डेली न्यूज़ (04 Dec, 2018)



चीन-अमेरिका ट्रेड वार पर विराम

चर्चा में क्यों


हाल ही में एक बैठक के दौरान चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका किसी डील में अतिरिक्त टैरिफ पर रोक लगाने पर सहमत हुए हैं जो उनके बीच चल रहे व्यापार युद्ध को रोकने में मदद करेगा। यह रोक 90 दिनों के अंतराल के लिये लगाई गई है। इस दौरान दोनों देश नए सिरे से वार्ता के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश करेंगे।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अर्जेंटीना में वार्ता के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि वह 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 1 जनवरी से टैरिफ में 25% की बढ़ोतरी नहीं करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले चीनी सामानों पर 1 जनवरी को भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की गई थी।
  • इसके बदले चीन, अमेरिका से कृषि, ऊर्जा, औद्योगिक और अन्य उत्पादों की एक अनिर्दिष्ट (unspecified) लेकिन पर्याप्त मात्रा में सामान खरीदने के लिये तैयार है।
  • यकीनन यह समझौता दोनों देशों के बीच चल रहे आर्थिक टकराव को बढ़ने से रोकने में प्रभावी ढंग से मदद करेगा।
  • तथ्यों से यह कई बार सिद्ध हो चुका है कि चीन और अमेरिका दोनों देशों का हित इनके बीच मेल-जोल में निहित है, टकराव में नहीं।

नई व्यापार वार्ता

  • दोनों पक्ष तकनीकी हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा, गैर-टैरिफ बाधाओं और कृषि सहित तमाम मुद्दों को हल करने के लिये नई व्यापार वार्ता की शुरुआत करेंगे।
  • दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि यदि 90 दिनों के अंदर वार्ता द्वारा कोई समाधान नहीं निकलता है तो 10% के टैरिफ को बढ़ाकर 25% कर दिया जाएगा।
  • चीन की राज्य संचालित मीडिया ने दोनों नेताओं की महत्त्वपूर्ण आम सहमति की सराहना की। किंतु 90 दिनों की समय-सीमा का जिक्र नहीं किया।

Trade War

  • दोनों पक्षों द्वारा आम सहमति के पश्चात् मुश्किल काम है वार्ता में शामिल होकर किसी परिणाम पर पहुँचना है। दोनों पक्षों को अविलंब इस अवसर को भुनाने का पूरा प्रयास करना होगा।
  • अमेरिका द्वारा चीन पर थोपे गए टैरिफ की भरपाई अमेरिकी कंपनियाँ और ग्राहक ज़्यादा कीमत देकर कर रहे हैं। इसके साथ ही कई कंपनियों ने आयातित सामानों की कीमतें भी बढ़ा दी हैं।

Qualcomm-NXP सौदा

  • स्मार्टफोन का चिप बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी Qualcomm Inc को अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण चीनी विनियामक से अनुमोदन स्वीकृत न हो पाने की वज़ह से 44 बिलियन डॉलर के सौदे से पीछे हटना पड़ा। इस कंपनी को अमेरिका-चीन व्यापार विवाद का शिकार होना पड़ा।

चीन पर टैरिफ और भारत

  • भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry-CII) के अनुसार, यदि अमेरिका चीन पर अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाता है तो कुछ भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्द्धी हो सकते हैं।
  • उद्योग मंडल के एक विश्लेषण के अनुसार, भारत को अमेरिकी बाज़ार में मशीनरी, इलेक्ट्रिकल उपकरण, वाहन, ट्रांसपोर्ट कलपुर्जे, रसायन, प्लास्टिक और रबड़ उत्पादों पर ध्यान देना चाहिये।
  • चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से भारत के विनिर्माण क्षेत्र को गति मिलेगी, नई नौकरियों का सृजन होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी।
  • निर्यात को बढ़ावा देने हेतु भारत द्वारा शुरू की गई ‘Export promotion capital goods schemes (EPCGS)’ को भी गति मिलेगी।

स्रोत- द हिंदू


ओपेक (OPEC) से अलग होगा क़तर

चर्चा में क्यों?


हाल ही में क़तर ने तेल निर्यातक देशों के संगठन (Organization of Petrolium Exporting Countries- OPEC) अर्थात् ओपेक से जनवरी 2019 में अलग होने की घोषणा की है।

OPEC से कतर के अलग होने का कारण

  • OPEC से अलग होने का कारण सऊदी अरब द्वारा क़तर पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप भी हो सकता है लेकिन क़तर इस आरोप को बेबुनियाद बताता रहा है।
  • क़तर का कहना है की वह OPEC से इसलिये अलग हो रहा है क्योंकि वह प्राकृतिक गैस उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
  • कुछ विश्लेषकों ने OPEC से कतर के अलग होने के फैसले को सऊदी अरब के विरोध में राजनीतिक निर्णय माना है।

क़तर के इस फैसले का OPEC पर असर

  • संभवतः OPEC से कतर के अलग होने के फैसले का तेल की कीमत पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यह तेल का अपेक्षाकृत छोटा उत्पादक है।

opec oil production

  • OPEC में तेल उत्पादन में कतर का 11वाँ स्थान है, अतः कहा जा सकता है कि OPEC में क़तर तेल के सबसे छोटे उत्पादकों में से एक है, तेल के सामूहिक उत्पादन में क़तर का योगदान 2% से भी कम है।

भारत-क़तर संबंध

  • अभी तक क़तर भारत के लिये एक OPEC सहयोगी देश ही रहा है। आने वाले समय में भारत और क़तर के बीच संबंधों में बदलाव आ सकता है क्योंकि क़तर विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक है। प्राकृतिक गैस के कुल वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 30% है।
  • जिस तरह से भारत में द्रवित प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ रहा है उसकी आपूर्ति के लिये भारत और क़तर के बीच बेहतर व्यापारिक संबंध स्थापित हो सकते हैं।
  • इसके अलावा यदि भविष्य में OPEC तेल उत्पादन और निर्यात में कटौती करने का फैसला लेता है तो भारत स्वतंत्र रूप से तेल आयात के लिये क़तर की ओर रुख कर सकता है।
  • लेकिन सऊदी अरब के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं और सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक है। ऐसे में भारत के लिये आवश्यक है कि वह सोच-समझ कर कदम उठाए।

OPEC के बारे में

  • OPEC एक स्थायी, अंतर सरकारी संगठन है, जिसका गठन 10-14 सितंबर, 1960 को आयोजित बगदाद सम्मेलन में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला ने किया था।
  • इन पाँच संस्थापक सदस्यों के बाद इसमें कुछ अन्य सदस्यों को इसमें शामिल किया गया, ये देश हैं-
  • क़तर (1961), इंडोनेशिया (1962), लीबिया (1962), संयुक्त अरब अमीरात (1967), अल्जीरिया (1969), नाइजीरिया (1971), इक्वाडोर (1973), अंगोला (2007), गैबन (1975), इक्वेटोरियल गिनी (2017) और कांगो (2018)
  • इक्वाडोर ने दिसंबर 1992 में अपनी सदस्यता त्याग दी थी, लेकिन अक्तूबर 2007 में वह पुनः OPEC में शामिल हो गया।
  • इंडोनेशिया ने जनवरी 2009 में अपनी सदस्यता त्याग दी। जनवरी 2016 में यह फिर से इसमें सक्रिय रूप से शामिल हुआ, लेकिन 30 नवंबर, 2016 को OPEC सम्मेलन की 171वीं बैठक में एक बार फिर से इसने अपनी सदस्यता स्थगित करने का फैसला किया।
  • गैबन ने जनवरी 1995 में अपनी सदस्यता त्याग दी थी। हालाँकि, जुलाई 2016 में वह फिर से संगठन में शामिल हो गया।
  • अतः वर्तमान में इस संगठन में सदस्य देशों की संख्या 15 है तथा क़तर के अलग होने के बाद सदस्य देशों की संख्या 14 रह जाएगी।
  • OPEC के अस्तित्व में आने के बाद शुरुआत में पाँच वर्षों तक इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में था। 1 सितंबर, 1965 को इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थानांतरित कर दिया गया था।

वैश्विक रूप से कच्चे तेल के उत्पादन में OPEC की हिस्सेदारी
opec

स्रोत : द हिंदू एवं OPEC वेबसाइट


नई 'केंप्युटर' (chemputer) प्रणाली के माध्यम से दवा उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव

चर्चा में क्यों?


