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अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला | 27 Nov 2019 | शासन व्यवस्था

संदर्भ

अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला देते हुए केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिये एक ट्रस्ट स्थापित करने, मंदिर निर्माण की योजना बनाने तथा संपत्ति का प्रबंधन करने का आदेश दिया।

पृष्ठभूमि

मंदिर के स्थान पर मस्ज़िद का निर्माण

खुदाई में मिले साक्ष्य

न्यायपालिका का हस्तक्षेप

वर्ष 2011 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय:

अंतिम निर्णय

“उल्लेखनीय है कि केंद्र ने वर्ष 1993 में विवादित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर की 2.77 एकड़ भूमि सहित समग्र 67.73 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया था।”

उपासना स्थल अधिनियम के दायरे से बाहर था यह मामला

उपासना स्थल अधिनियम, 1994

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिनियम की प्रशंसा

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 142 का प्रयोग

निर्णय का महत्त्व

सांप्रदायिक राजनीति का अंत: अयोध्या सांप्रदायिक राजनीति और चुनाव से पहले ध्रुवीकरण का केंद्र रहा है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय ने निश्चित रूप से एक सांप्रदायिक राजनीति को समाप्त कर दिया है।

द्वेष पर सद्भाव की जीत: सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को सभी पक्षों द्वारा स्वीकार किया जाना, निर्णय के बाद शांति और सामंजस्य को बनाए रखना आदि द्वेष पर सद्भाव की जीत को दर्शाता है।

राजनीतिक विचारों, धर्म और मान्यताओं से ऊपर है कानून:

निष्कर्ष