डेली न्यूज़ (10 Jan, 2019)



‘मानव तस्करी’ में यूरोप की स्थिति गंभीर: UN

चर्चा में क्यों?


हाल में आई UN (United Nation) की एक रिपोर्ट में यूरोप में मानव तस्करी विशेष रूप से बच्चों की तस्करी की भयावह स्थिति को प्रदर्शित किया गया है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप के कई भागों में भारत सहित दक्षिण-एशियाई देशों से तस्करी कर लाये गए लोगों की पहचान की गई।
  • इसके अनुसार मानव तस्करी से लगभग एक-तिहाई बच्चे पीड़ित हैं जिनको मुख्यतः बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशियाई देशों से तस्करी कर लाया जाता है इनमें नेपाल एवं श्रीलंका भी शामिल हैं।
  • अफगानिस्तान से तस्करी कर लाये गए लोगों को नॉर्डिक देशों, नीदरलैंड और यूनाइटेड किंगडम में देखा जा सकता है।
  • तस्करी द्वारा लाये गए मूल रूप से दक्षिण एशियाई देशों के पीड़ितों की पहचान दुनिया के 40 से भी अधिक देशों में की गई, जिनमें अधिकतर पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में पाए गए हैं।
  • बांग्लादेश और भारत से तस्करी कर लाये गए बहुत से पीड़ित लोग दक्षिण-पूर्व एशिया में भी पाए गए हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र का ड्रग्स एंड क्राइम ऑफिस (UNODC) 142 देशों की तस्करी की स्थिति और प्रक्रिया के जाँच की वैश्विक रिपोर्ट जारी करती है।
  • बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल और पाकिस्तान के बारे में उपलब्ध सीमित जानकारी के अनुसार, इस उपक्षेत्र में कुल ज्ञात पीड़ितों में महिलाओं का 59 प्रतिशत है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मानव तस्करी की निगरानी का कार्य संयुक्त राष्ट्र सतत विकास एजेंडा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे सदस्य देशों को इस समस्या से निपटने में हुई प्रगति की निगरानी करने और लैंगिक व उम्र के आधार पर शोषण के शिकार लोगों की संख्या ज्ञात करने में मदद मिलती है।
  • हालाँकि, उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण एशिया के कई देशों और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में अभी भी ज्ञान के अभाव के कारण तस्करी पर डेटा रिकॉर्ड करने एवं उसे साझा करने की पर्याप्त क्षमता नही है।
  • अपने मूल क्षेत्र से बाहर तस्करी कर लाये गये ज्यादातर पीड़ित पूर्वी एशियाई देशों से हैं, इसके बाद उप-सहारा अफ्रीका का स्थान है। जबकि इन क्षेत्रों में तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है, क्योंकि अभी भी कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में ऐसे मामलों में सजा का प्रावधान बहुत कम है।
  • महिलाओं और लड़कियों को दुनिया भर में सबसे अधिक तस्करी का शिकार बनाया जाता है। उनमें से लगभग तीन-चौथाई की तस्करी यौन शोषण हेतु तथा लगभग 35 प्रतिशत (महिलाएँ लड़कियाँ) की जबरन श्रम के लिये की जाती है।

मानव तस्करी का कारण

  • आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने, समाज में भय फैलाने और तस्करी को आतंकवादी संगठनों में भर्ती के लिये प्रोत्साहित करना।
  • बाल सैनिकों के रूप में श्रम और यौन गुलामी को बढ़ावा देना।
  • महिलाओं का मानसिक सामाजिक एवं शारीरिक शोषण।
  • यौन शोषण के लिये तस्करी करना यूरोपीय देशों में इसका सबसे प्रचलित रूप है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका और मध्य-पूर्व के देशों में जबरन अवैध व्यापार।

उद्देश्य

  • बच्चों एवं महिलाओं के शोषण को रोकना।
  • मानव तस्करी की भयावह स्थिति का संज्ञान लेते हुए बच्चों को गुमराह होने से बचाना, आतंकवाद को रोकना, श्रम और यौन शोषण को रोकना।
  • तकनीकी सहायता और सहयोग बढ़ाकर सभी देशों को पीड़ितों की रक्षा करने और अपराधियों को सजा दिलाने के साथ ही सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना।

स्रोत – द हिंदू बिज़नेस लाइन


भारत की वृद्धि दर (2018-19) 7.3%: विश्व बैंक

चर्चा में क्यों?