हाल ही में वैज्ञानिकों ने दवाओं के अणुओं का उत्पादन करने के लिये एक नई विधि विकसित की है, जिसमें प्रोग्राम तैयार करने में सक्षम एक 'केंप्युटर' (chemputer) के माध्यम से कार्बनिक रसायनों को आसानी से और विश्वसनीय रूप से संश्लेषित करने हेतु डाउनलोड किये जा सकने वाले ब्लूप्रिंट का उपयोग किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित यह शोध पहली बार प्रदर्शित करता है कि महत्त्वपूर्ण दवा अणुओं के संश्लेषण को एक किफायती और मॉड्यूलर रासायनिक-रोबोट प्रणाली में कैसे प्राप्त किया जा सकता है जिसे कि एक केंप्युटर कहते हैं।
  • जबकि रासायनिक उत्पादन में हालिया प्रगति ने स्वचालित प्रणालियों के माध्यम से प्रयोगशाला स्तर पर कुछ रासायनिक यौगिकों का उत्पादन करने की अनुमति दी है, लेकिन रासायनिक सूत्रों को लिखने और साझा करने के लिये केंप्युटर को एक नए सार्वभौमिक और अंतःक्रियात्मक मानक द्वारा समर्थन प्रदान किया गया है।
  • शोधकर्त्ताओं ने कहा कि रसायन विज्ञान के लिये एक सामान्य अवधारणा विकसित करना इसकी मुख्य वज़ह थी जिसे सार्वभौमिक, व्यावहारिक और कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा संचालित किया जा सके।
  • कंप्यूटर प्रोग्राम पर चलने वाले उन रासायनिक सूत्रों को वैज्ञानिकों ने 'केम्पिलर' नाम दिया है। ये केम्पिलर केंप्युटर को यह निर्देश देते हैं कि पहले से कहीं अधिक किफायती और सुरक्षित ढंग से मांग अनुरूप अणुओं का उत्पादन कैसे करें। 
  • शोधकर्त्ताओं का दावा है कि एक सार्वभौमिक कोड का उपयोग करने की यह क्षमता दुनिया भर के रसायनविज्ञानियों को अपने रासायनिक सूत्रों को डिजिटल कोड में बदलने की अनुमति देगी।
  • यह लोगों को आईट्यून्स या स्पॉटिफी पर संगीत डाउनलोड करने के समान ही रासायनिक सूत्रों को साझा करने और डाउनलोड करने की अनुमति देगा।
  • ग्लासगो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ली क्रोनिन के अनुसार, “यह दृष्टिकोण रसायन शास्त्र के डिजिटलीकरण में एक महत्त्वपूर्ण कदम है और मांग के अनुरूप जटिल अणुओं की सार्वभौमिक असेंबली की अनुमति देगा तथा एक सरल सॉफ़्टवेयर एप और मॉड्यूलर केंप्युटर का उपयोग करके नए अणुओं को खोज और निर्माण की क्षमता को सर्वसुलभ बनाएगा।"
  • क्रोनिन ने कहा, "एक कॉम्पैक्ट केंप्युटर प्रणाली के माध्यम से दवाओं के लिये रासायनिक सूत्रों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने और संश्लेषित करने योग्य बनाने से दुनिया के दूरस्थ हिस्सों में चिकित्सा पेशेवरों को ज़रूरत के समय जीवन रक्षक दवाओं को बनाने की अनुमति मिल सकती है।"
  • शोधकर्त्ताओं ने कहा कि इस प्रणाली के संभावित अनुप्रयोग बहुत अधिक हैं और हम जैविक रसायन शास्त्र के लिये इस क्रांतिकारी नए दृष्टिकोण की ओर अग्रसर होने के लिये बहुत उत्साहित हैं।

स्रोत : द हिंदू बिज़नेस लाइन


अल नीनो के कारण बढ़ सकता है सर्दियों का तापमान

संदर्भ


हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) ने अनुमान लगाया है कि प्रशांत महासागर के आस-पास अल-नीनो (El-Nino) के प्रभाव के कारण भारत में सर्दियों का मौसम लगातार दूसरे साल कुछ गर्म हो सकता है।


प्रमुख बिंदु

  • IMD का अनुमान है कि फरवरी 2019 अर्थात् सर्दियों के अंत में एक छोटी अवधि का कमज़ोर अल-नीनो विकसित हो सकता है।
  • यह अनुमान IMD के 'सीजनल आउटलुक फॉर टेम्परेचर' (Seasonal Outlook for Temperatures), में प्रकाशित किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 से ही IMD गर्मी तथा सर्दी के मौसम के लिये 'सीजनल आउटलुक फॉर टेम्परेचर’ जारी करता है।
  • ये पूर्वानुमान मानसून मिशन युग्मित पूर्वानुमान प्रणाली (Monsoon Mission Coupled Forecasting System- MMCFS) की भविष्यवाणियों पर आधारित हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)

  • IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी।
  • यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) की एक एजेंसी है।
  • यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।

अल-नीनो (El-Nino)

  • प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। दक्षिण अमेरिका के पश्चिम तटीय देश पेरू एवं इक्वाडोर के समुद्री मछुआरों द्वारा प्रतिवर्ष क्रिसमस के आस-पास प्रशांत महासागरीय धारा के तापमान में होने वाली वृद्धि को अल-नीनो कहा जाता था।
  • वर्तमान में इस शब्द का इस्तेमाल उष्णकटिवंधीय क्षेत्र में केंद्रीय और पूर्वी प्रशांत महासागर के सतही तापमान में कुछ अंतराल पर असामान्य रूप से होने वाली वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप होने वाले विश्वव्यापी प्रभाव के लिये किया जाता है।
  • ला-नीना (La-Nina) भी मानसून का रुख तय करने वाली सामुद्रिक घटना है। यह घटना सामान्यतः अल-नीनो के बाद होती है। उल्लेखनीय है कि अल-नीनो में समुद्र की सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है जबकि ला-नीना में समुद्री सतह का तापमान बहुत कम हो जाता है।

अल-नीनो से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र

  • सामान्यतः प्रशांत महासागर का सबसे गर्म हिस्सा भूमध्य रेखा के पास का क्षेत्र है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण वहाँ उपस्थित हवाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं। ये हवाएँ गर्म जल को पश्चिम की ओर अर्थात् इंडोनेशिया की ओर धकेलती हैं।
  • वैसे तो अल-नीनो की घटना भूमध्य रेखा के आस-पास प्रशांत क्षेत्र में घटित होती है लेकिन हमारी पृथ्वी के सभी जलवायु-चक्रों पर इसका असर पड़ता है।
  • लगभग 120 डिग्री पूर्वी देशांतर के आस-पास इंडोनेशियाई क्षेत्र से लेकर 80 डिग्री पश्चिमी देशांतर पर मेक्सिको की खाड़ी और दक्षिण अमेरिकी पेरू तट तक का समूचा उष्ण क्षेत्रीय प्रशांत महासागर अल-नीनो के प्रभाव क्षेत्र में आता है।

अल-नीनो का प्रभाव

  • अल-नीनो के प्रभाव से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है।
  • मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है। इसका असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है।
  • जिस वर्ष अल-नीनो की सक्रियता बढ़ती है, उस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून पर उसका असर निश्चित रूप से पड़ता है। इससे पृथ्वी के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होती है तो कुछ हिस्सों में सूखे की गंभीर स्थिति भी सामने आती है।
  • भारत भर में अल-नीनो के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है जबकि, ला-नीना के कारण अत्यधिक बारिश होती है।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन) एवं दृष्टि इनपुट


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (4 December)

  • 25 दिसंबर को शुरू हो सकता है देश की सबसे तेज़ ट्रेन T-18 का संचालन; पहली ट्रेन दिल्ली और वाराणसी के बीच चलाए जाने की है संभावना
  • फर्ज़ी खबरों को रोकने हेतु Whatsapp का कैंपेन; सरकार ने दी थी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी; 60 सेकंड की तीन विज्ञापन फिल्में होंगी जारी
  • 4 दिसंबर को मनाया जा रहा है Indian Navy Day 2018; 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में Indian Navy की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है यह दिन
  • नेवी में 56 जंगी पोतों और छह पनडुब्बियों को किया जाएगा शामिल;
  • पंजाब में जल संकट के मद्देनज़र बनाई जाएगी अथॉरिटी; विधानसभा में लाया जाएगा ‘वाटर रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी बिल’
  • क़तर ने OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries) समूह से तोड़ा नाता; आर्थिक स्थिति सुधारने और गैस उत्पादन को बढ़ावा देने का दिया हवाला
  • सऊदी अरब की किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने निर्मित किया हवा से पानी बनाने का उपकरण; सुदूर बंज़र क्षेत्रों में भी पेयजल हो सकेगा संभव
  • द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA) ने दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन को ‘हीरो टू एनिमल अवार्ड’ से किया सम्मानित; जानवरों और पक्षियों के हित में काम करती है यह संस्था
  • अमेरिका के 41वें राष्ट्रपति Senior George H. W. Bush का 94 वर्ष की उम्र में निधन; टेक्सास में किया जाएगा अंतिम संस्कार
  • रुपए की कीमत में मज़बूती; 1 दिसंबर को 69.77 रुपए रही 1 डॉलर की कीमत
  • अजय नारायण झा बने नए वित्त सचिव; हाल ही में सेवानिवृत हुए हसमुख अढिया की जगह लेंगे
  • फिर से फूट पड़ा सेंट्रल मेक्सिको स्थित पोपोकटेपेटल ज्वालामुखी; इसके 70 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं 3 करोड़ लोग; सिटलटाइपेटल के बाद मेक्सिको की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है यह
  • जलवायु परिवर्तन से लड़ने हेतु विश्व बैंक ने 2021-25 के लिये 200 अरब डॉलर तक बढ़ाया फंड; पहले यह फंड 100 अरब था
  • तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ रूस के सोयूज यान ने भरी उड़ान; इससे पहले अक्तूबर में दो यात्रियों साथ उड़ान भरने की कोशिश रही थी असफल

