कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच मेकेदातु परियोजना विवाद
संदर्भ
कुछ समय पूर्व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कर्नाटक में मेकेदातु बांध परियोजना के लिये व्यवहार्यता अध्ययन की प्रक्रिया को रोकने हेतु आग्रह किया था। लेकिन हाल ही में केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने कर्नाटक सरकार की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (feasibility report) को स्वीकृति देते हुए कावेरी नदी पर बनने वाले मेकेदातु (Mekedatu) बहुद्देश्यीय परियोजना को प्रशासनिक मंज़ूरी दे दी है।
मेकेदातु परियोजना (Mekedatu Project)
- कर्नाटक सरकार द्वारा कावेरी नदी पर स्थापित की जा रही यह परियोजना तमिलनाडु के रामानगरम् ज़िले में मेकेदतु के पास है।
- इस परियोजना की प्रस्तावित क्षमता 48 TMC (thousand million cubic feet) है। इसका प्राथमिक उद्देश्य बंगलूरू को पेयजल की आपूर्ति करना और इस क्षेत्र में भूजल पटल का पुनर्भरण (recharge) करना है।
तमिलनाडु बनाम कर्नाटक
- तमिलनाडु ने मामले पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। तमिलनाडु का मुख्य तर्क यह है कि मेकेदातु परियोजना कावेरी नदी जल प्राधिकरण के अंतिम निर्णय का उल्लंघन करती है और दो जलाशयों के निर्माण के परिणामस्वरूप कृष्णाराज सागर और कबीनी जलाशयों में जलग्रहण के साथ-साथ कर्नाटक और तमिलनाडु की सामूहिक सीमा बिलिगुंडुलू में भी जल-प्रवाह प्रभावित होगा।
- वहीँ कर्नाटक का कहना है कि यह परियोजना तमिलनाडु को निर्धारित मात्रा में पानी जारी करने के रास्ते में नहीं आएगी और न ही इसका इस्तेमाल सिंचाई उद्देश्यों के लिये किया जाएगा।
बांध पर हो रही राजनीति
- वर्ष 2015 में तमिलनाडु में इस परियोजना के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसे राजनीतिक दलों, किसानों, परिवहन संघों, खुदरा विक्रेताओं और व्यापारियों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ था।
- साथ ही तमिलनाडु की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कर्नाटक को इस परियोजना के निर्माण करने से रोके।
आगे की राह
- कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA) के विशेषज्ञों अनुसार, केंद्रीय जल आयोग (CWC) द्वारा इस परियोजना को मंज़ूरी मिलने के बाद भी इस प्रक्रिया के लिये CWMA से मंज़ूरी लेना अनिवार्य है।
- प्राधिकरण के विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट का अध्ययन किया जाना अभी शेष है क्योंकि CWC का फैसला केवल तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाई गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission- CWC)
- जल संसाधन के क्षेत्र में यह देश का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है।
- इस आयोग को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, नौवहन, पेयजल आपूर्ति और जल विद्युत विकास के प्रयोजन हेतु समूचे देश के जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण और उपभोग संबंधी योजनाओं के लिये राज्य सरकारों के परामर्श से शुरू करने, समन्वित करने तथा आगे बढ़ाने का सामान्य उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
- इस आयोग का प्रमुख एक अध्यक्ष होता है जिसका पद भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है।
- आयोग के तीन तकनीकी विंग हैं, जिसमें अभिकल्प एवं अनुसंधान, जल आयोजना एवं परियोजना तथा नदी प्रबंध विंग शामिल हैं।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA)
- तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल एवं पुद्दुचेरी के बीच जल के बँटवारे संबंधी विवाद को निपटाने हेतु 1 जून, 2018 को केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) का गठन किया।
- इस प्राधिकरण के गठन का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने 16 फरवरी, 2018 को दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, केंद्र सरकार को 6 सप्ताह के भीतर इस प्राधिकरण का गठन करना था।
प्राधिकरण की संरचना
- इस प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, 8 सदस्यों के अलावा एक सचिव शामिल है।
- अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
- प्राधिकरण के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या आयु के 65 वर्ष पूरे होने तक निर्धारित किया गया है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