हाल ही में विश्व बैंक (WB) द्वारा जारी ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स (Global Economic Prospects) रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत की विकास दर 2018-19 में 7.3 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • WB (World Bank) द्वारा प्रस्तुत ‘ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत में विमुद्रीकरण (Demonatisation) और वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) के कारण प्रारंभिक असफलताओं के बावजूद 2017 में भारत की विकास दर में 6.7% की वृद्धि देखी गई।
  • इसके अनुसार, 2018-19 में भारत का विकास दर 7.3 -7.5 प्रतिशत तक पहुँचने का अनुमान है क्योंकि देश में व्यापक सुधारों के कार्यान्वयन के साथ अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा वृद्धि की क्षमता ज़्यादा है। इसके चलते भारत आने वाले दशक में उच्च विकास दर प्राप्त कर सकता है।
  • WB के निदेशक ने बताया कि वृद्धि दर बढ़ाने के लिये भारत को FDI (Foreign Direct Investment) बढ़ाने तथा गैर-निष्पादित ऋण एवं उत्पादकता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • भारत में माध्यमिक शिक्षा पूर्णता दर के क्षेत्र में बहुत अधिक संभावनाएँ हैं। श्रम बाज़ार में सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार के साथ-साथ निवेश में होने वाली समस्याओं को कम करने से भारत की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
  • भारत की जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल अन्य देशो की अर्थव्यवस्थाओं की अपेक्षा ज़्यादा अनुकूल है जहाँ महिला श्रम बल की भागीदारी भी बढ़ रही है।

चीन के सापेक्ष भारत


2017 में चीन की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत थी, जबकि भारत 6.7 प्रतिशत पर रहा (विमुद्रीकरण और GST लागू होने के कारण)। आने वाले दो वर्षों में भारतीय विकास दर में 7.3-7.5 प्रतिशत तक वृद्धि होने का अनुमान है जबकि चीन की विकास दर 6.4 प्रतिशत अनुमानित है। जो अगले दो वर्षों में क्रमशः 6.3 और 6.2 प्रतिशत घट जाएगी।


ग्लोबल इकनोमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट

  • ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट, विश्व बैंक समूह की एक रिपोर्ट है जिसमें वैश्विक आर्थिक विकास एवं संभावनाओं की जाँच की जाती है, इसमें उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • यह वर्ष में दो बार जनवरी और जून में जारी की जाती है।

स्रोत – द हिंदू


गोल्ड स्कीम में बदलाव

चर्चा में क्यों?


हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) में कुछ बदलाव लाने की घोषणा की है।


प्रमुख बिंदु

  • 2015 में शुरू की गई इस योजना में कुछ बदलावों हेतु RBI द्वारा अधिसूचना जारी की गई है।
  • अधिसूचना जारी होने के बाद इस योजना के तहत अब चैरिटेबल संस्थाएँ, केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और केंद्र सरकार या राज्य सरकारों के अधीन कोई संस्था भी इस योजना का लाभ ले सकेगी।
  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) की शुरुआत 2015 में की गई थी।

क्या है स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना?

  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना (Gold Monetization Scheme-GMS) के तहत कोई व्यक्ति (अब चैरिटेबल संस्थाएँ, केंद्र सरकार, राज्य सरकार भी) अपना सोना बैंक में जमा कर सकता है।
  • इस पर उन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात् वे इसे सोना अथवा रुपए के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस स्कीम की खास बात यह है कि पहले लोग सोने को लॉकर में रखते थे, लेकिन अब लॉकर लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और इस पर कुछ निश्चित ब्याज भी मिलता है।
  • स्कीम के तहत इसमें कम-से-कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होता है। जिसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) को स्वीकृति देते हैं।

क्या था उद्देश्य?

  • ‘स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना’ भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि स्वर्ण आयात भारत के व्यापार घाटे (Trade Deficit) की एक बड़ी वज़ह है।
  • इस योजना के तहत बैंक के ग्राहक अपने बेकार पड़े सोने को ‘सावधि जमा’ के रूप में बैंक में जमा कर सकते हैं।
  • सरकार को आशा थी कि इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुनर्चक्रण के माध्यम से सोने के आयात को घटाया जा सकेगा।

योजना सफल या असफल?

