डेली न्यूज़ (05 Dec, 2018)



डेटा प्वाइंट: गो रक्षा के नाम पर आतंक

संदर्भ


गोरक्षा के नाम पर पिछले कुछ सालों से चल रहा आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में एक पुलिस अधिकारी तथा एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। डाटा जर्नलिज़्म की वेबसाइट इंडिया स्पेंड ने 2012 के बाद घटित होने वाली ऐसी 99 घटनाओं तथा 39 हत्याओं को सारणीबद्ध किया है। इंडिया स्पेंड द्वारा हाल ही जारी किये गए आँकड़े काफी चौंकाने वाले हैं।

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घटनाओं का विश्लेषण

  • हिंसा के शिकार-

  • इंडिया स्पेंड के डेटाबेस के अनुसार, हिंसा के शिकार लोगों का समुदाय आधारित विश्लेषण इस प्रकार है-

voilence

  • उत्तर भारत में सबसे ज़्यादा हिंसा

  • अब तक गोरक्षा के नाम पर हिंसक घटनाएँ 19 राज्यों में घटित हुई हैं। जिसमें सबसे ज़्यादा घटनाएँ उत्तर प्रदेश में दर्ज़ की गई हैं।

uttar pradesh

  • उत्तर प्रदेश में कुल 16 घटनाएँ हुईं जिनमें 9 लोगों की हत्या दर्ज़ की गई।
  • हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश भी ऐसे राज्य रहे जहाँ हिंसा होती रही।

north india

  • मासिक विश्लेषण

  • 2012 के बाद अप्रैल 2017 में गोरक्षा के नाम पर हिंसक घटनाएँ सबसे ज़्यादा दर्ज़ की गई थीं।
  • हिंसा की घटनाएँ अगस्त 2018 में एक बार फिर घटित होनी शुरू हो गईं।

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  • पूरे भारत में हिंसक घटनाओं पर एक नज़र

  • पूरे भारत में घटनाओं का विस्तार इस प्रकार रहा है-
    india

    स्रोत- द हिंदू, इंडिया स्पेंड


विकलांगता अधिनियम के क्रियान्वयन में राज्यों की प्रगति धीमी

चर्चा में क्यों?


दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम (RPWD) के कार्यान्वयन पर डिसेबिलिटी राइट इंडिया फाउंडेशन (DRIF) द्वारा 24 राज्यों में किये गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि आधे से अधिक राज्यों ने पर्याप्त समय बीत जाने के बावज़ूद अभी तक राज्य के नियमों को अधिसूचित नहीं किया है।


प्रमुख बिंदु

  • सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि बिहार, चंडीगढ़, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल सहित दस राज्यों ने राज्य के नियमों को अधिसूचित किया है।
  • दिव्यांग जनों के रोज़गार के संवर्द्धन हेतु राष्ट्रीय केंद्र (National Centre for Promotion of Employment for Disabled People-NCPEDP) और दिव्यांग जनों के अधिकारों पर राष्ट्रीय समिति (National Committee on the Rights of Persons with Disabilities-NCRPD) के सहयोग से आयोजित इस अध्ययन में कहा गया है कि दिसंबर 2016 में पारित इस अधिनियम को सभी राज्यों द्वारा छह महीने के भीतर अधिसूचित किया जाना था।
  • दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम के संबंध में राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी पर केंद्रित इस अध्ययन से पता चलता है कि 79.2% राज्यों ने RPWD अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु कोष का गठन नहीं किया था।
  • कोष का गठन करने वाले पाँच राज्यों में से तमिलनाडु द्वारा इस कोष के लिये 10 करोड़ रुपए आवंटित किये गए, जबकि हिमाचल प्रदेश द्वारा 5 करोड़ रुपए आवंटित किये गए।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि, "केवल तमिलनाडु द्वारा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में दिव्यांग जनों के लिये सहायता बढ़ाने के संबंध में कुछ कदम उठाए गए हैं।"
  • अध्ययन में कहा गया है, “हालाँकि 62.5% राज्यों ने दिव्यांग जनों के लिये आयुक्त नियुक्त किये हैं किंतु यह प्रगति पर्याप्त नहीं है। राज्य में आयुक्तों की सहायता के लिये केवल तीन राज्यों ने विशेषज्ञ सलाहकार समितियों का गठन किया है।”
  • इस अध्ययन के संबंध में प्रतिक्रिया देने वाले 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग में मध्य प्रदेश उच्चतम स्थान पर रहा, इसके बाद ओडिशा, मेघालय और हिमाचल प्रदेश का स्थान रहा।
  • जम्मू-कश्मीर के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस अध्ययन में सबसे निचले स्थान पर थे, जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली 12वें स्थान पर थी।
  • अध्ययन में कहा गया है कि 58.3% राज्यों ने अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई के लिये ज़िलों में विशेष न्यायालयों को अधिसूचित नहीं किया है, जबकि 87.5% राज्यों ने कानूनी तौर पर अनिवार्य एक विशेष सरकारी अभियोजन को नियुक्त नहीं किया है।

अध्ययन से संबंधित आँकड़े

  • अध्ययन में प्रतिक्रिया देने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 24 (66.7%) थी। केवल 41.7% राज्यों ने ही राज्य नियमों एवं विशेष न्यायालय को अधिसूचित किया था।
  • अध्ययन के अनुसार, 50% राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे थे जिन्होंने राज्य सलाहकारी बोर्ड का गठन नहीं किया था। देश में 79.2% राज्य ऐसे थे जहाँ राज्य कोष का आवंटन नहीं किया गया था।
  • 37.5% राज्य और केंद्रशासित प्रदेश ऐसे थे जहाँ दिव्यांग जनों के लिये राज्य आयुक्तों की नियुक्ति नहीं की गई थी। 12.5% राज्यों में ही विशेष सरकारी अभियोजन की नियुक्ति की गई थी।

स्रोत : द हिंदू


भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मुद्रा विनिमय समझौता

चर्चा में क्यों?


हाल ही में आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिये भारत-संयुक्त अरब अमीरात की बैठक (India-UAE Joint Commission Meeting for Economic and Technical Cooperation) के दौरान भारत ने UAE के साथ दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिसमें मुद्रा विनिमय समझौता (Currency Swap Deal) भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिये भारत-संयुक्त अरब अमीरात संयुक्त आयोग की बैठक का यह 12वाँ सत्र है।
  • इस बैठक के दौरान भारत और UAE के बीच व्यापार, सुरक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई।
  • इस बैठक के दौरान भारत और UAE के बीच हुए दूसरे समझौते से ये दोनों देश अफ्रीका में विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे।
  • महात्मा गांधी की 150वीं जयंती समारोह और आधुनिक UAE के संस्थापक शेख जायेद की जयंती के शताब्दी समारोह के अवसर पर अबू धाबी में गांधी-ज़ायेद डिजिटल संग्रहालय का भी निर्माण किया गया है।

मुद्रा विनिमय समझौता क्या है?

  • मुद्रा विनिमय समझौता दो देशों के बीच ऐसा समझौता है जो संबंधित देशों को अपनी मुद्रा में व्यापार करने और आयात-निर्यात के लिये अमेरिकी डॉलर जैसी किसी तीसरी मुद्रा को बीच में लाए बिना पूर्व निर्धारित विनिमय दर पर भुगतान करने की अनुमति देता है।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार

  • लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ, दोनों देश एक-दूसरे के लिये सबसे बड़े व्यापार भागीदार हैं।
  • संयुक्त अरब अमीरात भारत में होने वाले तेल आयात का छठा सबसे बड़ा स्रोत है।
  • वर्ष 2017 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 6.6 बिलियन डॉलर का था जबकि भारत में UAE का प्रत्यक्ष निवेश 5.8 बिलियन डॉलर का था।
  • भारत और संयुक्त अरब अमीरात ऊर्जा के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर सहयोग कर रहे हैं। वर्ष 2018 की शुरुआत में अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (Abu Dhabi National Oil Company- ADNOC) तथा भारत के तेल और प्राकृतिक गैस निगम (Oil and Natural Gas Corporation- ONGC) ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते से भारतीय कंपनियों को अबू धाबी के अपतटीय तेल क्षेत्र जो कि प्रतिदिन लगभग 1.4 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है, को विकसित करने का अवसर मिला।
  • इसके अलावा ADNOC सऊदी अरामको (Saudi Aramco) के सहयोग से भारत के 44 बिलियन डॉलर की लागत वाली रत्नागिरी पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स में भी निवेश कर रहा है और कर्नाटक के पदुर (Padur) में भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिज़र्व लिमिटेड (Indian Strategic Petroleum Reserves Ltd-ISPRL) की भूमिगत तेल भंडारण सुविधा के विकास में सहयोग कर रहा है।

स्रोत : द हिंदू एवं gulfnews.com


भारत जल प्रभाव सम्मेलन-2018

चर्चा में क्यों?


