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पोषक तत्त्वों पर आधारित सब्सिडी योजना (एनबीएस) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए भारत में समग्र उर्वरक सब्सिडी नीति के लिये आगे की राह का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)

21 Nov 2020 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी योजना की संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
  • NBS से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
  • भारत में एक समग्र उर्वरक सब्सिडी नीति पर प्रकाश डालिये।
  • उचित निष्कर्ष लिखिये।

परिचय

  • NBS के अंतर्गत इन उर्वरकों में निहित पोषक तत्त्वों (N, P, K & S) के आधार पर किसानों को सब्सिडी दर पर खाद उपलब्ध कराई जाती है।
    • इसके अलावा द्वितीयक उर्वरक और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों जैसे कि मोलिब्डेनम (Mo) और जिंक को अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है।
    • इस नीति के अंतर्गत फॉस्फेट और पोटाश (P & K) उर्वरकों पर सब्सिडी की घोषणा प्रत्येक पोषक तत्त्व के लिये वार्षिक आधार पर सरकार द्वारा प्रति किलोग्राम के आधार पर की जाती है।
  • इन दरों का निर्धारण P & K उर्वरकों की अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कीमतों, विनिमय दर, देश में सूची स्तर आदि को ध्यान में रखकर किया जाता है।
  • NBS नीति का उद्देश्य P & K उर्वरकों की खपत को बढ़ाना है ताकि NPK के उत्पादन में इष्टतम संतुलन (N: P: K = 4: 2: 1) प्राप्त हो सके।
  • इससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा और परिणामस्वरूप फसलों की उपज में वृद्धि होगी जिससे किसानों को आय में वृद्धि होगी।
  • साथ ही सरकार को उम्मीद है कि उर्वरकों के तर्कसंगत उपयोग से उर्वरक सब्सिडी का बोझ भी कम होगा।
  • यह रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा अप्रैल 2010 से लागू किया जा रहा है।

संरचना:

  • NBS के बाहर यूरिया: यूरिया मूल्य नियंत्रण के अधीन है और NBS केवल अन्य उर्वरकों में लागू किया गया है।
    • उर्वरकों (यूरिया के अलावा) की कीमत जो कि अनियंत्रित थी, इन 10 वर्षों के दौरान 2.5 से चार गुना तक बढ़ गई है। हालाँकि अप्रैल 2010 के बाद से यूरिया की कीमत में मुश्किल से 11% की वृद्धि हुई है।
    • किसानों ने पहले की तुलना में अधिक यूरिया का उपयोग किया है, जिससे उर्वरक के असंतुलन में और अधिक गिरावट आई है।
  • आर्थिक और पर्यावरणीय लागत: खाद्य सब्सिडी के बाद उर्वरक सब्सिडी दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है, जिसे देखते हुए NBS नीति न केवल अर्थव्यवस्था के राजकोषीय स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि देश की मिट्टी के लिये भी हानिकारक साबित हो रही है।
  • यूरिया की अनुत्पादकता: सब्सिडाइज्ड यूरिया, थोक खरीदारों/व्यापारियों या यहाँ तक कि गैर-कृषि उपयोगकर्त्ताओं जैसे कि प्लाईवुड और पशु चारा निर्माताओं को भी दी जा रही है।
    • इसकी तस्करी बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में की जा रही है।

आगे की राह

सरकार ने यूरिया के उपयोग के संबंध में सुधारों की एक शुरूआत की है, जिसमें सभी प्रकार की यूरिया की अनिवार्य नीम-कोटिंग शामिल है और कंपनियों को सीधे उर्वरक सब्सिडी का भुगतान करना है। हालाँकि ये उपाय केवल यूरिया के दुरुपयोग को संबोधित करते हैं, लेकिन वे किसानों द्वारा यूरिया के अनियंत्रित उपयोग की वास्तविक समस्या को ठीक नहीं करते हैं। इसलिये सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): DBT योजना विभिन्न मोर्चों पर किसान को लाभ पहुँचा सकती है जैसे-प्रतिस्पर्द्धी दरों पर बेहतर उत्पादों का विकल्प, उद्योग से उन्नत विस्तार सेवाओं से "स्थायी और ज़िम्मेदार" कृषि उत्पादन के लिये अग्रणी प्रथाओं का लाभ और इस तरह के उत्पादन के लिये बेहतर आय।
    • हालाँकि उर्वरकों में DBT को ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र वित्तीय समावेशन में सबसे पहले महत्त्व दिया जाना चाहिये।
  • अंतिम-मील कनेक्टिविटी को सक्षम करना: सरकार द्वारा सस्ती एवं कार्यशील प्रौद्योगिकियों के वितरण के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा स्थापित करने की आवश्यकता है, जो बदले में भूमि, फसल, मृदा स्वास्थ्य और अन्य भौगोलिक कारकों के आधार पर सब्सिडी को लक्षित करने की अनुमति देगा।
  • यूरिया को NBS के अंतर्गत लाना: उर्वरक उपयोग में असंतुलन को दूर करने के लिये यूरिया को NBS के तहत लाना होगा।
    • यूरिया की कीमतों में बढ़ोतरी और साथ ही साथ अन्य उर्वरकों को सस्ता बनाने के लिये फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर की NBS दरों को कम करने के लिये यह एक व्यावहारिक तरीका है।
  • दीर्घकालिक सुधार: दीर्घकालिक तौर पर NBS को प्रति एकड़ नकद सब्सिडी द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये, जिसका उपयोग किसान किसी भी उर्वरक को खरीदने के लिये कर सकते हैं। जिसमें न केवल अन्य पोषक तत्त्व शामिल होते हैं बल्कि यूरिया की तुलना में भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक कुशलता से बढ़ाई जा सकती है जिससे उत्पादकता में वृद्धि के साथ उत्पादों का मूल्यवर्द्धन भी हो सकेगा।

निष्कर्ष

हालाँकि यह माना जाता है कि ऐसे अस्थायी लक्ष्यों के बावजूद NBS सही दिशा में एक कदम है। इसलिये यह यूरिया में संतुलित पोषक तत्त्वों की खपत को प्राप्त करने के लिये ही नहीं, बल्कि सरकार के वित्त में सुधार करने के लिये भी अनिवार्य है।