  • एक तरफ भारत में घरों एवं मंदिरों में लगभग 20,000 टन सोना पड़ा है तो दूसरी ओर सोने का आयात भी लगातार बढ़ रहा है। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है एवं भारत के व्यापार घाटे के एक-चौथाई से अधिक भाग का कारण सोने का आयात है।
  • भारत में स्वर्ण-स्टॉक का तीन-चौथाई से अधिक आभूषणों एवं मूर्तियों के रूप में है जिससे लोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी होता है। चूँकि इस योजना के तहत जमा सोने को पिघलाया जाता है, अतः लोगों का इस योजना की तरफ कम झुकाव होना स्वाभाविक है।
  • इसके अलावा, बैंकों में जमा करवाने पर सोना आधिकारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाएगा जिससे अनधिकृत धन एवं कालेधन से खरीदे गए सोने को जमा करना मुश्किल है।
  • अभी भी लोगों को इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है एवं वित्तीय समावेशन की कमी के कारण जनता के एक भाग की बैंकों तक पहुँच नहीं है।
  • भारत में सोने को ऋण लेने के लिये जमानत (Collateral) के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं संकट काल के लिये बचाकर रखा जाता है। अतः सावधि जमा खाते में जमा करवाने पर वे सोने का ऐसा उपयोग नहीं कर पाएंगे।
  • स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना आर्थिक दृष्टिकोण से एक प्रगतिशील पहल है जो निवेशकों द्वारा सोने के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने एवं देश के व्यापार घाटे को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अतः सरकार द्वारा सोने की तरलता एवं पूंजी लाभों को सुनिश्चित कर इस योजना को सफल बनाया जा सकता है।

स्रोत- द हिंदू


लोकसभा में पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016

चर्चा में क्यों?


हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 (Citizenship Amendment Bill 2016) जो नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955) में संशोधन करता है, लोकसभा में पारित हुआ।

  • लोकसभा में यह विधेयक 19 जुलाई, 2016 को प्रस्तुत किया गया था और विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से विचार करने तथा उस पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये 12 अगस्त, 2016 को यह विधेयक संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ


1. अवैध प्रवासियों की परिभाषा- नागरिकता अधिनियम, 1955 अवैध प्रवासियों के भारत की नागरिकता हासिल करने पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 इस अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव करता है ताकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अवैध प्रवासियों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता प्रदान की जा सके।

  • लेकिन इन अवैध प्रवासियों को उपरोक्त लाभ प्रदान करने लिये केंद्र सरकार को विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत भी छूट प्रदान करनी होगी।

2. देशीयकरण द्वारा नागरिकता- 1955 का अधिनियम कुछ शर्तों (Qualification) को पूरा करने वाले किसी भी व्यक्ति को देशीयकरण द्वारा नागरिकता प्राप्ति के लिये आवेदन करने की अनुमति प्रदान करता है। लेकिन इस प्रकार नागरिकता प्राप्ति हेतु आवेदन करने के लिये यह अनिवार्य है कि नागरिकता के लिये आवेदन करने वाला व्यक्ति आवेदन करने से पहले एक निश्चित समयावधि से भारत में रह रहा हो अथवा केंद्र सरकार की नौकरी कर रहा हो और-

(i) नागरिकता के लिये आवेदन करने वाला व्यक्ति आवेदन की तिथि से 12 महीने पहले से भारत में रह रहा हो।
(ii) 12 महीने से पहले 14 वर्षों में से 11 वर्ष उसने भारत में बिताए हों।

लेकिन नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई प्रवासियों के लिये 11 वर्ष की शर्त को 6 वर्ष करने का प्रावधान करता है।

3. भारत के विदेशी नागरिकता (Overseas Citizenship of India-OCI) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द-

1955 के अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार निम्नलिखित आधारों पर OCI के पंजीकरण को रद्द कर सकती है-

(i) यदि OCI ने धोखाधड़ी के ज़रिये पंजीकरण कराया हो।
(ii) यदि पंजीकरण कराने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के अंदर OCI कार्डधारक को 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय के लिये कारावास की सजा सुनाई गई हो।

  • नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 पंजीकरण रद्द करने के लिये एक और आधार जोड़ने का प्रावधान करता है। इस नए आधार के अनुसार, यदि OCI ने देश के किसी कानून का उल्लंघन किया हो तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 से संबंधित प्रमुख मुद्दे


क्या धर्म के आधार पर अंतर करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है?

