चर्चित मुद्दे

प्लास्टिक बैन | 20 Nov 2018 | जैव विविधता और पर्यावरण

संदर्भ

कुछ समय पहले दक्षिणी स्पेन के समुद्री तट पर बहकर आई एक मरी हुई स्पर्म व्हेल ने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। जाँच से पता चला कि उसके पेट और आँतों में जमे 64 पाउंड के प्लास्टिक कचरे ने उसकी जान ले ली थी। इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सही में हमारी पृथ्वी हानिकारक प्लास्टिक कचरे के सैलाब से भर गई है? ताज्जुब तो यह है कि हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी में प्लास्टिक के बिना काम असंभव से दिखते हैं। दूर-दराज के आइलैंड से लेकर आर्कटिक तक ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ प्लास्टिक की मौजूदगी न हो। अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे महासागरों में मछलियों से ज़्यादा प्लास्टिक होगा। शायद 2050 तक ही यह स्थिति देखने को मिल जाए। आज का हमारा यह आर्टिकल प्लास्टिक कचरे से पैदा हुए इस गंभीर मुद्दे के अलग-अलग पहलुओं को छूने की कोशिश करेगा।

आइये अब प्लास्टिक और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गौर करते हैं-

प्लास्टिक प्रदूषण किस प्रकार हमारे पारितंत्र और मानव स्वास्थ्य पर असर डालता है?

प्लास्टिक से उत्पन्न हुई इस समस्या के समाधान के लिये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रयास किये जा रहे हैं ?

सरकार इसके लिये और कौन से प्रयास कर रही है?

  1. भारत का Plastic Waste Management Rules 2016, 50 माइक्रोन की मोटाई से कम वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाता है और 2 सालों के अंदर non-recyclable एवं multi-layered plastic के निर्माण और बिक्री को चरणबद्ध तरीके से हटाने का निर्देश देता है।
  2. पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में Plastic Waste Management (amendment) rules 2018 अधिसूचित किया है, जिसके अनुसार वैसे multi-layered plastic, जिनकी रिसाइक्लिंग नहीं हो सकती, उन्हें चरणबद्ध तरीके से बाहर करना शामिल है।
  3. इस संशोधन में उत्पादक और निर्यातकों के लिये एक सेंट्रल रजिस्ट्रेशन सिस्टम बनाने का भी निर्देश दिया गया है।
  4. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और Solid Waste Management Rules, 2016 के अनुसार, सूखे कचरे यानी प्लास्टिक, पेपर, मेटल, ग्लास और गीले यानी किचन और बगीचे के कचरे को, उनके स्रोत पर ही अलग करना होगा।
  5. लगभग 20 से अधिक भारतीय राज्यों ने, प्लास्टिक के किसी न किसी form को प्रतिबंधित किया हुआ है। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, सिक्किम, त्रिपुरा, नगालैंड आदि ऐसे ही कुछ राज्य हैं।
  6. समुद्री प्लास्टिक के बॉर्डरलेस नेचर को देखते हुए विश्व स्तर पर वैज्ञानिक और कार्यकर्त्ता इसके लिये एक वैश्विक हल की बात कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिये क्या प्रयास किये जा रहे हैं ? 

  1. हाल ही में नैरोबी में यूनाइटेड नेशन्स एन्वायरनमेंट असेम्बली में 200 से ज़्यादा देशों ने समुद्रों से प्लास्टिक प्रदूषण को हटाने के लिये एक संकल्प पारित किया। हालाँकि यह कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि नहीं है लेकिन आगे का रास्ता तय करने में मददगार साबित होगी।
  2. यह संकल्प, UNEP घोषणा का ही एक भाग है जो कचरे में कमी लाने, प्रदूषण के खिलाफ कड़े नियम बनाने और धारणीय जीवन-शैली के लिये fiscal incentives देने की बात करता है।
  3. UN Sustainable Development Goals में भी सभी प्रकार के समुद्री प्रदूषणों में कमी लाने और उसे रोकने की बात कही गई है। एक और रोचक बात यह कि इस बार के विश्व पर्यावरण दिवस, 2018 की थीम, Beat Plastic Pollution रखी गयी थी, जिसकी मेज़बानी भारत ने ही की थी। इसका उद्देश्य non-biodegradable waste के डिस्पोजल से पैदा हुई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों और पर्यावरण के संबंध में जागरूकता पैदा करना था।

आगे की राह