5 से 7 दिसंबर, 2018 के बीच नई दिल्ली में भारत जल प्रभाव सम्मेलन-2018 (India Water Impact Summit-2018) का आयोजन किया जा रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga-NMCG) और गंगा नदी बेसिन प्रंबधन एवं अध्ययन केंद्र (Centre for Ganga River Basin Management and Studies- cGanga) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
  • इस वर्ष गंगा नदी बेसिन के संरक्षण पर विचार किया जाएगा।
  • इसमें गंगा नदी के संरक्षण हेतु किये गए विभिन्न प्रयासों पर विचार किया जाएगा, जिसमें आँकड़ों का संग्रह करना, जल-विज्ञान, ई-फ्लो, कृषि और अपशिष्ट जल जैसे मुद्दे शामिल हैं।
  • इस सम्मेलन में 15 देशों के लगभग 200 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी हिस्सा लेंगे, जिनमें 50 से अधिक केंद्रीय, राज्य और नगरीय प्रशासनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
  • सम्मेलन के दौरान वृक्षारोपण और जैव विविधता, शहरी नदी/जल प्रबंधन योजनाएँ, गंगा पुनरुद्धार कार्यक्रम (Ganga Rejuvenation Programme) के वित्तपोषण हेतु वैश्विक पारिस्थितिकी के निर्माण तथा दीर्घावधि परियोजना हेतु वित्त के लिये वैश्विक पूंजी बाज़ार से पूंजी जुटाने जैसे मुद्दों पर सत्रों का आयोजन किया जाएगा।

सम्मेलन के दौरान तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

  1. पाँच राज्यों पर ध्यान केंद्रित करनाः ये पाँच राज्य हैं-  उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और बिहार। इस सम्मेलन के अंतर्गत इऩ राज्यों में जल संरक्षण हेतु किये जा रहे प्रयासों और कार्यों पर विचार किया जाएगा।
  2. गंगा वित्तपोषण मंच (Ganga Financing Forum)– सम्मेलन के दौरान गंगा वित्त पोषण मंच का उद्घाटन भी किया जाएगा। वित्तपोषण मंच नमामि गंगे संबंधी कार्यक्रमों में निवेश करने के इच्छुक वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को एकजुट करेगा।
  3. प्रोद्योगिकी और नवाचार (Technology and Innovation)- पर्यावरण प्रौद्योगिकी जाँच (Environment Technology Verification- ETV) प्रक्रिया के रूप में ज्ञात प्रायोगिक/प्रदर्शनात्मक कार्यक्रमों का संचालन। इसके ज़रिये विश्व भर की प्रौद्योगिकी और नवाचार कंपनियों को नदी बेसिन में व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिये अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।

सम्मेलन के बारे में

  • भारत जल प्रभाव सम्मेलन एक वार्षिंक कार्यक्रम है जिसमें देश में जल से संबंधित कुछ सबसे बड़ी समस्याओं के आदर्श समाधान ढूँढ़ने पर विचार विर्मश किया जाता है।
  • पहली बार इस सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2012 में किया गया था।

स्रोत : पी.आई.बी


जीसैट-11 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation’s -ISRO) के सबसे भारी और उन्नत संचार उपग्रह GSAT -11 को फ्रेंच गुयाना (French Guiana) के कौरु (Kouru) लॉन्च बेस स्पेसपोर्ट (Spaceport) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

  • इस संचार उपग्रह को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट एरियन-5 (Arianए-5) से लॉन्च किया गया।
  • GSAT-11 इसरो के उच्च प्रवाह क्षमता वाले संचार उपग्रह (high-throughput communication satellite- HTS) समूह का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि इस श्रेणी के दो संचार उपग्रह GSAT-29 और GSAT-19 पहले से ही अंतरिक्ष में हैं।
  • यह ISRO द्वारा निर्मित 34वाँ संचार उपग्रह है।

GSAT 11 की विशेषताएँ

gsat 11

लाभ

  • देश भर में ब्रॉडबैंड सेवाएँ उपलब्ध कराने में GSAT एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह स्पॉट बीम तकनीक (spot beam technology) के उपयोग के कारण क्षेत्र में ब्रॉडबैंड की क्षमता में वृद्धि करेगा और इंटरनेट डाटा की उच्च दर सुनिश्चित करेगा।
  • GSAT-11 भारत नेट परियोजना (Bharat Net Project) जो डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा है, के अंतर्गत आने वाले देश के ग्रामीण क्षेत्रों और दुर्गम ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।
  • उल्लेखनीय है कि भारत नेट परियोजना का उद्देश्य अन्य योजनाओं के साथ-साथ ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ तथा ई-गवर्नेंस जैसी सार्वजनिक कल्याण की योजनाओं को बढ़ावा देना है।

स्पॉट बीम

  • स्पॉट बीम एक सैटेलाइट सिग्नल है जो किसी क्षेत्र विशेष में अधिक आवृत्ति की तरंगे तेजी से भेज सकता है। यह एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तक ही सीमित होता है।
  • ये बीम जितनी पतली होती हैं उनके सिग्नल उतने ही ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं। GSAT-11 में स्पॉट बीम की प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाएगा ताकि पूरे देश को कवर किया जा सके।
  • इसके विपरीत इनसैट (INSAT) जैसे पारंपरिक उपग्रह लाइट ब्रॉड सिंगल बीम का प्रयोग करते हैं जो इतने शक्तिशाली नहीं होते कि पूरे देश को कवर कर सकें।

स्रोत : इसरो वेबसाइट एवं लाइव मिंट


ओसीरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान बेन्नू पर पहला आगंतुक

चर्चा में क्यों?


लगभग दो साल की यात्रा के बाद, नासा का अंतरिक्ष यान ओसीरिस-रेक्स (OSIRIS-Rex) 3 दिसंबर को क्षुद्र ग्रह बेन्नू (Bennu) पर पहुँचा और इसने हीरे के आकार की चट्टान का चित्र लिया। यह अंतरिक्ष यान आने वाले दिनों यानी 31 दिसंबर तक को बेन्नू की कक्षा के चारों ओर चक्कर लगाएगा। उल्लेखनीय है कि अभी तक कोई भी अंतरिक्ष यान इस तरह के एक छोटे से क्षुद्रग्रह की कक्षा तक नहीं पहुँच पाया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • क्षुद्र ग्रह के नमूनों को एकत्रित कर पृथ्वी पर लौटने के लिये यह पहला अमेरिकी प्रयास है इससे पूर्व केवल जापान ने कुछ हद तक इस क्षेत्र में प्रयास किये हैं।
  • वर्ष 2020 में वैज्ञानिक इस यान द्वारा जुटाए गए नमूने एकत्र करेंगे और 2023 तक यह पृथ्वी पर लौट आएगा। 
  • वैज्ञानिक, बेन्नू जैसे कार्बन समृद्ध क्षुद्र ग्रह की सामग्री का अध्ययन करने के लिये उत्सुक हैं, जो 4.5 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल की शुरुआती निर्माण का प्रमाण है।
  • इस प्रकार बेन्नू एक खगोलीय समय कैप्सूल के समान है।
  • इस बीच एक जापानी अंतरिक्ष यान जिसको रायगु (Ryugu) नाम दिया गया है जून के बाद से क्षुद्र ग्रहों के नमूने एकत्रित करने के लिये पृथ्वी से रवाना होगा। यह जापान का दूसरा क्षुद्र ग्रह मिशन है।

क्षुद्र ग्रह के बारे में

  • मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के मध्य सूर्य की परिक्रमा करने वाले छोटे-छोटे पिंडों को क्षुद्र ग्रह कहा जाता है।
  • अनियमित आकार वाले ये क्षुद्र ग्रह सूर्य की परिक्रमा दीर्घवृत्तीय कक्षा में करते हैं।
  • क्षुद्र ग्रह ग्रह निर्माणकारी तत्त्वों के अवशेष हैं जिनमें जल, कार्बनिक तत्त्व, धातुएँ आदि प्राकृतिक संसाधन निहित होते हैं।
  • बेन्नू भी एक क्षुद्र ग्रह है जिसे ‘1999 RQ36’ के नाम से भी जाना जाता है।

ओसीरिस-रेक्स(Osiris-REx)

  • 8 सितंबर, 2016 को नासा द्वारा फ्लोरिडा के केप केनेवरल एयरफोर्स स्टेशन से अंतरिक्ष यान ओसीरिस-रेक्स (Osiris-REx) को एटलस-U रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया।
  • इस अंतरिक्ष यान का निर्माण लॉकहीड मार्टीन स्पेस सिस्टम्स द्वारा किया गया है।
  • ओसीरिस-रेक्स (Osiris-REx) का पूरा नाम-ओरिजिंस, स्पेक्ट्रल इंटरप्रीटेशन, रिसोर्स आईडेंटीफिकेशन, सिक्योरिटी-रेगोलिथ एक्सफ्लोरर एस्टेरॉयड सैंपल रिटर्न मिशन है।
  • नासा के इस अंतरिक्ष मिशन के द्वारा पृथ्वी के समीप के क्षुद्रग्रह बेन्नू से नमूने का संग्रहण एवं उनका अध्ययन किया जाएगा।
  • इस मिशन का उद्देश्य क्षुद्रग्रह पर वातावरण और उसकी बनावट के संबंध में सटीक जानकारी एकत्र करना है।
  • यह अन्तरिक्ष यान अपनी रोबोटिक आर्म की मदद से क्षुद्र ग्रह की सतह पर चट्टानों एवं खनिज तत्वों के नमूने एकत्रित करेगा।
  • इस अंतरिक्ष यान में पाँच उपकरण लगे हैं, जो इस प्रकार हैं –

♦ ओसीरिस-रेक्स लेज़र अल्टीमीटर (OLA),
♦ ओसीरिस-रेक्स थर्मल एमिशन स्पेक्ट्रोमीटर (OTES),
♦ ओसीरिस-रेक्स विज़िबल एंड इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (OVIRS),
♦ ओसीरिस-रेक्स कैमरा सूट (OCAMS) तथा
♦ रेगोलिथ, एक्स-रे इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (REXIS)।


स्रोत : द हिंदू


प्रीलिम्स फैक्ट्स : 05 दिसंबर, 2018

एक्सीड सैट-1 (Exceed SAT 1)


हाल ही में अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स ने 17 देशों के 63 उपग्रहों के साथ भारत के पहले निजी उपग्रह एक्सीड सैट-1 (Exceed SAT1) को भी प्रक्षेपित किया।

  • एक्सीड सैट-1 का निर्माण मुंबई की एक कंपनी एक्सीड स्पेस ने किया है। इस उपग्रह के निर्माण के साथ ही एक्सीड स्पेस अंतरिक्ष में निजी उपग्रह भेजने वाली भारत की पहली निजी वाणिज्यिक कंपनी बन गई है।
  • इस उपग्रह का वज़न लगभग एक किग्रा. है तथा इसे एल्युमीनियम मिश्रधातु (Aluminium Alloy) से बनाया गया है।
  • एक्सीड सैट-1 का जीवनकाल 5 वर्ष है तथा इसके निर्माण में केवल 18 महीनों का समय लगा है। इसकी लागत 2 करोड़ रुपए है।
  • टीवी ट्यूनर की मदद से लोग 145.9 मेगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर इस उपग्रह से सिग्नल प्राप्त कर सकेंगे।
  • इस उपग्रह को स्पेसएक्स के राकेट फाल्कन 9 के ज़रिये प्रक्षेपित किया गया है। फाल्कन 9 के साथ लगभग 100 लोगों के अवशेष भी अंतरिक्ष में भेजे गए हैं। इनमें से अधिकांश अवशेष सेना के दिग्गजों और अंतरिक्ष अनुसंधान में रुचि रखने वाले लोगों के अवशेष शामिल हैं। इससे पहले वर्ष 1998 में अंतरिक्ष यात्री यूजीन शूमेकर की अस्थियों से भरी एक शीशी नासा के लूनर प्रॉसपेक्टर मिशन के साथ अंतरिक्ष में भेजी गई थी।
  • यह अमेरिकी निजी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किया गया वर्ष का 19वाँ प्रक्षेपण था। इसके अलावा फाल्कन 9 एक साथ 64 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने में सफल रहा जो कि अमेरिकी रिकॉर्ड है। उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी, 2017 को एक बार में 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर भारत ने विश्व रिकॉर्ड कायम किया था।

मांगदेचू परियोजना (Mangdechhu Project)

  • मांगदेचू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Mangdechhu Hydroelectric Project) भूटान में एक जलविद्युत परियोजना है।
  • 720 मेगावाट क्षमता के पॉवरप्लांट का निर्माण भूटान में मांगदेचू नदी पर किया गया है।
  • यह भारत सरकार के समर्थन से भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (Bharat Heavy Electricals Limited -BHEL) द्वारा निर्मित है।
  • यह भूटान में वर्ष 2020 तक 10,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन के लिये योजनाबद्ध दस जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।

USMCA व्यापार समझौता


संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (North American Free Trade Agreement -NAFTA) को प्रतिस्थापित करने वाले समझौते के लिये तैयार हो गए हैं।