  • विधेयक के अनुसार, जो अवैध प्रवासी अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के निर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों के हैं, उनके साथ अवैध प्रवासियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाएगा। इन अल्पसंख्यक समुदायों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। इसका तात्पर्य यह है कि इन देशों से आने वाले अवैध प्रवासी जिनका संबंध इन छः धर्मों से नहीं है, वे नागरिकता के लिये पात्र नहीं हैं।
  • ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि यह अवैध प्रवासियों के बीच उनके धर्म के आधार पर अंतर करता है।
  • संविधान का अनुच्छेद 14 समानता की गारंटी देता है। लेकिन यह कानून को व्यक्ति अथवा समूहों के बीच अंतर करने की अनुमति देता है वह भी उस स्थिति में जब किसी उपयुक्त उद्देश्य को पूरा करने के लिये ऐसा करना तार्किक हो।
  • नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के उद्देश्यों तथा कारणों के वक्तव्य में अवैध प्रवासियों के बीच धर्म के आधार पर अंतर करने के पीछे के तर्क को स्पष्ट नहीं किया गया है।

OCI पंजीकरण को रद्द करने का नया आधार कितना उचित है?

  • इस विधेयक के अनुसार, सरकार अब किसी भी उल्लंघन की स्थिति में OCI पंजीकरण को रद्द कर सकती है। इसमें हत्या जैसे गंभीर अपराध और ट्रैफिक कानून के उल्लंघन (जैसे नो पार्किंग ज़ोन में वाहन खड़ा करना या लाल बत्ती पार करना आदि) जैसे मामूली अपराध भी शामिल होंगे।
  • ऐसी स्थिति में प्रश्न यह उठता है कि क्या मामूली उल्लंघनों के कारण OCI पंजीकरण रद्द होना चाहिये जिसके कारण भारत में रहने वाले किसी OCI को देश छोड़कर जाना पड़ सकता है।

स्रोत : पी.आर.एस वेबसाइट 


लोकसभा में पारित हुआ DNA टेक्नोलॉजी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018

चर्चा में क्यों?


8 जनवरी, 2019 को लोकसभा में DNA टेक्नोलॉजी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 [DNA Technology (Use and Application) Regulation Bill] पारित हुआ। इस विधेयक में कुछ लोगों की पहचान स्थापित करने हेतु DNA टेक्नोलॉजी के प्रयोग के रेगुलेशन का प्रावधान है।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ


DNA डेटा का प्रयोग

  • विधेयक के अंतर्गत DNA परीक्षण की अनुमति केवल विधेयक की अनुसूची में उल्लिखित मामलों (जैसे भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत अपराधों, पेटरनिटी (paternity) से संबंधित मुकदमों या असहाय बच्चों की पहचान) के लिये दी जाएगी।

DNA डेटा के प्रयोग के लिये अनुमति

  • DNA प्रोफाइल तैयार करते समय जाँच अधिकारियों द्वारा किसी व्यक्ति के शारीरिक पदार्थों को इकट्ठा किया जा सकता है।
  • कुछ स्थितियों में इन पदार्थों को इकट्ठा करने के लिये अधिकारियों को उस व्यक्ति की सहमति लेना आवश्यक होगा।

♦ सात साल तक की सज़ा पाने वाले गिरफ्तार व्यक्तियों के DNA परीक्षण के लिये अधिकारियों को उनकी सहमति प्राप्त करनी होगी। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को सात साल से अधिक या फाँसी की सज़ा दी गई है तो अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों के DNA परीक्षण के लिये उनकी सहमति लेना आवश्यक नहीं है।
♦ इसके अतिरिक्त किसी पीड़ित व्यक्ति या लापता व्यक्ति के संबंधी अथवा नाबालिग या विकलांग व्यक्ति के DNA परीक्षण के लिये अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाएगी कि वे उस पीड़ित व्यक्ति, उसके संबंधी या नाबालिग या विकलांग व्यक्ति के माता-पिता या अभिभावक की सहमति प्राप्त करें। यदि किसी भी मामले में सहमति नहीं मिलती है तो अधिकारी मेजिस्ट्रेट के पास जा सकते हैं।

DNA डेटा बैंक

  • विधेयक में राष्ट्रीय DNA डेटा बैंक और हर राज्य में या दो या दो से अधिक राज्यों में क्षेत्रीय DNA डेटा बैंक की स्थापना का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय डेटा बैंक DNA प्रयोगशालाओं से मिलने वाले DNA प्रोफाइल्स को स्टोर करेंगे और क्षेत्रीय बैंकों से DNA डेटा प्राप्त करेंगे।
  • प्रत्येक डेटा बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निम्नलिखित श्रेणियों के डेटा का रखरखाव करेगा-

♦ क्राइम सीन इंडेक्स
♦ संदिग्ध व्यक्तियों (सस्पेक्ट) या विचाराधीन कैदियों (अंडरट्रायल्स) के इंडेक्स
♦ अपराधियों के इंडेक्स
♦ लापता व्यक्तियों के इंडेक्स
♦ अज्ञात मृत व्यक्तियों के इंडेक्स

  • सूचना का संरक्षण
  • विधेयक के अंतर्गत DNA नियामक बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि DNA बैंकों, प्रयोगशालाओं और अन्य व्यक्तियों के DNA प्रोफाइल्स से संबंधित सूचनाओं को गोपनीय रखा जाए।
  • DNA डेटा को केवल व्यक्तियों की पहचान के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  • हालांकि विधेयक डेटा बैंक से सूचना हासिल करने के लिये केवल वन टाइम की-बोर्ड सर्च की अनुमति देता है। इस सर्च में इंडेक्स और DNA सैंपल की सूचनाओं के बीच तुलना की अनुमति है लेकिन सैंपल की सूचना इंडेक्स में शामिल नहीं होगी।

DNA डेटा को रखना

  • विधेयक के अनुसार, DNA प्रोफाइल की प्रविष्टि, उसे रखने या हटाने के मानदंडों को विनियामक द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा। फिर भी विधेयक में निम्नलिखित व्यक्तियों के DNA डेटा को हटाने का प्रावधान हैं:

♦ संदिग्ध व्यक्ति, अगर पुलिस रिपोर्ट फाइल की गई है या अदालत द्वारा आदेश दिया गया है।
♦ विचाराधीन कैदी, अगर अदालती आदेश दिये गए हैं
4 आग्रह करने पर किसी ऐसे व्यक्ति का प्रोफाइल जो संदिग्ध, अपराधी या विचाराधीन नहीं लेकिन क्राइम सीन के इंडेक्स या लापता व्यक्तियों के इंडेक्स में उसका DNA प्रोफाइल इंटर हो गया है।

  • इसके अतिरिक्त विधेयक यह प्रावधान करता है कि क्राइम सीन इंडेक्स की सूचना को बरकरार रखा जाएगा।

DNA नियामक बोर्ड

  • विधेयक में DNA नियामक बोर्ड (Regulatory Board) की स्थापना का प्रावधान है जो कि DNA डेटा बैंक और DNA प्रयोगशालाओं की निगरानी करेगा।
  • बायोटेक्नोलॉजी विभाग का सेक्रेटरी बोर्ड का पदेन (ex officio) चेयरपर्सन होगा।
  • बोर्ड में 12 अतिरिक्त सदस्य होंगे जिनमें शामिल हैं-

♦ वाइस प्रेसीडेंट के रूप में एक ऐसा प्रख्यात व्यक्ति जिसे बायोलॉजिकल साइंसेज़ में कम-से-कम 25 वर्ष का अनुभव हो।
♦ राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) का डायरेक्टर जनरल।
♦ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) का डायरेक्टर या उनके नॉमिनी (कम से कम ज्वाइंट डायरेक्टर पद स्तर के अधिकारी)।

बोर्ड के कार्य

  • DNA लेबोरेट्रीज़ या डेटा बैंकों की स्थापना से संबंधित सभी विषयों पर सरकारों को सलाह देना
  • DNA लेबोरेट्रीज़ को आधिकारिक मान्यता प्रदान करना
  • DNA संबंधी मामलों पर काम करने हेतु कर्मचारियों के लिये प्रशिक्षण मॉड्यूल और दिशा-निर्देश तैयार करना।

DNA लेबोरेट्रीज़

  • DNA टेस्टिंग करने वाली किसी भी लेबोरेट्री को बोर्ड से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करनी होगी।
  • बोर्ड इस मान्यता को रद्द कर सकता है। जिन कारणों से मान्यता को रद्द किया जा सकता है, उनमें शामिल हैं-

♦ अगर लेबोरेट्री DNA टेस्टिंग करने में असफल होती है
♦ मान्यता से जुड़ी शर्तों को पूरा करने में असफल होती है।

  • मान्यता रद्द होने पर केंद्र सरकार या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य अथॉरिटी के समक्ष अपील की जा सकती है।