ड्रोन पंजीकरण हेतु डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म लॉन्च
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा देश में ड्रोन ऑपरेटरों के लिये पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने हेतु 'डिजिटल स्काई' नामक पोर्टल की शुरुआत की गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसी वर्ष अगस्त माह में सरकार ने रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम (Remotely Piloted Aerial System-RPAS) के संचालन के लिये नियम बनाए थे, जो कि 1 दिसंबर से प्रभावी हो गए।
- इन नियमों के तहत RPAS के सुरक्षित संचालन और एयर स्पेस के सहकारी उपयोग के लिये ऑपरेटरों, रिमोट पायलट/उपयोगकर्त्ता और निर्माताओं/OEM के दायित्वों का विस्तृत विवरण दिया गया।
- नागरिक उड्डयन के नियमों (CAR) के तहत डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म की भी घोषणा की गई, जो कि अपनी तरह का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म है जो CAR के उल्लंघन को कम करने के लिये सॉफ़्टवेयर-आधारित आत्म-प्रवर्तन की एक आदर्श प्रणाली 'बिना अनुमति के उड़ान नहीं' (No Permission, No Take-off-NPNT) लागू करता है।
- इन मानदंडों के तहत ड्रोन उपयोगकर्त्ताओं को अपने ड्रोन का एक बार पंजीकरण कराना होगा। उन्हें ड्रोन के मालिकों के साथ-साथ उसके पायलटों को भी पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी।
- भारत में नैनो ड्रोन कानूनी तौर पर 1 दिसंबर से उड़ान शुरू कर सकते हैं। माइक्रो और उससे ऊपर की श्रेणियों के ड्रोन के लिये ऑपरेटरों को डिजिटल स्काई पोर्टल पर पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी।
- मंत्रालय के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म ने उपयोगकर्त्ताओं का पंजीकरण स्वीकार करना शुरू कर दिया है तथा अनमैंड एरियल ऑपरेटर्स परमिट (Unmanned Aerial Operator’s Permit- UAOP) और यूनिक आईडेंटीफिकेशन नंबर (Unique Identification Numbers-UIN) के लिये भुगतान भारत कोष पोर्टल (bharatkosh.gov.in) के माध्यम से स्वीकार किये जाएंगे।
- मंत्रालय के अनुसार, उड़ान भरने की अनुमति प्राप्त करने के लिये रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम (Remotely Piloted Aerial System-RPAS) या ड्रोन ऑपरेटरों या रिमोट पायलटों को एक उड़ान योजना (flight plan) दर्ज करनी होगी।
- मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “ग्रीन ज़ोन में उड़ान भरने के लिये पोर्टल या एप के माध्यम से केवल उड़ानों के समय और स्थान की आवश्यकता होगी। यलो ज़ोन में उड़ान भरने के लिये अनुमति की आवश्यकता होगी और रेड ज़ोन में उड़ानों की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
- इन क्षेत्रों की पहचान जल्द ही घोषित की जाएगी। पोर्टल पर अनुमति डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी। अनधिकृत उड़ानों को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये डिजिटल परमिट के बिना कोई भी ड्रोन उड़ान नहीं भर पाएगा।
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म इस तेज़ी से बदलते उद्योग की बदलती आवश्यकताओं के साथ विकसित होने के लिये बनाया गया है। आने वाले महीनों में उपयोगकर्त्ताओं के लिये उड़ान की प्रक्रिया को सरल करने और सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी की सुविधा प्रदान करने के लिये नई विशेषताएँ विकसित की जाएंगी।
- इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि भविष्य में डिजिटल स्काई सेवा प्रदाता (DSPs) अप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस (APIs) के माध्यम से इस मंच की कार्यक्षमता का विस्तार करेगा।
- मंत्रालय ने जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में ड्रोन पॉलिसी 2.0 की सिफारिश पर एक टास्क फोर्स गठित किया है। टास्क फोर्स द्वारा इस साल के अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट जारी करने की उम्मीद है।
- मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि RPAS के लिये ड्रोन 2.0 कार्ययोजना में स्वायत्त उड़ानों, ड्रोन के माध्यम से वितरण और दृश्य सीमा से परे (BVLOS) उड़ानों के लिये नियामक ढाँचे को शामिल किये जाने की संभावना है।
- वज़न के आधार पर ड्रोन की पाँच श्रेणियाँ- नैनो (250 ग्राम से कम), माइक्रो (250 ग्राम से 2 किलो तक), स्माल (2 किलो से 25 किलो तक), मीडियम (25 किलो से 150 किलो तक) तथा लार्ज (150 किलो से अधिक) होंगी।
क्या है ड्रोन?
- रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम (Remotely Piloted Aerial System-RPAS) जिसे ड्रोन के रूप में जाना जाता है, व्यापक अनुप्रयोगों वाला एक तकनीकी मंच है।
- इन्हें एक रिमोट या विशेषकर इसी के लिये बनाए गए कंट्रोल रूम से उड़ाया जाता है। ड्रोन अपने आकार, दायरे, स्थिरता और भार उठाने की क्षमता के आधार पर कई प्रकार के होते हैं।
- इनमें आमतौर पर स्थिर पंख, रोटर रहते हैं और ये बैटरी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। जीपीएस सिस्टम के ज़रिये काम करने वाले अलग-अलग ड्रोन की कार्यक्षमता अलग-अलग होती है।
- सामान्य तौर पर निगरानी के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले ड्रोन की रेंज फिलहाल 100 किमी. तक है। एक बार बैटरी चार्ज होने पर यह काफी ऊँचाई पर 100 किमी. प्रति घंटा की गति से उड़ सकता है।
स्रोत : लाइवमिंट और पीआईबी
G20 समूह
प्रस्तावना
ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी या G20, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय (economic and financial) एजेंडा के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु प्रमुख मंच है। यह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। G20 के सम्मेलनों में संयुक्त राष्ट्र (United Nation), IMF और विश्व बैंक भी भाग लेते हैं।
G20 समूह में शामिल अर्थव्यवस्थाएँ
G20 समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत, वैश्विक निवेश का 80% तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
G20 समूह के उद्देश्य
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् आर्थिक संवृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
- वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना जो कि जोखिम (Risk) को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट (Financial Crisis) को रोकते हैं।
- एक नया अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।
G20 समूह की उत्पति और विकास
- 1997 में आए बड़े वित्तीय संकट के पश्चात् यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिये।
- G20 समूह की स्थापना 1999 में 7 देशों-अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ़्राँस और इटली के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में की गई थी।
- संयुक्त राष्ट्र (United Nation), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक (World Bank) के स्टाफ स्थायी होते हैं और इनके हेड क्वार्टर भी होते हैं, जबकि G20 का न तो स्थायी स्टाफ होता है और न ही हेड क्वार्टर, यह एक फोरम मात्र है।
- G20 समूह के सहभागी संस्थान
G20 शिखर सम्मेलन 2018
- G20 का 13वाँ शिखर सम्मेलन 30 नवंबर से 1 दिसंबर, 2018 तक अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित किया गया।
- यह शिखर सम्मेलन कई मायनों में काफी खास था। इस सम्मेलन के दौरान समूह के नेताओं ने 10 साल पहले अस्तित्व में आए G20 के कार्यों की समीक्षा करने के साथ-साथ आने वाले दशक की नई चुनौतियों से निपटने के तरीके और समाधान पर भी चर्चा की।
- इस सम्मेलन में भारत ने भगौड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने के लिये 9 सूत्रीय एजेंडा प्रस्तुत किया तथा कई अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय बैठकें भी कीं।
- ब्यूनस आयर्स में आयोजित इस सम्मेलन की थीम ‘BUILDING CONSENSUS FOR FAIR AND SUSTAINABLE DEVELOPMENT’ थी।
- इस सम्मेलन के दौरान भ्रष्टाचार से मुक्ति, महिला सशक्तीकरण, वित्तीय शासन का सुदृढ़ीकरण, वैश्विक अर्थव्यवस्था, श्रम बाज़ारों का भविष्य और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी।
- इसके अलावा जलवायु परिवर्तन को लेकर उचित कार्रवाई, व्यापार एवं निवेश पर सहयोग, वैश्विक कर प्रणाली में निष्पक्षता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की जानी थी।
- इस सम्मेलन का मुख्य ध्यान ‘फ्यूचर ऑफ वर्क (The future of work), विकास हेतु अवसंरचना और सतत् खाद्य सुरक्षा’ पर था।
स्रोत- g20.org, mea.gov.in
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 03 दिसंबर, 2018
हॉर्नबिल महोत्सव (Hornbill Festival)
नगालैंड राज्य के स्थापना दिवस (1 दिसंबर, 1963) के अवसर पर हर साल हॉर्नबिल महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस बार राज्य में 19वें हॉर्नबिल महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
- यह सांस्कृतिक महोत्सव नृत्य, संगीत और भोजन के साथ-साथ वर्षों से अपनाई गई नगा समुदाय की समृद्ध संस्कृति एवं परंपराओं का कलात्मक प्रदर्शन है, जो कि नगा समाज की विविधताओं को प्रदर्शित करता है।
- इस महोत्सव का उद्देश्य नगालैंड की समृद्ध संस्कृति को पुनर्जीवित करने तथा सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ इसकी परंपराओं को प्रदर्शित करना है।
- इस उत्सव का आयोजन राज्य के पर्यटन तथा कला एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
- पहली बार इस उत्सव का आयोजन वर्ष 2000 में किया गया था।
नगालैंड के बारे में
- नगालैंड राज्य का गठन औपचारिक रूप से 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ के 16वें राज्य के रूप में किया गया था। यह पश्चिम में असम, पूर्व में म्याँमार (बर्मा), उत्तर में अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ हिस्से तथा दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है।
- इसकी राजधानी कोहिमा है। राज्य की आधिकारिक भाषा अंग्रेज़ी (English) है।
- राज्य में 16 प्रमुख जनजातियाँ तथा उनकी उप-जनजातियाँ निवास करती हैं। प्रत्येक जनजाति रिवाज, भाषा और पोशाक के मामले में एक-दूसरे से भिन्न है।
सशस्त्र बल ध्वज दिवस – 2018 (Armed Forces Flag Day – 2018)
वर्ष 1949 से ही 07 दिसंबर को शहीदों के साथ-साथ वर्दीधारी पुरुषों और महिलाओं, जो देश के सम्मान की रक्षा के लिये सीमाओं पर बहादुरी से लड़ते हैं, को सम्मानित करने के लिये सशस्त्र सेना ध्वज दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। इसी क्रम में पूर्व-सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिये पूर्ण देश का समर्थन सुनिश्चित करने के लिये 1 से 7 दिसंबर तक सशस्त्र बल सप्ताह (Armed Forces Week) का आयोजन किया जा रहा है।
- यह पूर्व सैनिकों, दिव्यांग सैनिकों, युद्ध में मारे गए जवानों की विधवाओं और उन लोगों के आश्रितों, जिन्होंने मातृभूमि की सुरक्षा, सम्मान और अखंडता के लिये अपनी जान न्यौछावर कर दी, की देखभाल करने हेतु देश के दायित्व को याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
- पूर्व सैनिक (Ex-Servicemen- ESM) समुदाय के कल्याण और पुनर्वास के लिये भारत सरकार द्वारा 'सशस्त्र बल ध्वज दिवस कोष' (Armed forces Flag Day Fund- AFFDF) का गठन किया गया है।
- देश में 6.5 लाख विधवाओं सहित 30 लाख ESM हैं, जिसमें समय-पूर्व सेवानिवृत्ति ले लेने के कारण हर साल लगभग 60,000 ESM और जुड़ जाते हैं।
- इस अभियान का उद्देश्य 'सशस्त्र बल ध्वज दिवस कोष' के बारे में जागरूकता पैदा करना और उदारता से योगदान करने के लिये लोगों को प्रोत्साहित करना है।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (International Day of Persons with Disabilities)
हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस की थीम है- Empowering persons with disabilities and ensuring inclusiveness and equality.
