चर्चित मुद्दे

गैर-व्यक्तिगत डेटा का विनियमन | 13 Aug 2020 | शासन व्यवस्था

प्रीलिम्स के लिये:

नॉन पर्सनल डेटा, बौद्धिक संपदा अधिकार

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय

संदर्भ:

हाल ही में इन्फोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक सरकारी समिति ने सुझाव दिया कि भारत में उत्पन्न गैर-व्यक्तिगत डेटा को विभिन्न घरेलू कंपनियों और संस्थाओं द्वारा उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिये। इस समिति का गठन सितंबर, 2019 में ‌IT मंत्रालय एवं सरकार, उद्योग एवं शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर किया गया था। समिति ने एक अलग राष्ट्रीय कानून और गैर-व्यक्तिगत डेटा की निगरानी हेतु एक अलग प्राधिकरण के गठन का सुझाव भी दिया। इसने गैर-व्यक्तिगत डेटा को अनिवार्य रूप से साझा करने की भी सिफारिश की। इससे भारतीय उद्यमियों के लिये नई और अभिनव सेवाओं या उत्पादों को विकसित करने में सहायता मिलेगी।

क्या है गैर-व्यक्तिगत डेटा?

गैर-व्यक्तिगत डेटा का महत्त्व

गैर-व्यक्तिगत डेटा की संवदेनशीलता

डेटा और इसका महत्त्व

  • सामान्य बोलचाल की भाषा में प्राय: मैसेज, सोशल मीडिया पोस्ट, ऑनलाइन ट्रांसफर और सर्च हिस्ट्री आदि के लिये डेटा शब्द का उपयोग किया जाता है।
  • तकनीकी रूप से डेटा को किसी ऐसी जानकारी के समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसे कंप्यूटर आसानी से पढ़ सके।
  • गौरतलब है कि यह जानकारी दस्तावेज़, चित्र, ऑडियो क्लिप, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या किसी अन्य प्रारूप में हो सकती है।
  • वर्तमान समय में व्यक्तिगत जानकारी का यह भंडार मुनाफे का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है और विभिन्न कंपनियाँ अपने उपयोगकर्त्ताओं के अनुभव को सुखद बनाने के उद्देश्य से इसे संग्रहीत कर इसका प्रयोग कर रही हैं।
  • सरकार एवं राजनीतिक दल भी नीति निर्माण एवं चुनावों में लाभ प्राप्त करने के लिये सूचनाओं के भंडार का उपयोग करते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में डेटा का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।

समिति द्वारा प्रस्तुत सुझाव

विनियमन की आवश्यकता क्यों

गैर-व्यक्तिगत डेटा से संबंधित वैश्विक मानक

संबंधित चुनौतियां

अंतिम मसौदे की रूपरेखा क्या हो?

आगे की राह

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस