियों द्वारा बार-बार हमलों के कारण शिपिंग प्रभावित हुई है, जिससे केप ऑफ गुड होप के माध्यम से मार्ग परिवर्तन करना पड़ा और परिवहन समय तथा लागत में वृद्धि हुई।
- IMEC, जो संघर्ष क्षेत्रों के निकट समुद्री मार्गों पर निर्भर करता है, इसी प्रकार के विघटन के जोखिम का सामना करता है।
- क्षेत्रीय अभिकर्त्ताओं को बाहर करना और रणनीतिक प्रतिस्पर्द्धा: तुर्की, मिस्र या ईरान जैसे देश, अपने रणनीतिक भौगोलिक स्थान के बावजूद, IMEC का हिस्सा नहीं हैं, जिससे प्रतिद्वंद्वी या समानांतर गलियारों के निर्माण की संभावना बनती है।
- पाकिस्तान के अरब देशों, विशेषकर सऊदी अरब के साथ बढ़ते संबंधों का लाभ उठाकर IMEC का मुकाबला किया जा सकता है और क्षेत्र में भारत के प्रभाव को कमज़ोर किया जा सकता है।
- कार्यान्वयन और निवेश चुनौतियाँ: उच्च गति रेलवे, ऊर्जा पाइपलाइन और डिजिटल अवसंरचना का निर्माण कई सर्वेक्षणशील क्षेत्रों में करना अत्यधिक वित्तीय तथा तकनीकी संसाधनों की मांग करता है।
- IMEC का उद्देश्य वर्ष 2027 तक 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाना है, लेकिन इसके लिये स्टेकहोल्डर्स के बीच स्पष्ट वित्तपोषण रोडमैप और लागत साझा करने की योजना नहीं है।
- वृहद पैमाने की अवसंरचना परियोजनाओं के लिये दीर्घकालिक निवेश (प्रत्येक परियोजना में 3–8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की आवश्यकता होती है, जो वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच अनिश्चित बनी हुई है।
- गाजा संघर्ष में शांति की अनिश्चित संभावनाएँ: भले ही शांति पहलें प्रस्तावित की जा रही हों, गाज़ा या व्यापक इज़राइल–पैलेस्टाइन क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता की कोई गारंटी नहीं है।
- भविष्य में किसी भी प्रकार की हिंसक घटनाएँ इज़राइल और जॉर्डन में गलियारे के चल रहे या योजनाबद्ध खंडों को बाधित कर सकती है।
IMEC के सफल कार्यान्वयन के लिये भारत कौन-सी रणनीतियाँ अपना सकता है?
- बहुपक्षीय सहयोग और शासन को बढ़ावा देना: भारत को IMEC सचिवालय स्थापित करने में नेतृत्व करना चाहिये ताकि समन्वय, विवाद निवारण और निगरानी सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही सदस्य देशों के बीच नीतिगत समन्वय और नियामक संरेखण को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- भू-राजनीतिक सहभागिता को मज़बूत करना: भारत को सभी सदस्य देशों और क्षेत्रीय अभिकर्त्ताओं के साथ सक्रिय कूटनीतिक संपर्क बनाए रखना चाहिये।
- पश्चिम एशियाई अस्थिरता (जैसे गाज़ा संघर्ष, सऊदी–ईरान प्रतिद्वंद्विता) को संबोधित करने के लिये विवाद समाधान को सुविधाजनक बनाना चाहिये।
- तुर्की, ईरान, कतर एवं मिस्र को शामिल करने को बढ़ावा देना तथा IMEC की पहुँच बढ़ाने, भारत-अरब आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने और पाकिस्तान के क्षेत्रीय प्रभाव का मुकाबला करने के लिये सऊदी एवं मिस्र के और बंदरगाहों को शामिल करना।
- निवेश प्रतिबद्धताओं को सुरक्षित करना: सदस्य देशों के बीच स्पष्ट वित्तीय रोडमैप और लागत साझा करने की व्यवस्था विकसित करना चाहिये।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP), ग्रीन बॉण्ड और सतत् वित्त का उपयोग करके बजट पर दबाव कम करना।
- व्यापार और सुरक्षा जोखिमों को कम करना: मार्गों में विविधता लाना और समुद्री विघटन के खिलाफ आकस्मिक योजनाएँ तैयार करना।
- इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के माध्यम से क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करना, ताकि पाइरेसी, आतंकवाद तथा साइबर खतरों का मुकाबला किया जा सके।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण को बढ़ावा देना: भारत डिजिटल कनेक्टिविटी पहलों जैसे एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI)-आधारित भुगतान, अंडरसी डेटा केबल्स और 5G अवसंरचना में नेतृत्व कर सकता है। इसके साथ ही ई-कॉमर्स, फिनटेक और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं का समर्थन करना तथा IMEC नोड्स पर डिजिटल विभाजन को कम करना।
निष्कर्ष
IMEC भारत को व्यापार में विविधता लाने, यूरोप और मध्य पूर्व के साथ कनेक्टिविटी को मज़बूत करने तथा निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाने का एक रणनीतिक मार्ग प्रदान करता है। हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, समन्वित सहभागिता, मज़बूत अवसंरचना और प्रौद्योगिकी एकीकरण महत्त्वपूर्ण आर्थिक अवसर उत्पन्न कर सकते हैं तथा भारत को गलियारे में समृद्धि के एक प्रमुख प्रेरक के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के लिये भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) के रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व की समालोचनात्मक समीक्षा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) क्या है?
IMEC एक बहु-माध्यमीय कनेक्टिविटी पहल है, जिसे G20 शिखर सम्मेलन 2023 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य बंदरगाहों, रेलवे, ऊर्जा पाइपलाइनों और डिजिटल अवसंरचना के माध्यम से भारत, मध्य पूर्व तथा यूरोप को जोड़ना है।
2. IMEC के हस्ताक्षरकर्त्ता देश कौन-कौन हैं?
वर्तमान में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्राँस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ (EU) IMEC के हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
3. भारत के ये IMEC के रणनीतिक लाभ क्या हैं?
IMEC स्वेज़ नहर की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत (~ 30%) और परिवहन समय (~ 40%) को कम करता है, निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाता है, भारत के OSOWOG ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करता है तथा एक्ट वेस्ट नीति के तहत संलग्नता को मज़बूत करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रीलिम्स:
प्रश्न. ‘कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016)
(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन
उत्तर: (d)