प्रमुख तथ्य
- इस दिवस को मनाने की घोषणा वर्ष 1992 में हुई थी।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पूरी दुनिया की आबादी 7 बिलियन है जिसमें से 1 बिलियन लोग विकलांगता के किसी-न-किसी रूप से ग्रसित हैं। अर्थात् प्रत्येक 7 में से एक व्यक्ति दिव्यांग है।
- दिव्यांग लोगों की कुल वैश्विक आबादी में 100 मिलियन से अधिक बच्चे शामिल हैं।
- दिव्यांग बच्चों के हिंसा से पीड़ित होने की संभावना गैर-अक्षम बच्चों की तुलना में चार गुना अधिक है।
- कुल दिव्यांग आबादी में से 80% लोग विकासशील देशों में रहते हैं।
- 50 प्रतिशत दिव्यांग ऐसे हैं जो स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च वहन नहीं कर सकते।
- 177 देशों ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर सम्मेलन की पुष्टि की है।
भारत में दिव्यांग जन
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिव्यांग जनों की आबादी 2.68 करोड़ है, जो देश की कुल जनसंख्या का 2.21 प्रतिशत है।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का दिव्यांग जन सशक्तीकरण विभाग [Department of Empowerment of Persons with Disabilities (Divyangjan)] दिव्यांग जनों के सशक्तीकरण हेतु कार्य करता है।
तालानोआ वार्ता (Talanoa Dialogue)
तालानोआ वार्ता की शुरुआत वर्ष 2017 में बॉन, जर्मनी (Bonn,Germany) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP-23 (UN Climate Change Conference COP-23) में हुई थी जिसका आयोजन 2018 में भी पूरे वर्ष के दौरान किया जा रहा है।
- तालानोआ (Talanoa) एक पारंपरिक शब्द है जो फिजी और प्रशांत क्षेत्र में समावेशी, सहभागी और पारदर्शी वार्तालाप की प्रक्रिया को प्रतिबिंबित करने के लिये उपयोग किया जाता है।
- तालानोआ का उद्देश्य सामूहिक हित के लिये कहानियाँ साझा करना, सहानुभूति व्यक्त करना और बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेना है।
- तालानोआ की प्रक्रिया में कहानी के माध्यम से विचारों, कौशल और अनुभव को साझा करना शामिल है।
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (2&3 December)
- देश की सबसे आधुनिक T-18 ट्रेन ने बनाया नया रिकॉर्ड; कोटा-सवाई माधोपुर रूट पर हुआ दूसरा ट्रायल; 180 किमी/घंटा की पकड़ी रफ़्तार
- भारत और चीन के बीच ब्यूनस आयर्स में द्विपक्षीय बैठक; भारत से आयात बढ़ाने को तैयार हुआ चीन लेकिन रुपए में व्यापार करने से किया इनकार
- G20 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर हुई वार्ता; भारत के प्रधानमंत्री और यूरोपियन यूनियन के नेतागण रहे शामिल
- अर्जेंटीना में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन रहा सफल; 2022 के सम्मेलन की मेज़बानी करेगा भारत
- भारत और अमेरिका की वायुसेनाएँ करने जा रही हैं 12 दिवसीय सैन्य अभ्यास; पश्चिम बंगाल के कालीकुंडा और पनागढ़ हवाई अड्डों पर 3 दिसंबर को होगा एक्स कोप इंडिया-18 का आयोजन
- दिव्यांग बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन करेगी सरकार; मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों को दिया निर्देश
- पोलैंड के कोटाविस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मलेन की शुरुआत; 14 दिसंबर तक इस सम्मेलन के चलने की है उम्मीद
- 149 तेल और गैस क्षेत्रों को बेचने के लिये सरकार ने गठित किया 6 सदस्यीय पैनल
- 1980 बैच के राजस्थान-कैडर के पूर्व IAS अधिकारी सुनील अरोड़ा ने मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में संभाला कार्यभार
- ड्रोन उड़ाने हेतु भारत ने की ऑनलाइन डिजिटल स्काई प्लेटफ़ॉर्म की शुरुआत; अब नैनो ड्रोन की उड़ान होगी वैध; जबकि सूक्ष्म और बड़े ड्रोन के लिये ऑनलाइन डिजिटल स्काई प्लेटफ़ॉर्म से लेनी होगी स्वीकृति
- अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार थमा; 90 दिनों तक किसी भी तरह का नया शुल्क नहीं लगाने पर बनी सहमति
- CII Agro Tech India-2018 के 13वें संस्करण का चंडीगढ़ में हो रहा है आयोजन; 1 से 4 दिसंबर, 2018 तक चलेगा यह कार्यक्रम