DNA लेबोरेट्रीज़ की बाध्यताएँ:

विधेयक के अंतर्गत हर DNA लेबोरेट्री से जिन बातों की अपेक्षा की जाती है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं-

  • DNA सैंपल्स के कलेक्शन, स्टोरिंग, टेस्टिंग और विश्लेषण में गुणवत्ता आश्वासन के मानदंडों का पालन करना।
  • डेटा बैंक में DNA सैंपल्स को जमा करना।
  • जारी मामलों के लिये सैंपल जमा करने के बाद लेबोरेट्री से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बायोलॉजिकल सैंपल को जाँच अधिकारी को लौटा दे।
  • दूसरे सभी मामलों में सैंपल को नष्ट कर दिया जाना चाहिये और संबंधित व्यक्ति को इस बारे में सूचना दी जानी चाहिये।

अपराध

विधेयक जिन विभिन्न अपराधों के लिये दंड विनिर्दिष्ट करता है, उनमें शामिल हैं

  • DNA सूचना का खुलासा करना।
  • अनुमति के बिना DNA सैंपल का इस्तेमाल करना।
  • DNA सूचना का खुलासा करने पर तीन वर्ष तक की कैद की सज़ा भुगतनी पड़ सकती है और एक लाख रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (10 जनवरी)

  • 10 जनवरी: विश्वभर में हुआ हिंदी दिवस का आयोजन; 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था पहला विश्व हिंदी सम्मेलन; 2006 से औपचारिक तौर से होने लगा विश्व हिंदी दिवस का आयोजन; हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और अंतर्राष्ट्रीय भाषा के तौर पर इसकी पहचान बनाना है इसका उद्देश्य; भारत में 14 सितंबर को आयोजित किया जाता है हिंदी दिवस; दुनिया की पाँच सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है हिंदी
  • 9 जनवरी को आयोजित होता है प्रवासी भारतीय दिवस; लेकिन 15वाँ प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 9 जनवरी के स्थान पर 21 से 23 जनवरी 2019 तक होगा आयोजित; उत्तर प्रदेश सरकार है सम्मेलन की भागीदार; वाराणसी में किया जाएगा इसका आयोजन; युवा प्रवासी भारतीय दिवस और राज्य प्रवासी भारतीय दिवस का भी होगा आयोजन; मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ होंगे मुख्य अतिथि; “नव भारत निर्माण में भारतीय डायस्पोरा की भूमिका" रखी गई है सम्मेलन की थीम
  • लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में भी पारित हुआ सामान्य कोटे के गरीबों के आरक्षण से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक; संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में किया गया है संशोधन; राज्यों की विधानसभाओं से पारित कराने की नहीं होगी ज़रूरत; आरक्षण की यह व्यवस्था अब तक अनारक्षित हर जाति और धर्म के ज़रूरतमंदों के लिये होगी लागू; यह 124वाँ संविधान संशोधन विधेयक राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद बन जाएगा कानून
  • लोकसभा में पारित हुआ DNA टेक्नोलॉजी विधेयक; DNA तकनीक के इस्तेमाल के लिये इस विधेयक में किये गए हैं प्रावधान; अपराधियों, संदिग्धों, विचाराधीन कैदियों, लापता बच्चों और लोगों, आपदा पीड़ितों एवं अज्ञात रोगियों की पहचान का काम होगा आसान;  DNA लैबोरेटरी बैंक स्थापित करने के साथ DNA डेटा बैंक बनाना भी है प्रस्तावित; विरोधी बता रहे हैं इसे निजता का उल्लंघन
  • अयोध्या मुद्दे पर फिर से होगा संवैधानिक पीठ का गठन; जस्टिस यू.यू. ललित ने इस मामले से खुद को किया अलग; एक पक्ष के वकील राजीव धवन ने जस्टिस यू.यू. ललित पर उठाया सवाल; 1994 में अवमानना के एक मामले में कल्याण सिंह के लिये बतौर वकील पेश हुए थे यू.यू. ललित; 29 जनवरी को होगी इस मामले की अगली सुनवाई
  • लगभग 60 देशों से आए प्रतिनिधियों ने लिया रायसीना डायलॉग में हिस्सा; अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा के लिये नई दिल्ली में हुआ आयोजन; रायसीना डायलॉग के चौथे संस्करण में लगातार बदल रहे वर्ल्ड ऑर्डर, वर्ल्ड लीडर और उनके कारकों पर चर्चा हुई; खास तरह के सहयोग और नई तकनीक पर भी हुआ विचार; विदेश मंत्रालय के सहयोग से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन करता है इस कार्यक्रम का आयोजन; 2016 में पहली बार हुआ था रायसीना डायलॉग का आयोजन
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये QUAD बना अब पाँच देशों का गठबंधन; अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ अब फ्रांस भी हुआ शामिल; चार देशों के गठबंधन (QUAD) के मंच पर इन पाँचों देशों के नौसेना प्रमुखों ने लिया हिस्सा; समुद्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर केंद्रित रही बातचीत; 2007 में औपचारिक तौर पर सामने आया था QUAD का विचार, लेकिन ऑस्ट्रेलिया हो गया था इससे अलग, 2017 में पुनः हुआ शामिल
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने समुद्र के खारे पानी को पीने लायक बनाने के लिये विकसित किया प्लांट; लक्षद्वीप के 10 द्वीपों से की गई है इस डिसेलिनेशन प्लांट की शुरुआत; इन द्वीपों पर नहीं है पीने के पानी का कोई भी प्राकृतिक स्रोत; अंडमान-निकोबार के द्वीपों पर भी लगाए जाएंगे ये प्लांट; पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत 1993 में स्वायत्त संस्था के तौर पर हुई थी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी की स्थापना
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग ने उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के दिंगास गाँव में स्थित कोटली विष्णु मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया; यह मंदिर सीमांत क्षेत्र में देश की पहली राष्ट्रीय धरोहर है; नौवीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासकों ने किया था; राष्ट्रीय धरोहर घोषित होने बाद इस मंदिर की देखरेख का ज़िम्मा ASI का रहेगा; इसके साथ ही ऋषिकेश का वीरभद्र मंदिर भी राष्ट्रीय धरोहर बना; गंगा नदी के तट पर बने इस मंदिर की स्थापना भी नौवीं शताब्दी में हुई थी
  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ए.के. पलानीस्वामी ने वर्तमान विल्लुपुरम ज़िले को विभाजित कर कल्लाकुरिची (Kallakurichi) नामक जिला बनाने का किया ऐलान; तमिलनाडु का 33वाँ ज़िला होगा कल्लाकुरिची; इससे पहले 2008 में तिरुप्पूर को बनाया गया था नया ज़िला
  • मेघालय में स्वदेश दर्शन के तहत पहली योजना की शुरुआत; मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा  ने किया भारत सरकार के  पर्यटन मंत्रालय की ‘स्वदेश दर्शन’ योजना का उद्घाटन; Umiam (Lake View)- U Lum Sohpetbneng- Mawdiangdiang - Orchid Lake Resort है परियोजना का नाम; पर्यटन मंत्रालय की महत्त्वपूर्ण योजनाओं में से एक है स्वदेश दर्शन योजना
  • पुणे में किया जा रहा है ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ के दूसरे संस्करण का आयोजन; महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने किया उद्घाटन; पुणे के छत्रपति स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में हो रहा है इन खेलों का आयोजन; ‘5 मिनट और’ रखी गई है खेलों की थीम; 12 दिवसीय खेल महोत्सव में कुल 18 खेलों में 6000 खिलाड़ी अंडर-17 और अंडर-21 वर्गों में ले रहे हैं हिस्सा
  • भारतीय हॉकी संघ ने हरेंद्र सिंह को पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के पद से हटाया; जूनियर विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कोच रह चुके हैं हरेंद्र सिंह; राष्ट्रमंडल खेलों में टीम के कमज़ोर प्रदर्शन के बाद संभाली थी मुख्य कोच की ज़िम्मेदारी; हाई परफॉरमेंस डायरेक्टर डेविड जॉन और वर्तमान में समीक्षा कोच क्रिस सिरीलो अंतरिम तौर पर संभालेंगे टीम की ज़िम्मेदारी; हरेंद्र सिंह को दिया जूनियर टीम का कोच बनने का ऑफर
  • ग्लोबल सोलर काउंसिल के अध्यक्ष बने प्रणव मेहता; फिलहाल नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं प्रणव मेहता; सौर ऊर्जा का अधिक उपयोग करने वाले 30 से अधिक देशों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन में पेरिस में जलवायु परिवर्तन समझौते के दायरे में 6 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान की गई थी ग्लोबल सोलर काउंसिल की लॉन्चिंग