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 04 दिसंबर, 2018

अभिनव बिंद्रा को निशानेबाजी का सर्वोच्च पुरस्कार


भारत के ओलंपिक पदक विजेता और विश्व चैंपियन निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (International Shooting Sport Federation- ISSF) ने ‘द ब्लू क्रॉस’ (The Blue Cross) पुरस्कार से सम्मानित किया है।

  • अभिनव बिंद्रा यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय हैं।
  • उन्हें यह पुरस्कार इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन की एथलीट कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये प्रदान किया गया है।
  • ‘द ब्लू क्रॉस’ ISSF की तरफ से दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।
  • अभिनव बिंद्रा ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल इवेंट का गोल्‍ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वह ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं।
  • अभिनव बिंद्रा को वर्ष 2000 में अर्जुन अवॉर्ड और वर्ष 2001 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
  • वर्ष 2009 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
  • 2010 से 2014 तक वह ISSF एथलीट समिति के सदस्य और वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक चेयरमैन रहे।
  • एथलीट के रूप में शानदार करियर तथा वैश्विक रूप से निशानेबाजों के लिये रोल मॉडल होने के कारण इन्हें जनवरी 2016 में ‘प्रेसिडेंट्स बटन’ (President’s Button) और ‘डिप्लोमा ऑफ ऑनर’ (Diploma of Honour) से सम्मानित किया गया था।

सहरिया जनजाति


सहरिया जनजाति (Saharia Tribe) को कम विकास सूचकांक के कारण विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group- PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

  • यह जनजाति देश की सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक है।
  • यह जनजाति राजस्थान और मध्य प्रदेश में निवास करती है।
  • यह जनजाति विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करती है तथा कई हिंदू त्योहार भी मनाती है।

फूड सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स (Food Sustainability Index- FSI)


फूड सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स (FSI), द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (The Economist Intelligence Unit) द्वारा बरीला सेंटर फॉर फूड एंड न्यूट्रिशन (Barilla Center for Food & Nutrition) के साथ मिलकर विकसित किया गया है।

  • फूड सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स के इस वर्ष के संस्करण का शीर्षक 'फिक्सिंग फूड-2018: सतत विकास लक्ष्यों के प्रति सर्वोत्तम अभ्यास' (Fixing Food-2018: Best Practices towards the Sustainable Development Goals) था।
  • यह गुणात्मक और मात्रात्मक तरीके से राष्ट्रीय खाद्य प्रणालियों की स्थिरता का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किया गया एक मॉडल है।
  • खाद्य स्थिरता सूचकांक तीन व्यापक श्रेणियों पर आधारित है:
  1. खाद्य हानि और अपशिष्ट (Food loss and Waste)
  2. टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture)
  3. पोषण संबंधी चुनौतियाँ (Nutritional Challenges)
  • वैश्विक परिदृश्य के साथ तुलनात्मक अध्ययन से संकेत मिलता है कि भारत ने खाद्य हानि और अपव्यय को रोकने में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन टिकाऊ कृषि में औसत से नीचे है और पोषण संबंधी चुनौतियों का सामना करने में भी इसकी स्थिति सबसे खराब है।
  • खाद्य उत्पादन में वृद्धि के बावजूद यह 2018 में 67 देशों के बीच 33वें स्थान पर है। ब्रिक्स (BRICS) देशों में केवल चीन (23) भारत से बेहतर है।
  • फ्राँस ने इस सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल किया, जबकि नीदरलैंड और कनाडा क्रमशः दूसरे तथा तीसरे स्थान पर हैं।
  • FSI का पहला संस्करण वर्ष 2016 में प्रकाशित किया गया था।

