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प्रथम विश्व युद्ध ने विश्व भू-राजनीति को किस प्रकार परिवर्तित कर दिया। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

05 Dec 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण:

  • प्रथम विश्व युद्ध के बारे में सामान्य जानकारी दीजिये।
  • युद्ध के कारण हुए भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

प्रथम विश्व युद्ध ने कई साम्राज्यों को नष्ट कर दिया, कई नए राष्ट्र-राज्यों का निर्माण किया, यूरोप के उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रोत्साहित किया, संयुक्त राज्य अमेरिका को विश्व शक्ति बनने के लिये मज़बूर किया, सोवियत साम्यवाद को प्रत्यक्ष नेतृत्व प्रदान किया तथा हिटलर के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रारूप

वैश्विक भू-राजनीति में परिवर्तन:

  • वैश्विक शक्तियों का उदय: प्रथम विश्व युद्ध ने सीज़रिस्ट रूस को नष्ट कर दिया तथा बोल्शेविक क्रांति और कम्युनिस्ट सोवियत संघ का निर्माण किया जिसने दशकों तक वैश्विक राजनीति को प्रभावित किया। प्रथम विश्व युद्ध ने आने वाले दशकों के लिये वैश्विक महाशक्तियों के बीच टकराव की नींव रखी।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का कमज़ोर होना: वर्ष 1919 में युद्ध के बाद एक एकीकृत यूरोप के विचार पर चर्चा की गई थी जो वास्तविक रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के बहुत बाद सामने आया। प्रथम विश्व युद्ध ने एक कमज़ोर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को पीछे छोड़ दिया जिसे बाद में जर्मनी और अन्य संशोधनवादी शक्तियों द्वारा विजय के अवसर प्रदान किये गए।
  • नए देशों का उदय: सूडान से जॉर्जिया, इराक से ग्रीस तथा ओटोमन साम्राज्य के पतन से नए देशों का उदय हुआ जिन्होंने ऐसे संघर्षों को हवा दी जिनकी गूँज विश्व राजनीति में अभी भी विद्यमान है।
  • व्यापक विनाश: प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव बहुत विनाशकारी था क्योंकि इसमें लाखों लोगों की मृत्यु, कई देशों में युवा पीढ़ी का विनाश, महामारी, बेरोज़गारी, अकाल, यूरोपीय वर्चस्व का पतन हुआ, साथ ही अमेरिका के उदय या वर्चस्व की शुरुआत हुई।
  • नवीन तकनीकों का विकास: महायुद्ध ने चिकित्सा, आधुनिक सर्जरी, प्रौद्योगिकी, युद्ध, राजनीति और सामाजिक दृष्टिकोण में नवीन यांत्रिक ताकत प्रदान की। वर्ष 1914 में विश्व काफी हद तक घोड़े, कोयले और भाप आदि से संचालित तकनीक पर निर्भर था। इसके उपरांत तेल उत्पादन और उसके प्रयोग ने विश्व को बदल दिया जो वर्तमान में भी वैश्विक राजनीति को प्रभावित करता है।
  • सामाजिक पदानुक्रम में परिवर्तन: संपूर्ण यूरोप में उच्च वर्गों की स्थिति में गिरावट और वर्ग संरचना में परिवर्तन, व्यापक सार्वभौमिक मताधिकार की शुरुआत, व्यापार संघवाद का विस्फोट आदि जैसे कुछ अपरिहार्य परिवर्तन हुए।

युद्ध के अन्य परिणाम:

  • आर्थिक परिणाम: प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने वाले देशों की अत्यधिक धन की क्षति हुई। इन देशों को करों में बढ़ोतरी करनी पड़ी तथा अपने नागरिकों से धन उधार लेना पड़ा। इस युद्ध के बाद मुद्रास्फीति की उत्पत्ति हुई।
  • राजनितिक परिणाम: प्रथम विश्व युद्ध ने चार राजतंत्रों का अंत किया: रूस के ज़ार निकोलस द्वितीय, जर्मनी के कैसर विल्हेम, ऑस्ट्रिया के सम्राट चार्ल्स और ओटोमन साम्राज्य के सुल्तान को पद छोड़ना पड़ा।
    • पुराने साम्राज्यों से नए देशों का निर्माण हुआ। ऑस्ट्रिया- हंगरी से कई स्वतंत्र राज्यों का निर्माण हुआ।
    • रूस और जर्मनी को पोलैंड को भूमि देनी पड़ी। मध्य-पूर्व के देशों को ग्रेट ब्रिटेन और फ्राँस के नियंत्रण में रखा गया था।
    • ओटोमन साम्राज्य के बचे हुए भाग को तुर्की कहा गया।
  • सामाजिक परिणाम: विश्व युद्ध ने समाज को पूरी तरह बदल दिया। लाखों युवाओं के मारे जाने के कारण जन्म दर में गिरावट आई (आठ मिलियन लोग मारे गए, लाखों घायल हो गए, विकलांग, विधवा और अनाथ हो गए)। नागरिकों को अपनी भूमि को खोना पड़ा तथा वे अन्य देशों में पलायन कर गए।
    • महिलाओं की भूमिका बदल गई। उन्होंने कारखानों और कार्यालयों में पुरुषों की जगह लेने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। कई देशों ने युद्ध समाप्त होने के बाद महिलाओं को अधिक अधिकार प्रदान किये, जिसमें वोट देने का अधिकार भी शामिल था।
    • उच्च वर्गों की समाज में अग्रणी भूमिका समाप्त हो गई। युवा, मध्यम और निम्न वर्ग के पुरुषों और महिलाओं ने युद्ध के बाद अपने देश के गठन में भूमिका निभाई।
  • वर्साय की संधि: 28 जून, 1919 को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर के साथ प्रथम विश्व युद्ध की आधिकारिक रूप से समाप्ति हुई। वर्साय की संधि विश्व को किसी अन्य युद्ध से रोकने का एक प्रयास था।

निष्कर्ष: इस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध के कारण विश्व की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर अत्यधिक गंभीर परिणाम देखे गए और आने वाले कई वर्षों तक उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकी।