डेली न्यूज़ (06 Dec, 2018)



गवाह सुरक्षा कार्यक्रम

चर्चा में क्यों


हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने गवाहों की सुरक्षा हेतु केंद्र सरकार की योजना को मंज़ूरी दे दी है। आसाराम मामले से जुड़े गवाहों की सुरक्षा में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह योजना सामने आई थी। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा था कि देश में गवाहों की सुरक्षा के लिये एक योजना का मसौदा क्यों नहीं तैयार हो सकता है जबकि ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी कानून’ में पहले से ही गवाहों की सुरक्षा के स्पष्ट प्रावधान प्रदत्त हैं।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र सरकार के गवाह सुरक्षा कार्यक्रम, 2018 को तत्काल प्रभाव से अक्षरशः लागू करने का आदेश दिया है।
  • उच्चतम न्यायालय के अनुसार, गवाह सुरक्षा कार्यक्रम, 2018 संविधान के अनुच्छेद 141 और 142 के तहत संसद या राज्य द्वारा उचित कानून बनाए जाने तक ‘कानून’ के रूप में रहेगा।
  • न्यायालय का यह भी दावा था कि गवाहों के अपने बयान से पलट जाने की मुख्य वज़हों में से एक राज्यों द्वारा उन्हें उचित सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराना भी होता है।
  • केंद्र सरकार ने 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों समेत तमाम स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इस कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया है।
  • इस कार्यक्रम में गवाह की पहचान को सुरक्षित रखना तथा उसे नई पहचान देने के साथ-साथ गवाहों के संरक्षण हेतु कई प्रावधान शामिल किये गए हैं। मसलन, साधारण मामलों में न्यायालय परिसर में गवाह को पुलिस सुरक्षा से लेकर गंभीर मामलों मेंसुरक्षित आवास उपलब्ध कराना, किसी गुप्त जगह पर विस्थापित करना आदि शामिल हैं।
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य गवाहों को सच्चाई और निडरता के साथ गवाही देने में सक्षम बनाना है।

आसाराम मामले से संबंध

  • यह मामला प्रकाश में तब आया था जब उच्चतम न्यायालय एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा था जिसमें आसाराम बलात्कार मामले में गवाहों की सुरक्षा के मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाया गया था।
  • बेंच ने कहा कि आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले गवाहों को गंभीर परिणाम भुगतने का डर था। यह भी आरोप है कि 10 गवाहों पर पहले ही हमला किया जा चुका है और तीन गवाहों की हत्या भी हो चुकी है।

स्रोत- द हिंदू


जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्‍यक ‘S’

चर्चा में क्यों?


वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने पोलैंड के काटोविस (Katowice) में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र फ्रेमवर्क कन्‍वेंशन से संबंधित ‘COP 24’ के दौरान अलग से आयोजित एक कार्यक्रम में ‘जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्‍यक ‘S’ – स्‍कोप, स्‍केल और स्‍पीड : एक प्रतिबिंब’ (3 Essential “S”s of Climate Finance - Scope, Scale and Speed: A Reflection) के शीर्षक वाला परिचर्चा पत्र जारी किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस परिचर्चा पत्र में जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्‍यक तत्त्वों यथा- Scope (दायरा), Scale (मात्रा) और Speed (गति) का विस्‍तार से विश्‍लेषण किया गया है।
  • परिचर्चा पत्र में विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त (Climate Finance) के बारे में दिये गए विभिन्‍न आँकड़ों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है।
  • इस परिचर्चा पत्र के अनुसार, विभिन्‍न रिपोर्टों में जलवायु परिवर्तन से जुड़े वित्त की जिन परिभाषाओं का उपयोग किया गया है वे UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं हैं। इस संबंध में जिन पद्धतियों का उपयोग किया गया वे भी संशययुक्‍त थीं।
  • इसमें उन आवश्‍यक तत्त्वों की धीरे-धीरे पहचान करने की कोशिश की गई है जो विकसित देशों से विकासशील देशों की ओर प्रवाहित होने वाले जलवायु वित्त के सुदृढ़ एवं पारदर्शी लेखांकन के लिये आवश्‍यक हैं।

परिचर्चा पत्र का महत्त्व

  • जहाँ एक ओर विकासशील देशों की वित्तीय ज़रूरत ट्रिलियन डॉलर में है, वहीं दूसरी ओर, जलवायु वित्त से जुड़ी सहायता के साथ-साथ इसमें वृद्धि के लिये विकसित देशों द्वारा व्‍यक्‍त की गई प्रतिबद्धताएँ स्‍पष्‍ट रूप से वास्‍तविकता में तब्दील नहीं होती हैं। जलवायु वित्त के बारे में सटीक जानकारी देने और इस पर करीबी नज़र रखने से संबंधित मामला भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

क्या कहते हैं आँकड़े?

  • 2016 में विकसित देशों ने 100 अरब अमेरीकी डालर के जलवायु वित्त पर एक रोडमैप प्रकाशित किया था जिसमें दावा किया गया कि 2013-14 में सार्वजनिक जलवायु वित्त का स्तर प्रतिवर्ष 41 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था। हालाँकि, इन दावों का कई लोगों द्वारा विरोध किया गया था।
  • 2015 में भारत सरकार के एक परिचर्चा पत्र में उल्लेख किया गया कि 2013-14 में वास्तविक जलवायु वित्त के वितरण का स्तर 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • 2017 के आँकड़े भी इसी तरह की कहानी व्यक्त करते हैं। बहुपक्षीय जलवायु निधि के लिये कुल प्रतिबद्धताओं में से वास्तव में लगभग 12 प्रतिशत को ही वितरित किया गया।

climate fund

  • UNFCCC की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में Annex II Parties की ओर से किया जाने वाला कुल जलवायु विशिष्ट वित्तीय प्रवाह 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जबकि जलवायु वित्त का लक्ष्य 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • जैसा कि निम्नलिखित चार्ट में दर्शाया गया है, इस वित्त का अधिकांश प्रवाह (लगभग 90 प्रतिशत) द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अन्य चैनलों के माध्यम से किया गया है, जबकि इनमें से केवल 10 प्रतिशत का प्रवाह बहुपक्षीय निधि के माध्यम से किया गया था।

climate

निष्कर्ष

  • इस परिचर्चा पत्र का संदेश स्पष्ट है कि विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को उपलब्ध कराए जाने वाले जलवायु वित्त की सही मात्रा पर अधिक विश्वसनीय, सटीक और सत्यापन योग्य आँकड़ों की आवश्यकता है।
  • वित्तीय संसाधनों के लेखांकन का मॉडल किसी विशेष देश के विवेकाधिकार पर आधारित नहीं हो सकता है। जलवायु वित्त की पारदर्शी रिपोर्टिंग करने के लिये लेखांकन ढाँचे को ठोस परिभाषाओं के माध्यम से मज़बूत बनाया जाना चाहिये।
  • जलवायु वित्त संबंधी रिपोर्टिंग में विश्वसनीयता, सटीकता और निष्पक्षता से संबंधित कई मुद्दे हैं जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है।
जलवायु वित्त संबंधी और अधिक जानकारी के लिये क्लिक करें: क्लाइमेट फाइनेंस के लिये BASIC का दबाव


स्रोत : पी.आई.बी.


जलवायु जोखिम सूचकांक 2019

चर्चा में क्यों?


हाल ही में एक स्वतंत्र विकास संगठन जर्मनवॉच द्वारा विकसित जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index-CRI)- 2019 के आधार पर भारत को पिछले 20 वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित देशों में 14वें स्थान पर रखा गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रैंकिंग में देश के चार पड़ोसियों को भारत की तुलना में और भी उच्च स्थान दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस रैंकिंग में म्याँमार तीसरे, बांग्लादेश सातवें, पाकिस्तान आठवें और नेपाल ग्यारहवें स्थान पर है। यह सूचकांक स्पष्ट करता है कि भारत के चारों पड़ोसी देश चरम मौसमी घटनाओं द्वारा अधिक प्रभावित क्यों होते हैं।
  • यह सूचकांक मौत और आर्थिक नुकसान के मामले में चरम मौसमी घटनाओं (तूफ़ान, बाढ़, भयंकर गर्मी इत्यादि) के मात्रात्मक प्रभाव का विश्लेषण करता है। साथ ही यह सूचकांक इन प्रभावों का लेखा-जोखा पूर्णरूप में और साथ ही संबंधित शर्तों के साथ रखता है।
  • हालाँकि 1998-2017 के दौरान भारत में 73,212 लोग चरम मौसमी घटनाओं के शिकार बने और इसी समयावधि में चरम मौसमी घटनाओं के कारण भारत की वार्षिक औसत मौतों की संख्या 3,660 थी, जो कि म्याँमार की वार्षिक औसत मौतों की संख्या 7,048 के बाद दूसरी सर्वाधिक औसत संख्या है।
  • जनसंख्या के समायोजन के कारण बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल को सूची में भारत के ऊपर रखा गया है। आर्थिक प्रभाव का आकलन करने के लिये CRI प्रत्येक देश के प्रति इकाई सकल घरेलू उत्पाद की हानि को भी देखता है।
  • 1998-2017 के दौरान भारत को ओडिशा में सुपर चक्रवात, अन्य चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन एवं भारी बारिश तथा भयंकर गर्मी की घटनाओं का सामना करना पड़ा। केवल वर्ष 2017 के लिये CRI को देखते हुए एक अलग सूची में भारत फिर से 14वें स्थान पर है, जबकि नेपाल चौथे और बांग्लादेश नौवें स्थान पर है।
  • रिपोर्ट में वर्ष 2017 में इन तीन देशों में हुई भारी बारिश का भी जिक्र किया गया है, जिसने 4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया और जिसके कारण लगभग 1,200 मौतें हुईं। श्रीलंका, जिसकी 20 वर्षों की रैंकिंग 31वीं है, वर्ष 2017 (इस वर्ष भारी बारिश और भूस्खलन से 200 से अधिक मौतें हुईं) में दूसरे रैंक पर है।
  • इसके विपरीत म्याँमार और पाकिस्तान जो कि 1998-2017 की सूची में सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले 15 देशों में शामिल हैं, वर्ष 2017 की सूची में क्रमश: 69वें और 33वें स्थान पर हैं। 20 वर्षों की सूची में म्याँमार की यह स्थिति काफी हद तक वर्ष 2008 में आए चक्रवात नरगिस के कारण है, जिसकी वज़ह से 1.40 लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया गया।
  • इस वर्ष विश्लेषण के 14वें संस्करण में जलवायु जोखिम सूचकांक के पहले के परिणामों की पुन: पुष्टि की गई है कि आमतौर पर कम विकसित देश औद्योगिक देशों की तुलना में चरम मौसमी घटनाओं से अधिक प्रभावित होते हैं।
  • रिपोर्ट में इस बात का सुझाव दिया गया है कि काटोविस में जलवायु शिखर सम्मेलन में वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य और अनुकूलन संचार दिशा-निर्देशों सहित पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिये आवश्यक 'नियम पुस्तिका' को अपनाया जाना चाहिये।

अन्य संबंधित आँकड़े

  • प्यूर्टो रिको (150 मौतें/वर्ष), होंडुरास (302 मौतें/वर्ष) और म्याँमार (7048 मौतें/वर्ष) को इस 20-वर्ष की अवधि में सर्वाधिक 3 जलवायु जोखिम से प्रभावित देशों के रूप में पहचाना गया है। चीन (1240 मौतें/वर्ष) इस सूची में 37वें, जबकि भूटान (1.65 मौतें/वर्ष) 105वें स्थान पर है।
  • 2017 की सूची के लिये प्यूर्टो रिको, श्रीलंका और डोमिनिका वर्ष 2017 में चरम मौसमी घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित देश थे। इसके बाद नेपाल, पेरू और वियतनाम का स्थान है। प्यूर्टो रिको और डोमिनिका सितंबर 2017 में तूफान मारिया द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे
  • कुल मिलाकर 1998 से 2017 की समयावधि में 5,26,000 से अधिक लोगों की मृत्यु और 3.47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की हानि (क्रय शक्ति समता में) 11,500 से अधिक चरम मौसमी घटनाओं के प्रत्यक्ष परिणाम के कारण हुई।
  • 1998-2017 के दौरान दस सबसे अधिक प्रभावित देशों और क्षेत्रों में से आठ देश कम आय या निम्न-मध्यम आय समूह वाले विकासशील देश थे, एक देश (डोमिनिका) को उच्च-मध्य आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था और एक अन्य देश (प्यूर्टो रिको) को उच्च आय उत्पन्न करने वाली उन्नत अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस, जर्मनवाच


प्रीलिम्स फैक्ट्स : 06 दिसंबर, 2018

डॉ. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Day)


6 दिसंबर, 1956
को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की मृत्यु हुई थी जिसे पूरे देश में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर का 63वाँ महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जा रहा है।

  • डॉ. बी.आर. अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता तथा स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री थे।
  • वह एक महान विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे।
  • वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • अंबेडकर ने 1956 में अपनी आखिरी किताब लिखी जो बौद्ध धर्म पर थी इस किताब का नाम था 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्‍म' (The Buddha and His Dhamma)। उल्लेखनीय है कि यह किताब उनकी मृत्‍यु के बाद वर्ष 1957 में प्रकाशित हुई थी।
  • मुंबई के दादर में स्थित चैत्य भूमि बी.आर अंबेडकर की समाधि स्थली है।

वृश्चिकोलसवम उत्सव (Vrischikolsavam Festival)


वृश्चिकोलसवम केरल के त्रिपुनीथुरा (Tripunithura) में श्री पूर्णनाथरेयस (Sree Poornathrayeesa) मंदिर में मनाया जाने वाला वार्षिक उत्सव है।

      • श्री पूर्णनाथरेयस मंदिर दक्षिण भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति को एक अलग मुद्रा में देखा जा सकता है, इसमें भगवान विष्णु को दिव्य सर्प अनंथन (Ananthan) के पाँच फनों के नीचे बैठे देखा जा सकता है, जिसका मुड़ा हुआ शरीर स्वयं भगवान के लिये सिंहासन का कार्य करता है।
      • इस उत्सव का आयोजन 8 दिनों तक किया जाता है।
      • उत्सव के दौरान परंपरागत कला रूपों और कथकली, ओट्टंथुलल (ottanthullal), थायंपका (thayampaka) और संगीत जैसे कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाती है।

विश्व की पहली टेलीरोबोटिक कोरोनरी सर्जरी (World’s first’ telerobotic coronary surgery)

      • गुजरात के एक ह्रदयरोग विशेषज्ञ ने टेलीरोबोटिक सर्जरी के माध्यम से 32 किमी. दूर बैठकर दिल का ऑपरेशन किया। इस ऑपरेशन को टेलीरोबोटिक के माध्यम से किया जाने वाला विश्व का पहला ऑपरेशन माना जा रहा है।
      • यह ऑपरेशन पद्मश्री से सम्मानित तथा विख्यात ह्रदयरोग विशेषज्ञ डॉ. तेजस पटेल ने किया है।
      • ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रकार के ऑपरेशन से चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी। इस तरह की तकनीक की सहायता से गाँवों और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में उच्च तकनीक वाली चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।

नगालैंड में पहली स्‍वदेश दर्शन परियोजना

      • 5 दिसंबर, 2018 को नगालैंड में ‘जनजातीय सर्किट विकास : पेरेन-कोहिमा-वोखा’ परियोजना का उद्घाटन किया गया।
      • भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की स्‍वदेश दर्शन योजना के तहत नगालैंड राज्‍य में लागू होने वाली यह पहली परियोजना है।
      • 97.36 करोड़ रुपए की की लागत वाली इस परियोजना को नवंबर, 2015 में पर्यटन मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी।
      • इस परियोजना के अंतर्गत मंत्रालय ने जनजातीय पर्यटक गाँव, ईको लॉग हट्स (Eco Log Huts), ओपन एयर थियेटर (Open Air Theatre), जनजातीय कायाकल्‍प केंद्र, कैफेटेरिया, हैलिपैड, पर्यटक विवेचन केंद्र (Tourist Interpretation Centre), वे-साइड सुविधाएँ (Wayside Amenities), सार्वजनिक जन सुविधाएँ, बहुद्देशीय हॉल, ट्रैकिंग मार्ग जैसी सुविधाओं का विकास किया है।

स्वदेश दर्शन योजना


स्‍वदेश दर्शन योजना पर्यटन मंत्रालय की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्‍य देश में योजनाबद्ध और प्राथमिकता के तौर पर खास विशेषता वाले सर्किटों का विकास करना है।

      • इस योजना के तहत सरकार जहाँ एक ओर पर्यटकों को बेहतर अनुभव और सुविधाएँ देने के उद्देश्‍य से गुणवत्‍तापूर्ण ढाँचागत विकास पर ज़ोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक वृद्धि को भी प्रोत्‍साहित कर रही है।
      • इस योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी।
      • पर्यटन मंत्रालय ने अब तक 30 राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5873.26 करोड़ रुपए की ऐसी 73 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। योजना के तहत अब तक 8 परियोजनाओं का उद्घाटन किया जा चुका है।

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (6 दिसंबर)

  • भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान ने पैदा की सुअर की नई संकर प्रजाति, डेनमार्क की लैंडरेस और बरेली की देसी नस्ल की कराई गई क्रॉस ब्रीडिंग, लैंडली है देश की सबसे उन्नत सुअर प्रजाति का नाम
  • थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में 314 मीटर (1030 फीट) ऊँची इमारत की छत पर बनाई गई पहली स्काईवॉक, किंग पॉवर महानाखोन है इसका नाम
  • जनवरी से मिल सकती है फ्लाइट के दौरान फ़ोन कॉल और इंटरनेट ब्राउज़िंग की अनुमति
  • क्यूबा के नागरिकों को पहली बार मिलेगी एक्सेस की पूरी छूट; क्यूबा सरकार ने 3G सुविधा शुरू करने की घोषणा की
  • चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ जुड़ने वाला पहला लातिन अमेरिकी देश बना पनामा
  • RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट को रखा अपरिवर्तित; 6.50% पर बरकरार रहेगी दर
  • सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कृषि और निर्माण यंत्रों के लिये ड्यूल-फ्यूल यूज़ेज किया अधिसूचित
  • 'Blue Waters Ahoy!', वर्ष 2001-10 के दौरान भारतीय नौसेना के इतिहास के वृत्तांत वाली पुस्तक का विमोचन; एडमिरल अनूप सिंह हैं इस किताब के ऑथर
  • भारत के सबसे भारी उपग्रह GSAT-11 का हुआ सफल प्रक्षेपण, इंटरनेट की स्पीड में आएगी भारी तब्दीली
  • डॉ. बी. आर. अंबेडकर का 63वाँ महापरिनिर्वाण दिवस, 6 दिसंबर, 2018 को राष्ट्र अर्पित करेगा उन्हें श्रद्धांजलि
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (SHC) के तहत मृदा स्वास्थ्य कार्डों का वितरण; फसल उत्पादन हेतु सही मात्रा में पोषक तत्त्वों का उपयोग और मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा सुनिश्चित
  • भारतीय महिला कुश्ती टीम के मुख्य कोच श्री कुलदीप सिंह की उत्तर रेलवे में सहायक वाणिज्यिक प्रबंधक के पद पर हुई पदोन्नति
  • भारत सरकार और पेरु गणराज्य ने सीमा शुल्क से जुड़े मामलों में सहयोग और पारस्परिक सहायता से संबंधित समझौते पर किये हस्ताक्षर
  • रेल मंत्रालय और मैडम तुसाद वैक्स म्यूज़ियम ने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर किये हस्ताक्षर; दिल्ली NCR में पर्यटन को बढ़ावा देना है लक्ष्य
  • भारतीय मूल की महिला, शमीला बटोही बनी साउथ अफ्रीका की पहली फीमेल चीफ प्रासीक्यूटर
  • RBI ने विशेषज्ञ MSME समिति स्थापित करने का लिया निर्णय; MSME क्षेत्र में दीर्घकालिक अवधि में आर्थिक और वित्तीय सततता सुनिश्चित करने हेतु समाधान प्रदान करना होगा लक्ष्य