    • 1994 के मूल NAFTA समझौते का नाम बदलकर संयुक्त राज्य अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता (United States-Mexico-Canada Agreement) या USMCA रखा गया है।
    • NAFTA का उद्देश्य अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको के बीच व्यापार एवं निवेश में आने वाली बाधाओं को दूर करके आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना था।
    • USMCA श्रमिकों, किसानों और व्यवसायियों को एक उच्च मानक व्यापार समझौता उपलब्ध करेगा जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में मुक्त बाज़ार, बेहतर व्यापार और आर्थिक विकास मज़बूत होगा।
    • यह मध्यम वर्ग को सशक्त बनाएगा और उत्तरी अमेरिका के लगभग आधा बिलियन लोगों के लिये अच्छे वेतन वाली नौकरियों तथा नए अवसरों का सृजन करेगा।

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (5 December)

  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 दिसंबर, 2018 को चंडीगढ़ में किया 13वें अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेले-एग्रोटेक इंडिया, 2018 का उद्घाटन; भारतीय उद्योग परिसंघ-CII ने किया था इस सम्मेलन का आयोजन
  • 3 दिसंबर को सम्मान के साथ मनाई गई देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती
  • 3 दिसंबर को मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय विश्व दिव्यांगजन-दिवस; दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिये उत्कृष्ट कार्य करने वालों को किया गया सम्मानित
  • 4 दिसंबर को पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरामन की जयंती के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी उन्हें श्रद्धांजलि
  • भारत और जापान की वायु सेनाओं ने किया शिनयू मैत्री, 2018 वायु सेना अभ्यास; 3 से 7 दिसंबर तक वायु सेना स्टेशन आगरा में होगा इसका आयोजन; विमान की सहायता से गति के साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत है सैन्य अभ्यास की थीम
  • 5 से 7 दिसंबर, 2018 के बीच नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है भारत जल प्रभाव सम्मेलन, 2018; राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और गंगा नदी बेसिन प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र संयुक्त रूप से कर रहे हैं व्यवस्था
  • भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) के बीच 85 मिलियन डॉलर के ऋण पत्र पर हुए हस्ताक्षर; ओडिशा में कौशल विकास पारितंत्र को बेहतर बनाने के साथ-साथ भुवनेश्वर में वर्ल्ड स्किल सेंटर (WSC) की होगी स्थापना
  • रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण पाँच दिन की अमेरिका यात्रा पर; 5 से 7 दिसंबर, 2018 तक करेंगी हॉनोलूलू की यात्रा, अमेरिकी प्रशांत कमान (PACOM) का मुख्यालय है हॉनोलूलू, हाल ही में दिया गया है इसे ‘INDO-PACOM’ नाम
  • पोलैंड के केटोविस में आयोजित किया जा रहा है ‘सीओपी 24’; भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने जारी किये ‘जलवायु वित्त से जुड़े तीन आवश्यक ‘S’ – स्कोप, स्केल और स्पीड: एक प्रतिबिंब’ वाला परिचर्चा पत्र
  • वर्ष 2020 तक नौसेना में शामिल होगा मिसाइल युद्धपोत INS बेतवा; दिसंबर 2016 में यह मुंबई नेवल डॉकयार्ड में हो गया था दुर्घटनाग्रस्त
  • भारत और अमेरिका विवाद को लेकर गठित होगी WTO की समिति
  • 80 लाख अपराधियों का फिंगर प्रिंट डेटा एकत्र करेगी केंद्र सरकार, most waited योजना - नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम को लागू करने के लिये कंपनियों को भेजा गया आमंत्रण
  • रविन्द्र कुमार वर्मा बने विद्युत मंत्रालय के विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण में तकनीकी सदस्य; तीन वर्षों का होगा कार्यकाल, 37 वर्षों से अधिक समय तक किया है केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के विभिन्न पदों पर कार्य, 30 जून 2018 को CEA के अध्यक्ष और भारत सरकार के पदेन सचिव के पद से हुए हैं सेवानिवृत्त
  • सुनील अरोड़ा बने भारत के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त, उन्होंने ओ. पी. रावत का लिया स्थान, इससे पहले भारत के निर्वाचन आयुक्त के रूप में थे कार्यरत, राजस्थान कैडर के 1980 बैच के पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी, सूचना और प्रसारण मंत्रालय में भी दे चुके हैं अपनी सेवाएँ