भारतीय नौसेना दिवस


4 दिसंबर को भारत में भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • वर्ष 1971 में कराची हार्बर में पाकिस्तान के नौसेना मुख्यालय पर भारतीय नौसेना को आपरेशन ट्राइडेंट (Trident) में मिली शानदार कामयाबी की याद में यह दिवस मनाया जाता है।
  • 4 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक ही रात में पकिस्तान के तीन जलपोतों को नष्ट था।
  • ऑपरेशन ट्राइडेंट की योजना नौसेना प्रमुख एडमिरल एस.एम. नंदा के नेतृत्व में बनाई गई थी। इस ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी 25वीं स्क्वॉर्डन कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी।

    अन्य महत्त्वपूर्ण ऑपरेशन

    • ऑपरेशन विजय- (1961) पुर्तगालियों से गोवा की मुक्ति के लिये इस ऑपरेशन में पहली बार भारतीय नौसेना का इस्तेमाल किया गया।
    • ऑपरेशन कैक्टस- (नवंबर 1988) – भारतीय सेना के साथ मिलकर मालदीव से तमिल उग्रवादियों को खदेड़ने के लिये।
    • ऑपरेशन तलवार- कारगिल युद्ध के दौरान।
    • ऑपरेशन सुकून (Sukoon) - (2006)- इज़रायल और लेबनान संघर्ष के दौरान लेबनान में फँसे भारत, श्रीलंका और नेपाल के नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिये।
    • ऑपरेशन सेफ होम कमिंग- (फरवरी 2011)- युद्धग्रस्त लीबिया से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिये।
    • ऑपरेशन राहत (RAAHAT) – (अप्रैल 2015)- यमन संकट के दौरान वहाँ फँसे भारतीयों को बचने के लिये।
    • ऑपरेशन निस्तार (NISTAR) - (जून 2018)- चक्रवाती तूफ़ान मेकेनु (Mekenu) के कारण यमन के सोकोत्रा (Yemeni island of Socotra) द्वीप में फँसे 38 भारतीयों को बचाने के लिये।

    भालू पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन (International Conference on Bears)


    आगरा (उत्तर प्रदेश)
    में भालू पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

    • इस सम्मलेन में 11 देशों के 80 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
    • इस चार दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य चिड़ियाघरों, अभयारण्यों और बचाव केंद्रों पर भालू तथा अन्य जंगली जानवरों के कल्याण के बारे में जानकारी साझा करना है।
    • इस सम्मलेन का आयोजन वाइल्डलाइफ SOS (Wildlife SOS) द्वारा अमेरिका और कनाडा के बियर केयर ग्रुप (Bear Care Group) के सहयोग से किया जा रहा है।
    • यह सम्मेलन भालू देखभाल, वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष (Man-animal Conflict) को कम करने पर केंद्रित है।

    ‘शिन्यु मैत्री- 2018’ (SHINYUU Maitri- 2018)


    3 दिसंबर, 2018 को भारतीय वायुसेना और जापान के एयर सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (Japanese Air Self Defence Forces- JASDF) के बीच ‘शिन्यु मैत्री’ (SHINYUU Maitri) नामक अभ्यास शुरू हुआ।

    • इस युद्धाभ्यास का आयोजन आगरा (उत्तर प्रदेश) में किया गया है जो 7 दिसंबर, 2018 तक चलेगा।
    • इस युद्ध अभ्यास की थीम परिवहन वायुयान पर संयुक्त गतिशीलता/मानवीय सहायता और आपदा राहत (Humanitarian Assistance & Disaster Relief- HADR) है।
    • भारत और जापान की वायुसेनाओं के बीच यह पहला अभ्यास है।
    • उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारतीय सेना और जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स के बीच भारत के मिज़ोरम में धर्म गार्जियन-2018 नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास भी आयोजित किया गया था।
    • इसके अलावा जापान-भारत नौसैनिक अभ्यास जिसे JIMEX नाम से जाना जाता है का आयोजन आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में किया गया था।